Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
गम मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे,
एक दिल देकर खुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे, ये नमाज-ऐ-इश्क है कैसा आदाब किसका आदाब, अपने पाये नाज़ पर करने भी दो सजदा मुझे, देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊंगा, देखती ही देखती रह जायेगी दुनिया मुझे |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे,
मैं तुझको भूल के जिंदा रहूँ खुदा न करे, रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िंदगी बनकर, ये और बात मेरी ज़िंदगी वफ़ा न करे, सुना है उसको मोहब्बत दुआएं देती है, जो दिल पे चोट तो खाए मगर गिला न करे, ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई मे, खुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे, Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
जिसे लोग कहते है हिंदुस्तान है,
यही अपने खावाबो का प्यारा जहान है, कई मज्हबो का यहा एक निशान है, ये हिंदुस्तान है, ये हिंदुस्तान है, हर एक दिल मे मिटटी की खुशबु बसी है, ख्यालो मे हर एक के मेहँदी रची है, अंधेरे उजाले मे ये ज़िंदगी है, मगर प्यार ही प्यार की रोशनी है, हमारी मोहब्बत का ये आशियाँ है, ये हिंदुस्तान है, ये हिंदुस्तान है, अंधेरो मे जो आज भटके हुए है, हमारे ही भाई है बहके हुए है, सही रास्ता उनको दिखलायेंगे हम, लगायेंगे सिने से समझायेंगे हम, हमारा चलन तो बड़ा मेहरबान है, ये हिंदुस्तान है, ये हिंदुस्तान है, Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निछार होता कोई फ़ितना था क़यामत ना फिर आशकार होता तेरे दिल पे काश ज़ालिम मुझे इख़्तियार होता जो तुम्हारी तरह तुम से कोई झूठे वादे करता तुम्हीं मुन्सिफ़ी से कह दो तुम्हे ऐतबार होता ग़म-ए-इश्क़ में मज़ा था जो उसे समझ के खाते ये वो ज़हर है के आखिर मै-ए-ख़ुशगवार होता ना मज़ा है दुश्मनी में ना ही लुत्फ़ दोस्ती में कोई ग़ैर ग़ैर होता कोई यार यार होता ये मज़ा था दिल्लगी का के बराबर आग लगती ना तुझे क़रार होता ना मुझे क़रार होता तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते अगर अपनी ज़िंदगी का हमें ऐतबार होता ये वो दर्द-ए-दिल नहीं है के हो चारासाज़ कोई अगर एक बार मिटता तो हज़ार बार होता गए होश तेरे ज़ाहिद जो वो चश्म-ए-मस्त देखी मुझे क्या उलट ना देता जो ना बादाख़्वार होता मुझे मानते सब ऐसा के उदूं भी सजदा करते दर-ए-यार काबा बनता जो मेरा मज़ार होता तुम्हे नाज़ हो ना क्योंकर के लिया है “दाग़” का दिल ये रक़म ना हाथ लगती ना ये इफ़्तिख़ार होता Unsung lines in Bold Italic Lyrics: Daag Dehlvi Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग,
ये वफाओं का सिला देंगे तेरे शहर के लोग, क्या ख़बर थी तेरे मिलने पे क़यामत होगी, मुझको दीवाना बना देंगे तेरे शहर के लोग, तेरी नज़रों से गिराने के लिए जान-ऐ-हया, मुझको मुजरिम भी बना देंगे तेरे शहर के लोग, कह के दीवाना मुझे मार रहे हैं पत्थर, और क्या इसके सिवा देंगे तेरे शहर के लोग, Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
रात भर दीदा-ए-ग़म नाक में लहराते रहे
सांस की तरह से आप आते रहे जाते रहे खुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आएगा अपना अरमान बर-अफ़्गंदा नक़ाब आएगा नज़रें नीची किये शर्माए हुए आएगा काकुलें चेहरे पे बिखराए हुए आएगा आ गई थी दिल-ए-मुज़्तर में शकेबाई सी बज रही थी मेरे ग़मखाने में शहनाई सी शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी आप के आने की इक आस थी अब जाने लगी सुबह ने सेज से उठते हुए ली अंगड़ाई ओ सबा तू भी जो आई तो अकेले आई मेरे महबूब मेरी नींद उड़ानेवाले मेरे मसजूद मेरी रूह पे छानेवाले आ भी जा ताकि मेरे सजदों का अरमां निकले Unsung lines in Bold Italic Lyrics: Makhdoom Moiuddin Singer: Jagjit Singh, Asha Bhosle |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
किसी का यूं तो हुआ कौन उम्रभर फिर भी
ये हुस्न-ओ-इश्क़ तो धोखा है सब मगर फिर भी हज़ार बार ज़माना इधर से गुज़रा है नई नई सी है कुछ तेरी रहगुज़र फिर भी तेरी निगाह से बचने में उम्र गुज़री है उतर गया रग-ए-जां में ये नेशतर फिर भी Lyrics: Firaq Gorakhpuri Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे हिज्र में मिलने शब-ए-माह के गम आये हैं चारासाजों को भी बुलवाओ कि रात कटे कोई जलता ही नहीं कोई पिघलता ही नहीं मोम बन जाओ पिघल जाओ कि कुछ रात कटे चश्म-ओ-रुखसार के अज़गार को जारी रखो प्यार के नग़मे को दोहराओ कि कुछ रात कटे आज हो जाने दो हर एक को बद्-मस्त-ओ-ख़राब आज एक एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे कोह-ए-गम और गराँ और गराँ और गराँ गमज़दों तेश को चमकाओ कि कुछ रात कटे Unsung lines in Bold Italic Lyrics: Makhdoom Mohiuddin Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात
नवा-ए-मीर सुनाओ बड़ी उदास है रात नवा-ए-दर्द में इक ज़िंदगी तो होती है नवा-ए-दर्द सुनाओ बड़ी उदास है रात उदासियों के जो हमराज़-ओ-हमनफ़स थे कभी उन्हें ना दिल से भुलाओ बड़ी उदास है रात जो हो सके तो इधर की राह भूल पड़ो सनमक़दे की हवाओं बड़ी उदास है रात कहें न तुमसे तो फ़िर और किससे जाके कहें सियाह ज़ुल्फ़ के सायों बड़ी उदास है रात अभी तो ज़िक्र-ए-सहर दोस्तों है दूर की बात अभी तो देखते जाओ बड़ी उदास है रात दिये रहो यूं ही कुछ देर और हाथ में हाथ अभी ना पास से जाओ बड़ी उदास है रात सुना है पहले भी ऐसे में बुझ गये हैं चिराग़ दिलों की ख़ैर मनाओ बड़ी उदास है रात समेट लो कि बड़े काम की है दौलत-ए-ग़म इसे यूं ही न गंवाओ बड़ी उदास है रात इसी खंडहर में कहीं कुछ दिये हैं टूटे हुए इन्ही से काम चलाओ बड़ी उदास है रात दोआतिशां न बना दे उसे नवा-ए-‘फ़िराक़’ ये साज़-ए-ग़म न सुनाओ बड़ी उदास है रात Unsung lines in Bold Italic Lyrics: Firaq Gorakhpuri Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम
I was madly fan of jagjit singh I dont remember any song thats not good by jagjit singh some my favorite songs are :
Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho Jhuki Jhuki Si Nazar Bekarar Honton Se Chhoo Lo Tum Koi Yeh Kaise Bataye Ke Pyar Ka Pehla Khat Likhne Mein |
All times are GMT +5. The time now is 09:40 AM. |
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