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aspundir 15-11-2011 04:42 PM

रोचक समाचार
 
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बिहार में हुआ अनूठा 'चमत्कार' आ गया विष्णु का अवतार,देखें तस्वीरें

मुंगेर.शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र के शादीपुर मोहल्ले में गरूड़ पक्षी के चार नवजात बच्चे पाये गए। यह इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। शादीपुर मोहल्ले में रहने वाले ओमप्रकाश के घर के बाहर कूढ़े के ढेर से इन्हें पाया गया। हलांकि चार में से दो ही जीवित बच पाये हैं। गरूड़ पक्षी के बच्चे को पाये जाने की खबर इलाके में जंगल की आग तरह फैल गई और देखते ही देखते हजारों लोग जमा हो गये। कुछ लोगों ने तो भगवान विष्णु का अवतार मानकर इसकी पूजा-अर्चना भी शुरु कर दी।
पटना भेजेगा वन विभाग
गरूड़ की पाये जाने की खबर मिलते ही मौके पर पहुंचे वन विभाग के पदाधिकारी बीडी मिश्रा ने गरूड़ के चारों बच्चों को अपने कब्जे में लिया और उसे अपने साथ ले गये। उन्होंने बताया कि विलुप्त हो चुके गरूड़ एक बेहद दुर्लभ किस्म की पक्षी है। इसे पटना के चिडिय़ा घर में जल्द ही भेजा जायेगा। उन्होंने बताया कि संभव है कि भटक कर इस इलाके में आ गये हैं।
स्वस्थ्य हैं बचे दोनों बच्चे
गरूड़ के बच्चे की स्वास्थ्य की जांच करने वाले वेटनरी अस्पताल के पशु शल्य चिकित्सक एके गुप्ता ने बताया कि यह पक्षी बिहार में नहीं पाया जाता है। उनके मुताबिक आठ हजार फीट उपर ठंड वाली पहाड़ी इलाके में पाया जाता है। यहां उसकी मौजूदगी अपने-आप में किसी सातवें अजूबे जैसा ही है। उन्होंने बचे दो पक्षियों के स्वास्थ्य की जांच करने बाद सामान्य बताया। साथ ही यह भी कहा जल्द ही इसे पटना के चिडिय़ाघर भेज देना चाहिए।
उमड़ा आस्था का सैलाब
गरूड़ के बच्चे पाये जाने से इलाके लोग इसे भगवान विष्णु का अवतार मान कर इसकी पूजा-अर्चना करने में जुट गये। दूर-दराज के लोग खबर सुनकर इसकी एक झलक पाने को बेताव दिखे। भीड़ था कि कम होने का नाम नहीं ले रहा था। बढ़ते भीड़ और गरूड़ की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने तुरंत वहां से ले गये जिससे उपस्थित कुछ लोग को गरूड़ पक्षी को देख नहीं पाने का मलाल रहा। स्थानीय एक ग्रामीण सुधीर कुमार का कहना था कि गरूड़ पक्षी ने रमायणकाल में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उनके मुताबिक माता सीता का हरण जब रावण कर रहा था तब गरूड़ ने ही लड़ कर उसे बचाने का प्रयास किया था। हलांकि रावण के वार से वह मारा जरुर गया लेकिन सीता माता का पता भगवान राम को बता गया था।

aspundir 15-11-2011 04:53 PM

Re: रोचक समाचार
 
तिलिस्मी शक्तियों की मालिक, चमत्कार ऐसे जिसे सुन दंग रह जाएंगे


सिस्टर मेरी एग्रेडा सत्रहवीं शताब्दी की एक ‘नन’ थीं। 2 अप्रैल 1602 में उनका जन्म स्पेन में हुआ। अमेरिका सहित पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी देशों में उन्हें ‘द लेडी इन ब्ल्यू’ या फिर ‘ब्ल्यू नन’ के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने स्पेन से लेकर न्यू मैक्सिको तक इसाई धर्म का प्रचार रहस्यमयी ढंग से किया था। जब स्पेनवासी अमेरिका पहुंचे तो वहां के आदिवासी इस धर्म से पहले से परिचित थे और इसका श्रेय ब्ल्यू नन को देते थे। उन लोगों ने बताया कि सिस्टर मेरी आसमान से उतरती थीं और स्थानीय भाषा में उनसे बातें कर वापस बादलों में खो जाती थीं। वे स्पेन में बैठे-बैठे किस तरह समुद्र और महाद्वीप पार कर लेती थीं, ये आज भी राज है।
24 मई 1665 में सिस्टर मेरी का देहांत हो गया था। इसके पांच साल बाद समानिएगो ने बताया था कि वे रहस्यमयी तरीके से कहीं भी पहुंच जाती थीं। वे एक साल में करीब पांच सौ स्थानों पर पहुंची थीं। 1888 में माइकल मुलल्लर की किताब कैथोलिक डोगमा के लिए इन्हें गिना गया था।
उनके पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी ये कोई नहीं जान सका। वे दूसरी जगह अपने शरीर सहित पहुंचती थीं या फिर शरीर से बाहर निकलकर, इस सवाल का जवाब भी आज तक किसी के पास नहीं हैं। रहस्यों का यह सिलसिला उनकी मौत के सदियों बाद भी खत्म नहीं हुआ है।



1909 में उनका ताबूत खोलकर देखा गया था, तो उनका शरीर पूरी तरह सुरक्षित मिला था। फिर 1989 में एक स्पेनिश डॉक्टर ने रिसर्च के लिए उनका ताबूत खुलवाया तो पता चला शरीर अब भी सुरक्षित है। लगता था सिस्टर सो रही हैं। ये सब कैसे हो रहा है ये कोई नहीं जानता।
राज है गहरा

साइंस की काल्पनिक कहानियों में जिस टेली पोर्टेशन की बात की जाती है, उसे सत्रहवीं सदी में स्पेन की सिस्टर मेरी एग्रेडा ने साबित कर दिखाया था। वे समुद्र और महाद्वीप पार कर कैसे हजारों मील दूर पहुंच जाती थीं, ये आज भी राज है।

aspundir 20-11-2011 08:37 PM

Re: रोचक समाचार
 
दादी मां का कारनामा सुन दांतों तले उंगलियां चबा लेंगे आप

हैमबर्ग। मौका था जर्मनी के हैमबर्ग में हुए सातवें वार्षिक गिनीज रिकॉर्ड्स-डे का। इस मौके पर डैनी डूसेस्टरहोफ्ट ने आग की लपटों में घिरकर सबसे ज्यादा दूरी तक दौडऩे का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 120 मीटर की दूरी तय की। इसके अलावा फ्लोरिडा की 91 साल की मेरी बेट्स ने सबसे बूढ़ी योग टीचर होने की बाजी मार ली। मुकाबले में करीब तीन लाख लोगों ने हिस्सा लिया और कई नए दिलचस्प रिकॉर्ड कायम हुए हैं।
लैप्रेचुआंस (एक पौराणिक चरित्र) जैसी एक समान ड्रेस पहने सबसे ज्यादा लोगों का रिकॉर्ड पहले भी आयरलैंड के लोगों के पास था, जो सेंट पैट्रिक्स-डे पर छिन गया था। उन्होंने डब्लिन ग्रेंड स्क्वॉयर पर 262 लोगों को ऐसी ड्रेस पहनाकर रिकॉर्ड फिर से अपने नाम कर लिया है।
ब्रिटेन की आर्टिस्ट जोए हिल ने 1160.45 वर्ग मीटर की सबसे बड़ी 3डी पेंटिंग बनाने का रिकॉर्ड बनाया। ऐसे और भी कई दिलचस्प रिकॉर्ड वहां बने हैं। गिनीज रिकॉर्ड के एडिटर इन चीफ क्रेग ग्लैनडे के अनुसार ये अगले संस्करण में शामिल किए जाएंगे।

aspundir 20-11-2011 08:53 PM

Re: रोचक समाचार
 
सचमुच...दिलचस्प है क्रिकेट के इस बल्ले का इतिहास !

क्रिकेट के खेल में यूं तो कई तरह की चीजें इस्तेमाल होती हैं, लेकिन सबसे अहम बैट और बॉल को माना जा सकता है। शताब्दियों से पिच, बॉउंड्री और गेंद में कोई बदलाव नही आया है, लेकिन बैट लगातार बदलते रहे हैं। जैसे इंसान पर विकासवाद का सिद्धांत लागू है, वैसे ही बैट भी अपने मौजूदा स्वरूप में धीरे-धीरे विकसित होते हुए आया है। यह अपने आप में एक दिलचस्प यात्रा है। माना जाता है कि क्रिकेट की शुरुआत में बॉल को मारने के लिए गड़रिए की लाठी काम में लाई जाती थी।

बैट का पहले-पहल उपयोग 1624 में किया गया, यह हॉकी की स्टिक जैसा था। इसी का थोड़ा उन्नत स्वरूप 1729 में इस्तेमाल होने लगा। इस अवधि का एक बैट लंदन के ओवल स्टेडियम के शो-रूम में आज भी रखा हुआ है। 18वीं सदी आते तक बैट का यही स्वरूप कायम रहा, लेकिन इसके बाद क्रिकेट के नियमों में बदलाव के साथ, बैट का आकार भी बदलने लगा। 1880 में खिलाड़ी और पेशे से सिविल इंजीनियर चाल्र्स रिचडर्सन ने बैट डिजाइन किया था, कमोबेश वह आज के बैट जैसा ही था, विलो की लकड़ी से ही निर्मित।

विलो, बेंत की तरह पतली-लचकदार डाली वाला पेड़ होता है। इसकी लकड़ी काफी मजबूत और वजन में हल्की होती है। इससे बैट से बॉल को हिट करना आसान हो जाता है। 19वीं सदी में बैट के स्वरूप में कुछ खास बदलाव नहीं आया था, लेकिन कुछ खिलाड़ी ताकतवर शाट्स खेलने के लिए दूसरी धातु के बैट इस्तेमाल करने लगे थे।

1979 में आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी डेनिस लिली ने एल्युमीनियम का बैट उपयोग किया था, जिसके बाद नियम बना दिया गया था कि क्रिकेट खेलने के लिए लकड़ी के बैट का ही इस्तेमाल किया जाएगा। वैसे इन दिनों फ्यूजन कुकाबुरा बीस्ट केन, वुड और ट्वाइन से बैट बनाए जाते हैं, लेकिन इधर के सालों में बैट के आकार-प्रकार और मटेरियल के साथ छेड़छाड़ होती रही है।

aspundir 21-11-2011 05:06 PM

Re: रोचक समाचार
 
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भूत की तस्वीर
जब कभी हमारे मन में भूत-प्रेतों की तस्वीरें लेने का खयाल आता है, तब सबसे पहले हमें ऐसे कैमरे की जरूरत महसूस होती है जो आंखों से न दिखाई देने वाली चीजों को भी फिल्मा सके। ऐसे में फोटोग्राफर विलियम ममलर द्वारा 1870 के दशक में ली गई तस्वीरों से हैरान होना लाजिमी है।
साधारण कैमरे से खींचे जाने के बावजूद इनमें भूत-प्रेत की छवि दिखाने का दावा किया जाता है। साधारण कैमरे से फिल्माई गई उनकी कई तस्वीरों में भूत-प्रेत की छवि नजर आती है। उनकी एक तस्वीर में तो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के भूत के दिखाई देने का दावा भी किया जाता है।
बताया जाता है 1861 में विलियम ने कैमरे का टेस्ट करते हुए खुद की एक तस्वीर ले ली। जब वे इसे अपने डार्क रूम में ले गए और डेवलप किया तो दंग रह गए। तस्वीर में कुछ आकृति नजर आ रही थी। यह जानने के लिए कि रहस्यमयी आकृति कहां से आई, उन्होंने मैगनिफाइंग ग्लास की मदद से इसकी जांच की।
ममलर ने पाया कि यह डेवलपिंग के दौरान हुई गलती नहीं है। तस्वीर में उनके पीछे दिखाई दे रही छवि उनके चचेरे भाई की है जो १२ साल पहले मर चुका था। जब तस्वीर चर्चा में आई तो एक स्थानीय जानकार विलियम ब्लैक ने इसकी जांच की और पाया कि तस्वीर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है और ममलर का दावा सही है। ममलर के लिए यह घोस्ट फोटोग्राफी का पहला अनुभव था, लेकिन इसके बाद उन्होंने ऐसी कई तस्वीरें खींचीं जिनमें प्रेतों की छवि देखी जा सकती है।
उनकी घोस्ट फोटोग्राफी की चर्चा तब दुनियाभर में फैल गई जब उन्होंने मैरी टोड लिंकन की तस्वीर ली। 1869 की इस तस्वीर में उनके पति अब्राहम लिंकन का प्रेत भी नजर आ रहा है। इसके बाद उनकी कई तस्वीरें अखबारों की सुर्खियां बनती रहीं।
हालांकि, कई लोगों ने उनकी इन तस्वीरों के वास्तविक होने पर सवाल उठाए और कोर्ट में मुकदमा भी दायर किया। खैर उन पर लगे आरोप सिद्ध न हो सके , लेकिन लोगों का विरोध उनके लिए आर्थिक तंगी की वजह बन गया और 1884 में 52 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई।

aspundir 22-11-2011 01:27 PM

Re: रोचक समाचार
 
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यहां सदियों से कांपती है जमीन और आती हैं रहस्यमयी आवाजें

अमेरिका के कनेक्टिकट स्टेट की मिडलेसेक्स काउंटी के ईस्टहैडम में एक इलाका है मूडस। सदियों से इस इलाके में मूडस नदी के पास जमीन के भीतर से रहस्यमयी आवाजें आती हैं और जमीन के अंदर कंपन भी होता है। ऐसा वहां कुछ सौ गज के इलाके में और करीब एक मील गहराई में होता है। स्थानीय लोग इसके लिए दुष्ट राक्षसों को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे लोग इस इलाके को ‘मैचिटमूडस’ कहते हैं।
स्थानीय भाषा में इसका अर्थ बुरी आवाजों वाली जगह होता है। यहां के माउंट टॉम पहाड़ के पास स्थित केव हिल रिसॉर्ट से सबसे ज्यादा आवाजें आती हैं। 1670 के दशक में यहां बसे पुरिटन लोगों ने भी ऐसी आवाजें सुनी थीं। उन लोगों ने इन्हें शैतान से जोड़ा था। वक्त-वक्त पर यहां से आने वाली इन आवाजों और कंपन का कारण आज तक समझा नहीं जा सका है।
कुछ लोगों को लगता है कि इसकी वजह दूर कहीं बिजली गिरना या फिर तोप चलना है। वैज्ञानिक भी इसके कई कारण बताते हैं, जैसे कि जिनकी वजह से भूकंप आते हैं। फिर भी किसी कारण के पीछे ठोस दलील नहीं दी जा सकी है। कोई यह नहीं बता सका है कि यह आवाजें क्यों आती हैं? ये आवाजें एक खास जगह और एक खास गहराई से ही क्यों उत्पन्न होती हैं।
वहां प्रचलित कहानियों के अनुसार वैंगक ने इन आवाजों पर एक धर्म बना लिया था। उनका मानना था कि यह जगह हॉबामॉक देवता का आवास थी। यूरोपियन लोगों के यहां आने से वे नाराज हो गए थे। सत्रहवीं शताब्दी में यहां बसे यूरोपियन इसे दो चुड़ैलों की लड़ाई से भी जोड़ते थे। 1760 के दशक में इन आवाजों से विचलित होकर किंग जॉर्ज ने भी डॉक्टर स्टील को इसकी जांच करने भेजा था।

aspundir 27-11-2011 05:20 PM

Re: रोचक समाचार
 
जिंदा महिलाओं को निगल जाता है यह आदमखोर पेड़ !

1881 में साउथ ऑस्ट्रेलियन रजिस्टर मैगजीन में एक आर्टिकल छपा था। कार्ले लिंचे नामक एक ट्रेवलर ने इसमें बताया था कि वह एक बार मैडागास्कर से गुजर रहा था। वहां एक स्थानीय मोडोको आदिवासी अपनी पत्नी को आदमखोर पेड़ के जरिए बली चढ़ा रहा था।

महिला को पेड़ के पास छोड़ दिया गया और कुछ ही देर में पेड़ की टहनियों ने उसके गले को जकड़कर उसे अपने अंदर खींच लिया। 1924 की किताब ‘मैडागास्कर- द लैंड ऑफ मैन ईटिंग ट्रीज’ में मिशिगन के पूर्व गवर्नर चेस ऑसबोर्न ने भी कार्ले लिंचे द्वारा वर्णित पेड़ की बात लिखी थी। उनके अनुसार वहां के सभी स्थानीय लोग इस आदमखोर पेड़ के बारे में जानते थे।

क्या वाकई ऐसा कोई पेड़ था या फिर उन लोगों ने अपनी किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए ये रोचक कहानी लिखी थी। इसके अलावा मंगोलिया और साउथ अमेरिका के जंगलों के बारे में भी कहा जाता है कि वहां आदमखोर कीड़े और पेड़ हैं। दुनिया में कई तरह के पेड़-पौधे होते हैं लेकिन इस तरह के पेड़ कैसे और कितने बड़े होते हैं, ये एक राज़ है।

राज़ है गहरा
क्रिप्टोज़ूलॉजी और क्रिप्टोबॉटनी में कई आदमखोर पेड़ और कीड़ों की कहानियां दर्ज हैं। इन कहानियों में कितनी सच्चई है और ऐसे कौन से पेड़ हैं, ये एक राज़ है।

aspundir 02-12-2011 12:20 AM

Re: रोचक समाचार
 
चमत्कार : इस पेड़ में बांध दो ईंट का टुकड़ा, 90 दिन के अंदर हो जाएगी शादी



मुंगेर. क्या 'पप्पू' की शादी के लिए कोई रिश्ता नहीं आ रहा है? लाख कोशिशों के बावजूद थक-हार गये हैं। पप्पू को लेकर पूरा कुनबा परेशान है। कोई हल नहीं निकल रहा है। तब ऐसे में मुंगेर जिले के जमालपुर काली पहाड़ी पर मां काली की मंदिर के बगल वाली वट वृक्ष में कुंवारे लडक़े या लड़कियां ईंट बांध कर अपनी मन्नतें मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुंवारे लोगों के लिए वरदान है यह वट वृक्ष।
जी हां। यह वहीं वट वृक्ष मंदिर है जहां कुंवारे अपनी शादी के लिए पेड़ की टहनी में ईंट या उसका एक टुकड़ा एक लाल कपड़े में बांधकर उल्टें मुंह घर आता है और नब्बे दिनों में उसकी शादी निश्चित हो जाती है। यह कोई कहानी का हिस्सा नहीं है बल्कि इस प्रयोग को अपनाने वालों की संख्या दर्जनों में है। कई लोगों की मन्नत पूरा होने पर आज वे आराम से शादी शुदा जिन्दगी जी रहे हैं।
वट वृक्ष की ऐसी मान्यता है कि मांगें पूरी होने के बाद दाम्पत्य जोड़ा उस गांठ वाले ईंटों को वट वृक्ष से बांधे गये पत्थर को खोल देंगे। यहां ऐसा नहीं है कि कुंवारेपन की समस्या से लडक़ा ही ईंट बांध सकता हैं, लड़कियां भी ऐसा करती है। मंदिर के पुजारी भी अब मानने लगे हैं कि यह शादी के लिए यह चमात्कारी पेड़ है।
पुजारी ने बताया कि पहले तो एक-दो लोग ही यहां आते थे लेकिन अब इसकी संख्या सैकड़ों में है। इस बातों से इत्तेफाक रखने वाले लोग अपनी मन्नतें लेकर दूर-दूर से अब यहां आते हैं। इस इलाके में यह चमत्कारी पेड़ 'शादी वाला पेड़' के नाम से भी प्रसिद्ध है।

aspundir 09-12-2011 07:24 PM

Re: रोचक समाचार
 
रेयरेस्ट ऑफ द रेयर: लड़की बनी है विज्ञान जगत के लिए पहेली

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के आलमबाग की रहने वाली ट्विंकल द्विवेदी विज्ञान जगत के लिए एक पहेली बनी हुई है। यह जब रोती है तो इसके आंखों से आंसू नहीं खून निकलते हैं।
http://www.youtube.com/watch?feature...&v=zKHvL4RrBkU
जुलाई, 2007 से अचानक इस बीमारी से पीड़ित इस लड़की को किसी वक्त भी बिना किसी खरोंच, घाव, चोट के, आंख, नाक, गर्दन, से खून निकलना शुरू हो जाता है। अमेरिकी हीमेटोलॉजिस्ट एक्सपर्ट डॉक्टर जार्ज बुचानन ने मुंबई के एक अस्पताल में ट्विंकल की जांच की, लेकिन वो भी किसी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में नाकाम रहे।

ट्विंकल को दिन में लगभग 50 बार यह रक्तस्त्राव होता है जिसकी वजह से रोजाना उसका कुछ लीटर खून बेकार बह जाता है। इस परेशानी की वजह से ट्विंकल की पढ़ाई भी दो साल से छूट चुकी है। अचानक रक्तस्त्राव के कारण वह जिस भी स्कूल में पढ़ती है उसे वहां से निकाल दिया जाता है।

aspundir 10-12-2011 07:11 PM

Re: रोचक समाचार
 
रहस्यमयी ब्रिज के आर्क में आज भी दिखाई देते हैं भूत

स्कॉटलैंड के ईडनबर्ग में 18वीं शताब्दी में दो ब्रिज बनाए गए थे। नॉर्थ ब्रिज 1785 में बना और साउथ ब्रिज 1788 में बना था। साउथ ब्रिज 19 मेहराबों (आर्क) पर बना था। ब्रिज बनने के बाद करीब 30 साल तक इन मेहराबों में मजदूर श्रेणी के लोग रहा करते थे। इनमें छोटे-मोटे धंधे करने वाले भी अपनी दुकानें लगा लिया करते थे। अवैध धंधों के लिए भी यह ठिकाना उपयुक्त था। बाद में यहां से अवैध सामग्री बरामद होने लगी, सीरियल किलर्स द्वारा मारे गए लोगों के शव भी यहां से मिले।
लोगों ने इनमें भूत-प्रेत देखने के दावे भी किए। 1820 तक ये मेहराब खाली हो गए थे। 1985 में खुदाई के दौरान यह मेहराब फिर से मिले तो पता चला कि इनमें लोग रहा करते थे। वहां से खिलौने, दवा की बोतलें, प्लेट्स और जीवन से जुड़ी अन्य सामग्री भी मिली थीं।
जांच-पड़ताल में यहां एक अलग तरह की ऊर्जा महसूस की गई। पर्यटकों ने भी यहां लिए गए फोटोग्राफ्स में विचित्र आकृतियां देखीं। यहां एक बच्चे का भूत भी लोगों ने कई बार देखा। कहते हैं जैक नामक यह बालक ब्रिज के निर्माण के दौरान मारा गया गया था। इसके अलावा वहां मिस्टर बूट्स नामक भूत की चर्चा भी मशहूर है। कहते हैं यह भूत घुटनों तक ऊंचे बूट पहनता है, इसलिए उसका नाम मिस्टर बूट्स रख दिया गया।
2006 में एक टीवी शो के तहत भी यहां जांच की गई थी। यह 24 घंटे का लाइव शो था। इन मेहराबों को लेकर और भी कई किस्से मशहूर हैं। ये कई बार खाली हुए और फिर बसे थे। साइंस के अनुसार ब्रिज पर भारी ट्रैफिक है। इसकी वजह से ब्रिज में कंपन होता होगा। ऐसे में कभी रिफ्लेक्शन से कोई आकृति बन जाती होगी, जिसे लोग भूत समझ लेते होंगे। इन मेहराबों का जो भी राज हो, लेकिन ये पिछली दो सदियों से बीमारों, गरीबों और अपराधियों को शरण दे रहे हैं।

aspundir 14-12-2011 06:41 PM

Re: रोचक समाचार
 
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रहस्यमयी 'कब्रिस्तान' यहां मुर्दों को दफनाया नहीं जाता बल्कि उन्हें तो...

दक्षिण इटली के सिसली की यह पुरानी परंपरा वैसे तो रहस्यमयी नहीं है, फिर भी किसी हॉरर फिल्म की तरह लगती है। वहां पालेरमो का यह कापूचिन कैटाकॉम्ब है। इस अनोखे कब्रिस्तान में मुर्दो को दफनाया नहीं जाता था, बल्कि उनकी ममी बनाकर दीवारों पर टांग दिया जाता था। 1599 में ब्रदर सिल्वेस्ट्रो ऑफ गूबियो की ममी बनाने के साथ यह सिलसिला शुरू हुआ था।
अंधेरे रास्ते में बनी सीढ़ियों से गुजरकर आप यहां पहुंचते हैं। इसके द्वार पर लिखा है ‘यहां आने वाले, अपनी सभी उम्मीदें छोड़ दें’। अंदर सैकड़ों शरीर दीवारों पर टंगे हैं। कुछ आंखें फाड़कर ऐसे देख रहे हैं कि लगता है हमें भी अपने दल में शामिल होने की दावत दे रहे हैं। यहां पर शवों को उनके सामाजिक दर्जे और लिंग के अनुसार जगह दी गई है। सबसे पहले इसकी स्थापना करने वाले संतों को जगह दी गई है।
इसके बाद आता है पुरुषों का सेक्शन। सभी ने अपने दौर के हिसाब के कपड़े पहन रखे हैं। इसके बाद है महिलाओं का सेक्शन, जिसमें कुंवारी कन्याओं की पहचान के लिए उनके सिर पर धातु से बना बैंड लगा रहता है। यहां प्रोफेसर, डॉक्टर्स और सैनिकों के सेक्शन भी अलग हैं। 1871 में ब्रदर रिकाडरे ने यह परंपरा बंद करवा दी थी।
फिर भी 1920 में रोसालिआ लॉबाडरे नामक एक बच्ची के शव की भी यहां ममी बनाई गई। इसके लिए कौन-सा केमिकल तरीका इस्तेमाल किया गया ये कोई नहीं जानता। उसे देखकर लगता है कि वह सो रही है। कोई नहीं कह सकता कि उसकी मौत 90 साल पहले हो चुकी है। इसलिए इस ममी का नाम स्लीपिंग ब्यूटी रख दिया गया है।

aspundir 16-12-2011 06:21 PM

Re: रोचक समाचार
 
घने जंगलों में खो गया है एक शहर, जिसमें छिपे हैं हीरे-जवाहरात

इंका सभ्यता का एक और खोया हुआ शहर है पाइतिति। कहा जाता है कि ये शहर एंडेस के पूर्व में कहीं पर था। ये दक्षिण-पूर्वी पेरू, उत्तरी बोलिविया या फिर दक्षिण-पश्चिमी ब्राजील के घने जंगलों में कहीं खो गया है। पाइतिति की कहानियों का नायक एनकारी है, जिन्होंने कुएरो और कुज़को सभ्यता की स्थापना की थी। फिर बाकी जिंदगी जंगलों में गुजारने के लिए वे पाइतिति चले गए थे।
इंका सभ्यता के विस्थापित और कुइचुआन लोग बताया करते थे कि कॉनकुइस्टाडोर्स छोड़ते समय उन्होंने इस जंगल में काफी तादात में सोना, चांदी व कीमती पत्थर छिपाए थे। वे लोग इसकी संभावित जगह दक्षिणपूर्वी पेरू में बताते थे। 16वीं शताब्दी में इंका और स्पेनिश लोगों में करीब चालीस साल युद्ध चला था। अंत में स्पेनिश लोग यहां काबिज हो गए थे। 2001 में इटली के पुरातत्व शास्त्री मारियो पालिआ को रोम में कुछ दस्तावेज मिले थे। इनमें पता चलता था कि एंडेस के रेन फॉरेस्ट में सोने-चांदी का एक शहर था पाइतिति।
2001 में यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी के दो खोजियों ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया। 2001-2003 के बीच बोलिविया के पुरातत्व शास्त्रियों ने यहां काफी रिसर्च की। 2009 में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पेरू के जंगलो में पुराने अवशेष तलाशे, जिन्हें देखकर लगता है पाइतिति यहां हो सकता है।

aspundir 16-12-2011 11:32 PM

Re: रोचक समाचार
 
जिंदा दीवार में चुना गया, फिर भी पत्थरों पर लिखी अनोखी ‘प्रेमकथा’

वडोदरा। अगर आप ताजमहल को देखकर यह कहें कि सिर्फ शाहजहां ने ही अपने प्रेम की निशानी को जीवंत रखने के लिए कुछ किया था तो आप गलत हैं। क्योंकि ऐसी ही एक कहानी गुजरात के डभोई नामक गांव में आज भी जिंदा है।
इतिहासकारों के अनुसार यहां रहने वाले हीरा नामक एक प्रख्यात शिल्पकार ने टैन नामक अपनी प्रेमिका को यह अमूल्य उपहार (इमारत) देने के लिए यहां के राजा तक से दुश्मनी मोल ले ली थी। डभोई वडोदरा से 50 किमी और नर्मदा डेम से 64 किमी की दूरी पर स्थित एक गांव है। अगर आपने भी अपने जीवन में किसी से प्रेम किया है तो आपको इस महल की दीवारों, अदभुत कलाकृतियों को निहारने के बाद आपको सच्चे प्रेम की अनुभूति होगी।


डभोई में रहने वाला हीरा इतना प्रसिद्ध शिल्पकार था कि उसका नाम दूर-दूर तक फैला हुआ था। उसने कई जानी-मानी शिल्पकृतियों की रचना की। एक कार हीरा की प्रेमिका टैन ने उससे कहा.. तुम पूरे राज्य के लिए एक से एक कलाकृतियां बनाते हो लेकिन मेरे लिए तुमने अभी तक कुछ भी नहीं बनाया। टैन की यह बात सुन हीरा ने उसे एक अमूल्य उपहार देने का मन बना लिया। उसने पत्थर एकत्रित कर डभोई में बिना राजा से अनुमति लिए एक इमारत बनाने का काम शुरू कर दिया।
इसके साथ ही उसने यहां एक तालाब का भी निर्माण करवाया और इसका नाम भी टैन रखा। राजा को जब यह बात पता चली कि हीरा ने बिना अनुमति लिए ही राज्य के पत्थरों का उपयोग किया तो पत्थरों की चोरी के आरोप में उसे जिंदा चुनवाने का आदेश दे दिया। राजा के आदेश के बाद इसी इमारत की दीवारों में हीरा को जिंदा चुनवा दिया गया। लेकिन हीरा की प्रेमिका टैन और कुछ मित्रों ने एक तरफ दीवार में छेद करके हीरा को खाने-पीने का सामान देना जारी रखा, जिससे हीरा कई दिनों तक जीवित रहा।
हीरा ने इस इमारत में जो दरवाजा बनाया था वह लगभग पूरा होने की कगार पर ही था। इसलिए राजा अब इस दरवाजे को तैयार करवाना चाहते थे। लेकिन अब मुश्किल यह थी कि दरवाजे पर बनी अदभुत शिल्पकला सिर्फ हीरा ही जानता था। किसी और से बनवाई गई कलाकृतियां दरवाजे की पूरी सुंदरता को बिगाड़ देते। इसलिए राजा ने हीरा को आजाद करने का निर्णय ले लिया और उससे वादा किया कि वह शिल्पकृतियों का सारा काम पूर्ण कर दे, उसकी सजा माफ की जाती है।
राजा के इस निर्णय से खुश होकर हीरा ने सिर्फ दरवाजे का काम ही पूर्ण नहीं किया बल्कि उसने इसके साथ कई और अदभुत कलाकृतियों का निर्माण किया। ऐसी कलाकृतियां, जिसे देखकर ही लोग दांतो तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाते हैं।
12वीं शताब्दी में पत्थरों से बनी, स्वस्तिक आकार के चार प्रवेशद्वार, पूर्व में हीरा द्वार तो पश्चिम में वडोदरी, उत्तर में महूडी द्वार तो दक्षिण में नंदौरी द्वारों के साथ बनी यह भव्य इमारत गुजरात की सांस्कृतिक नगरी वडोदरा जिले के डभोई गांव में एक अनोखी प्रेम कहानी का इतिहास आज भी जीवंत रखे हुए है।

aspundir 16-12-2011 11:39 PM

Re: रोचक समाचार
 
रहस्यमयी तालाब की करामात, डुबकी लगाते ही होता है चमत्कार!

मुरादाबाद। सम्भल के असमोली में एक ऐसा तालाब है जिसको रहस्यमयी माना जाता है। यहां के लोगों की मान्यता है कि इस तालाब में जो भी नहा ले उसके बड़े से बड़े रोग दूर हो जाते हैं। इसलिए इस चमत्कारी तालाब में नहाने के लिए देश और विदेश से लोग आते हैं। यहां साल में दो बार बूढ़े बाबा का मेला लगता है। बूढ़े बाबा के मेले दूर-दूर से श्रद्धालु भारी संख्या में आते हैं।
इसी दौरान रोगी खासकर जिन्हे चर्म रोग हुआ होता है, इस तालाब में स्नान करते हैं। मान्यता है कि यहां के तालाब में स्नान के बाद चर्म रोग दूर हो जाते हैं। मेले आए प्रत्यक्षदर्शी रामप्रताप के मुताबिक, उनके भतीजे को पिछले 5 साल से चर्मरोग था।
उन्होंने इसका इलाज कई जगह कराया, लेकिन रोग ठीक नहीं हो सका। उनको किसी ने इस तालाब के बारे में बताया। उन्होंने भतीजे को इस तालाब में स्नान कराया। इसके कुछ दिन बाद ही चर्मरोग ठीक हो गया।
21वीं सदी में इस तरह के चमत्कारों को अंधविश्वास माना जाता है, लेकिन लोगों की आस्था और फायदे ने विज्ञान के तर्क को झुठला दिया है। एक स्थानीय शिक्षक के मुताबिक, तालाब से कुछ इस तरह के रसायन निकलते हैं, जो इन बिमारियों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसलिए चर्मरोग आदि ठीक हो जाते हैं।

aspundir 20-12-2011 06:51 PM

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अवैध संबंध-बेरहम कत्ल ने इसे बना दिया दुनिया का सबसे खतरनाक होटल

लुसिआना के सेंट फ्रांसिसविले से तीन मील दूर बना मरटल्स प्लांटेशन अमेरिका का सबसे डरावना घर है। इस पुरानी हवेली को लेकर भूत-प्रेतों के कई किस्से मशहूर हैं। 1794 में जनरल डेविड ब्रेडफोर्ड ने इसका निर्माण करवाया था। इस जमीन पर दस लोगों का बेरहमी से कत्ल भी हो चुका है। 1799 में वे अपनी पत्नी एलिजाबेथ और पांच बच्चों को भी यहां ले आए। 1817 में उनकी बेटी सारा ने उनके स्टूडेंट क्लार्क वुडरफ से शादी की और दोनों यहां रहने लगे।
क्लार्क और सारा खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, उनकी तीन बेटियां हुईं। फिर क्लार्क का क्लोए नामक गुलाम महिला से संबंध बन गए। बाद में क्लार्क का उससे दिल भर गया और वह दूसरी नौकरानी तलाशने लगा। क्लोए को लगा अब उसे खेतों में कठिन कार्य करने भेज दिया जाएगा। उसने फिर से क्लार्क का दिल जीतने की कोशिश की, लेकिन एक दिन क्लार्क ने नाराज होकर उसके कान काट दिए। इसके बाद वह हरे रंग का स्कार्फ बांधने लगी थी।
उसने क्लार्क की बेटी के जन्मदिन पर केक में थोड़ा-सा जहर मिलाने की योजना बनाई, जिससे उनकी पत्नी और बच्चे बीमार हो जाएं और उसे घर में काम करने का मौका मिल जाए। फिर भी गलती से जहर ज्यादा मिल गया और क्लार्क की पत्नी सारा और दो बेटियों की कुछ ही देर में मौत हो गई। 1834 में क्लार्क ने यह प्लांटेशन और अपने गुलाम रफिन ग्रे स्टिरलिंग को बेच दिया। इसके बाद ये कई हाथों में बिका और कई हादसे यहां हुए। अंत में 1891 में इसे हैरिसन मिलटन विलियम्स ने खरीदा।
लोगों ने कई बार हरा स्कार्फ बांधे हुए क्लोए के भूत को यहां भटकते देखा। वह यहां महिलाओं के कान की बालियां चुरा लेती है। वर्तमान मालिक जॉन और टीटा मॉस ने इसे होटल बना दिया है। टीटा ने क्लोए की धुंधली तस्वीरें खींची हैं। कुछ लोग क्लार्क की बेटियों के भूत देखने का दावा भी करते हैं। कभी ये वहां खेलती-दौड़ती नजर आती हैं और कभी बच्चों के रोने की आवाजें आती हैं।

aspundir 21-12-2011 05:28 PM

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एक बिल्डिंग में रहती है 166 सदस्यों की फैमिली
मानो या न मानो, पर यह है सच। एक ही परिवार के 166 सदस्य एक ही इमारत में रहते हैं। इतने सदस्य जहां हों, वह तो एक छोटा-मोटा मोहल्ला ही हो जाता है। इसी खासियत के कारण इस एक परिवार को रिप्ली ने 'बिलीव इट ऑर नॉट' में शामिल कर लिया है।
इसकी 2011 की 11 अजीबोगरीब कहानियों में 39 पत्नियों, 94 बच्चों और 33 पोते-पोतियों वाले इंडियन की कहानी नंबर एक पर है। प्रोग्राम ने इस साल की 11 सबसे अजीबोगरीब कहानियां जारी की हैं। इनमें 'द टेलिग्राफ' के मुताबिक, भारतीय जिओना चाना की कहानी अव्वल है, जो म्यांमार-बांग्लादेश सीमा से लगे मिजोरम के पर्वतीय गांव में चार मंजिल की बिल्डिंग में रहते हैं। उनकी पूरी फैमिली एकसाथ इस बिल्डिंग में रहती है। इस इमारत में 100 कमरे हैं। रिप्ली के 'बिलीव इट आर नॉट' की ओर से दिए गए एक बयान के अनुसार, 66 साल के भारतीय बुजुर्ग की 39 वाइफ, 94 बच्चे और 33 पोते-पोतियां हैं। चाना की 6-7 पत्नियां उनके बेडरूम के पास बनी डोरमेट्री में रहती हैं। चाना का कहना है कि वह अपनी फैमिली को और बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें नई पत्नी की ख्वाहिश है। वह मिजोरम के स्थानीय ईसाई 'चाना' संप्रदाय के प्रमुख हैं। इस संप्रदाय के नियमों के तहत वे जितनी चाहें, उतनी शादियां कर सकते हैं।

aspundir 21-12-2011 05:31 PM

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बिल्ली के मल से बनती है सबसे महंगी कॉफी
सुबह उठने के लिए कॉफी के इस कप को पीने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसकी कीमत ही आपकी सुहानी नींद को तोड़ने के लिए काफी है। ब्रिटेन में इस कॉफी के कप की कीमत करीब 5800 रुपए है। लंदन में मिलने वाला यह कॉफी कप दुनिया का सबसे महंगा कॉफी कप है। इस कॉफी की कीमत ही नहीं, बल्कि इसको बनाने का प्रोसेस भी एकदम चौंका देने वाला है। वर्ल्ड की सबसे महंगी इस कॉफी को बिल्ली के मल से बनाया जाता है।
कॉफी बनाने का यह प्रोसेस इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप का है। वहां पर जानवरों के मल से कॉफी बनाई जाती है। वहां बिल्ली की तरह ही एक जानवर है, जो सिर्फ पके हुए कॉफी बीन्स ही खाता है, लेकिन वह उसके हार्ड सेंटर को पचा नहीं पाता है। बिल्ली का मल और गैस्ट्रिक जूस की बदौलत ही इस कॉफी का टेस्ट इतना बढ़िया होता है।

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aspundir 23-12-2011 07:30 PM

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'मौत के शहर' में लोग कब्रिस्तान में बैठकर करते थे अपनी मौत का इंतज़ार

इस गांव के बारे में पढ़ते ही कबीर दास का गीत ‘साधौ ये मुर्दो का गांव’ याद आ जाता है। रूस के उत्तरी ओसेटिया में पांच पहाड़ी घाटियों में घिरी ये जगह है ‘डरगव्स’ जिसे ‘सिटी ऑफ डेड’ भी कहा जाता है। इस रहस्यमयी जगह के बारे में स्थानीय लोगों में कई किस्से और धारणाएं मशहूर हैं।
कहते हैं कि यहां से कोई भी जिंदा नहीं लौटता है। इस कारण यहां पर्यटक भी नहीं आते हैं। डरगव्स पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। तेज हवाएं, बादल और कोहरे वाला मौसम भी किसी तरह की मदद नहीं करता।
यहां पहुंचने पर पहाड़ों पर बने छोटे-छोटे घर नजर आते हैं। ये घर दरअसल कब्रें हैं। स्थानीय लोग अपने प्रियजन को यहां दफनाते हैं। यहां पर 16वीं सदी तक की पुरानी कब्रें देखी जा सकती हैं। पुरातत्वशास्त्रियों ने यहां रिसर्च की तो पता चला कि पुरानी कब्रों में लोगों को लकड़ी की नाव जैसे स्ट्रक्चर में दफनाया गया है।
सवाल ये उठता है कि यहां नदी का नामोनिशान नहीं है, वहां नाव का क्या काम था? कहा जाता है कि आदमी की आत्मा इस नाव से स्वर्ग तक का सफर तय करती है। इन घरों के सामने एक कुआं भी खोदा जाता है। परिवार वाले कुएं में सिक्का फेंकते हैं, सिक्का अगर तल में जाकर पत्थर से टकराता है तो समझा जाता है व्यक्ति की आत्म स्वर्ग पहुंच गई।
इलाके की सीमा के बाहर जो कब्रें बनी हैं वे अपराधियों की हैं। बताया जाता है कि जब प्लेग फैला था, तब जिनका कोई नहीं होता था वे अपने परिवार के कब्रिस्तान में बैठकर अपनी मौत का इंतजार करते थे।

aspundir 23-12-2011 07:34 PM

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aspundir 23-12-2011 07:35 PM

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aspundir 23-12-2011 07:50 PM

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aspundir 23-12-2011 07:51 PM

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aspundir 23-12-2011 07:52 PM

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aspundir 23-12-2011 07:53 PM

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aspundir 23-12-2011 07:53 PM

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aspundir 23-12-2011 07:54 PM

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aspundir 23-12-2011 08:08 PM

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दुनिया की सबसे हैरतअंगेज बिल्डिंगें

तस्वीरों में देखिए दुनिया की 12 सबसे अधिक कुरूप इमारतें।

aspundir 23-12-2011 08:10 PM

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1. रियूगयॉंग होटल का निर्माण प्यांगयांग में वर्ष 1987 में शुरू किया गया था, लेकिन फंड की कमी के कारण वर्ष 1992 में इसका निर्माण बंद कर दिया गया था।
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aspundir 23-12-2011 08:12 PM

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2. स्पेन के मैड्रिड में स्थित एडीफिको मिरेडर का निर्माण डच वास्तुकारों द्वारा किया गया था। 21 मंजिला यह इमारत 63.4 मीटर ऊंची है। इस इमारत के आकर्षण का केंद्र धरातल से 36.8 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक बड़ा खाली स्थान है।
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aspundir 23-12-2011 08:14 PM

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3. बैंकॉक, थाइलैंड में स्थित 'द ऐलीफैंट बिल्डिंग' भी काफी भद्दी इमारतों में शुमार है।http://images.bhaskar.com/web2images...building-3.jpg

aspundir 23-12-2011 08:19 PM

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4. अमेरिका के लुइसविले में स्थित कादेन बिल्डिंग

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aspundir 23-12-2011 08:21 PM

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5. अमेरिका के मैसाचुसेट्स में स्थित बोस्टन सिटी हॉल।

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aspundir 23-12-2011 08:22 PM

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6. चीन के शेन्यांग प्रांत में स्थित 'द फैंग युआन बिल्डिंग' काफी हैरअंगेज तरीके से डिजाइन की गई है। इसका निर्माण वर्ष 2001 में पूरा किया गया था। इसका डिजाइन चीन के एक पु्राने सिक्के पर आधारित है।

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aspundir 23-12-2011 08:24 PM

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7. डेवोन के इलफ्रैकोम्बे के कोस्टल टाउन में मछुआरों के लिए बनाए गए कॉटेज।

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aspundir 23-12-2011 08:26 PM

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8. जर्मनी के नेविगेस में इस चर्च की इमारत का निर्माण वर्ष 1968 से 1973 के बीच पूरा किया गया।

http://images.bhaskar.com/web2images...building-8.jpg

aspundir 23-12-2011 08:27 PM

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9. ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में फेडरेशन स्क्वायर का निमार्ण स्थानीय वास्तुकार डॉन बेट्स और पीटर डेविसन द्वारा किया गया था।

http://images.bhaskar.com/web2images...building-9.jpg

aspundir 23-12-2011 08:29 PM

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10. नीदरलैंड के हैट्रोगेनबोश में वास्तुकारों ने 1970 के दशक में 50 घरों का निर्माण कराया, जिन्हें बोलोविंगेन राउंड हाउसेस के नाम से जाना जाता है।

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aspundir 24-12-2011 03:55 PM

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भूतहा शहर

शायद ही कोई ऐसा शख़्स होगा, जिसे कभी डर न लगा हो। ये एक ऐसा अनुभव है, जिसे कभी न कभी हर इंसान ने महसूस किया होगा।
आज हम आपको दिखाएंगे लोगों द्वारा छोड़ दी गई कुछ ऐसी जगहें, जो अब भूतहा बन चुकी हैं। इनमें से कुछ जगहों पर सैलानी आते-जाते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ जगहों पर लोगों के जाने की पाबंदी है।तस्वीरों में देखिए दुनिया की कुछ आकर्षक भूतहा जगहों को...

aspundir 24-12-2011 03:56 PM

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1. कोलमैनस्कोप ( नामीबिया) कोलमैमस्कोप, दक्षिणी नामीबिया में स्थित एक घोस्ट टाउन है। 1908 में इस जगह पर आबादी को बसाया गया था, लेकिन पहले विश्वयुद्ध के बाद ही यह शहर सूनसान हो गया। आज यहां सूने पड़े अधिकतर घरों में रेत भर चुकी है।

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aspundir 24-12-2011 04:00 PM

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2. प्रायपिएट (यूक्रेन) चेर्नोबेल वर्कर्स होम प्रायपिएट उत्तरी यूक्रेन में स्थित एक उजड़ चुका शहर है। यहां चेर्नोबेल न्यूक्लियर प्लांट के कर्मचारी रहा करते थे। 1986 में आपदा के बाद से यह शहर पूरी तरह उजड़ गया। इससे पहले यहां की आबादी लगभग 50,000 थी।
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