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Shekhar Mehta 23-11-2012 05:52 PM

क्यों दी कसाब को फांसी ?
 
इससे पहले कि 26 नवंबर 2012 को मुंबई हमलों का सालाना जलसा शुरु होता, इन हमलों के दोषी अजमल कसाब को चुपके-चुपके सबेरे-सबेरे यरवदा जेल में फांसी दे दी गई.

ख़बर देखी और सोशल मी़डिया पर लोगों की टिप्पणियां देखने के दौरान जॉर्ज ऑरवेल की लिखी कहानी 'शूटिंग द एलिफ़ेंट' बार-बार याद आई.

बात पुरानी है ऑरवेल उन दिनों पुलिस अधिकारी थे बर्मा में. बर्मा के लोग ऑरवेल से घृणा करते थे. इसी दौरान एक हाथी के पागल होने की खबर आई और ऑरवेल हाथी को देखने पहुंचे. ऑरवेल के पीछे करीब दो हज़ार लोग. खेत में हाथी, सामने हाथ में बंदूक लिए ऑरवेल और पीछे हज़ारों लोग. ऑरवेल लिखते हैं कि वो हाथी को मारना नहीं चाहते थे लेकिन उन्हें डर था कि अगर उन्होंने हाथी को नहीं मारा तो लोग उन पर हंसेंगे. गोली चली और हाथी मारा गया.

कसाब भी मुझे ऑरवेल की कहानी का हाथी लगता है. जो जेल में पड़ा हुआ था और पड़े रहने में कोई बुराई नहीं थी. लेकिन सरकार डर रही थी लोगों के हंसने से. कहीं सरकार का मज़ाक न उड़ाया जाए, सॉफ्ट स्टेट न कहा जाए. इसी डर और भ्रम में हाथी को फांसी दे दी गई.

मुझे पता है कि तथाकथित देशभक्त लोगों को लगेगा कि मैं पागलपन की बात कर रहा हूं.
ऐसे लोगों को एक और स्थिति बताता हूं.

किसी ने ट्विटर पर लिखा कि सोचिए बीस साल के बाद कसाब यरवदा जेल में सूत कात रहा होता और उस सूत से बना कुर्ता पाकिस्तान के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भेंट किया गया होता.

सोचिए कि कसाब टीवी चैनलों पर सूत कातते हुए कहता कि मैं आज भी पश्चाताप कर रहा हूं लोग मुझे माफ करें.

सोचिए वो कितनी बड़ी नैतिक जीत होती भारतीय मूल्यों की पूरी दुनिया में. लेकिन ऐसा करने के लिए सरकारों के पास सोच और दृष्टि चाहिए जो शायद ही मिलती है.

डरपोक सरकारें ऐसी ही होती हैं. जो जनता की आलोचना से, जनता की हंसी से और जनता के मजाक से भी डरती है.

और रहा सवाल जनता का तो जनता का काम है हंसना. जनता ने तो कब का सोचना छोड़ दिया है. सही किया जाता था रोम में, जब माहौल परेशानी का हो, कष्ट का हो, तो ग्लैडिएटर खेल कराए जाते थे ताकि जनता उन्माद में डूब जाए.

भ्रष्टाचार और मंहगाई से त्रस्त जनता को उन्माद की अच्छी दवा मिली है तो फिर देर किस बात की है, आप भी कहिए, "कसाब को सार्वजनिक फांसी दी जानी चाहिए थी."


Source :: http://www.bbc.co.uk/blogs/hindi/2012/11/post-284.html

abhisays 23-11-2012 11:21 PM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
मेरा एक छोटा है सवाल है,

चलिए मान लेते है कसाब को मौत के सजा के बजाये उम्र क़ैद दे दी जाती है। और वो जेल में ही रहता है फिर कुछ आतंकवादी कोई हवाई जेहाज हाई जैक कर लेते हैं, जैसा 1999 में हुआ था, एयर इंडिया के एक विमान को आतंकवादी हाई जैक करके कंधार ले गए थे।

http://en.wikipedia.org/wiki/Indian_Airlines_Flight_814

कंधार फिर से दोहराया जाता है और फिर आतंकवादी लोग कसाब को छोड़ने को बोलते हैं फिर क्या होगा।

बोलिए?

Dark Saint Alaick 24-11-2012 03:55 AM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
Quote:

Originally Posted by Shekhar Mehta (Post 183077)

मुझे पता है कि तथाकथित देशभक्त लोगों को लगेगा कि मैं पागलपन की बात कर रहा हूं.
ऐसे लोगों को एक और स्थिति बताता हूं.

लगेगा नहीं, मित्र। वाकई आप यही कर रहे हैं। अभिजी ने जो एक प्रश्न ऊपर किया है, वह तो अपनी जगह है ही, क्या आपको पता है कि (बाक़ी खर्चों को तो जाने दें) सिर्फ उसकी सुरक्षा पर यह देश अब तक चौंतीस करोड़ रुपए खर्च कर चुका था, आपका वह एक कुर्ता 20 साल बाद इस गरीब देश को कितना महंगा पड़ना था, यह कोई नासमझ भी आसानी से समझ सकता है। :cry:

abhisays 24-11-2012 10:07 AM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
कसाब को फाँसी देना बिलकुल सही फैसला था। मैं तो कहता हूँ देरी से दिया, खैर दिया तो सही।

1. कसाब की सुरक्षा में सरकार के हर महीने करोडो रुपैये खर्च हो रहे थे। वो पैसा हमारी और आपकी पॉकेट से ही जा रहा था। भारत कोई अमेरिका जैसा धनी राष्ट्र तो है नहीं जो इस तरह की फिजूलखर्ची बर्दास्त करता।
2. जैसा के मैंने ऊपर लिखा है, कसाब के जेल में होने से किसी भी प्लेन का हाई जैक होने का खतरा होता फिर देश को एक और कंधार झेलना पड़ सकता था।
3. पुरे मुक़दमे के बीच कसाब ने कभी भी ऐसा नहीं दिखाया की उसे अपने करनी पर पछतावा है। इसलिए उसे फाँसी देना ही चाहिए था।
4. कुछ लेफ्टी और मानवाधिकार का बिज़नस करने वाले लोग कह रहे हैं की भारत गाँधी और बुद्ध की धरती है, यहाँ लोगो को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। फाँसी समस्या का हल नहीं है। इन्ही गांधी को मारने वाले गोडसे को 2 साल के अन्दर ही लटका दिया गया था, फिर तो कोई मानवाधिकार की बात नहीं हुई थी। इन्ही बुद्ध के मानने वाले श्रीलंका में और बर्मा में दुसरे धर्म को लोगो को काटने में देर नहीं लगाते।
5. इतिहास से भी हमें सीख लेना चाहिए, पृथ्वी राज चौहान ने कभी ऐसी ही गलती की थी, दुश्मन को उन्होंने माफ़ कर दिया था, लेकिन बाद में उसी दुश्मन (मुहम्मद गोरी) ने उनकी आख फोड़ दी और मार दिया।

abhisays 24-11-2012 10:32 AM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
मैं तो कहूँगा अब वक़्त आ गया है, राजीव गाँधी के हत्यारों, पंजाब के मुख्यमंत्री की हत्या करने वाले बलवंत सिंह रजोना और संसद पर हमला करने वाले अफज़ल गुरु की एक ही दिन फाँसी पर लटका दिया जाए।

और यह एक सेकुलरिज्म की एक शानदार मिसाल होगी, की भारत में एक ही दिन एक हिन्दू, एक मुसलमान और और एक सिख को फाँसी दे दी गयी। धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं हुआ। मैं तो समझता हूँ अगर सरकार ऐसा कर दे तो अगला चुनाव में उन्हें बहुत फायदा होगा।

भारत पर सॉफ्ट नेशन होने का धब्बा मिटेगा, आम जनता में राष्ट्र पहले की भावना आएगी।

यह दिन 16 दिसम्बर 1971 के बाद भारत के स्वतंत्र इतिहास का सबसे शानदार दिन होगा।

anjana 24-11-2012 11:47 AM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
1 Attachment(s)
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353743204

abhisays 24-11-2012 12:22 PM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
अनजान जी, इस तस्वीर में जो दिखाया गया है उससे मैं सहमत नहीं हूँ, अजमल कसाब तो एक प्यादा था इस लड़ाई का असली मोहरे तो पाकिस्तान में छिपे हुए हैं।

जब तक हाफ़िज़ सईद को भी कसाब की तरह सजा नहीं मिलती तब तक 26/11 का एपिसोड चलता रहेगा, इसका एंड नहीं होगा

hindustani 24-11-2012 11:13 PM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
प्रिय मित्रो, पता नही मेरी टिप्पणी सूत्र के स्तर लायक है या नही, पर कर रहा हूँ।मेरे विचार भी अभिषेय जी और अलैक जी का ही समर्थन करते है। वैसे तो यह देश की कानूनी प्रक्रिया की कमी है कि अपराधी को इतने साल जिन्दा रखकर पाला गया। जितने भी मर्त्यूदंड प्राप्त मामले लंबित है, मै तो कहता हूँ कि उन्हे भी त्वरित प्रक्रिया से निपटाना चाहिए।ऐसे जघन्य अपराधियोँ के ह्रदय परिवर्तन होने की उम्मीद रखना दिवास्वप्न के समान है।मगर विडँबना यह है कि कुछ मामले धर्म ,संप्रदाय और वोटबैँक की वजह से अटके पडे है। (निजी विचार)

anjana 25-11-2012 10:50 AM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
कसाब का कबुलिनमा.......१




anjana 25-11-2012 11:17 AM

Re: क्यो दी कसाब को फाँसी?
 
कसाब का कबुलिनमा.......2



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