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Dark Saint Alaick 08-11-2011 12:14 AM

गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
मैंने अक्सर देखा है कि लोग गुनगुनाते हैं, गाते हैं ... लेकिन अक्सर गलत ! इसी सोच ने मुझे प्रेरित किया कि आपके सुरों को सही अल्फाज़ भेंट करूं यानी मैं इस सूत्र में आपके पसंदीदा फिल्मी गीतों के बोल प्रस्तुत करूंगा ! शुरुआत कर रहा हूं देश-भक्ति के गीतों से, कालान्तर में सभी विषयों के फिल्मी गीत इस सूत्र में नमूदार होंगे ! हां, एक विशेष अनुरोध अभिजी से ! (मुझे विश्वास है कि यह भार उठाना उन्हें अच्छा लगेगा, क्योंकि यू-ट्यूब और वीडियो के वे मास्टर हैं !) अनुरोध यह कि इन गीतों के वीडियो वे यहां प्रस्तुत कर सकें, तो सूत्र में चार चांद लग जाएंगे !

Dark Saint Alaick 08-11-2011 12:19 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के / जागृति


रचनाकार : प्रदीप
संगीतकार : हेमंत
गायक : रफी


पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के

हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ...

देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के...

दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के...

एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के...

आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो
सपनों के हिंडोलों मे मगन हो के न झुलो
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के...

abhisays 08-11-2011 07:15 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
हम लाये हैं कश्ती तूफ़ान से निकाल के - मोहम्मद रफ़ी



arvind 08-11-2011 08:42 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
अलेक जी और अभिषेक की ये जुगलबंदी शानदार है। उम्मीद करते है कि गीतो के गुलशन में एक से बढ़कर एक गुलों के दीदार होंगे।
:fantastic::fantastic:

Dark Saint Alaick 08-11-2011 09:52 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
ऐ मेरे प्यारे वतन / काबुलीवाला


रचनाकार - गुलज़ार
संगीत - सलिल चौधरी
गायक - मन्ना डे



ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझपे दिल कुर्बान, तू ही मेरी आरज़ू
तू ही मेरी आबरू, तू ही मेरी जान

माँ का दिल बन के कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको, उतना तड़पाता है तू
तुझपे दिल कुर्बान...

तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबां को जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी, सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझपे दिल कुर्बान...

छोड़ कर तेरी गली को दूर आ पहुंचे हैं हम
है मगर ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की कसम
जिस जगह पैदा हुए थे, उस जगह ही निकले दम
तुझपे दिल कुर्बान...

malethia 08-11-2011 10:36 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
Quote:

Originally Posted by Dark Saint Alaick (Post 120426)
मैंने अक्सर देखा है कि लोग गुनगुनाते हैं, गाते हैं ... लेकिन अक्सर गलत ! इसी सोच ने मुझे प्रेरित किया कि आपके सुरों को सही अल्फाज़ भेंट करूं यानी मैं इस सूत्र में आपके पसंदीदा फिल्मी गीतों के बोल प्रस्तुत करूंगा ! शुरुआत कर रहा हूं देश-भक्ति के गीतों से, कालान्तर में सभी विषयों के फिल्मी गीत इस सूत्र में नमूदार होंगे ! हां, एक विशेष अनुरोध अभिजी से ! (मुझे विश्वास है कि यह भार उठाना उन्हें अच्छा लगेगा, क्योंकि यू-ट्यूब और वीडियो के वे मास्टर हैं !) अनुरोध यह कि इन गीतों के वीडियो वे यहां प्रस्तुत कर सकें, तो सूत्र में चार चांद लग जाएंगे !

अलेक्क जी,आपने मेरी एक लाइलाज बीमारी का इलाज़ कर दिया ,इसके लिए धन्यवाद!
गुनगुनाने की बीमारी की वजह से बहुत से गानों का अर्थ से अनर्थ किया है मैंने....:giggle::giggle:

MissK 08-11-2011 10:44 PM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
बहुत अच्छा प्रयास है:bravo: अलैक जी अक्सर लोगों को गाने का तो शौक होता है परन्तु ज्यादातर लोग सिर्फ मुखड़े के सही बोल याद रखते हैं और बाकि को गोल कर देते हैं :giggle: वैसे ये सूत्र शायद गीत-संगीत विभाग में होना चाहिए?:think:

malethia 08-11-2011 10:49 PM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
Quote:

Originally Posted by arvind (Post 120469)
अलेक जी और अभिषेक की ये जुगलबंदी शानदार है। उम्मीद करते है कि गीतो के गुलशन में एक से बढ़कर एक गुलों के दीदार होंगे।
:fantastic::fantastic:

और अगर अरविन्द जी साथ दे तो अ की पॉवर तीन हो जायेगी ............:giggle::giggle:
अलिक जी,अभिषेक जी,अरविन्द जी.............

Dark Saint Alaick 09-11-2011 01:46 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
Quote:

Originally Posted by missk (Post 120905)
बहुत अच्छा प्रयास है:bravo: अलैक जी अक्सर लोगों को गाने का तो शौक होता है परन्तु ज्यादातर लोग सिर्फ मुखड़े के सही बोल याद रखते हैं और बाकि को गोल कर देते हैं :giggle: वैसे ये सूत्र शायद गीत-संगीत विभाग में होना चाहिए?:think:

धन्यवाद, काम्याजी ! इस गलती की ओर मेरी नज़र ही नहीं गई ! सच कहूं तो गीत-संगीत विभाग अब तक मेरी नज़रों से अछूता था ! आज आपने स्मरण दिलाया, तो मैंने देखा कि इसमें एक से बढ़ कर एक बेहतरीन सूत्र मौजूद हैं ! सूत्र को मैं उपयुक्त स्थान पर ले आया हूं ! फिल्म जगत और गीत-संगीत के प्रति आपकी रूचि देख कर उम्मीद है कि इस सूत्र को आपका स्नेह इसी तरह मिलता रहेगा ! धन्यवाद !

Dark Saint Alaick 09-11-2011 01:55 AM

Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
 
Quote:

Originally Posted by malethia (Post 120907)
और अगर अरविन्द जी साथ दे तो अ की पॉवर तीन हो जायेगी ............:giggle::giggle:
अलिक जी,अभिषेक जी,अरविन्द जी.............

'A' अगर ट्रिपल हो गए तो आपको वाकई हसरत मोहानी के अल्फाज़ गुनगुनाने पड़ेंगे- हंगामा है क्यों बरपा ...! :giggle:


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