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jai_bhardwaj 29-10-2010 01:08 AM

छींटे और बौछार
 
~:~:~छींटे और बौछार ~:~:~

महकती सी तुम आयीं थी एक दिन मेरे ख़्वाबों में :party:
मुझे लेकर गयी फिर तुम, शहर से दूर ढाबों में :cheers:
ढके मैं नाक दस्ती से, रहा मैं घूमता संग में :bang-head:
तुम्हारी वह जो खुशबू थी वह रहती 'जय' जुराबों में ||:think:

jai_bhardwaj 29-10-2010 01:09 AM

तुम्हे देखूं तो डर जाऊं, कि जैसे पेड़ आंधी में:cry:
महारानी ज्यों डरती थी, मोहन दास गांधी से :bang-head:
मेरे पैरों में कम्पन 'जय', जैसे तुम बवंडर हो :omg:
दुल्हन कोइ डरे ऐसे, जो देखे कंगन चांदी के ||:boring:

Sikandar_Khan 29-10-2010 01:15 AM

बढियाँ प्रस्तुति

jai_bhardwaj 29-10-2010 01:34 AM

हमारे नक्श ऐसे हैं, जिन्हें कोई नहीं चाहे:party:
हमारे कदम ऐसे हैं, जो खोजे नित नयी राहें :bike:
हमारी साँसे बेपरवा, भले मिलते रहे धोखे:think:
हमारे पैर खुशियों पर, गले 'जय' मीत की बाहें :iagree:

anjaan 29-10-2010 08:06 AM

रात हुई है तोह दिन भी होगा
 
दिन हुआ है तो रात भी होगी,
हो मत उदास कभी तो बात भी होगी,
इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम
जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी.

कोशिश कीजिए हमें याद करने की
लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे
तमन्ना कीजिए हमें मिलने की
बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे .

महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती
इश्क से ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती
अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त का
तो ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती

सितारों के बीच से चुराया है आपको
दिल से अपना दोस्त बनाया है आपको
इस दिल का ख्याल रखना

anjaan 29-10-2010 08:11 AM

हम कभी तुमसे खफा हो नही सकते,
वादा किया है तो बेवफा हो नही सकते,
आप भले ही हमे भूलकर सो जाओ,
मगर हम आपको याद किए बिना सो नही सकते..

---------------------------------------------------

फूल बनकर मुस्कुराना ज़िंदगी है,
मुस्कारके गम भूलना ज़िंदगी है,
जीतकर कोई खुशी हो तो क्या हुआ,
दिल हारकर खुशिया मनान्ना ज़िंदगी है

---------------------------------------------------

भूल से कभी हमे भी याद किया करो,
प्यार नही तो शिकायत किया करो,
इतना भी गैर ना समझो की बात ही ना किया करो,
फोन नही तो sms ही किया करो!

----------------------------------------------------

पत्थर से दोस्ती, जान को ख़तरा.
सरदार से दोस्ती, दिमाग़ को ख़तरा.
दारू से दोस्ती, लिवर को ख़तरा.
हम से दोस्ती, रात बे रात sms का ख़तरा.

khalid 29-10-2010 08:53 AM

बहुत अच्छे मित्र
जय भैया के फेवरेट हो सकते हैँ
हम तो पढने वाले हैँ

jai_bhardwaj 29-10-2010 12:35 PM

Quote:

Originally Posted by khalid1741 (Post 6330)
बहुत अच्छे मित्र
जय भैया के फेवरेट हो सकते हैँ
हम तो पढने वाले हैँ


जब तक आपके कान न पकें, तब तक हम सुनाते रहेंगे /
उत्साहवर्धन के लिए आभार /

malethia 29-10-2010 01:14 PM

Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 6510)
जब तक आपके कान न पकें, तब तक हम सुनाते रहेंगे /
उत्साहवर्धन के लिए आभार /

आपकी कविताओं से हम पकने वाले नहीं है,
आपकी कविता पढ़कर हम थकने वाले नहीं
आपसे हम अकने वाले नहीं है................
सर दर्द का बहाना कर भगने वाले नहीं है......:iloveyou:

munneraja 29-10-2010 02:02 PM

Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 6284)
~:~:~छींटे और बौछार ~:~:~

महकती सी तुम आयीं थी एक दिन मेरे ख़्वाबों में :party:
मुझे लेकर गयी फिर तुम, शहर से दूर ढाबों में :cheers:
ढके मैं नाक दस्ती से, रहा मैं घूमता संग में :bang-head:
तुम्हारी वह जो खुशबू थी वह रहती 'जय' जुराबों में ||:think:

:)आप हैं किन खयालो में
आपके बनियान में भी बेहोशी की शक्ति है
बहुत काम आएगा अस्पतालों में :)

Sikandar_Khan 29-10-2010 02:21 PM

Quote:

Originally Posted by munneraja (Post 6561)
:)आप हैं किन खयालो में
आपके बनियान में भी बेहोशी की शक्ति है
बहुत काम आएगा अस्पतालों में :)

हा हा हा..........

ndhebar 29-10-2010 06:43 PM

Quote:

Originally Posted by munneraja (Post 6561)
:)आप हैं किन खयालो में
आपके बनियान में भी बेहोशी की शक्ति है
बहुत काम आएगा अस्पतालों में :)

बढ़िया तुकबंदी जोड़ी है

पर दादा मेहनतकश का बनियान हो या जुराब

मेहनत की खुशबू तो आएगी ही

अब अगर लोग इससे भी बेहोश होने लगे तो

खुदा खैर करे

munneraja 29-10-2010 08:04 PM

Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 6762)
बढ़िया तुकबंदी जोड़ी है

पर दादा मेहनतकश का बनियान हो या जुराब

मेहनत की खुशबू तो आएगी ही

अब अगर लोग इससे भी बेहोश होने लगे तो

खुदा खैर करे

मैं एक बात जानता हूँ जो सत्य भी है
कि जो व्यक्ति खूब मेहनत करके पसीना बहाता है
उसके पसीने में बदबू नहीं होती

लेकिन यहाँ हसीं मजाक चल रहा है इसलिए मैंने कविता लिखी

jai_bhardwaj 29-10-2010 08:19 PM

भाई जी , अनजाना जी , निशाँत भाई, तारा बाबू और सिकंदर भाई आप सभी का अभिनंदन है सूत्र मेँ । सर्वथा मृत तरंगोँ के कारण मैँ खिन्न हूँ । आपके होठोँ को आपके कानोँ तक खीचने का कार्य फिर कभी । धन्यवाद ।

munneraja 29-10-2010 08:23 PM

रिजल्ट साफ़ है
किसी भी चीज को ज्यादा खीचने से वो मृत हो जाती है :)

ndhebar 29-10-2010 09:28 PM

Quote:

Originally Posted by munneraja (Post 6901)
यहाँ हसीं मजाक चल रहा है इसलिए मैंने कविता लिखी

तो मैंने कौन सा तोप छोड़ दिया
मैंने भी तो बस वही आगे बढाया जो आपने शुरू किया
आखिर बुजुर्गों की परम्परा बढ़ाना हमारा कर्त्तव्य जो ठहरा :cheers:

munneraja 30-10-2010 09:45 AM

Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 6990)
तो मैंने कौन सा तोप छोड़ दिया
मैंने भी तो बस वही आगे बढाया जो आपने शुरू किया
आखिर बुजुर्गों की परम्परा बढ़ाना हमारा कर्त्तव्य जो ठहरा :cheers:

यदि इसी को आगे बढ़ाना है तो जल्दी से एक चुटीली कविता लिख मारो

ndhebar 30-10-2010 11:39 AM

Quote:

Originally Posted by munneraja (Post 7189)
यदि इसी को आगे बढ़ाना है तो जल्दी से एक चुटीली कविता लिख मारो

जो हुक्म दादा
ये लो झेलो :-

कौन कहता है,

एक

म्यान में -

दो तलवारें नहीं होती!

शादी के बाद

वह दोनों तलवारें

एक ही -

मकान में तो होती है.

ndhebar 30-10-2010 11:44 AM

करें क्या शिकायत अँधेरा नहीं है
अजब रौशनी है कि दिखता नहीं है

ये क्यों तुमने अपनी मशालें बुझा दीं
ये धोखा है कोई, सवेरा नहीं है

ये कैसी है बस्ती, ना दर, ना दरीचा
हवा के बिना दम घुटता नहीं है!

नई है रवायत या डर हादसों का
यहाँ कोई भी शख्स हंसता नहीं है

ABHAY 30-10-2010 11:57 AM

क्या बात है क्या बात है लगे रहे भाई :cheers:

jai_bhardwaj 31-10-2010 11:03 PM

Quote:

Originally Posted by anjaan (Post 6320)


---------------------------------------------------

पत्थर से दोस्ती, जान को ख़तरा.
सरदार से दोस्ती, दिमाग़ को ख़तरा.
दारू से दोस्ती, लिवर को ख़तरा.
हम से दोस्ती, रात बे रात sms का ख़तरा.

जान को कोई ख़तरा नहीं , यदि दोस्त सलोना हो
दिमाग को ख़तरा नहीं, अगर सरदार मोना हो
लीवर को ख़तरा नहीं, यदि दवा बराबर दारू लें
sms का ख़तरा नहीं, जब तीन के बाद सोना हो

jai_bhardwaj 31-10-2010 11:13 PM

मुझे वह सर्द रात याद है जब तुम मेरे सपनों में आयीं
नयी नयी दुल्हन की तरह शर्माते हुए मेरी बाहों में समायीं
मैंने चूमे तुम्हारे रक्तिम कपोल और दोनों गुलाबी अधर
सहलाने चाहे तुम्हारे केश, तो हीटर से 'जय' उंगलियाँ जलायीं

jai_bhardwaj 31-10-2010 11:20 PM

मेरा जन्म दिन मनाईये , शौक से ऐ दुश्मनों !
आखिर मेरी ज़िन्दगी से एक साल कम हुआ है /
खुश हो लो 'जय' , शोहरत से मेरी जलने वालों
आखिर तुम्हारे नाम से गुमनाम कम हुआ है //

jalwa 31-10-2010 11:28 PM

Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 8169)
मेरा जन्म दिन मनाईये , शौक से ऐ दुश्मनों !
आखिर मेरी ज़िन्दगी से एक साल कम हुआ है /
खुश हो लो 'जय' , शोहरत से मेरी जलने वालों
आखिर तुम्हारे नाम से गुमनाम कम हुआ है //

जन्म दिन मनाएंगे दुश्मन कैसे ?
जब दोस्त ही दोस्त हों महफ़िल में सिर्फ .

हुआ दोस्त जिसका हमारे जैसा...
फिर उसे दुश्मनों की क्या कमी है?

दादा, प्रणाम.

jai_bhardwaj 31-10-2010 11:41 PM

Quote:

Originally Posted by jalwa (Post 8170)
दादा, प्रणाम.


राम राम बीरबल जी /
दिन दूना रात चौगुना तरक्की करो !!
दीपावली का अवसर है अतः अब रात में भी अपना कारखाना चलाया करो .... तभी तो तरक्की मिलेगी //

" वो हथियार ले के चल पड़े, हमारी मौत के लिए /
मेरा दोस्त मर मिटा, 'जय' अपने दोस्त के लिए //"

jalwa 31-10-2010 11:48 PM

Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 8175)
राम राम बीरबल जी /
दिन दूना रात चौगुना तरक्की करो !!
दीपावली का अवसर है अतः अब रात में भी अपना कारखाना चलाया करो .... तभी तो तरक्की मिलेगी //

" वो हथियार ले के चल पड़े, हमारी मौत के लिए /
मेरा दोस्त मर मिटा, 'जय' अपने दोस्त के लिए //"

दादा, करने को तो चौबीसों घंटे भी कारखाना चला सकते हैं. लेकिन मैं धन के पीछे ज्यादा नहीं भागता. इसलिए बहुत साधारण तरीके से कार्य करता हूँ.

मेरी किस्मत में गम गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते

jai_bhardwaj 31-10-2010 11:57 PM

Quote:

Originally Posted by jalwa (Post 8176)
दादा, करने को तो चौबीसों घंटे भी कारखाना चला सकते हैं. लेकिन मैं धन के पीछे ज्यादा नहीं भागता. इसलिए बहुत साधारण तरीके से कार्य करता हूँ.

मेरी किस्मत में गम गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते

सुन्दर विचार है बीरबल जी !
हृदय गदगद हो गया / धन्यवाद /

"तुम हमारे स्वप्न में आते हो, तो बस मुस्कुराते हो /
क्या गूंगे हो तुम ? नहीं तो मौन क्यों बन जाते हो //"

jalwa 01-11-2010 12:03 AM

Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 8180)
सुन्दर विचार है बीरबल जी !
हृदय गदगद हो गया / धन्यवाद /

"तुम हमारे स्वप्न में आते हो, तो बस मुस्कुराते हो /
क्या गूंगे हो तुम ? नहीं तो मौन क्यों बन जाते हो //"



धन्यवाद दादा.
यह सोच कर हम आये, तेरे गुलशन में माही
वो फूलों से चेहरे गुलाबों में मिल गए

jai_bhardwaj 01-11-2010 12:09 AM

Quote:

Originally Posted by jalwa (Post 8183)
धन्यवाद दादा.
यह सोच कर हम आये, तेरे गुलशन में माही
वो फूलों से चेहरे गुलाबों में मिल गए

हम कैसे नामुराद थे जो तुम्हे ढूंढते रहे
हमने अपनी बाजू को क्यों देखा ही नहीं //
'जय' जिनसे कह रहे थे तुम्हे ढूंढ कर लायें
तुम थे उन्ही के पीछे, हमने देखा ही नहीं //

jalwa 01-11-2010 12:10 AM


जान लेनी ही थी तो कह दिया होता
मुस्कराने की क्या जरूरत थी

:)

jai_bhardwaj 01-11-2010 12:24 AM

Quote:

Originally Posted by jalwa (Post 8188)

जान लेनी ही थी तो कह दिया होता
मुस्कराने की क्या जरूरत थी

:)

यह हालिया बयान तुमने पढ़ा नहीं है ?
'जय' फिर अब किसी से बावफा नहीं है !!

jai_bhardwaj 01-11-2010 12:30 AM

मेरे रोजे हराम हो गए , 'जय' तेरे ही कारण !
जालिम ने मुझे फिर से गम को खिला दिया //

jai_bhardwaj 02-11-2010 11:50 PM

अगर मैं डाल से टूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ
तुम्हारा साथ यदि छूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ
तुम्हारी आँख में स्थिर अभी, 'जय' आंसू बन करके
पलक झपकाओगे यदि तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ //

jai_bhardwaj 03-11-2010 12:07 AM

तुम्हारी आँख में आंसू तो मेरी आँख में भी हैं
मगर दोनों के आंसू में थोड़ी 'जय' खराबी है /
तनिक महसूस करलो तुम इन्हें हलके से छू करके
तुम्हारे आंसू ठन्डे हैं, मेरे आंसू में गर्मी है //

aksh 03-11-2010 12:30 AM

जय भैया ! एक दम झकास सूत्र है आपका. मजा आ गया, झकजोर दिया आपने.

sam_shp 03-11-2010 04:03 AM

जयभाई......सूत्र की सुरुआत धमाकेदार की है और अब तो अनजाना जी का साथ भी है तो उमीद करते है की एक से बढकर एक प्रस्तुति की भरमार होंगी......
धन्यवाद.

ndhebar 03-11-2010 06:13 PM

धोखे से लूट ले जा सकते हो तुम भी,

पर कोशिश न करना कीमत लगाने की,

जिसके बदले में बिक जाये इमान मेरा,

औकात इतनी नहीं अभी इस ज़माने की/

jai_bhardwaj 03-11-2010 11:56 PM

Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 9300)
धोखे से लूट ले जा सकते हो तुम भी,

पर कोशिश न करना कीमत लगाने की,

जिसके बदले में बिक जाये इमान मेरा,

औकात इतनी नहीं अभी इस ज़माने की/

बंजारा इक घूम रहा है प्रियतम की गलियों में
खोज रहा है साथी अपना तितली में कलियों में
प्रेम के बदले प्रेम मिलेगा ऐसी 'जय' गलियाँ हैं
धोखे से जो साथी लूटें, वे गिने जायेंगे छलियों में

jai_bhardwaj 03-11-2010 11:57 PM

हम नहीं कहते, ज़माना भर ये कहता है
तेरा यह शबाब है या कोई लावा बहता है
पास जिसके तुम रहो, 'जय' दूर जाना चाहता
दूर जिससे तुम रहो, नजदीकियों को मरता है

jai_bhardwaj 03-11-2010 11:58 PM

चलो, आओ, सब मिल करे, नया एक खेल खेलेंगे
जो बैठे सामने होंगे, उन्हें 'जय' आज खोजेंगे !!
हमारा हश्र यह होगा, बनेगें चोर फिर फिर से ,
भले ही जीभ चुप हो ले, आँख से आप बोलेंगे !!


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