छींटे और बौछार
~:~:~छींटे और बौछार ~:~:~
महकती सी तुम आयीं थी एक दिन मेरे ख़्वाबों में :party: मुझे लेकर गयी फिर तुम, शहर से दूर ढाबों में :cheers: ढके मैं नाक दस्ती से, रहा मैं घूमता संग में :bang-head: तुम्हारी वह जो खुशबू थी वह रहती 'जय' जुराबों में ||:think: |
तुम्हे देखूं तो डर जाऊं, कि जैसे पेड़ आंधी में:cry:
महारानी ज्यों डरती थी, मोहन दास गांधी से :bang-head: मेरे पैरों में कम्पन 'जय', जैसे तुम बवंडर हो :omg: दुल्हन कोइ डरे ऐसे, जो देखे कंगन चांदी के ||:boring: |
बढियाँ प्रस्तुति
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हमारे नक्श ऐसे हैं, जिन्हें कोई नहीं चाहे:party:
हमारे कदम ऐसे हैं, जो खोजे नित नयी राहें :bike: हमारी साँसे बेपरवा, भले मिलते रहे धोखे:think: हमारे पैर खुशियों पर, गले 'जय' मीत की बाहें :iagree: |
रात हुई है तोह दिन भी होगा
दिन हुआ है तो रात भी होगी,
हो मत उदास कभी तो बात भी होगी, इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी. कोशिश कीजिए हमें याद करने की लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे तमन्ना कीजिए हमें मिलने की बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे . महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती इश्क से ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त का तो ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती सितारों के बीच से चुराया है आपको दिल से अपना दोस्त बनाया है आपको इस दिल का ख्याल रखना |
हम कभी तुमसे खफा हो नही सकते,
वादा किया है तो बेवफा हो नही सकते, आप भले ही हमे भूलकर सो जाओ, मगर हम आपको याद किए बिना सो नही सकते.. --------------------------------------------------- फूल बनकर मुस्कुराना ज़िंदगी है, मुस्कारके गम भूलना ज़िंदगी है, जीतकर कोई खुशी हो तो क्या हुआ, दिल हारकर खुशिया मनान्ना ज़िंदगी है --------------------------------------------------- भूल से कभी हमे भी याद किया करो, प्यार नही तो शिकायत किया करो, इतना भी गैर ना समझो की बात ही ना किया करो, फोन नही तो sms ही किया करो! ---------------------------------------------------- पत्थर से दोस्ती, जान को ख़तरा. सरदार से दोस्ती, दिमाग़ को ख़तरा. दारू से दोस्ती, लिवर को ख़तरा. हम से दोस्ती, रात बे रात sms का ख़तरा. |
बहुत अच्छे मित्र
जय भैया के फेवरेट हो सकते हैँ हम तो पढने वाले हैँ |
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जब तक आपके कान न पकें, तब तक हम सुनाते रहेंगे / उत्साहवर्धन के लिए आभार / |
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आपकी कविता पढ़कर हम थकने वाले नहीं आपसे हम अकने वाले नहीं है................ सर दर्द का बहाना कर भगने वाले नहीं है......:iloveyou: |
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आपके बनियान में भी बेहोशी की शक्ति है बहुत काम आएगा अस्पतालों में :) |
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पर दादा मेहनतकश का बनियान हो या जुराब मेहनत की खुशबू तो आएगी ही अब अगर लोग इससे भी बेहोश होने लगे तो खुदा खैर करे |
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कि जो व्यक्ति खूब मेहनत करके पसीना बहाता है उसके पसीने में बदबू नहीं होती लेकिन यहाँ हसीं मजाक चल रहा है इसलिए मैंने कविता लिखी |
भाई जी , अनजाना जी , निशाँत भाई, तारा बाबू और सिकंदर भाई आप सभी का अभिनंदन है सूत्र मेँ । सर्वथा मृत तरंगोँ के कारण मैँ खिन्न हूँ । आपके होठोँ को आपके कानोँ तक खीचने का कार्य फिर कभी । धन्यवाद ।
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रिजल्ट साफ़ है
किसी भी चीज को ज्यादा खीचने से वो मृत हो जाती है :) |
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मैंने भी तो बस वही आगे बढाया जो आपने शुरू किया आखिर बुजुर्गों की परम्परा बढ़ाना हमारा कर्त्तव्य जो ठहरा :cheers: |
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ये लो झेलो :- कौन कहता है, एक म्यान में - दो तलवारें नहीं होती! शादी के बाद वह दोनों तलवारें एक ही - मकान में तो होती है. |
करें क्या शिकायत अँधेरा नहीं है अजब रौशनी है कि दिखता नहीं है ये क्यों तुमने अपनी मशालें बुझा दीं ये धोखा है कोई, सवेरा नहीं है ये कैसी है बस्ती, ना दर, ना दरीचा हवा के बिना दम घुटता नहीं है! नई है रवायत या डर हादसों का यहाँ कोई भी शख्स हंसता नहीं है |
क्या बात है क्या बात है लगे रहे भाई :cheers:
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दिमाग को ख़तरा नहीं, अगर सरदार मोना हो लीवर को ख़तरा नहीं, यदि दवा बराबर दारू लें sms का ख़तरा नहीं, जब तीन के बाद सोना हो |
मुझे वह सर्द रात याद है जब तुम मेरे सपनों में आयीं
नयी नयी दुल्हन की तरह शर्माते हुए मेरी बाहों में समायीं मैंने चूमे तुम्हारे रक्तिम कपोल और दोनों गुलाबी अधर सहलाने चाहे तुम्हारे केश, तो हीटर से 'जय' उंगलियाँ जलायीं |
मेरा जन्म दिन मनाईये , शौक से ऐ दुश्मनों !
आखिर मेरी ज़िन्दगी से एक साल कम हुआ है / खुश हो लो 'जय' , शोहरत से मेरी जलने वालों आखिर तुम्हारे नाम से गुमनाम कम हुआ है // |
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जब दोस्त ही दोस्त हों महफ़िल में सिर्फ . हुआ दोस्त जिसका हमारे जैसा... फिर उसे दुश्मनों की क्या कमी है? दादा, प्रणाम. |
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राम राम बीरबल जी / दिन दूना रात चौगुना तरक्की करो !! दीपावली का अवसर है अतः अब रात में भी अपना कारखाना चलाया करो .... तभी तो तरक्की मिलेगी // " वो हथियार ले के चल पड़े, हमारी मौत के लिए / मेरा दोस्त मर मिटा, 'जय' अपने दोस्त के लिए //" |
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मेरी किस्मत में गम गर इतना था दिल भी या रब कई दिए होते |
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हृदय गदगद हो गया / धन्यवाद / "तुम हमारे स्वप्न में आते हो, तो बस मुस्कुराते हो / क्या गूंगे हो तुम ? नहीं तो मौन क्यों बन जाते हो //" |
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धन्यवाद दादा. यह सोच कर हम आये, तेरे गुलशन में माही वो फूलों से चेहरे गुलाबों में मिल गए |
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हमने अपनी बाजू को क्यों देखा ही नहीं // 'जय' जिनसे कह रहे थे तुम्हे ढूंढ कर लायें तुम थे उन्ही के पीछे, हमने देखा ही नहीं // |
जान लेनी ही थी तो कह दिया होता मुस्कराने की क्या जरूरत थी :) |
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'जय' फिर अब किसी से बावफा नहीं है !! |
मेरे रोजे हराम हो गए , 'जय' तेरे ही कारण !
जालिम ने मुझे फिर से गम को खिला दिया // |
अगर मैं डाल से टूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ
तुम्हारा साथ यदि छूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ तुम्हारी आँख में स्थिर अभी, 'जय' आंसू बन करके पलक झपकाओगे यदि तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ // |
तुम्हारी आँख में आंसू तो मेरी आँख में भी हैं
मगर दोनों के आंसू में थोड़ी 'जय' खराबी है / तनिक महसूस करलो तुम इन्हें हलके से छू करके तुम्हारे आंसू ठन्डे हैं, मेरे आंसू में गर्मी है // |
जय भैया ! एक दम झकास सूत्र है आपका. मजा आ गया, झकजोर दिया आपने.
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जयभाई......सूत्र की सुरुआत धमाकेदार की है और अब तो अनजाना जी का साथ भी है तो उमीद करते है की एक से बढकर एक प्रस्तुति की भरमार होंगी......
धन्यवाद. |
धोखे से लूट ले जा सकते हो तुम भी, पर कोशिश न करना कीमत लगाने की, जिसके बदले में बिक जाये इमान मेरा, औकात इतनी नहीं अभी इस ज़माने की/ |
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खोज रहा है साथी अपना तितली में कलियों में प्रेम के बदले प्रेम मिलेगा ऐसी 'जय' गलियाँ हैं धोखे से जो साथी लूटें, वे गिने जायेंगे छलियों में |
हम नहीं कहते, ज़माना भर ये कहता है
तेरा यह शबाब है या कोई लावा बहता है पास जिसके तुम रहो, 'जय' दूर जाना चाहता दूर जिससे तुम रहो, नजदीकियों को मरता है |
चलो, आओ, सब मिल करे, नया एक खेल खेलेंगे
जो बैठे सामने होंगे, उन्हें 'जय' आज खोजेंगे !! हमारा हश्र यह होगा, बनेगें चोर फिर फिर से , भले ही जीभ चुप हो ले, आँख से आप बोलेंगे !! |
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