फटा पोस्टर निकला हीरो.......
फटा पोस्टर निकला हीरो.. फिल्म हीरो हीरालाल का ये डायलोग आज भी हम तब इस्तेमाल कर लेते है जब कोई धमाकेदार एंट्री लेता है... फिल्मो के कुछ डाय्लोग्स कालजयी हो जाते है.. सबसे कॉमन में शोले का डायलोग आता है.. जब भी कही दो चार लोग चुप बैठे है तो कोई आकर कहेगा "इतना सन्नाटा क्यू है भाई?" या फिर दिवार फिल्म की तर्ज पर.. तुम्हारे पास क्या है पर ये कहना कि मेरे पास माँ है .. इसी डायलोग को फिल्म गुलाल में अलग तरीके से बोला गया.. डायलोग वही है मगर भावनाए बदल गयी है.. फिल्म का एक चरित्र जढ्वाल.. बन्दूक दिखाकर कहता है "मेरे पास माँ है" .. आजकल वैसे भी बन्दूको के साए में ही पलते है बच्चे..
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सलीम जावेद की जोड़ी ने हमें कई डाय्लोग्स दिए है..
जिसमे खास तौर पर शोले और दिवार .. याद कीजिये................... |
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कितने आदमी थे?
यूँ कि ये कौन बोला? अब तेरा क्या होगा कालिया ? सरदार मैंने आपका नमक खाया है बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना ये हाथ हमका दे दे ठाकुर इतना सन्नाटा क्यों है भाई.. हम अंग्रेजो के जमाने के जेलर है.. हमारा नाम भी सुरमा भोपाली येसे ही नहीं है.. |
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मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता.. पीटर तुम मुझे वहा ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूँ.. मेरा बाप चोर है.. खुश तो बहुत होंगे आज तुम.. भाई तुम साइन करते हो या नहीं.. जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ.. मेरे पास माँ है.. |
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बाकी और भी है आपकी प्रतिक्रिया आने के बाद ..............
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वोह दौर में फ़िल्मी dialogues का अपना ही महत्व था, आज के फिल्मो के dialogue कहा किसी को याद रहते हैं.
सिकंदर जी बहुत ही अच्छा सूत्र हैं. |
Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
मेरे कुछ पसंदीदा dialogue
करने दो, don का इंतज़ार ११ मुल्को की पुलिस कर रही है, लेकिन सोनिया एक बात समझ लो, don को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नाम्मुम्किन है. अमिताभ :: Don |
Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
अमिताभ :: जब तक बैठने को ना कहा जाए, शराफत से खड़े रहो, यह पुलिस स्टेशन है तुमारे बाप का घर नहीं.
अमिताभ :: यही है जो इलाका जहा लोग तुम्हे जानते हैं, अब ना तो वर्दी है, ना कुर्सी, और ना ही मैं ड्यूटी पर हूँ, इलाका तुमारा है और मैं अकेला हूँ. |
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आज की बात करे तो मुझे गुलाल.. कमीने .. लक आदि फिल्मो के डाय्लोग्स पसंद आये है.. फिल्म गुलाल के डायलोग अनुराग कश्यप ने लिखे है और कमीने के विशाल भारद्वाज ने.. फिल्म गुलाल में एक किरदार पृथ्वी बना को जब घर से भागते हुए पकड़ा जाता है तो वो कहते है कि रास्ता भूल गया था.. और फिर से कहते है कि इस घर में मैं अकेला ही रास्ता नहीं भूला हूँ..
फिल्म कमीने में जब किरदार गुड्डू प्रियंका चोपड़ा से कहता है कि मेरे पास कंडोम नहीं है तो प्रियंका कहती है.. वैसे भी हमारे बीच कोई तीसरा आये मुझे पसंद नहीं है.. फिल्म में चार्ली स को फ बोलता है संवाद में वो कुछ ऐसे कहता है… चार्ली : मैं फ को फ बोलता हूँ.. भोपे : अबे फ को फ नहीं तो क्या ल बोलेगा.. ज़रा याद कीजिये गुलाल के कुछ डाय्लोग्स.. |
Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
या तो हांफ ले या बोल ले .. हांफ हांफ के मत बोल..
जो कुछ नहीं कर सकता वो लॉ कर लेता है.. ये सवाल से सबकी फटती क्यों है.. ? कोई जवाब नहीं है इसलिए? डेमोक्रेसी बची नहीं यहाँ पे और ये बैठके एरिस्टोक्रेसी चाट रहे है.. इस मुल्क ने हर शख्स को जो काम था सौंपा उस शख्स ने उस काम की माचिस जलाके छोड़ दी.. कल छोटी दिवाली थी ना मन में बड़े फटाके फूट रहे थे.. साला हक़ से लिया है पाकिस्तान और लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान और कोई बीच में ना आना वरना ले जाऊंगा राजपुताना.. |
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