पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
http://www.southreport.com/wp-conten...nce.jpg?fca222
भारत के बारे में गुगल पर चाहे जो भी तसवीर पेश हो...लेकिन सबको पता है की अगर 'सत्य' अगर जानना है, अगर ईश्वर से मिलना है तो उन्हें भारत ही आना पडेगा! प्रस्तुत है पौराणिक भारत के वेदों मे दिए गए कुछ तथ्य जिसके बारे में आज भी वैज्ञानिक अचंबे में है कि भारत युगों पहेले से यह सब कैसे जानता था! |
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सौरमंडल
http://www.southreport.com/wp-conten...472.jpg?fca222 ऋगवेद में लिखा गया था की सुर्य अपनी धरी पर घुमता है। लेकिन अन्य देशो में भ्रामक मान्यताएं एवं अजीब सी बातें चल रही थी। और जब वैज्ञानिकों द्वारा सच साबित हुआ तो सबक भ्रांति दूर हो गई! |
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पृथ्वी
http://i.telegraph.co.uk/multimedia/...e_2055462c.jpg पृथ्वी का व्यास, वजन से ले कर ईसके चुंबकीय क्षेत्रों तक की जानकारी भारत विश्व में सबसे पहेल रखता था। |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारी दी जा रही है. दीप जी का धन्यवाद करते हुये आशा करता हूँ कि सूत्र पर रोचक व ज्ञानवर्धक अपडेट्स आते रहेंगे.
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समय
http://www.southreport.com/wp-conten...771.jpg?fca222 हमने समय का अंदाजा भी लगाया था। एक साल की लंबाई और महिनों मे उनको बदला गया था जो आज भी सटीक है। |
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प्रकाश की गति
http://www.southreport.com/wp-conten...578.jpg?fca222 युगो पहले बिना कोई संसाधन के ऋषिमुनीयों ने प्रकाश की गति भी नाप ली था। आधे निमेष (१६/७५ सेकंड) में २२०२ योजन (१ योजन = ९ माईल लगभग) यानि की १,८५,७९४ माईल प्रति सेकंड बाद में वैज्ञानिकों ने प्रकाश की गति का पता लगाया जो १,८६,२८२ थी जो आश्चर्यजनक रुप से हमारी ढुंढी हुई गति से काफी मेल खाती थी। |
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ग्रहण
http://www.southreport.com/wp-conten...562.jpg?fca222 अभी भी ग्रहण से डरने वाले बहुत मिल जाएंगे। ईनके पीछे कुछ सच्चाई या वहेम ही होगा। लेकिन ऋगवेद मे ग्रहण का वर्णन मिलता है की कैसे चंद्र सुरज के किरणों के आडे आ कर सुर्य ग्रहण करता है। बाद में हमारे पुर्वज ईस के वैज्ञानिक तथ्यों से डर कर तरह तरक की भ्रांति में मानने लगे। लेकिन पुरी दुनिया अभी तक ग्रहण को अपशकुन मानती है। |
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सुर्य की दुरी
http://www.southreport.com/wp-conten...sun.jpg?fca222 युग सहस्त्र जोजन पर भानु। लिओ ताही मधुर फल जानु ।। हनुमान चालीसा में कहा गया है की हनुमान जीसे फल समझ कर खाने की लालसा कर बैठे वह सुर्य पृथ्वी से एक युग सहस्त्र दुरी पर है! १ युग = १२०० वर्ष १००० युग = १२००००० वर्ष १ योजन = ८ माईल यानी १५३६००००० किलोमीटर! जो वास्तविक (जो उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों के द्वारा ढुंढी गई) से सिर्फ १% अलग है! |
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संख्या
http://www.southreport.com/wp-conten...a-1.jpg?fca222 आर्यभट्ट ने २३ साल की उम्र में ही पाई का सही आंकलन कर लिया था! जो विश्व को अवकाश में जाने के लिए मुलभुत रुप से काम आया। वे साईन और कोस थीटा और त्रिकोणमिती के जन्मदाता भी है। लेकिन सबसे उनकी सबसे बडी खोज शुन्य है जो पुरे विश्व में तुरंत मान्य हो गई। |
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बायनरी
http://www3.amherst.edu/~jcook15/binary.jpg भारत में संगीत के सुरताल ढुंढते हुए बायनरी सिस्टम का कोन्सेप्ट आ चूका था। पिंगळा नामक मुनि ने ईसकी खोज की थी। |
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