Dear Zindagi / डियर ज़िन्दगी
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Dear Zindagi
डियर ज़िन्दगी बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म ‘डियर जिंदगी’ 25 नवंबर को भारत के 1200 से ज्यादा सिनेमाघरों में रिलीज की गई है। फिल्म ने पहले ही दिन 8.75 करोड़ की कमाई की है। फिल्म में आलिया जहां एक मॉर्डन लड़की के किरदार में हैं, जो कि अपनी लव लाइफ में कई बार नाकाम होती हैं; वहीं शाहरुख एक मनोचिकित्सक के किरदार में हैं। फिल्म का बजट बहुत ज्यादा नहीं होने के बावजूद गौरी शिंदे ने फिल्म की कहानी और डायलोग्स के चलते बाजी मार ली है। तो आइए आपको बताते हैं फिल्म के कुछ शानदार डायलोग्स के बारे में जो फिल्म की जान हैं। क्या कभी आपको सबकुछ होते हुए भी ऐसा लगा है, जैसे कुछ अधूरा है? क्या बिना किसी बड़े दुःख के चीख-चीख कर रोने का मन किया है? क्या आप भी खुद को साबित करने के लिए भागते चले जा रहे हो? अगर हां, तो 'Dear Zindagi' आपके लिए है. आलिया इस फिल्म में काइरा नाम की एक सिनेमेटोग्राफ़र का किरदार निभा रही हैं. वो आज के ज़माने की एक आम लड़की है, जिसने खुद पर अपनी ही उम्मीदों और सपनों का बोझ लाद लिया है. उस अदद प्यार की तलाश में वो रिश्ते बना रही है और एक समय के बाद उनमें खुद को बंधा हुआ पा रही है. वो अपने बचपन की कमियों और डर से अब तक उभर नहीं पाई है. एक ऐसी लड़की, जिसके पास सब कुछ है सिवाए सुकून के, जो थकती तो है, पर ठीक से सो नहीं पाती. ऐसे में उसे कोई ऐसा मिल जाता है, जो उसे अपनी बिखरी हुई ज़िन्दगी के टुकड़े जोड़ने का रास्ता दिखाता है, जो उसे एहसास दिलाता है कि ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है, बस थोड़ा नज़रिया बदलने की ज़रुरत है. वो न ही उसका बॉयफ्रेंड है, न ही पिता, न ही फ्रेंड. 'Dear Zindagi' एक सफ़र है खुद को समझने का और खुद को अपनाने का, जैसे-जैसे उस लड़की को अपने सवालों के जवाब मिलते हैं, कहीं न कहीं उसके साथ आप भी सुलझते चले जाते हैं. >>> |
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फिल्म डियर ज़िंदगी के कुछ डायलॉग
हम हमेशा मुश्किल रास्ता क्यों चुनते हैं जरूरी काम के लिए? क्या पता आसान रास्ते से भी काम हो जाए... जीनियस वो नहीं है जिसके पास हर सवाल का जवाब हो बल्कि वो है जिसके पास हर जवाब के लिए पेशियंस हो. जिंदगी में जब कोई पैटर्न या आदत बनती दिखाई दे ना...तो उसके बारे में अच्*छी तरह से सोचना चाहिए...जीनियस को पता होता है कि कहां रुकना है... खुल के रो नहीं सकोगी तो खुलकर हंस कैसे पाओगी? हम कितनी कुर्सियां देखते हैं कोई एक लेने से पहले..., फिर अपना लाइफपार्टनर चूज़ करने से पहले ओपशंस देखने में क्या प्रॉब्लम है? ज़िंदगी एक जिगसॉ पज़ल की तरह है...मैं तुम्हारे लिए उसके टुकड़े ढूंढ़ सकता हूं लेकिन उन्हें तुम्हें खुद ही जोड़ना होगा. अलबर्ट आइंसटीन ने कहा था...पागल वो हो जाता है जो रोज रोज सेम काम करता है...मगर चाहता है कि नतीजा अलग हो. अगर हम अपनी जिंदगी का स्टियरिंग व्हील अपने हाथ में नहीं लेंगे ना...तो कोई दूसरा ड्राइवर सीट पर बैठ जाएगा. सेफ फील करने के लिए पहले सारे डर मिटाना जरूरी है. ** |
Re: Dear Zindagi / डियर ज़िन्दगी
nice movie
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