विश्व के इन रहस्यों को लेकर वैज्ञानिक भी क
कैलिफोर्निया की डेथ वैली में पत्थरों के खिसकने का राज क्या हैं? रूस के मॉस्को में खुदाई के दौरान मिले उस तीन हजार साल पुराने लोहे के पेंच के पीछे कौन सा रहस्य छिपा हुआ है? इसके अलावा प्राचीन मेक्सिकन शहर में आर्किटेक्ट ने क्या सोचकर अभ्रक की शीट से इमारत की दीवारें खड़ी की थीं? दुनिया से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जो अब भी पर्दानशीं हैं और इनसे पर्दा उठना जरूरी है। वैज्ञानिकों के बीच भी ये यक्ष प्रश्न बना हुआ है। इन अबूझ रहस्यों पर लंबे अरसे से चर्चा होती रही हैं, लेकिन बात वहीं की वहीं रह गई। आइए जानते हैं दुनिया के 13 ऐसे अबूझ रहस्यों के बारे में, जिन पर नासा के वैज्ञानिक भी सोचने पर मजबूर हो गए। पत्थर से बना ढांचा सहारा रेगिस्तान में दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य पत्थरों से बना ये स्ट्रक्चर है। 1973 में पुरातत्व शास्त्री पहली बार यहां पहुंचे थे। 1998 में प्रोफेसर फ्रेड वैंडोर्फ की टीम ने पत्थरों के इस स्ट्रक्चर का अध्ययन किया तो पता चला कि ये करीब 6000 साल ईसा पूर्व में बनाया गया है। नाब्टा प्लाया में मिले पत्थर के स्ट्रक्चर पर रिसर्च करने से पता चला है कि ये खगोल शास्त्र और ज्योतिष से संबंधित थे। सवाल ये है कि इतनी सहस्र शताब्दियों पहले उन लोगों ने इतना विकास कैसे कर लिया था। तब वे इसका इस्तेमाल किस तरह करते थे? ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है। |
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विचित्र लकीरों की आकृति तस्वीर में दिख रहे ये अजीबो-गरीब लकीरें 40 डिग्री 27'28.56 उत्तर व 93 डिग्री 23'24.42 पूर्व दिशा में देखी गई हैं। इस विचित्र कृति के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। चीन के गानसू शेंग के रेगिस्तान में ये लकीरें बनी हुई हैं। अंग्रेजी में इसे चीनी मोजैक लाइन्स कहा जाता है। कुछ आंकड़े बताते हैं कि 2004 में इन लकीरों को खींचा गया था। अहम बात ये है कि ये लकीरें मोगाओ की गुफा के आसपास बनाई गई हैं, जिसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है। दिलचस्प पहलू यह है कि चट्टान के ऊबड़-खाबड़ होने के बाद भी लंबे अरसे से लकीरें बिल्कुल सीधी ही हैं। |
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पत्थर की गुड़िया 1889 में ईदाहो के नाम्पा में अचानक वैज्ञानिकों का रूझान बढ़ गया। वजह थी खुदाई के दौरान मिली पत्थर की गुड़िया। इसे मानव हाथों द्वारा बनाया गया है। पत्थर की ये गुड़िया 320 फीट की गहराई में खुदाई के दौरान मिली थी। इसे देख तब अंदाजा लगाया गया कि दुनिया में मानव जाति के अस्तित्व में आने के बाद शायद इस गुड़िया को बनाया गया होगा। हालांकि, पर्दे के पीछे की सच्चाई अभी भी अबूझ रहस्य बनी हुई है। |
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तीन हजार साल पुराना लोहे का पेंच 1998 में रूसी वैज्ञानिक दक्षिण-पश्चिम मॉस्को से करीब 300 किलोमीटर दूर एक उल्का के अवशेष की जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक पत्थर का टुकड़ा मिला, जिसमें लोहे का पेंच संलग्न था। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, ये पत्थर 3,000-3,200 साल पुराना है। तब न तो कोई प्रबुद्ध प्रजाति हुआ करती थी और न ही धरती पर डायनासोर हुआ करते थे। पत्थर के बीच लोहे का पेंच साफ दिखाई पड़ता है। इसकी लंबाई एक सेंटीमीटर और व्यास तीन मिलीमीटर है। |
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प्राचीन रॉकेट जहाज तस्वीर में आपको रॉकेट नुमा जहाज जैसा कुछ दिख रहा है। ये जापान की एक गुफा में बनी प्राचीन पेंटिंग है। बताया जाता है कि ये पेंटिंग 5, 000 ईसा पूर्व की है। खोजकर्ताओं के जेहन में ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या प्राचीनकाल में इस तरह का कोई विमान था। अगर नहीं, तो फिर इसे क्या सोच कर बनाया गया होगा। |
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खिसकता पत्थर कैलिफोर्निया की डेथ वैली में कुछ पत्थरों का खुद ब खुद खिसकना नासा के लिए भी अबूझ पहेली बनी हुई है। रेसट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम ततक बिल्कुल सपाट है। लेकिन यहां बिखरे पत्थर खुद ब खुद खिसकते रहते हैं। यहां ऐसे 150 से भी अधिक पत्थर हैं। हालांकि, किसी ने उन्हें आंखों से खिसकते नहीं देखा। सर्दियों में ये पत्थर करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके मिलते हैं। 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई। टीम ने पत्थरों के एक ग्रुप का नामकरण कर उस पर सात साल अध्ययन किया। केरीन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का पत्थर अध्ययन के दौरान जरा भी नहीं हिला। लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने केरीन को 1 किलोमीटर दूर पाया। वैज्ञानिकों का मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं का असर है। |
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पिरामिड द पॉवर इस प्राचीन मैक्सिकन शहर की दीवारें अभ्रक (mica) की बड़ी चादरों से बनी हैं। अभ्रक खदान के निकटतम जगह की बात करें, तो वह ब्राजील में है। लेकिन ये खदान शहर से हजारों मील की दूरी पर है। अभ्रक का इस्तेमाल प्रौद्योगिकी व ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इन इमारतों को बनाने के लिए बिल्डर ने अभ्रक जैसे खनिज का इस्तेमाल क्यों किया होगा। क्या आर्किटेक्ट शहर में बिजली के लिए स्रोत का दोहन कर रहे थे? |
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यहां कुत्ते आत्महत्या कर लेते हैं स्कॉटलैंड के डुम्बरटन में मिलटन के नजदीक ओवरटुन पुल पर कुत्ते आत्महत्या कर लेते हैं। 1859 में बना यह पुल लगातार कुत्तों द्वारा आत्महत्या करने के बाद से सुर्खियों में है। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि कुत्ते यहीं आकर ऐसा क्यों करते हैं। आत्महत्या का पहला मामला 1950-60 के दौरान आया था। बताया जाता है कि आत्महत्या करने वालों में लंबी नाक वाले कुत्ते ज्यादा हैं। |
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विशाल जीवाश्म इस विशाल आइरिश जीवाश्म की लंबाई 12 फीट से ज्यादा है। इसकी खोज आयरलैंड के अंतरिम में खुदाई के दौरान हुई थी। इस तस्वीर को 'द ब्रिटिश स्ट्रैंड मैगजीन ऑफ दिसंबर 1895' से लिया गया है। मैगजीन के मुताबिक, जीवाश्म की लंबाई 12 फीट 2 इंच, सीने की परिधि 6 फीट 6 इंच, बाजुओं की लंबाई 4 फीट 6 इंच है। इसके अलावा दाएं पैर में छह अंगुलियां हैं। |
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पिरामिड ऑफ अटलांटिस क्यूबा के निकट तथाकथित यूकैटन खाड़ी में वैज्ञानिकों द्वारा मेगालिथ के खंडहर के रहस्य का पता लगाने का सिलसिला जारी है। इस खोज में वे तटीय क्षेत्र का मीलों लंबा सफर तय कर चुके हैं। जिन अमेरिकी पुरातत्वविदों ने इस जगह की खोज की, उन्होंने फौरन एक घोषणा कर कहा कि उन्होंने अटलांटिस ढूंढ निकाला है। अब ये स्कूबा डाइवर्स के लिए पसंदीदा जगहों में से एक है। |
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