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अच्छी जानकारी है
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100 साल बाद किताब वापिस मिली
लाईब्रेरियन तब स्तब्ध रह गया जब एक किताब अपने जारी करने की तिथि से 100 साल बाद लौटाई गई। यह किताब ब्रिटेन के शहर नॉर्थम्बरलैंड के एक स्कूल से 20 अक्टूबर 1914 को जारी करवाई गई थी। किताब जारी कराने वाले एलबर्ट चैंबर ने मॉरपेठ ग्रामर स्कूल को बिना यह किताब वापस किए ही छोड़ दिया था। कुछ ही दिन पहले एलबर्ट चैंबर के पोते इयान ब्लेनकिनसॉप को यह किताब अपनी मां के कमरे की अटारी में धूल खाते हुए मिली थी। इयान ने इस किताब को देरी से वापस करने के लिए एक क्षमा पत्र के साथ इसे वापस स्कूल को पोस्ट कर दिया। अपने क्षमा पत्र में इयान ने यह भी जोड़ा कि उन्हें उम्मीद है कि किताब देर से जमा करने के कारण लगने वाले आर्थिक दंड को उन पर नहीं लगाया जाएगा। किताब जारी करते समय इस पर 12 पाउंड प्रतिवर्ष का लेट फाईन लगाया गया था और इस हिसाब से 100 साल में इस किताब पर 4,380 पाउंड का लेट फाइन देय था। स्कूल के हेडमास्टर मार्क सिम्पसन ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, 100 साल बाद हम इस किताब को वापस पाकर हैरान हैं, किताब बेहद अच्छी स्थिति में है और हमने यह तय किया है कि स्कूल लाईब्रेरी इस किताब के लिए इयान से किसी भी प्रकार का फाइन नहीं लेगी। |
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अलीगढ़ की क्यूट बिल्ली
उत्तर प्रदेश में अलीगढ शहर की प्यारी म्याऊं बिल्ली वाइबर को पीपुल फॉर इथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल (PETA /पेटा), भारत के क्यूटेस्ट रेस्क्यूड कैट अलाइव कॉन्टेस्ट के अंतिम 10 में जगह मिली है। विभिन्न हमलों से बचाई गई खूबसूरत और प्यारी बिल्लियों की इस प्रतियोगिता में उनके सैंकड़ों चित्र खंगालने के बाद चयनकर्ताओं ने अलीगढ की बिल्ली वाइबर को अंतिम 10 में जगह दी है। वाइबर को अरिबा जैनब ने कुत्तों से बचाया था। जैनब ने एक दिन सड़क से गुजरते हुए देखा कि वाइबर को सीवर में कुत्तों ने घेर रखा था और उस पर हमले की ताक में थे। जैनब ने तत्काल कुत्तों को वहां से भगाया और प्यारी वाइबर को घर ले आई। उस समय वाइबर 15 से 20 दिनों की थी। वह भीगी बिल्ली अब पूरे घर की दुलारी है। पेटा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूर्वा जोशीपुरा ने कहा कि वाइबर भाग्यशाली बिल्ली है। उसे बचाया गया और ढेर सारा प्यार खुशियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि हमलों से बचाई गईं सभी बिल्लियां पहले से ही विजेता हैं क्योंकि उनका जीवन लोगों ने बचाया है और उन्हें वे प्यार से पाल रहे हैं। पेटा प्रतियोगिता आयोजित कर लोगों को खरीदने के बजाय बिल्लियों को सड़क से उठाकर पालने या पशु संरक्षण गृह से गोद लेने के लिए प्रेरित कर रहा है। |
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एक रेस्तराँ जो नमक से बना है
(इन्टरनेट से) कुछ नया करने की होड़ में दुनिया भर में लोग आश्चर्यजनक प्रयोग करते रहते हैं. दक्षिण ईरान के शीराज़ शहर में एक ऐसा दो मंजिला रेस्तरां बनकर तैयार हुआ है जो सबके बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हम आपको बता दें कि यह अपने खाने की वजह से नही बल्कि इसकी खासियत तो कुछऔर है। यह रेस्तरां नमक से बना हुआ है। क्यों हो गए न हैरान! इस रेस्तरां में लोगों के बैठने के लिए फर्नीचर से लेकर बिल्डिंग और यहांतक कि किचन के निर्माण में भी नमक का इस्तेमाल किया गया है। ईरान के इसरेस्तरां में नमक का इस्तेमाल बिल्डिंग और फर्नीचर पर कोटिंग के रूप मेंकिया गया है। हालांकि इसका असर यहां मिलने वाले खाने में बहुत ही कम दिखताहै। रेस्तरां डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट का कहना है कि रेस्तरां के फर्नीचर को बनाने में नमक का इस्तेमाल तो किया गया है लेकिन यह पूरी तरह से सेफ है।इसे नमक की गुफाओं से प्रेरित होकर बनाया गया है। |
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