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aspundir 28-12-2012 08:14 PM

श्रीमद् भगवद् गीता
 
श्रीमद् भगवद् गीता -- अध्याय -(1)
(अर्जुनविषादयोग)


यदा-यदा ही धर्मस्य:,ग्लानिर्भवतिभारत:।
अभ्युत्थानमअधर्मस्य,तदात्मानमसृजाम्यहम:।।







aspundir 28-12-2012 08:15 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
धृतराष्ट्र उवाच

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥१-१॥

धृतराष्ट्र बोले- हे सञ्जय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्रमें एकत्रित, युद्धकी इच्छावाले मेरे और पाण्डुके पुत्रोंने क्या किया ।
१ ।


aspundir 28-12-2012 08:18 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
सञ्जय उवाच


दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत् ॥१-२॥


सञ्जय बोले- उस समय राजा दुर्योधनने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवोंकी सेनाको देखकर और द्रोणाचार्यके पास जाकर यह वचन कहा ।२।



aspundir 28-12-2012 08:18 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् ।


व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥३॥


हे आचार्य ! आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा व्यूहाकार खडी की हुई पाण्डुपुत्रोंकी उस बडी भारी सेनाको देखिये ।

aspundir 28-12-2012 08:18 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥१-४॥


धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् ।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः ॥१-५॥


युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् ।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः ॥१-६॥


इस सेनामें बडे-बडे धनुषोंवाले तथा युद्धमें भीम और अर्जुनके समान शूरवीर सात्यकि और विराट तथा महारथी राजा द्रुपद, धृष्टकेतु और चेकितान तथा बलवान् काशिराज, पुरुजित्, कुंतिभोज और मनुष्योंमें श्रेष्ठ शैब्य, पराक्रमी युधामन्यु तथा बलवान् उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु एवं द्रौपदीके पाँचों पुत्र- ये सभी महारथी है ।



aspundir 28-12-2012 08:18 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम ।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥७॥


हे ब्राह्मणश्रेष्ठ ! अपने पक्षमें भी जो प्रधान हैं, उनको आप समझ लीजिये । आपकी जानकारीके लिए मेरी सेनाके जो-जो सेनापति है, उनको बतलाता हूँ ।




aspundir 28-12-2012 08:19 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकणॅश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥८॥


आप (आचार्य द्रोण) और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्राम विजयी कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्तका पुत्र भूरिश्रवा ।




aspundir 28-12-2012 08:19 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः ।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ॥९॥


और भी मेरे लिये जीवन त्याग देनेवाले बहुत-से शूरवीर अनेक प्रकारके शस्त्रास्त्रोंसे सुसज्जित और सभी युद्ध में चतुर हैं ।




aspundir 28-12-2012 08:20 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् ।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ॥१०॥



भीष्मपितामह द्वारा रक्षित हमारी वह सेना अपर्याप्त है और भीम द्वारा रक्षित इन लोगोंकी यह सेना पर्याप्त है ।




aspundir 28-12-2012 08:20 PM

Re: श्रीमद् भगवद् गीता
 
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः ।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि ॥११॥


इसलिये सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए आप सभी निःसन्देह भीष्मपितामहकी ही सब ओरसे रक्षा करें ।





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