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jai_bhardwaj 01-11-2010 12:24 AM

Quote:

Originally Posted by jalwa (Post 8188)

जान लेनी ही थी तो कह दिया होता
मुस्कराने की क्या जरूरत थी

:)

यह हालिया बयान तुमने पढ़ा नहीं है ?
'जय' फिर अब किसी से बावफा नहीं है !!

jai_bhardwaj 01-11-2010 12:30 AM

मेरे रोजे हराम हो गए , 'जय' तेरे ही कारण !
जालिम ने मुझे फिर से गम को खिला दिया //

jai_bhardwaj 02-11-2010 11:50 PM

अगर मैं डाल से टूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ
तुम्हारा साथ यदि छूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ
तुम्हारी आँख में स्थिर अभी, 'जय' आंसू बन करके
पलक झपकाओगे यदि तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ //

jai_bhardwaj 03-11-2010 12:07 AM

तुम्हारी आँख में आंसू तो मेरी आँख में भी हैं
मगर दोनों के आंसू में थोड़ी 'जय' खराबी है /
तनिक महसूस करलो तुम इन्हें हलके से छू करके
तुम्हारे आंसू ठन्डे हैं, मेरे आंसू में गर्मी है //

aksh 03-11-2010 12:30 AM

जय भैया ! एक दम झकास सूत्र है आपका. मजा आ गया, झकजोर दिया आपने.

sam_shp 03-11-2010 04:03 AM

जयभाई......सूत्र की सुरुआत धमाकेदार की है और अब तो अनजाना जी का साथ भी है तो उमीद करते है की एक से बढकर एक प्रस्तुति की भरमार होंगी......
धन्यवाद.

ndhebar 03-11-2010 06:13 PM

धोखे से लूट ले जा सकते हो तुम भी,

पर कोशिश न करना कीमत लगाने की,

जिसके बदले में बिक जाये इमान मेरा,

औकात इतनी नहीं अभी इस ज़माने की/

jai_bhardwaj 03-11-2010 11:56 PM

Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 9300)
धोखे से लूट ले जा सकते हो तुम भी,

पर कोशिश न करना कीमत लगाने की,

जिसके बदले में बिक जाये इमान मेरा,

औकात इतनी नहीं अभी इस ज़माने की/

बंजारा इक घूम रहा है प्रियतम की गलियों में
खोज रहा है साथी अपना तितली में कलियों में
प्रेम के बदले प्रेम मिलेगा ऐसी 'जय' गलियाँ हैं
धोखे से जो साथी लूटें, वे गिने जायेंगे छलियों में

jai_bhardwaj 03-11-2010 11:57 PM

हम नहीं कहते, ज़माना भर ये कहता है
तेरा यह शबाब है या कोई लावा बहता है
पास जिसके तुम रहो, 'जय' दूर जाना चाहता
दूर जिससे तुम रहो, नजदीकियों को मरता है

jai_bhardwaj 03-11-2010 11:58 PM

चलो, आओ, सब मिल करे, नया एक खेल खेलेंगे
जो बैठे सामने होंगे, उन्हें 'जय' आज खोजेंगे !!
हमारा हश्र यह होगा, बनेगें चोर फिर फिर से ,
भले ही जीभ चुप हो ले, आँख से आप बोलेंगे !!


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