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rajnish manga 22-10-2016 02:59 PM

प्रेरक लघु कथायें
 
कैंची और सुई

एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकानपर चला गया ।

वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।

उत्तर था- बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।

(इन्टरनेट से)


rajnish manga 22-10-2016 03:03 PM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
तीन साधु

एक औरत अपने घर से निकली , उसने घर के सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधू-महात्माओं को बैठे देखा . व
उन्हें पहचान नही पायी .
उसने कहा , ” मैं आप लोगों को नहीं पहचानती , बताइए क्या काम है ?”
हमें भोजन करना है .”, साधुओं ने बोला .
ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये .
क्या तुम्हारा पति घर में है ?” , एक साधू ने प्रश्न किया .
नहीं, वह कुछ देर के लिए बाहर गए हैं .औरत ने उत्तर दिया .
तब हम अन्दर नहीं आ सकते “, तीनो एक साथ बोले .
थोड़ी देर में पति घर वापस आ गया , उसे साधुओं के बारे में पता चला तो उसने तुरंत अपनी पत्नी से उन्हें पुन: आमंत्रित करने के लिए कहा।औरत ने ऐसा ही किया , वह साधुओं के समक्ष गयी और बोली,” जी, अब मेरे पति वापस आ गए हैं , कृपया आप लोग घर में प्रवेश करिए !
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rajnish manga 22-10-2016 03:06 PM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
हम किसी घर में एक साथ प्रवेश नहीं करते .साधुओं ने स्त्री को बताया .
ऐसा क्यों है ?” औरत ने अचरज से पूछा .
जवाब में मध्य में खड़े साधू ने बोला ,” पुत्री मेरी दायीं तरफ खड़े साधू का नाम धनऔर बायीं तरफ खड़े साधू का नाम सफलताहै , और मेरा नामप्रेमहै . अब जाओ और अपने पति से विचार-विमर्श कर के बताओ की तुम हम तीनो में से किसे बुलाना चाहती हो।
औरत अन्दर गयी और अपने पति से सारी बात बता दी . पति बेहद खुश हो गया . वाह , आनंद आ गया , चलो जल्दी से धनको बुला लेते हैं , उसके आने से हमारा घर धन-दौलत से भर जाएगा , और फिर कभी पैसों की कमी नहीं होगी .
औरत बोली ,” क्यों न हम सफलता को बुला लें , उसके आने से हम जो करेंगे वो सही होगा , और हम देखते-देखते धन-दौलत के मालिक भी बन जायेंगे .
हम्म , तुम्हारी बात भी सही है , पर इसमें मेहनत करनी पड़ेगी , मुझे तो लगता ही धन को ही बुला लेते हैं .” , पति बोला .
थोड़ी देर उनकी बहस चलती रही पर वो किसी निश्चय पर नहीं पहुच पाए , और अंतत: निश्चय किया कि वह साधुओं से यह कहेंगे कि धन और सफलता में जो आना चाहे आ जाये।
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rajnish manga 22-10-2016 03:07 PM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
औरत झट से बाहर गयी और उसने यह आग्रह साधुओं के सामने दोहरा दिया .
उसकी बात सुनकर साधुओं ने एक दूसरे की तरफ देखा और बिना कुछ कहे घर से दूर जाने लगे।
अरे ! आप लोग इस तरह वापस क्यों जा रहे हैं ?” , औरत ने उन्हें रोकते हुए पूछा .
पुत्री ,दरअसल हम तीनो साधू इसी तरह द्वार-द्वार जाते हैं , और हर घर में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं , जो व्यक्ति लालच में आकर धन या सफलता को बुलाता है हम वहां से लौट जाते हैं , और जो अपने घर में प्रेम का वास चाहता है उसके यहाँ बारी- बारी से हम दोनों भी प्रवेश कर जाते हैं . इसलिए इतना याद रखना कि जहाँ प्रेम है वहां धन और सफलता की कमी नहीं होती ।”, ऐसा कहते हुए धन और सफलता नामक साधुओं ने अपनी बात पूर्ण की.


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rajnish manga 27-11-2016 03:21 PM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
मीठा फल

एक बादशाह अपने गुलाम से बहुत प्यार करता था ।
एक दिन दोनों जंगल से गुज़र रहे थे, वहां एक वृक्ष पर एक ही फल लगा था ।
हमेशा की तरह बादशह ने एक फांक काटकर गुलाम को चखने के लिये दी ।
गुलाम को स्वाद लगी, उसने धीरे-धीरे सारी फांक लेकर खा ली और आखरी फांक भी झपट कर खाने लगा ।
बादशह बोला, हद हो गई । इतना स्वाद । गुलाम बोला, हाँ बस मुझे ये भी दे दो ।
बादशह से ना रहा गया, उसने आखरी फांक मुह में ड़ाल ली ।
वो स्वाद तो क्या होनी थी, कडवी जहर थी ।
बादशह हैरान हो गया और गुलाम से बोला, "तुम इतने कडवे फल को आराम से खा रहे थे और कोई शिकायत भी नहीं की ।"
गुलाम बोला, "जब अनगिनत मीठे फल इन्ही हाथो से खाये और अनगिनत सुख इन्ही हाथो से मिले तो इस छोटे से कडवे फल के लिये शिकायत कैसी ।"
मालिक मैने हिसाब रखना बंद कर दिया है, अब तो मै इन देने वाले हाथों को ही देखता हूँ ।
बादशाह की आँखों में आंसू आ गए । बादशाह ने कहा, इतना प्यार और उस गुलाम को गले से लगा लिया ।
Moral- हमे भी परमात्मा के हाथ से भेजे गये दुःख और सुख को ख़ुशी ख़ुशी कबूल करना चाहिये ।
इसकी परमात्मा से शिकायत नहीं करनी चाहिए ।

rajnish manga 27-11-2016 03:26 PM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
समोसे की दुकान

एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी.
लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहा आकर समोसे खाया करते थे.
एक दिन कंपनी के एक मॅनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये.
मॅनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छेसे मेंटेन की है. लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टॅलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मॅनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा. और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है. 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी. तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी 10 हजार.
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुच गया.
आज आप महीना 50000 कमाते है
और मै महीना 200000
लेकीन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ.
ये तो मै बच्चो के कारण कह रहा हूँ.

rajnish manga 27-11-2016 03:29 PM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाइ पर धंदा शुरू किया था. मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा.
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी. मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे.
जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे..
अब आपके बेटे को आप डिरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना..
उसे भी आपकी ही तरह झीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहा अभी आप हो.
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टॅलेंट बर्बाद हो रहा है? "
मॅनेजर साहब ने समोसेवाले को २ समोसे के २० रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहा से खिसक लिये...!

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rajnish manga 13-12-2016 09:38 AM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
कुत्ता होना या आदमी होना

एक कुत्ता अपने परिवार के साथ सैर को निकला. छोटा-सा परिवार था उसका. पति-पत्नी और साथ में तीन बच्चे. कुतिया और कुत्ता आपस में बतिया रहे थे. कुतिया बोली
आदमी होना कितना अच्छा है!
हूं…’ कुत्ते ने हामी भरी….सिर्फ हामी.
आदमी ने अपने रहने के लिए ऊंचे-ऊंचे मकान बनाए हुए हैं. हवाई जहाज, कार, रेलगाड़ियों से वह आता-जाता है….आरामदायक गद्दों पर सोता है….’
हूं…!’ कुत्ता मौन रहकर सुनता रहा.
चंद्रमा पर उसके कदम पड़ चुके हैं. बहुत जल्दी वह मंगल ग्रह पर भी अपना झंडा फहराने वाला है….’ कुतिया पूरे जोश के साथ आदमी की महिमा का बखान कर रही थी. तभी उछलते-कूदते चल रहे पिल्लों में से दो न जाने कहां से हडि्डयां उठा लाए. तीसरा पिल्ला ललचाई नजरों से अपने भाइयों को देखने लगा. अचानक कुत्ते के नथुने फड़क उठे. वह दोनों पिल्लों पर झपटा और उनके मुंह से हडि्डयां छीनकर दूर फेंक दीं. कुतिया हैरान थी. तभी आदमियों के दो झुंड आपस में झगड़ते हुए दिखाई पड़े. कुत्ता यह देखते ही विपरीत दिशा में भाग छूटा. कुतिया और पिल्लों ने भी उसका साथ दिया.

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rajnish manga 13-12-2016 09:39 AM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
काफी दूर जाकर वे रुके. एक पुराने खाली मकान में शरण लेने के बाद कुत्ता बोला
तुम्हें लगता होगा कि आदमी ने तरक्की कर ली है. मगर मुझे तो कोई अंतर नजर नहीं आता. कई मामलों में वह आज भी पहले जितना ही जंगली है. धर्म और ईमान के नाम पर अपनों के साथ मारकाट….छि:-छि:! अगर यही बड़प्पन है तो लानत है उसके आदमीपन पर.कुत्ते के स्वर में घृणा भरी हुई थी. कुतिया की सांसें चढ़ी हुई थीं. परंतु कुछ सवाल उसके जहन में अभी भी कुलबुला रहे थे. सो पूछा
रास्ते में बच्चों के हडि्डयां उठा लेने पर आप अकस्मात उखड़ क्यों गए थे….खेलने देते उन्हें?’
तुम नहीं जानतीं….वे हडि्डयां उन दो दोस्तों की थीं जो कभी बहुत गहरे दोस्त हुआ करते थे. अलग-अलग धर्म के थे. किंतु मित्रता इतनी गहरी थी कि लोग उसकी मिसाल दिया करते थे. एक बार सुना कि वे किसी सफर में थे. रास्ते में उन्हें एक खूबसूरत पत्थर दिखाई पड़ा….’

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rajnish manga 13-12-2016 09:41 AM

Re: प्रेरक लघु कथायें
 
मैं इसे मंदिर में लगवाऊंगा….भगवान की मूर्ति के ठीक नीचे.उनमें से एक बोला.
नहीं, यह मस्जिद में ही ज्यादा जंचेगा. खूबसूरत चीजें अल्लाह के करीब होंतो वे अनमोल बन जाती हैं.दूसरे ने बात काटी. उसके बाद दोनों अपनी-अपनीजिद पर अड़ गए. धर्मांधता की आंधी चली, जिसमें उनकी सालों पुरानी दोस्तीबहती चली गई. नफरत का ज्वार दोनों की जान लेकर ही माना.कहकर कुत्ता कुछदेर के लिए चुप हुआ, फिर बोला
लड़ते-झगड़ते तो हम भी है. परंतु मामूली-सी बात पर किसी की जान तो नहीं लेते.
तुम ठीक कहते हो जी. आदमी इतराता रहे अपनी उपलब्धियों और आविष्कारोंपर….हम तो कुत्ते ही भले.कुतिया ने कहा और बच्चों को अपनी अंक में समेटलिया.

(internet se)
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