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rajnish manga 02-10-2014 10:43 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
मजेदार जर्मन मुहावरे
सारे कप अल्मारी में नहीं

यहां कप और अल्मारी के चक्कर में मत पड़िए. यही बात अगर हिन्दी में कही जाएगा तो कुछ यूं, 'दिमाग ठिकाने पर नहीं हैया फिर स्क्रू ढीला हो गया है’.

rajnish manga 02-10-2014 10:47 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
मजेदार जर्मन मुहावरे
मुझे सिर्फ स्टेशन समझ आता है


इस जर्मन कहावत को सुनकर लग सकता है कि कहने वाले को सिर्फ रेल्वे स्टेशन वाली भाषा बोलता है लेकिन असल में इसका मतलब दुविधा से है. यानि सुनने वाले को कही गई बात समझ नहीं आ रही.

rajnish manga 02-10-2014 10:51 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
मजेदार जर्मन मुहावरे
मेरी नाक भरी हुई है


इस मुहावरे को कहने वाला जुकाम का मरीज नहीं. उसका मतलब है कि अब बस बहुत हुआ. अब मेरे सब्र की और परीक्षा न लो.

rajnish manga 02-10-2014 10:54 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
मजेदार जर्मन मुहावरे
जश्न की रात



दफ्तर में लंबे, थकान भरे दिन के बाद जर्मनी में साथी अक्सर जश्न भरी रात की शुभकामनाएं देते हैं. ये शुभकामनाएं आपको अच्छी शाम के लिए दी जाती हैं, काम खत्म होने के बाद.

rajnish manga 02-10-2014 11:01 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
3 Attachment(s)
मजेदार जर्मन मुहावरे
मेरी नजर में यह सॉसेज है


काम खत्म करने के बाद दोस्तों के साथ शाम को बैठे आप अगर यह जुमला कहेंगे तो वे समझ जाएंगे कि आप सॉसेज की बात नहीं कर रहे, बल्कि मतलब है कि आपकी इस मुद्दे पर कोई राय नहीं है.

rajnish manga 02-10-2014 11:05 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
मजेदार जर्मन मुहावरे
अंगूठे दबाकर


जर्मनी में जब दोस्त गुड लक कहते हैं तो वे इस तरह कहते है.

rajnish manga 02-10-2014 11:07 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
मजेदार जर्मन मुहावरे
झूठ के पांव छोटे होते हैं


झूठ के सहारे कुछ दूरी तो तय की जा सकती है लेकिन यह बहुत देर तक छुपता नहीं. जाहिर है इस मुहावरे के जरिए भी यही कहने की कोशिश हो रही है.

rajnish manga 02-10-2014 11:11 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
रूसी भाषा का एक मुहावरा:
मुहावरा: सेम प्यातनित्स ना निदेल्ये
अर्थ: एक हफ़्ते में सात शुक्रवार भावार्थ: बार-बार अपनी राय बदलना

यह मुहावरा कैसे शरू हुआ इस बारे में एक रोचक प्रसंग बताया जाता है. बहुत पहले की बात है. उन दिनों हर शुक्रवार अवकाश का दिन होता था. जितने भी कामगार होते थे वे शुक्रवार को ही अपनी सप्ताह भर की जरुरत का सामान खरीदने हाट में आया करते थे. कभी कभी उन्हें अपनी जरुरत का कोई सामान बाजार में नहीं मिल पाता था, इस पर वे दुकानदार से कहते कि वह अगले हफ्ते (शुक्रवार को) उनका यह सामान अवश्य लेता आये. दुकानदार भी उन्हें सामान लाने का आश्वासन देते लेकिन फिर भूल जाते. अगले शुक्रवार को ग्राहक अपने बताये हुए सामान की मांग करते तो दुकानदार उनसे माफ़ी मानते हुए कहता कि वह अगले हफ्ते जरुर ले आयेगा. लेकिन अगली बार भी सामान न लाता और कुछ न कुछ बहाना बना देता. इस प्रकार कई शुक्रवार निकल जाते पर ग्राहक को उसका फरमाइशी सामान न मिल पाता. तभी से यह मुहावरा बोलचाल की भाषा में चल निकला “सेम प्यातनित्स ना निदेल्ये” अर्थात् “एक हफ्ते में सात शुक्रवार”. इसका तात्त्पर्य यह है की आलसी व्यक्ति या काम न करने वाले व्यक्ति के लिए सप्ताह के सातों दिन यानी हर दिन अवकाश का दिन है. ऐसा व्यक्ति प्रतिदिन अपनी राय बदलता रहता है और काम न करने पर बहाने तलाशता है.

rajnish manga 02-10-2014 11:16 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
एक चीनी मुहावरा
मुहावरा: वीणा के तार तोड़ना

ज़ेन कथाएं हमें चेतनशील जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं । ज़ेन कथाओं में व्यक्ति की चेतना का अनेक-अनेक ढ़ँग से अवबोध कराने का प्रयास रहता है । इनके द्वारा दैनिक जीवन में सजगता के प्रयोग को गहराया जाता है और व्यक्ति को ध्यान में अवस्थित होने का अवसर मिलता है । इसी प्रकार की एक ज़ेन कथा प्रस्तुत है :-

चीन में दो मित्र हुए । एक मित्र वीणा वादन में कुशल था । उसके वीणा वादन में विभिन्न स्वर लहरियाँ थी । जब वह वीणा के तार झंकृत करता था, तो दूसरा उसके स्वरों को डूब कर सुनता था । जब पहला वीणा से कोई पहाड़ी धुन छेड़ता, तो दूसरा कहता, मेरी आँखों के सम्मुख पर्वतों की चोटियाँ सजीव हो उठी हैं और घाटियों की प्रतिध्वनि गूँज उठी है ।

वादक पानी के सुर लगाता, तो दूसरा मित्र कहता, ऐसा लगता है जैसे कल-कल करती नदी मेरे सम्मुख प्रवाहित हो रही है । एक मित्र के पास वीणा वादन की कुशलता थी तो दूसरे के पास सुनने की अद्-भूत कर्ण शक्ति ।

एक दिन सुनने वाला मित्र बीमार पड़ा और जल्दी ही देह से मुक्त हो गया । वीणा वादक ने अपनी वीणा के तार तोड़ डाले और कहते हैं कि फिर उसने कभी वीणा नहीं बजाई ।

क्यो ?

लेकिन तब से चीन में एक मुहावरा प्रचलित हो गया - "वीणा के तार तोड़ना" , जिसका अर्थ है : अटूट मित्रता ।

(आभार: मनोज भारती)

rajnish manga 05-10-2014 11:18 PM

Re: मुहावरों की कहानी
 
पैरों वाले मुहावरे
(आलेख आभार: गुरमीत बेदी)


वैसे मुहावरे तो मैंने बहुत सुन रखे हैं, लेकिन कुछ मुहावरे ऐसे हैं जो सरकारी योजनाओं की तरह ग्राउंड लेवल से शुरू होते हैं। ग्राउंड लेवल मतलब निचला स्तर, और निचला स्तर मतलब आदमी के पैर। अब कोई कितना भी नीचे क्यों न गिर जाए, लेकिन अपने पैरों से नीचे थोड़े ही गिर सकता है। ज्यादा से ज्यादा पैरों पर ही गिरेगा न।


अब पैरों की बात चली है तो इतना बता दें कि पैरों को लेकर चार डिफरेंट किस्म के मुहावरे मुझे बहुत प्रिय हैं
, जिनमें से एक है- पैर पकड़ना, दूसरा है -अपने पैरों पर खड़े होना, तीसरा है- अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना और चौथा है- चादर देखकर पैर पसारना। वैसे पैरों को लेकर एक मुहावरा यह भी है कि झूठ के पैर नहीं होते,
लेकिन यहां हम नेताओं की तरह झूठ-मूठ की बात नहीं करेंगे और मुहावरों के चार शुरुआती आप्शंस पर ही चर्चा करेंगे ।



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