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DevRaj80 05-01-2015 03:32 PM

प्रेम ... समय
 



क्या वास्तव में प्रेम समय के साथ फीका पड जाता है


सच्चे दिल से जवाब देने की कोशिश करे मित्रो ...


विषय संवेदनशील जरूर है पर ग्राह्य है ...


DevRaj80 05-01-2015 03:37 PM

Re: प्रेम ... समय
 


Why does love fade over time
Is it because either of the couple or both start taking things for granted.
Is it because after sometime love becomes boring.

Now for some couple, instead of love fading over time it keeps growing.
So what are the ways to control fading and promote growth in a relation.

__________________

DevRaj80 05-01-2015 03:39 PM

Re: प्रेम ... समय
 
'There is nothing called love.



Everyone is just wanting to have a good time,



and wanting to be with someone who can provide that'

Pavitra 05-01-2015 05:02 PM

Re: प्रेम ... समय
 
वो प्रेम ही क्या जो समय के साथ फीका पड़ जाये ? …वो प्रेम नहीं हो सकता जो समय के साथ अपना स्वरुप बदल दे। …वो महज़ आकर्षण होता है जो समय के साथ फीका पड़ता है।

प्यार तो समय के साथ और गहराता है , फीका नहीं पड़ता। क्यूंकि समय प्यार को धैर्य, समझ , त्याग सिखा देता है जिससे प्यार और भी मज़बूत हो कर सामने आता है। प्रेम और शांति मानव स्वाभाव के मूल अंग हैं। ये हमारे अंदर हमेशा ही विद्यमान रहते हैं। जैसे पानी हमारे शरीर में हमेशा मौजूद रहता है और जब पानी की कमी हमें महसूस होती है जो हम कहते हैं कि हमें प्यास लगी है ठीक वैसे ही शांति और प्रेम हमारे अंदर ही मौजूद हैं , जब क्रोध , निराशा , उपेक्षा के कारण हमारे अंदर शांति और प्रेम की कमी होती है तब हम बाहर इनकी तलाश करते हैं।

अब आपने पूछा कि ऐसा क्या करें कि प्यार फीका न पड़े बल्कि और प्रगाढ हो जाये ? तो इसके लिए सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।

और अगर वास्तव में रिश्ते में प्यार है तो फिर आपको किसी और से पूछने की जरूरत ही नहीं होगी कि प्यार फीका न पड़े इसके लिए क्या करें ? क्युकी जैसा मैंने पहले भी कहा प्यार फीका नहीं पड़ सकता।
प्यार सिर्फ प्यार होता है , बहुत प्यार - कम प्यार- सच्चा प्यार- झूठा प्यार ऐसा कुछ नहीं होता प्यार में। …। या तो प्यार होता है या तो प्यार नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि उन्हें सच्चे प्यार की तलाश है वास्तव में वो भ्रमित लोग हैं। क्यूंकि प्यार तो होता ही वो है जो "सच्चा" है। बाकि आजकल आकर्षण व अपनेपन को भी लोग प्यार समझने की गलती कर लेते हैं , इसीलिए उन्हें प्यार के दूर हो जाने , फीके पड़ जाने या प्यार में धोखा मिलने का डर होता है।

हर व्यक्ति के लिए प्यार की अलग ही परिभाषा होती है जो प्यार हो जाने के बाद स्वयं ही समझ आती है। इसलिए हर इंसान को स्वयं ही इसकी खोज करनी चाहिए।

DevRaj80 05-01-2015 05:10 PM

Re: प्रेम ... समय
 
Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 545282)
वो प्रेम ही क्या जो समय के साथ फीका पड़ जाये ? …वो प्रेम नहीं हो सकता जो समय के साथ अपना स्वरुप बदल दे। …वो महज़ आकर्षण होता है जो समय के साथ फीका पड़ता है।

प्यार तो समय के साथ और गहराता है , फीका नहीं पड़ता। क्यूंकि समय प्यार को धैर्य, समझ , त्याग सिखा देता है जिससे प्यार और भी मज़बूत हो कर सामने आता है। प्रेम और शांति मानव स्वाभाव के मूल अंग हैं। ये हमारे अंदर हमेशा ही विद्यमान रहते हैं। जैसे पानी हमारे शरीर में हमेशा मौजूद रहता है और जब पानी की कमी हमें महसूस होती है जो हम कहते हैं कि हमें प्यास लगी है ठीक वैसे ही शांति और प्रेम हमारे अंदर ही मौजूद हैं , जब क्रोध , निराशा , उपेक्षा के कारण हमारे अंदर शांति और प्रेम की कमी होती है तब हम बाहर इनकी तलाश करते हैं।

अब आपने पूछा कि ऐसा क्या करें कि प्यार फीका न पड़े बल्कि और प्रगाढ हो जाये ? तो इसके लिए सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।

और अगर वास्तव में रिश्ते में प्यार है तो फिर आपको किसी और से पूछने की जरूरत ही नहीं होगी कि प्यार फीका न पड़े इसके लिए क्या करें ? क्युकी जैसा मैंने पहले भी कहा प्यार फीका नहीं पड़ सकता।
प्यार सिर्फ प्यार होता है , बहुत प्यार - कम प्यार- सच्चा प्यार- झूठा प्यार ऐसा कुछ नहीं होता प्यार में। …। या तो प्यार होता है या तो प्यार नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि उन्हें सच्चे प्यार की तलाश है वास्तव में वो भ्रमित लोग हैं। क्यूंकि प्यार तो होता ही वो है जो "सच्चा" है। बाकि आजकल आकर्षण व अपनेपन को भी लोग प्यार समझने की गलती कर लेते हैं , इसीलिए उन्हें प्यार के दूर हो जाने , फीके पड़ जाने या प्यार में धोखा मिलने का डर होता है।

हर व्यक्ति के लिए प्यार की अलग ही परिभाषा होती है जो प्यार हो जाने के बाद स्वयं ही समझ आती है। इसलिए हर इंसान को स्वयं ही इसकी खोज करनी चाहिए।



बहुत बहुत सही कहा आपने पवित्रा जी .... मेरी भी कुछ ऐसी ही सोच रही है ...परन्तु ...


आपके लिए :bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:

DevRaj80 05-01-2015 05:14 PM

Re: प्रेम ... समय
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 545282)



जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।




बेहतरीन सोच का प्रदर्शन .... परन्तु कभी कभी हम जान ही नहीं पाते ....

क्या ये जानने के भी कोई तरीके हैं ....

Pavitra 05-01-2015 06:00 PM

Re: प्रेम ... समय
 
आपका सवाल थोड़ा मुश्किल है कि कैसे जानें कि प्यार है कि नहीं ? क्यूंकि ये तो वही व्यक्ति जान सकता है जिसे प्यार हुआ है और जिससे प्यार हुआ है। पर फिर भी मैं अपनी समझ से इसका जवाब देने की कोशिश करती हूँ।

प्यार में उतावलापन सही नहीं होता , मान लीजिये कि हमें कोई पसंद आया और हमने झट से ये सोच लिया कि हमें प्यार हुआ है, क्यूंकि मैं Love at first Sight के Concept को ज़्यादा admire नहीं करती। मैं इसे Deny नहीं कर रही पर मुझे लगता है कि पहली नज़र में जो होता है वो -Crush , infatuation , attraction होता है।

सबसे आसान तरीका है ये जानने का कि प्यार है या नहीं कि हम ये देखें कि - क्या हमारे पास उसे प्यार करने का कोई कारण है ? खुद से पूछें कि आप क्यों उसे प्यार करते हैं ? -

वो बहुत सुन्दर है।
-तो कल अगर वो सुन्दर न रही तो प्यार खत्म।

वो बहुत अच्छा इंसान है।
-तो अगर कल वो कोई Criminal बन गया तो प्यार खत्म।

वो बहुत दयालु है।
-तो अगर कल वो Cruel बन गया तो प्यार खत्म।

वो कभी किसी का बुरा नहीं कर सकता।
-तो अगर कल उसने किसी के साथ बुरा कर दिया तो प्यार खत्म।

जब तक आपके पास इस क्यों का जवाब रहेगा तब तक प्यार हो ही नहीं सकता। जिस दिन आपको कोई ऐसा मिल जाये जिसे प्यार करने के लिए आपके पास कोई वजह न हो तो समझ लीजियेगा कि यही प्यार है।

DevRaj80 05-01-2015 07:00 PM

Re: प्रेम ... समय
 
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Deep_ 05-01-2015 10:18 PM

Re: प्रेम ... समय
 
एक फिलोसोफी है, हर सवाल का जवाब कुदरत के अंदर छुपा हुआ होता है। अगर आपके मन में वाकई कोई मसला है जो हल नहि हो रहा, आप कुदरत (पेड पौधे, फुल, सागर, नदी, बरसात, बादल, अग्नि आदी) के साथ उसे जोड कर, भंग कर के देखो। आपको समाधान जरूर मिलेगा। पुराने संत-मौला, साधु-मौलवी, लेखक-विचारक एसे ही लोगो को जीने की राह दिखाते है।

मेरे मतानुसार प्रेम सागर की तरह है। ईसमें ज्वार-भाटा आ सकता है। तुफान, सुनामी आ सकती है। यह कभी उपर उपर से जम कर बर्फ भी बन सकता है। यह करोडो-अरबो जीव-जंतु का पोषक है और यह पुरे शहेर के शहेर भी डुबो सकता है।

लेकिन यह कभी सुखता नही है।

rajnish manga 06-01-2015 07:30 AM

Re: प्रेम ... समय
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 545333)

......
जब तक आपके पास इस क्यों का जवाब रहेगा तब तक प्यार हो ही नहीं सकता। जिस दिन आपको कोई ऐसा मिल जाये जिसे प्यार करने के लिए आपके पास कोई वजह न हो तो समझ लीजियेगा कि यही प्यार है।

Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 545445)
एक फिलोसोफी है, हर सवाल का जवाब कुदरत के अंदर छुपा हुआ होता है .....

मेरे मतानुसार प्रेम सागर की तरह है। ईसमें ज्वार-भाटा आ सकता है। तुफान, सुनामी आ सकती है। यह कभी उपर उपर से जम कर बर्फ भी बन सकता है। यह करोडो-अरबो जीव-जंतु का पोषक है और यह पुरे शहेर के शहेर भी डुबो सकता है।

लेकिन यह कभी सुखता नही है।

पवित्रा जी, आपने बड़े तर्कपूर्ण तरीके से प्रश्न का उत्तर व समाधान देने की कोशिश की है और दीप जी ने दार्शनिक अंदाज़ में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं. आप दोनों को इस विचार विमर्श के लिए धन्यवाद के पात्र हैं.


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