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rajnish manga 28-02-2013 09:47 PM

प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम


शेख़ सादी / गुलिस्तां

निम्नलिखित कहानियाँ शेख़ सादी (शेख़ मुस्लीहुद्दीन) की विश्व प्रसिद्ध रचना “गुलिस्ताँ “ से ली गयी हैं.शेख़ सादी (1184-1291 ई.) फ़ारसी के महान और सार्वाधिक लोकप्रिय शायर माने जाते हैं.सादी सौ वर्ष से अधिक समय तक जीवित रहे.अपने जीवन का एक चौथाई हिस्सा सादी ने यात्राओं में बिताया. ऐसा माना जाता है कि इन्हीं यात्राओं के दौरान वह मध्य एशिया, भारत, सीरिया, मिस्र और अरब दुनिया के कई देशों में गया. “गुलिस्ताँ” या ‘गुलाब का बाग़’ (1258 ई.) शेख़ सादी की सर्वोत्तम रचना मानी जाती है. इसमें गद्य और कविता दोनों का सुन्दर रूप दिखाई देता है. इस पुस्तक में सार्वजनिक और वैयक्तिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का ज़िक्र किया गया है, उन को समझाने के लिए कहानियां कही गई हैं जिनमे आम आदमी के लिए शिक्षाए भरी हुयी हैं. शेख़ सादी की कई कहानियाँ पंचतंत्र की कथाओं से मिलती जुलती हैं. उनकी दूसरी महत्वपूर्ण कृति का नाम है ‘बोस्तां’ या ‘फूलों का बाग़’ (1257 ई. ). गुलिस्तां में कुल आठ प्रकरण हैं और प्रत्येक में नीति और सदाचार के विभिन्न सिद्धांतों का वर्णन मिलता है.

rajnish manga 28-02-2013 09:52 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
गुलिस्ताँ की चंद कथाएं
1. मुबारकबाद

किसी ने नौशेरवां बादशाह के दरबार में आ कर अर्ज़ किया, “ मुबारक हो! खुदा ने आपके फलां दुश्मन को दुनियां से उठा लिया.” बादशाह ने कहा, “क्या तुझे ये खबर मिली है कि खुदा मुझे छोड़ देगा? दुश्मन की मौत पर खुश होने का क्या मौका है जब हमें एक दिन खुद मरना है?”

2. पांव जूते में

मैंने कभी कीमत की शिकायत नहीं की मगर मैं नंगे पांव था और मेरे पास जूता नहीं था.इस दर्द के साथ मैं कुफ़े (शहर का नाम) की मस्जिद मैं दाखिल हुआ. वहां मैंने एक आदमी को देखा जिसके पांव ही नहीं थे. उसे देख कर मैं अपनी हालत पर खुश हुआ और खुदा का शुक्र बजा लाया. सच है पेट भरे आदमी के लिए मुर्ग़ भी घास के बराबर है और भूखे आदमी के लिए जला हुआ शलगम भी भुने हुए मुर्ग़ से कम नहीं.

3. घर की खबर नहीं

एक नजूमी अपने घर लौटा तो उसने वहां एक ग़ैर आदमी को अपनी बीवी के साथ देखा. बहुत हैरान हुआ. गुस्से में आकर उसे गालियाँ दीं और झगड़ा शुरू हो गया. एक अक्लमंद आदमी जो ये सब देख रहा था बोला, “मियां, तुम आसमान की बातें कैसे करते हो, जब तुम्हें अपने ही घर की खबर नहीं?”
(साभार- श्री गोपी चंद नारंग – Readings in literary Urdu prose)

rajnish manga 28-02-2013 09:55 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
4. एक अत्याचारी बादशाह ने किसी साधु से पूछा मेरे लिए कौन सी उपासना उत्तम है. साधु ने कहा कि दोपहर तक सोते रहना ही तुम्हारे लिए उत्तम है ताकि तुम अपनी प्रजा को उतना समय सता न सको.

5. एक दिन खलीफा हारून रशीद का शहजादा क्रोध से भर कर पिता के पास आ कर बोला कि मुझे एक सिपाही के लड़के ने गाली दी है. राजा के सलाहकारों ने कहा कि सिपाही के लड़के को पकडवा कर सख्त सजा दी जाये. लेकिन राजा ने शहजादे से कहा कि बेहतर तो यही है कि तुम उसे माफ़ कर दो. यदि नहीं कर सकते तो तुम भी उसे गाली दे दो.

rajnish manga 28-02-2013 09:56 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
6. एक साधु वन में तपस्या करता था. एक दिन राजा वन से गुज़रा तो साधु ने कोई ध्यान नहीं दिया. तब मंत्री ने उससे कहा कि राजा तुम्हारे सामने से गुज़रे तो तुमने उनका सम्मान नहीं किया. साधू ने कहा, “महाराज, नमस्कार और प्रणाम की आशा उससे रखें जो उनसे कुछ चाहता हो. दूसरे, राजा प्रजा की रक्षा के लिए है न कि प्रजा राजा की बन्दगी के लिए.”

7. एक बार मैं बलख से कुछ यात्रियों के साथ आ रहा था. हमारे साथ एक बलवान नवयुवक था जो अपनी वीरता की शेखी बघार रहा था. रास्ते में डाकुओं ने घेर लिया. मैंने उससे कहा कि अब दिखा तू अपनी बहादुरी. वह डर गया. उसके हाथ से कमान छूट गई. सब अपना अपना सामन छोड़ कर भाग गए और इस प्रकार अपनी जान बचा सके. सच है, जिसे युद्ध का अनुभव हो वही समर में अड़ सकता है. इसके लिए बल से अधिक साहस की जरूरत है.

शेख़ सादी कृत 'गुलिस्ताँ' के आठवें प्रकरण में राजनीति, सदाचार, मनोविज्ञान, समाज नीति, सभा चातुरी के रंग बिरंगे फूल लहलहाते हैं जिनमे छुपे हुए कांटे भी हैं. लेकिन उनका अद्भुत गुण यह है कि वे वहीँ चुभते है जहाँ चुभने चाहियें. ये सूत्र छोटे छोटे वाक्यों के रूप में हैं. कुछ चिनिन्दा सूत्र नीचे दिए जा रहे हैं

rajnish manga 01-03-2013 04:25 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
1. यदि कोई निर्बल शत्रु तुम्हारे साथ मित्रता करे तो उससे अधिक सचेत रहो. जब मित्र की सच्चाई का ही भरोसा नहीं तो शत्रुओं की खुशामद का क्या विश्वास.

2. अगर दो दुश्मनों के बीच कोई बात कहनी हो तो ऐसे कहो कि यदि वो बाद में मित्र भी हो जाएँ तो तुम्हें लज्जित न होने पड़े.

3. जो मनुष्य अपने मित्र के शत्रु से मित्रता करता है वह अपने मित्र का शत्रु है.

rajnish manga 01-03-2013 04:26 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
4. जब तक धन से काम निकले तब तक जान जोखिम में मत डालो. जब कोई उपाय न रहे तो म्यान से तलवार खींचो.

5. न तो इतना कठोर बनो कि लोग तुमसे डरने लगें और न इतने कोमल बनो कि लोग सर चढ़ें.

6. दो मनुष्य राज्य और धर्म के शत्रु हैं निर्दयी राजा और मूर्ख साधु.

7. राजा को उचित है कि अपने शत्रुओं पर इतना क्रोध न करे कि उसके मित्रों के मन में भी खटका पैदा हो जाये.

rajnish manga 01-03-2013 04:28 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
8. जब शत्रु की कोई चाल नहीं चलती तो वह मित्रता करता है और इस तरह मित्रता की आढ़ में वह वही करता है जो शत्रुता में नहीं कर सका.

9. सांप के सर को अपने बैरी से कुचलवाओ. या तो साम से पिंड छूटेगा या बैरी से.

10. जब तक तुम्हें पूर्ण विश्वास न हो तुम्हारी बात पसंद आयेगी तब तक बादशाह के सामने किसी की निंदा मत करो, अन्यथा तुम्हें स्वयं हानि उठानी पड़ेगी.

rajnish manga 01-03-2013 04:30 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
11. जो व्यक्ति किसी घमण्डी आदमी को उपदेश देता है वो खुद नसीहत का मोहताज है.
12. जो मनुष्य सामर्थ्यवान होते हुए भी किसी की मदद नहीं करता, उसे सामर्थ्यहीन होने पर दुःख भोगना पड़ता है. अत्याचारी का विपत्ति में कोई साथी नहीं होता.
13. किसी के छिपे हुए ऐब मत खोलो. इससे तुम्हारा विश्वास उठ जाएगा.
14. विद्या पढ़ कर उसका उपयोग न करना खेत जोत कर उसमे बीज न डालने के समान है.
15. गुणहीन व्यक्ति गुणवानों से द्वेष करते हैं.

rajnish manga 01-03-2013 04:31 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
16. दुर्जन लोग बुद्धिमान पुरुषों को उसी प्रकार नहीं देख सकते जैसे बाजारी कुत्ते शिकारी कुत्तों को देख कर गुर्राते हैं लेकिन पास जाने की हिम्मत नहीं करते.

17. अगर कोई बुद्धिमान मनुष्य मूर्खों के साथ वाद विवाद करे तो उसे प्रतिष्ठा की आशा नहीं करनी चाहिए.

18. जिस मित्र को तुमने बहुत दिनों में पाया है, उससे मित्रता निभाने की कोशिश करो.

19. जो व्यक्ति दूसरों को खुश करने के लिए वासनाओं का त्याग करता है, वह हलाल छोड़ कर हराम की और झुकता है.

20. दो बातें असंभव हैं – एक तो अपने अंश से अधिक खाना, दूसरे मृत्यु से पहले मरना.

jai_bhardwaj 01-03-2013 06:47 PM

Re: प्राचीन सूफ़ी संत और उनका मानव प्रेम
 
अत्यंत ज्ञानवर्धक सूक्तियां हैं बन्धु। साझा करने के लिए आभार।


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