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soni pushpa 28-10-2015 12:32 AM

Re: शाकाहार
 
[QUOTE=internetpremi;555975]आप से सहमत हूँ। हम शाकाहारी थे, और रहेंगे भी।
पर हम माँसाहारियों की आलोचना नहीं करेंगे।

दोनों पक्षों का तर्क मजबूत है और यह मामला दुनिया की किसी भी अदालत में तय नहीं हो सकता।

विवाद केवल शाकाहारी और माँसाहारियों के बाच नहीं है

माँसाहारी खुद आपस में भिड रहे हैं
सूअर, गाय, कुता/बिल्ली खाएं या न खाएं?

शाकाहारी भी बंट गए हैं।
क्या प्याज / लेहसुन खाना ठीख है? और आलू ? ह्मे आलू बहुत पसन्द है।
दक्षिण भारत के कुछ ब्राह्मण लौकी नहीं खाते. कुछ परिवारों में बैंगन वर्जित है
त्योहारों के अवसर पर ’प्याज’ वर्जित है।

आप कहाँ कहाँ रोक लगाएंगे? और किस किस पर? और कब?

आखिर हमने तय कर लिया कि इस प्रश्न पर कोई अन्तिम और सही निर्णय कभी संभव नहीं ।
जैसे अन्ग्रेज़ी में "live and let live" कहते हैं वैसे हम " eat and let eat" की नीति अपनाते हैं

इस चर्चे में भाग लेने का अवसर के लिए धन्यवाद।
शुभकामनाएं


ji sahi kaha is bahas ka koi aant hai hi nahi kintu bat ho rahi thi ki ho sake to mansahaar ka tyag kiya jaay taki kai nirdodh jivon ki hatya na ho unke dard ka ehsas insaan karen kyunki jab insaanon ke ek hatho me jara si cut hoti hai tab bhi kitne din tak wo dawai lagate hain patti bandhate hain or dard sahate hain jabki chhota sa cut saha nahi jata to jo achhe bhale janavar hain unhe sirf aapna pet bharane ke liye maar dala jay kat dala jay to sochiye unka dard kitna asahy hota hoga n? बहुत बहुत धन्यवाद इस लेख पर अपने विचार रखने के लिए g.v. जी

rajnish manga 26-09-2016 02:48 PM

Re: शाकाहार
 
शाकाहार पर एक सुंदर कविता:
(साभार: योगेश शर्मा / इन्टरनेट से)

कंद-मूल खाने वालों से

मांसाहारी डरते थे।।

पोरस जैसे शूर-वीर को

नमन
'सिकंदर' करते थे॥
चौदह वर्षों तक खूंखारी
वन में जिसका धाम था।।
मन-मन्दिर में बसने वाला
शाकाहारी राम था।।

चाहते तो खा सकते थे वो
मांस पशु के ढेरो में।।
लेकिन उनको प्यार मिला
'शबरी' के जूठे बेरो में॥


चक्र सुदर्शन धारी थे
गोवर्धन पर भारी थे॥
मुरली से वश करने वाले
'गिरधर' शाकाहारी थे॥


पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम
चोटी पर फहराया था।।
निर्धन की कुटिया में जाकर
जिसने मान बढाया था॥

सपने जिसने देखे थे
मानवता के विस्तार के।।
नानक जैसे महा-संत थे
वाचक शाकाहार के॥


soni pushpa 26-09-2016 10:19 PM

Re: शाकाहार
 
Behad sundar kavita hai bhai sach mansahaar ke bina bhi jiya ja sakta hai kyuun akhir log dujo ki jan lekar apne pet bharte hain ..

Sheyaring ke liye bahut bahut dhanywad bhai.


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