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soni pushpa 12-09-2014 02:21 PM

.............मन...............
 
ऐ मन तू आंसू न बहा न कर कोई गिला शिकवा
यही राहें हैं जीवन की इसपर अब तू चलते जा...
खाली था जीवन खाली थी जीवन की ये राहें ....
फिर क्यों तुझको अब ये ग़म लगता ....
हरदम रहे ग़मों के साये तुझपर , फिर अब क्यूँ ये असुवन वर्षा
कभी आये सपन डरावने, खुद को तू मजबूत करता जा .ना डर,
कुछ भी नया नही तेरे लिए ये सब,चल उठ अब हिम्मत कर
उम्मीदों की किरण संग चल, किरण संग chal
और इससे तू अब जूझ जरा, जूझ जरा.....
हो सकता है ...
जीवन की राहों में मिल जाये कोई नया जहाँ ..
कर ले तप तू ,और हर ताप तू सह ले... बन जा,
" फुल" उस क्यारी का दयावान हो जिसका बागबां
न सोच कल न मिला है और न मिलेगा ,
कभी तुझे कभी खुशियों का जहाँ और
शयद यूं ही चलते चलते बुझ जाएगी ये जीवन की शमा
कठोर रहें हो जीवन कीरा हें और हो चले लम्बा रास्ता .
तब न छोड़नाये आश जीवन में कभी तो मिलेगा तुझे भी हसता जहां........

rafik 12-09-2014 03:10 PM

Re: .............मन...............
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 528017)
ऐ मन तू आंसू न बहा न कर कोई गिला शिकवा
यही राहें हैं जीवन की इसपर अब तू चलते जा...
खाली था जीवन खाली थी जीवन की ये राहें ....
फिर क्यों तुझको अब ये ग़म लगता ....
हरदम रहे ग़मों के साये तुझपर , फिर अब क्यूँ ये असुवन वर्षा
कभी आये सपन डरावने, खुद को तू मजबूत करता जा .ना डर,
कुछ भी नया नही तेरे लिए ये सब,चल उठ अब हिम्मत कर
......

अदभुत रचना ,उक्त पंक्ति में दम है,और जीवन में बहुत ही उपयोगी है

लगता है कि हिंदी मै लिखने की आपकी मेहनत रंग ला रही है!

soni pushpa 12-09-2014 03:53 PM

Re: .............मन...............
 
Quote:

Originally Posted by rafik (Post 528018)
अदभुत रचना ,उक्त पंक्ति में दम है,और जीवन में बहुत ही उपयोगी है

लगता है कि हिंदी मै लिखने की आपकी मेहनत रंग ला रही है!


आपसे इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया मिलेगी bhai ये सोचा न था, धन्यवाद भी कम है शायद इसके लिए... बयां नहीं कर सकती bhai आपनी ख़ुशी शब्दों में ...

Rajat Vynar 13-09-2014 10:19 AM

Re: .............मन...............
 
क कविता को Comedy denouement के साथ देखकर मैं विस्मित रह गया. प्रायः कविताओं में Comedy denouement नहीं होता, क्योंकि कविता तो किसी घटना की एक झाँकी मात्र होती है. प्रायः मैं अपनी कविताओं में Comedy denouement नहीं देता, Tragic denouement देता हूँ, क्योंकि दुःखांत (tragic) घटनाएँ पाठकों के मन में शीघ्रतापूर्वक रच-बस जाती हैं. कविता कहानी तो होती नहीं जो comedy denouement के बारे में सोचा जाए. यहाँ पर comedy से तात्पर्य सुखान्त से है, न कि हास्य से. Comedy denouement के साथ एक अभूतपूर्व कृति की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद, सोनी पुष्पा जी. रफीक जी के मत से मैं भी सहमत हूँ कि ‘कुछ भी नया नही तेरे लिए ये सब, चल उठ अब हिम्मत कर’ पंक्ति में दम है, और जीवन में बहुत ही उपयोगी है . फिर भी मैं Comedy denouement की चंद पंक्तियों के पश्चात कविता के अन्त में पुनः कुछ संदेहात्मक शोक पंक्तियों की पुनरावृत्ति के औचित्य को समझ नहीं पाया.

rajnish manga 13-09-2014 01:51 PM

Re: .............मन...............
 
सर्वप्रथम पुष्पा सोनी जी को इस सशक्त कविता के लिये बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ. यदि टाइपिंग व वर्तनी की कुछेक त्रुटियों और कही कहीं अनायास हुये दोहराव को छोड़ दिया जाये तो यह रचना छोटी होने के बावजूद विषय का बखूबी निर्वाह करती है और पाठकों तक कवि का संदेश पूरी शिद्दत से लेकिन स्पष्टता से पहुँचता है. इसका श्रेय कवि द्वारा जीवन की उहापोह एवम् विषमताओं से उपजे भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति को दिया जाना चाहिए.

जीवन में व्यक्ति को शिथिल करने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने भी कवि उम्मीद का दामन थाम कर चलने तथा ताप सह कर भी तप करने को प्रतिबद्ध है. वह जीवन की कठोर व लम्बी राहों में विचलित हुये बगैर आशाओं का संबल ले कर अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ना चाहता है जहाँ एक हंसती मुस्कुराती ज़िंदगी उसकी प्रतीक्षा कर रही है.

सोनी जी के लेखन में प्रतिदिन निखार आता जा रहा है. इस रचना के लिये धन्यवाद देते हुये मैं उन्हें भविष्य के लिये शुभकामनाएं देता हूँ.

soni pushpa 14-09-2014 01:47 PM

Re: .............मन...............
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 528047)
क कविता को comedy denouement के साथ देखकर मैं विस्मित रह गया. प्रायः कविताओं में comedy denouement नहीं होता, क्योंकि कविता तो किसी घटना की एक झाँकी मात्र होती है. प्रायः मैं अपनी कविताओं में comedy denouement नहीं देता, tragic denouement देता हूँ, क्योंकि दुःखांत (tragic) घटनाएँ पाठकों के मन में शीघ्रतापूर्वक रच-बस जाती हैं. कविता कहानी तो होती नहीं जो comedy denouement के बारे में सोचा जाए. यहाँ पर comedy से तात्पर्य सुखान्त से है, न कि हास्य से. comedy denouement के साथ एक अभूतपूर्व कृति की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद, सोनी पुष्पा जी. रफीक जी के मत से मैं भी सहमत हूँ कि ‘कुछ भी नया नही तेरे लिए ये सब, चल उठ अब हिम्मत कर’ पंक्ति में दम है, और जीवन में बहुत ही उपयोगी है . फिर भी मैं comedy denouement की चंद पंक्तियों के पश्चात कविता के अन्त में पुनः कुछ संदेहात्मक शोक पंक्तियों की पुनरावृत्ति के औचित्य को समझ नहीं पाया.

बहुत बहुत धन्यवाद रजत व्यानार जी ..."मन " कविता पर टिपण्णी के लिए ...

soni pushpa 14-09-2014 01:55 PM

Re: .............मन...............
 
[QUOTE=rajnish manga;528054]सर्वप्रथम पुष्पा सोनी जी को इस सशक्त कविता के लिये बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ. यदि टाइपिंग व वर्तनी की कुछेक त्रुटियों और कही कहीं अनायास हुये दोहराव को छोड़ दिया जाये तो यह रचना छोटी होने के बावजूद विषय का बखूबी निर्वाह करती है और पाठकों तक कवि का संदेश पूरी शिद्दत से लेकिन स्पष्टता से पहुँचता है. इसका श्रेय कवि द्वारा जीवन की उहापोह एवम् विषमताओं से उपजे भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति को दिया जाना चाहिए.

जीवन में व्यक्ति को शिथिल करने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने भी कवि उम्मीद का दामन थाम कर चलने तथा ताप सह कर भी तप करने को प्रतिबद्ध है. वह जीवन की कठोर व लम्बी राहों में विचलित हुये बगैर आशाओं का संबल ले कर अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ना चाहता है जहाँ एक हंसती मुस्कुराती ज़िंदगी उसकी प्रतीक्षा कर रही है.

[size=3]सोनी जी के लेखन में प्रतिदिन निखार आता जा रहा है. इस रचना के लिये धन्यवाद देते हुये मैं उन्हें भविष्य के लिये शुभकामनाएं देता हूँ.


आदरणीय रजनीश जी , सबसेपहले आपको बहुत बहुत धन्यवाद आपने इस कविता और कवि के भावो को समझा और त्रुटियों को माफ़ करते हुए इसे पढ़ा और दूसरों के लिए भी इसे सरल शब्दों में समझाया भी , मै आपकी बहुत बहुत अभारी हूँ ... चूँकि बहुत समय से हिंदी का साथ छूट गया था सो गलतिय तो होंगी ही आप सब मुझे अबुध समझकर कृपया माफ़ कीजियेगा और रजनीश जी आपसे एक निवेदन है की पहले से जैसे आप मेरा मार्गदर्शन करते आये हैं वेइसे ही कीजियेगा ताकि मै त्रुटियों के बिना अच्छा लिखू. धन्यवाद


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