टीवी पर गुटबंदी
आप के मन में विचार आता है की चलो टीवी पर समाचार देखे जायें. आपने रिमोट लिया (शुक्र है कि हमारे पास रिमोट है) और शुरू हो गए. ibn 7 लगाया. अरे! यहाँ तो विज्ञापन आ रहे हैं. चलो abp न्यूज़ लगाएं. अरे!! कमाल है, यहाँ भी विज्ञापन !! इसी प्रकार आप zee न्यूज़, ndtv, news nation और ajtak समेत एक के बाद एक समाचार चैनल लगाते जा रहे है पर विज्ञापन हैं कि आपका पीछा ही नहीं छोड़ रहे. हर चैनल विज्ञापन परोस रहा है. यह क्या है ? और क्यों है ?? और कुछ देर बाद आप देखते हैं कि समाचार आने शुरू हो गए हैं. आप चैक करते हैं तो पाते हैं कि हर चैनल पर समाचार शुरू हो गए हैं. ऐसा कैसे होता है? क्या इसी को cartelization कहते हैं?. आपका क्या विचार है? इसे रोकने का क्या उपाय है?
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Re: टीवी पर गुटबंदी
सर जी, हमारे पास रिमोट होने का यह मतलब कतई नहीं के हम यह सब रोक पाएंगे!:bang-head: हमें यह लगता है की हम टीवी देख रहें है....लेकिन दरअसल टीवी हमें देख रहा होता है ! पहले यह होता था के प्रोग्राम के बीच विज्ञापन आते थे, अब विज्ञापनों के बीच कार्यक्रम देखने पड़ रहें है। ईस विज्ञापन का मार हमें हर तरफ से झेलना पड रहा है । टीवी, न्यूझपेपर, होर्डिंग्स, पोस्टर, मोबाईल, ईन्टरनेट हर जगह पर लुभावने विज्ञापन का मायाजाल हमें घेरे हुए है। हम सभी जानतें है की विज्ञापनों में ७०-८० प्रतिशन झुठ होता है, execution होता है लेकिन फिर भी हम उनके झांसे में फंस ही जाते है। :cry:
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Re: टीवी पर गुटबंदी
खैर अगर मुद्दे पर आते है...शायद डीश एन्टेना लगा कर टीवी देखने पर सिगन्ल प्रसारण करने वालों को यह पता चल जाता है की कितने टीवी पर, कोन सी जगह, कितने समय पर, कोन से कार्यक्रम देखें जाते होंगे। वे यह डेटा एजेन्सी को देतें (या बेचते) है। फिर शायद ईस पर से टीआरपी तय करने में मदद मिलती है। भाव भी तय होते है, महंगे विज्ञापन बडी चेनलों पर और सस्ते वाले न्यूझ, धार्मिक, म्युझिक चैनलों को मिलतें है!
सभी विज्ञापनों को दिखाने का भाव....समय के हिसाब से बदलता रहता है। प्राईम टाईम का रेट सबसे ज्यादा होता है। प्राईमटाईम से आगे पीछे का समय भी थोडा हाई ही होता है...सो मेरे खयाल से यह सब देख कर के विज्ञापन प्रसारित होतें है! |
Re: टीवी पर गुटबंदी
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Re: टीवी पर गुटबंदी
सच तो यह है, दीप जी यदि आपका अपना न्यूज़ चैनल होता तो क्या आप विज्ञापन दिखाना जनहित में बन्द कर देते? खैरात में न्यूज बाँटकर क्या आप कटोरा लेकर भीख माँगना पसन्द करते? क्या आपको पता है सेटैलाइट का किराया क्या है? स्टाफ की सेलरी क्या है?
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Re: टीवी पर गुटबंदी
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एक तो ईन न्यूझ चैनलों मे एक दुसरे को पछाड़ने की होड लगी हुई है। सभी को सनसनीखेज तरीकों से समाचार देने की आदत हो गई है। भड़काउ और डराने वाले समाचार ही ज्यादातर दिखाए जाते है । न्यूज चैनल के अपने कुछ निती-नियम होतें है । "जो मिला, परोस दिया" वाली निती अगर चलेगी तो व्हाट्सेप/एमएमएस और न्युझ चैनल में क्या फर्क रह जाएगा? |
Re: टीवी पर गुटबंदी
हमें विज्ञापनों से कोई ऐतराज़ नहीं है. विज्ञापन इन चैनलों की आमदनी का जरिया है. और वैसे भी कितने विज्ञापन दिखाने हैं इस पर भी नीतियाँ और नियंत्रण हैं. सूत्र के आरंभ में चर्चा इस बात पर शुरू की गई थी कि सभी न्यूज़ चैनल्स पर एक ही समय विज्ञापन शुरू होते हैं और एक ही समय समाप्त. यदि प्रत्येक चैनल स्वतंत्र रूप से staggered टाइमिंग में विज्ञापन दिखायें, तो एक निर्धारित समय पर हमें कुछ चैनल विज्ञापन प्रदर्शित करते मिलेंगे और कुछ समाचार दिखाते. लेकिन लगता है कि आपस की साठ-गाँठ से ऐसी स्थिति बना दी गई है कि एक समय पट्टी में हर चैनल पर दर्शकों को विज्ञापन ही दखाई दें. यह एक प्रकार की जबरदस्ती है, दर्शक के अधिकार पर आघात है. क्या उक्त साठ-गाँठ से निबटने का कोई उपाय है?
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Re: टीवी पर गुटबंदी
अगर यह सच हेै तो यह सॉठ-गॉठ की ही इसलिए गई है कि विज्ञापन आने पर दर्शक एक चैनल से दूसरे चैनल पर बन्दरो की तरह कूदता न फिरे।
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Re: टीवी पर गुटबंदी
Jiha ye logo ko prachar dikhane ke liye tv channels ke beech aapsi karar hai.Aakhir isspe hi to unki roji chalti hai, agar prachar dekha na jae to unke hone ka fayda kya, prchar to hote hi hai dekhne ke liye.
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