ज्ञान विज्ञानं :.........
टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014: रोज कुछ नया, कुछ अनोखा :......... |
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://2.bp.blogspot.com/-UDRlT4fPpr...page-13-p1.jpg हाल में दिल्ली में हुए इंडो-अमेरिकन फ्रंटियर्स ऑफ इंजीनियरिंग सिंपोज़ियम में कहा गया कि सन 2014 में बिगडेटा, बायोमैटीरियल, ग्रीन कम्युनिकेशंस और सिविल इंजीनियरी में कुछ बड़े काम होंगे. बिगडेटा यानी ऐसी जानकारियाँ जिनका विवरण रख पाना ही मनुष्य के काबू के बाहर है. मसलन अंतरिक्ष से जुड़ी और धरती के मौसम से जुड़ी जानकारियाँ. इनके विश्लेषण के व्यावहारिक रास्ते इस साल खुलेंगे. सन 2014 में साइंस और टेक्नॉलजी की दुनिया में क्या होने वाला है, इसपर नज़र डालते हैं :......... साभार :......... |
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://www.prabhatkhabar.com/prabhat..._045925500.jpg सत्तर के दशक में अमेरिका के सुरक्षा सलाहकार जिग्न्यू ब्रजेंस्की ने शब्द दिया था टेक्नोट्रॉनिक रिवॉल्यूशन, जो आज का सच है. सन 2014 में दुनिया के वैज्ञानिक तकनीकी विकास की ओर नज़र डालें तो लगेगा कि तकनीक हमारे जीवन और संस्कृति में आए क्रांतिकारी बदलावों को इस साल कई गुना बढ़ाने वाली है. हाल में दिल्ली में चुनाव जीतकर आई आम आदमी पार्टी को अपनी सफलता का श्रेय सोशल मीडिया को देना चाहिए, जो नई तकनीक की देन है. टेक टायकून एक नया शब्द है. वे लोग देखते ही देखते अरबपति-खरबपति बन गए, सिर्फ टेक्नॉलजी के कारण. फेसबुक के मार्क जुकेनबर्ग, ऑरेकल के लैरी एलिसन या माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स. स्मार्टफोन को कारोबार ने मोटरगाड़ियों के बिजनेस को पीछे छोड़ दिया है. 290 अरब डॉलर का कारोबार करने वाली कंपनी गूगल अब जनरल मोटर्स से छह गुना बड़ी है. पर उसके कर्मचारियों की तादाद जनरल मोटर्स का पंचमांश भी नहीं. अमेरिका में इन टेक टायकूनों को लेकर नाराज़गी है. इन्हें सब्सिडी मिलती है, टैक्स से छूट मिलती है. जबकि ये डॉलरों के ढेर पर ऐश करते हैं. :......... साभार :......... |
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://images.jagran.com/images/29_0...-apoorva29.jpg थ्री-डी प्रिंटेड अंग एवं अन्य वस्तुएं :......... बायोमैटीरियल और सिंथेटिक बायलॉजी का मतलब है जीवन को अपने अनुकूल ढालना. इस साल विज्ञान डीएनए में बदलाव करके बीमारियों के इलाज के नए रास्ते खुलेंगे. इसे जेनोम संपादन भी कह सकते हैं. कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज शरीर खुद कर सके. जीन थिरैपी के लिहाज से यह साल महत्वपूर्ण हो सकता है. इस साल ऐसे छोटे उपकरण बाज़ार में आएंगे जिन्हें मोबाइल फोन की तरह साथ में रखा जा सकेगा या मोबाइल फोन का ही हिस्सा होगा. इनके मार्फत ब्लड शुगर, हृदय की धड़कनों से लेकर शरीर की तमाम क्रियाओं पर नज़र रखेंगे और ज़रूरी इलाज भी करेंगे. माइक्रोचिप के सस्ता होते जाने के कारण इंटरनेट अब आपके शरीर पर भी ध्यान रखेगा. अमेरिका के सैन डियागो में स्थित बायो थ्री-डी प्रिंटिंग फर्म ऑर्गनोवो ने दावा किया है कि 2014 में प्रिंटेड कृत्रिम लिवर तैयार मिलने लगेंगे. यह लिवर अभी इंसान के शरीर में लगाया नहीं जा सकेगा. अभी इसका इस्तेमाल औषधियों के विकास में किया जाएगा, पर इतना तय है कि इनसान ने लिवर टिश्यूज़ का इस्तेमाल करके एक पूरा लिवर बनाने में सफलता हासिल कर ली है. थ्री-डी प्रिटेंड ट्रांसप्लांट अंगों का दौर शुरू होने ही वाला है. :......... साभार :......... |
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://cdn.newshunt.com/fetchdata1/2...GE25458591.png थ्री-डी प्रिंटेड अंग एवं अन्य वस्तुएं :......... ह्यूस्टन। बिहार से ताल्लुक रखने वाले भारतीय अमेरिकी शोधकर्ता अपूर्व किरण ने थ्रीडी प्रिंटर के माध्यम से ऐसा लाउडस्पीकर तैयार किया है, जो प्रिंटर से निकलते ही काम शुरू कर देता है।अमेरिकी कार्नेल यूनिवर्सिटी में अपूर्व किरण व राबर्ट मैकर्डी मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। दोनों ने मैकेनिकल व एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हॉड लिप्सन के साथ मिलकर एक ऐसा यंत्र विकसित किया है, जो किसी भी प्रकार के उपकरण को प्रिंट कर सकता है। प्लास्टिक के बने इन लाउडस्पीकरों में सुचालक कुंडली व चुंबक लगे हुए हैं। शोधकर्ताओं को यह पता लगाना था कि किस तरह उपकरणों का डिजाइन व प्रिंट तैयार किया जाए, ताकि वे ठीक से फिट रहें और सही दिशा में काम कर सकें। मूल रूप से बिहार के रहने वाले किरण ने बताया कि प्रत्येक चीज को थ्रीडी से प्रिंट किया जा सकता है। उन्होंने हाल में ही अपने नए प्रिंटेड मिनी स्पीकर का एम्लीफायर से जोड़कर प्रदर्शन भी किया. :......... साभार :......... |
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बहुत बढ़िया....
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://images.jagran.com/images/20_05_2013-20gun1.jpg थ्री-डी प्रिंटेड अंग एवं अन्य वस्तुएं :......... वाशिंगटन : अमेरिकी सरकार ने थ्रीडी प्रिंटर तकनीक से तैयार बंदूक से संबंधित जानकारियों को इंटरनेट से हटाने के निर्देश दिए हैं। प्लास्टिक से बनी इन बंदूकों का इंटरनेट पर मौजूद ब्लूप्रिंट एक लाख से भी अधिक बार डाउनलोड किए जाने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने बंदूक के डिजाइनर से कहा है कि इसके ब्लूप्रिंट को इंटरनेट पर प्रसारित करने से हथियारों से जुड़े नियमों का उल्लंघन हो सकता है। कंपनी की वेबसाइट डिफकेड से मौजूद फाइलें हटा ली गई हैं। फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या लोग अभी भी इस थ्रीडी बंदूक की ब्लूप्रिंट तक पहुंच पा रहे हैं या नहीं। ऑनलाइन सेवाएं देने वाली कंपनी मेगा इस वेबसाइट का प्रंबधन देख रही है। कंपनी डिफेंस डिसट्रिब्यूटेड के संस्थापक कॉडी विस्सन के हवाले से बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, जिन्न अब बोतल से बाहर आ चुका है। :......... साभार :......... |
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://i10.dainikbhaskar.com/thumbna.../3671_eyes.jpg थ्री-डी प्रिंटेड अंग एवं अन्य वस्तुएं :......... थ्रीडी प्रिंट तकनीक से तैयार की आंखों की कोशिकाएं : लंदन : कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने थ्रीडी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से आंख के पर्दे की कोशिकाएं (रेटिना सेल) प्रिंट करने में सफलता हासिल की है। यह नई खोज दृष्टिहीनता के उपचार में बड़ी क्रांति ला सकती है। वैज्ञानिकों ने इंकजेट प्रिंटर के जरिये चूहों की रेटिना सेल को प्रिंट किया। इस दौरान कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं हुआ और वे जीवित भी रहीं। शोधकर्ता प्रोफेसर कीथ मार्टिन ने बताया कि यह पहली बार है जब सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी किसी कोशिका को सफलतापूर्वक प्रिंट किया गया है। इससे दृष्टिहीनता के उपचार में मदद मिल सकती है। हमने पाया कि रेटिना की सेल को निकालकर अलग किया जा सकता है। इन कोशिकाओं को अलग-अलग पैटर्न पर प्रिंट भी किया जा सकता है। प्रिटिंग के दौरान ये कोशिकाएं जीवित रहती हैं। भविष्य में इनका इस्तेमाल खराब कोशिकाओं को बदलने के लिए किया जा सकता है। मार्टिन और उनके सहयोगी वैज्ञानिकों के इस शोध को बायोफैब्रिकेशन जर्नल में प्रकाशित किया गया है। भविष्य में इनकी योजना इस प्रणाली का उपयोग कर पूरी रेटिना तैयार करने की है। ऐसे प्रिंट हुईं रेटिना सेल : - रेटीना में दो तरह की सेल होती हैं गैंगलियॉन और ग्लिएल सेल - गैंगलियॉन आंख और दिमाग के बीच सिग्नल भेजने का काम करती है। - ग्लिएल सेल सिग्नल भेजने की प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। - पहले थ्रीडी प्रिंटर से गैंगलियॉन सेल की एक सतह को तैयार किया गया। - इसके बाद ग्लिएल सेल को गैंगलियॉन सेल के ऊपर सावधानी से रखा गया। - फिर थ्रीडी इंकजेट प्रिंटर से इन दोनों को करीब ४५ किमी प्रति घंटे की गति से प्रिंट किया गया। - इस दौरान प्रिंट हुई सतह में दोनों सेल जीवित रहीं। - वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह की कई सतहों को प्रिंट करके पूरे रेटिना को तैयार किया जा सकता है :......... साभार :......... |
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टेक्नोट्रॉनिक क्रांति 2014 : हर रोज़ कुछ नया, कुछ अनोखा :......... http://previewcf.turbosquid.com/Prev...38375Large.jpg थ्री-डी प्रिंटेड अंग एवं अन्य वस्तुएं :......... दुनिया का सबसे छोटा थ्रीडी प्रिंटेड लिवर विकसित : न्यूयॉर्क : दुनिया का सबसे छोटा थ्रीडी प्रिंटेड लिवर विकसित करने में सफलता हाथ लगी है। बिल्कुल असली अंग की तरह काम करने वाला यह लिवर 40 दिनों तक जिंदा रह सकता है। अमेरिका की मेडिकल रिसर्च कंपनी ‘ऑरगैंवो’ द्वारा विकसित यह लिवर के ऊत्तक की गहराई मात्र आधा मिलीमीटर और चौड़ाई चार मिलीमीटर है। कंपनी ने 40 से भी अधिक दिनों तक बॉयो-प्रिंटेड ऊत्तकों में लीवर फंक्शन का डाटा समेत प्रदर्शन किया। दुनिया के सबसे छोटे मानव लिवर में दो मुख्य ऊतक के अलावा हेपाटोसाइट की 20 परतें हैं, जो लिवर फंक्शन का संचालन करती हैं। प्रिंटर कोशिकाओं को एक रक्त नलिका की परत से जोड़ता है, जो लिवर ऊत्तकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को ग्रहण करने की अनुमति देती है। थ्रीडी लिवर ऊतक में विषैले रासायनों से संबंधित समस्याओं से पार पाने की महत्वपूर्ण क्षमता है :......... साभार :......... |
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एकदम अनोखी सूचनाएं. इलेक्ट्रोनिक क्रान्ति एक सतत जारी रहने वाली प्रक्रिया है जो प्रतिदिन नवीनतम वैज्ञानिक उपकरण को जन्म देती है. प्रस्तुति हेतु धन्यवाद.
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