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-   -   अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=8892)

VARSHNEY.009 01-07-2013 01:44 PM

अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है।
- श्री अरविंद

VARSHNEY.009 02-07-2013 09:49 AM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· सत्याग्रहकीलड़ाईहमेशादोप्रकारकीहोतीहै।एकज़ुल्मोंकेखिलाफ़औरदूसरीस्वयंकीदुर्बलताकेविरुद्ध।
- सरदार
पटेल

VARSHNEY.009 03-07-2013 01:39 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· कष्टहीतोवहप्रेरकशक्तिहैजोमनुष्यकोकसौटीपरपरखतीहैऔरआगेबढ़ातीहै।
-
सावरकर

VARSHNEY.009 04-07-2013 01:32 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
तपहीपरमकल्याणकासाधनहै।दूसरेसारेसुखतोअज्ञानमात्रहैं।
- वाल्मीकि

VARSHNEY.009 05-07-2013 05:45 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· संयमसंस्कृतिकामूलहै।विलासितानिर्बलताऔरचाटुकारिताकेवातावरणमेंतोसंस्कृतिकाउद्भवहोताहैऔरविकास।
-
काकाकालेलकर

VARSHNEY.009 11-07-2013 12:27 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
जो सत्य विषय हैं वे तो सब में एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होताहै।
-
सत्यार्थप्रकाश

VARSHNEY.009 11-07-2013 12:28 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
:giggle: जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है
-
कहावत

VARSHNEY.009 11-07-2013 12:29 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है।
-
कथा सरित्सागर

VARSHNEY.009 11-07-2013 12:31 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· चाहेगुरुपरहोयाईश्वरपर, श्रद्धाअवश्यरखनीचाहिए।क्योंकिबिनाश्रद्धाकेसबबातेंव्यर्थहोतीहैं।
-
समर्थरामदास

VARSHNEY.009 11-07-2013 12:31 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· यदिअसंतोषकीभावनाकोलगनधैर्यसेरचनात्मकशक्तिमेंबदलाजाएतोवहख़तरनाकभीहोसकतीहै।
-
इंदिरागांधी

rajnish manga 11-07-2013 01:54 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by VARSHNEY.009 (Post 320255)
· यदिअसंतोषकीभावनाकोलगनधैर्यसेरचनात्मकशक्तिमेंबदलाजाएतोवहख़तरनाकभीहोसकतीहै।
- इंदिरागांधी


मित्र वार्ष्णेय जी, कृपया जांच करें कि लिखा जा रहा वाक्य jumble के समान दिखाई दे रहा है अर्थात किन्हीं भी दो शब्दों के बीच में स्पेस नहीं दिया गया. बाकी पोस्टों में भी कृपया चैक कर लें.

नीचे संपादित वाक्य दिया जा रहा है:
यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है।

- इंदिरा गांधी[/QUOTE]

sombirnaamdev 11-07-2013 08:03 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Space dene ki kripya karein mahodya taki vakyansh sahi samjh mein aa sake

VARSHNEY.009 16-07-2013 01:23 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है।
-
गौतमबुद्ध

VARSHNEY.009 16-07-2013 01:24 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
· स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है!
-
लोकमान्यतिलक

VARSHNEY.009 16-07-2013 01:24 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है।
-
अनंत गोपाल शेवडे

VARSHNEY.009 16-07-2013 01:25 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
जीवन का महत्वत भी है जब वह किसी महान ध्येय के लिए समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो।
-
इंदिरागांधी

VARSHNEY.009 16-07-2013 01:26 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।
-
वेदव्यास

VARSHNEY.009 16-07-2013 01:27 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
अनुराग, यौवन, रूपया धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है।
-
प्रेमचंद

internetpremi 16-07-2013 02:08 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 315166)
· सत्याग्रहकीलड़ाईहमेशादोप्रकारकीहोतीहै।एकज़ुल्मोंकेखिलाफ़औरदूसरीस्वयंकीदुर्बलताकेविरुद्ध।
- सरदार
पटेल

शब्दों के बीच खाली जगह नहीं है। कैसे हुआ यह? पढना कठिन है। इसे दोबारा टाईप कर कर रहा हूँ। आशा है कि अब इसे पढना आसान रहेगा।
===================

सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है।


एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध।

- सरदार पटेल

internetpremi 16-07-2013 02:13 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 315687)
· कष्टहीतोवहप्रेरकशक्तिहैजोमनुष्यकोकसौटीपरपरखतीहैऔरआगेबढ़ातीहै।
-
सावरकर


कष्ट ही तो वह प्रेरकशक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है।
- सावरकर

internetpremi 16-07-2013 02:15 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 316020)
तपहीपरमकल्याणकासाधनहै।दूसरेसारेसुखतोअज्ञानमात्रहैं।
- वाल्मीकि


तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं।
- वाल्मीकि

internetpremi 16-07-2013 02:17 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 316422)
· संयमसंस्कृतिकामूलहै।विलासितानिर्बलताऔरचाटुकारिताकेवातावरणमेंतोसंस्कृतिकाउद्भवहोताहैऔरविकास।
-
काकाकालेलकर


संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास।
- काका कालेलकर

internetpremi 16-07-2013 02:20 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 320254)
· चाहेगुरुपरहोयाईश्वरपर, श्रद्धाअवश्यरखनीचाहिए।क्योंकिबिनाश्रद्धाकेसबबातेंव्यर्थहोतीहैं।
-
समर्थरामदास


चाहे गुरु पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए। क्यों कि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं।
- समर्थ रामदास

internetpremi 16-07-2013 02:22 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 320255)
· यदिअसंतोषकीभावनाकोलगनधैर्यसेरचनात्मकशक्तिमेंबदलाजाएतोवहख़तरनाकभीहोसकतीहै।
-
इंदिरागांधी


यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है।
- इंदिरागांधी

VARSHNEY.009 18-07-2014 04:45 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
आदमी धन के पीछे तब तक भागता है, जब तक उसका नि-धन नहीं हो जाता...

rafik 18-07-2014 04:48 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
:iagree::bravo::iagree::bravo::iagree:

VARSHNEY.009 02-01-2015 02:16 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
लिफाफा
पैगाम तुम्हारा
और पता उनका
दोनों के बीच
फाड़ा मैं ही जाऊँगा।

rajnish manga 02-01-2015 09:33 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 545144)
लिफाफा
पैगाम तुम्हारा
और पता उनका
दोनों के बीच
फाड़ा मैं ही जाऊँगा।

बहुत सुन्दर, मित्र.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:19 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
दान देना ही आमदमी का एकमात्र व्दार है | – स्वामी रामतीर्थ.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:19 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
यदि किसी युवती के दोष जानना हों, तो उसकी सखियों में उसकी प्रशंसा करो | – बेंजामिन फ्रैंकलिन

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:21 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
पैसा आपका सेवक है, यदि आप उनका उपयोग जानते हैं; वह आपका स्वामी है, यदि आप उसका उपयोग नहीं जानते | – होरेस

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:21 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
दुसरे के दोष पर ध्यान देते समय हम स्वयं बहुत भले बन जाते हैं | परंतु जब हम अपने दोषों पर ध्यान देंगे, तो अपने आपको कुटिल और कामी पाएँगे | – महात्मा गांधी.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:22 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
जब तक तुममें दूसरों के दोष देखने की आदत मौजूद है, तब तक तुम्हारे लिए ईश्वर का साक्षात्कार करना अत्यन्त कठिन है | – रामतीर्थ.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:22 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
ज्ञानवान मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है | – युरिपिडिज

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:23 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
मुँह के सामने मीठी बातें करने और पीठ पीछे छुरी चलानेवाले मित्र को दुधमुँहे विषभरे घड़े की तरह छोड़ दो | – हितोपदेश.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:23 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
सच्चे मित्र को दोनों हाथों से पकड़कर रखो | – नाइजिरियन कहावत.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:24 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
उस काम को, जिसे तुम दुसरे व्यक्ति में बुरा समझते हो, स्वयं त्याग दो परंतु दूसरों पर दोष मत लगाओ | – स्वामी रामतीर्थ.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:24 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
जब जेब में पैसे होते हैं, तो तुम बुद्धिमान और सुंदर लगते हो तथा उस समय तुम अच्छा गाते भी हो | – स्वीडिश कहावत

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:24 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
धर्म तो मानव-समाज के लिए अफीम है | – कार्ल मार्स्क.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:25 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
जो चीज विकार को मिटा सके, राग-व्देष को कम कर सके, जिस चीज के उपयोग से मन सूली पर चढ़ते समय भी सत्य पर डटा रहे वही धर्म की शिक्षा है | – महात्मा गांधी.


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