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bindujain 24-03-2013 07:38 AM

ज़िन्दगी ... .
 
जगजीत सिंह जी की एक बेहद सार्थक ग़ज़ल

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है
आज तक कोई भी रहा तो नही

सारी वादी उदास बैठी है
मौसमे गुल ने खुदकशी कर ली
किसने बरुद बोया बागो मे

आओ हम सब पहन ले आइने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा
सारे हसीन लगेंगे यहाँ

है नही जो दिखाई देता है
आइने पर छपा हुआ चेहरा
तर्जुमा आइने का ठीक नही

हम को गलिब ने येह दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फकत दिनो मे गया

लब तेरे मीर ने भी देखे है
पखुड़ी एक गुलाब की सी है
बात सुनते तो गलिब रो जाते

ऐसे बिखरे है रात दिन जैसे
मोतियो वाला हार टूट गया
तुमने मुझको पिरो के रखा था

bindujain 24-03-2013 07:48 AM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
ज़िंदगी तेरा पता चाहिए

मुझको अपनी नज़र ऐ ख़ुदा चाहिए,
कुछ नहीं और इसके सिवा चाहिए,
एक दिन तुझसे मिलने ज़रूर आऊंगा,
ज़िंदगी मुझको तेरा पता चाहिए,
इस ज़माने ने लोगों को समझा दिया,
तुमको आंखें नहीं,आईना चाहिए,
तुमसे मेरी कोई दुश्मनी तो नहीं,
सामने से हटो,रास्ता चाहिए…!!


- बशीर बद्र

jai_bhardwaj 25-03-2013 12:24 AM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख्वाब है
कहीं जानलेवा अज़ाब है

कभी खो दिया, कभी पा लिया
कभी रो लिया, कभी गा लिया
कहीं रहमतों की हैं बारिशें
कहीं तिश्नगी बेहिसाब है

bindujain 26-03-2013 09:10 AM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
Quote:

Originally Posted by jai_bhardwaj (Post 246475)
ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख्वाब है
कहीं जानलेवा अज़ाब है

कभी खो दिया, कभी पा लिया
कभी रो लिया, कभी गा लिया
कहीं रहमतों की हैं बारिशें
कहीं तिश्नगी बेहिसाब है


कभी खो दिया, कभी पा लिया
कभी रो लिया, कभी गा लिया
कहीं रहमतों की हैं बारिशें
कहीं तिश्नगी बेहिसाब है

bindujain 27-03-2013 03:39 PM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
जिंदगी ...


दिल के धड़कने को जो तुम
जिंदगी कहते हो तो
मुझे एतराज़ है
तुम्*हारे इस ख्*याल से
धड़कनों से तो सिर्फ यह
नश्*वर शरीर ही जिंदा रहता है
जिंदगी तो हर वक्*़त को
जीने का नाम है

...
इस जीने के क्रम में
कुछ किश्*तों की अदाएगी जैसा हाल होता है
जिंदगी का
टुकड़ो में बँटी यह जिंदगी
कभी परिश्रम करती है कभी प्रयास करती है
तब जाकर कहीं इन दो आंखों में
उम्*मीद के कुछ क्षण नज़र आते हैं तो कभी
रह जाती है सिर्फ़ हिस्*से में वितृष्*णा
जिंदगी इक पहेली भी है तो कभी सहेली भी
बिल्*कुल सीधी सरल तो कभी एक उलझन
जो सुलझाये न सुलझे

....
एक सिलसिला जन्*म से मृत्*यु तक
अनवरत् चलता रहता है
एक का पालन -पोषण
हर दूसरी जिंदगी का कर्तव्*य
बन जाना ही नहीं
बल्कि हर एक की नज़र में
इसकी परिभाषाएं अलग हैं
कभी एक चुनौती लगती है
तो कभी जैसे कोई जंग हो
जिसे हर हाल में लड़ना ही है

...
कभी जिंदगी बहती नदिया सी
तो कभी ठहरा हुआ पानी
जीत उसकी होती है हरदम
जिसने हार कभी न मानी

....

bindujain 30-03-2013 06:59 PM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है ,

जहाँ भी जाऊ ये लगता हैं तेरी महफ़िल है



ये आसमान ये बादल ये रास्ते ये हवा

हर एक चीज हैं अपनी जगह ठिकाने से

कई दिनों से शिकायत नहीं जमाने से

ये जिंदगी हैं सफर तू , सफर की मंजिल है



तेरे बगैर जहाँ में कोई कमी सी थी

भटक रही थी जवानी अंधेरी राहों में

सुकून दिल को मिला, आके तेरी बाहों में

में इक खोयी हुयी मौज हूँ, तू साहिल है



तेरे जमाल से रोशन हैं कायनात मेरी

मेरी तलाश तेरी दिलकशी रहे बाकी

खुदा करे के ये दीवानगी रहे बाकी

तेरी वफ़ा ही मेरी हर खुशी का हासिल है



हर एक फूल किसी याद सा महकता है

तेरे ख़याल से जागी हुयी फिजायें हैं

ये सब्ज पेड़ हैं, या प्यार की दुवाएं हैं

तू पास हो के नहीं फ़िर भी तू मुकाबिल हैं



हर एक शय हैं मोहब्बत के नूर से रोशन

ये रोशनी जो ना हो, जिंदगी अधूरी हैं

राह-ये-वफ़ा में, कोई हमसफ़र जरुरी हैं

ये रास्ता कही तन्हा कटे तो मुश्किल हैं


bindujain 30-03-2013 08:54 PM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
तू इस तरह स मेरी जिंदगी में शामिल है , जहाँ भी जाऊ ये लगता हैं तेरी महफ़िल है
To my life have you been so integral, Thy vicarious company now is a ritual।

ये आसमान ये बादल ये रास्ते ये हवा
हर एक चीज हैं अपनी जगह ठिकाने से
कई दिनों से शिकायत नहीं जमाने से
ये जिंदगी हैं सफर तू , सफर की मंजिल है

Be it the firmament or clouds or lanes or air, So well put-up are all with extreme debonair,
For a while, to being peevish I have been inure, After finding you as the light at the end for sure।

तेरे बगैर जहाँ में कोई कमी सी थी
भटक रही थी जवानी अंधेरी राहों में
सुकून दिल को मिला, आके तेरी बाहों में
में इक खोयी हुयी मौज हूँ, तू साहिल में

Sans you, The world appeared incomplete, Straying young I was amidst darkness replete
Solace in your arms I found long after, Like a lost wave lastly finds an anchor

तेरे जमाल से रोशन हैं कायनात मेरी
मेरी तलाश तेरी दिलकशी रहे बाकी
kहुडा करे के ये दीवानगी रहे बाकी
तेरी वफ़ा ही मेरी हर खुशी का हासिल हें

My world is lit by your pulchritude, My search for your cheery attitude,
May He keep it all with madness in spate, Thy love is all I have as prize till date।

हर एक फूल किसी याद सा महकता है
तेरे ख़याल से जागी हुयी फिजायें हैं
ये सब्ज पेड़ हैं, या प्यार की दुवाएं हैं
तू पास हो के नहीं फ़िर भी तू मुकाबिल हैं

Every blooming flower is an endearing reminder, That thy memory pervades this refreshing air,Warm wishes of love, I see in these green forests, All this, when you're away, as thy image manifests।

हर एक शय हैं मोहब्बत के नूर से रोशन
ये रोशनी जो ना हो, जिंदगी अधूरी हैं
राह-ये-वफ़ा में, कोई हमसफ़र जरुरी हैं
ये रास्ता कही तन्हा कटे तो मुश्किल हैं

Every thing is shining with love. O see!Without this beacon a void this life would be.
On a fidel-path, a company is all you need,A solitary travel for sure you will not plead.

bindujain 31-03-2013 08:08 AM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
नाराज़ होते है तो बुलाता कोई नहीं..
चले जाते है तो आवाज़ देता कोई नहीं..
जिंदगी के मायने कितने बदल गये है अब,
कभी हमारी एक आवाज़ को तरसते थे लोग ,
अब तो चुप रहते है तो पुकारता कोई नहीं..

bindujain 31-03-2013 08:10 AM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
अब न कोई कमी

अब ना कोई कमी सी लगती है
जिन्दगी, जिन्दगी-सी लगती है

हमसफर तुम हो इस सफर में तो
तीरगी रोशनी-सी लगती है

इश्क रहमत भी है इबादत भी
आशिकी बन्दगी-सी लगती है

तेरे चेहरे की मुस्कुराहट से
जीस्त मेरी जुड़ी-सी लगती है

समंदर तुम हो एक प्यासा और
मेरी हस्ती नदी-सी लगती है

सबसे अनमोल तेरी चाहत है
तू मेरी जिंदगी-सी लगती है

bindujain 05-04-2013 09:40 PM

Re: ज़िन्दगी ... .
 
कसक दिल की दिल में चुभी रह गई ,
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई ।

एक मैं , एक तुम , एक दीवार थी,
ज़िन्दगी आधी-आधी बटी रह गई ।

मैंने रोका नहीं , वो चला भी गया ,
बेबसी दूर तक देखती रह गई ।

रात के भीगी -भीगी छतो की तरह ,
मेरी पलकों पे थोड़ी नमी रह गई ।

कसक दिल की दिल में चुभी रह गई ,

ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गई ।"


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