My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Religious Forum (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=33)
-   -   आरतियाँ (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3281)

bhavna singh 15-09-2011 08:20 AM

आरतियाँ
 
आरती करत जनक कर जोरे।
बड़े भाग्य रामजी घर आए मोरे॥
जीत स्वयंवर धनुष चढ़ाये।
सब भूपन के गर्व मिटाए॥
तोरि पिनाक किए दुई खण्डा।
रघुकुल हर्ष रावण मन शंका॥
आई है लिए संग सहेली।
हरिष निरख वरमाला मेली॥
गज मोतियन के चौक पुराए।
कनक कलश भरि मंगल गाए॥
कंचन थार कपुर की बाती।
सुर नर मुनि जन आये बराती॥
फिरत भांवरी बाजा बाजे।
सिया सहित रघुबीर विराजे॥
धनि-धनि राम लखन दोऊ भाई।
धनि-धनि दशरथ कौशल्या माई॥
राजा दशरथ जनक विदेही।
भरत शत्रुघन परम सनेही॥
मिथिलापुर में बजत बधाई।
दास मुरारी स्वामी आरती गाई॥

bhavna singh 15-09-2011 08:23 AM

Re: आरतियाँ
 
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।
वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी॥
पहली आरती प्रह्लाद उबारे।
हिरणाकुश नख उदर विदारे॥
दुसरी आरती वामन सेवा।
बल के द्वारे पधारे हरि देवा॥
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे।
सहसबाहु के भुजा उखारे॥
चौथी आरती असुर संहारे।
भक्त विभीषण लंक पधारे॥
पाँचवीं आरती कंस पछारे।
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले॥
तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा।
हरषि-निरखि गावे दास कबीरा

bhavna singh 15-09-2011 08:24 AM

Re: आरतियाँ
 
जय-जय रविनन्दन जय दुःख भंजन
जय-जय शनि हरे॥टेक॥
जय भुजचारी, धारणकारी, दुष्ट दलन॥१॥
तुम होत कुपित नित करत दुखित, धनि को निर्धन॥२॥
तुम घर अनुप यम का स्वरूप हो, करत बंधन॥३॥
तब नाम जो दस तोहि करत सो बस, जो करे रटन॥४॥
महिमा अपर जग में तुम्हारे, जपते देवतन॥५॥
सब नैन कठिन नित बरे अग्नि, भैंसा वाहन॥६॥
प्रभु तेज तुम्हारा अतिहिं करारा, जानत सब जन॥७॥
प्रभु शनि दान से तुम महान, होते हो मगन॥८॥
प्रभु उदित नारायन शीश, नवायन धरे चरण।
जय शनि हरे।

bhavna singh 15-09-2011 08:32 AM

Re: आरतियाँ
 
1 Attachment(s)

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकीन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्**न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

bhavna singh 15-09-2011 08:34 AM

Re: आरतियाँ
 
आरती कीजै सरस्वती की,
जननि विद्या बुद्धि भक्ति की। आरती ..
जाकी कृपा कुमति मिट जाए।
सुमिरण करत सुमति गति आये,
शुक सनकादिक जासु गुण गाये।
वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती ..
नाम जपत भ्रम छूट दिये के।
दिव्य दृष्टि शिशु उध हिय के।
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के।
उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती ..
रचित जास बल वेद पुराणा।
जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना।
जो आधार कवि यति सती की॥ आरती..
सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥

bhavna singh 15-09-2011 08:41 AM

Re: आरतियाँ
 
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरिवर काँपे
रोग दोष जाके निकट न झाँके ।
अंजनि पुत्र महा बलदायी
संतन के प्रभु सदा सहायी ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये
लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरति कीजै हनुमान लला की ।

लंका जारि असुर संघारे
सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आन संजीवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे
अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे
दाहिने भुजा संत जन तारे ॥
आरति कीजै हनुमान लला की ।

सुर नर मुनि जन आरति उतारे
जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करती अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।

जो हनुमान जी की आरति गावे
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

bhavna singh 15-09-2011 08:51 AM

Re: आरतियाँ
 
आरती कुँज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में वैजन्ती माला, माला
बजावे मुरली मधुर बाला, बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला, झलकाला
नन्द के नन्द,
श्री आनन्द कन्द,
मोहन बॄज चन्द
राधिका रमण बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गगन सम अंग कान्ति काली, काली
राधिका चमक रही आली, आली
लसन में ठाड़े वनमाली, वनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चन्द्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

जहाँ से प्रगट भयी गंगा, गंगा
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा, गंगा
स्मरण से होत मोह भंगा, भंगा
बसी शिव शीश,
जटा के बीच,
हरे अघ कीच
चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, बिलसै
देवता दरसन को तरसै, तरसै
गगन सों सुमन राशि बरसै, बरसै
अजेमुरचन
मधुर मृदंग
मालिनि संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

चमकती उज्ज्वल तट रेणु, रेणु
बज रही बृन्दावन वेणु, वेणु
चहुँ दिसि गोपि काल धेनु, धेनु
कसक मृद मंग,
चाँदनि चन्द,
खटक भव भन्ज
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

YUVRAJ 15-09-2011 08:57 AM

Re: आरतियाँ
 
वाह ... बहुत खूब ...:bravo::bravo::bravo:

abhisays 15-09-2011 09:09 AM

Re: आरतियाँ
 
बहुत ही अच्छा प्रयास है.. :cheers:

bhavna singh 15-09-2011 05:40 PM

Re: आरतियाँ
 
Quote:

Originally Posted by yuvraj (Post 98917)
वाह ... बहुत खूब ...:bravo::bravo::bravo:

Quote:

Originally Posted by abhisays (Post 98919)
बहुत ही अच्छा प्रयास है.. :cheers:

आप दोनों का हार्दिक आभार


All times are GMT +5. The time now is 02:11 AM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.