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malethia 08-10-2011 03:44 PM

कुछ यहां वहां से ...
 
दोस्तों हम अखबारों में नित नये ब्लॉग देखते है जो वर्तमान हालात पर कटाक्ष होता है,और हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है ,मैं यहाँ पर कुछ ऐसे ही प्रमुख अखबारों के प्रमुख ब्लोगर के ब्लॉग पोस्ट करूँगा क्यूंकि मैं तो वैसे भी कॉपी पेस्ट का मास्टर हूँ,पर चिंता ना करें,मैं सभी ब्लॉग लेखक के नाम सहित प्रकाशित करूँगा !ताकि कम से कम मुझ पर चोरी का इलज़ाम तो ना लगे,बाकी सब आप जानते ही है !
अन्य अच्छा लिखने वालों की
टिप्पणी ही उठा कर यहाँ नकल-चिप्पी तकनीक से जड़ देता हूँ। जो पढ़े उसका भला, और जो न पढ़े उसका कभी न सोचो भला!.......:giggle::giggle:

malethia 08-10-2011 03:48 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
"क्या हुआ?….आते ही ना राम-राम..ना हैलो-हाय...बस..बैग पटका सीधा सोफे पे और तुरन्त जा गिरे पलंग पे...धम्म से...कम से कम हाथ मुँह तो धो लो".....
"अभी नहीं...थोड़ी देर में"..
"चाय बनाऊँ?"...
"नहीं!...मूड नहीं है".. .
"क्या हुआ तुम्हारे मूड को?...जब से आए हो..कुछ परेशान से...थके-थके से...लग रहे हो"..
"बस ऐसे ही"...
"फिर भी..पता तो चले"... .
"कहा ना...कुछ नहीं हुआ है"...
"ना..मैँ नहीं मान सकती...आप जैसा मस्तमौला इनसान इस तरह गुमसुम हो के चुपचाप बैठ जाए तो..कुछ ना कुछ गड़बड़ तो ज़रूर है...
"क्यों बेफिजूल में बहस किए जा रही हो?...एक बार कह तो दिया कि कुछ नहीं हुआ है"मैँ गुस्से से बोल उठा..
"हुँह!...एक तो तुम्हारी फिक्र करो और ऊपर से तुम्हारा गुस्सा भी सहो....नहीं बताना है तो ना बताओ...तुम्हारी मर्ज़ी"...
"ये तो तुम कुछ परेशान से...बुझे-बुझे से दिखे तो पूछ लिया...वर्ना मुझे कोई शौक नहीं है कि बेफाल्तू के चक्करों में माथापच्ची करती फिरूँ"..
"एक तुम हो जो सारी बातें गोल कर जाते हो और एक अपने पड़ोसी शर्मा जी हैँ कि आते ही...पानी बाद में पीते हैँ...अपनी राम कहानी पहले बतियाते हैँ"...
"तुम्हें?"..
"मुझे भला क्यों बताने लगे?...अपनी घरवाली को बताते हैँ"...
"ओह!...फिर ठीक है"मेरे चेहरे पे इत्मिनान था
"कल ही तो देखा था उसे पड़ोस वाले कैमिस्ट की दुकान से दवाई लेते हुए"...
"तो?"...
"पेट कमज़ोर है स्साले का...दस्त लगे रहते हैँ हमेशा...तभी तो कोई बात पचा नहीं सकता"...
"और तुम?..तुम तो सारी की सारी बात ही गोल कर जाते हो...कुछ बताते ही नहीं"..
"सुनो"मैं उसे अनसुना कर अपनी ही धुन में बोला...
"क्या?"...
"ज़रा कम्प्यूटर ऑन कर के नैट तो चलाना"...
"उफ...तौबा!...आप और...आप का कम्प्यूटर….शाम होते ही इंतज़ार रहता है कि कब जनाब आएँ और कब कड़क चाय की प्याली के साथ दो-चार प्यार भरी बातें हों"...
"कुछ मैँ इधर की कहूँ..कुछ आप उधर का हाल सुनाओ लेकिन आप हैँ कि..आते ही कम्प्यूटर ऑन करने को कह रहे हैँ....कम्प्यूटर ना हुआ..मेरी सौत हो गया"...
"इस मुय्ये कम्प्यूटर से तो अच्छा था कि तुम मेरी सौत ही ला के घर पे बिठा देते तो बढिया रहता"...
"वो कैसे?"...
"कम से कम लड़-झगड़ के ही सही...टाईम तो पास हो जाया करता मेरा"...
"ओह!....
"यहाँ तो बस चुपचाप टुकुर-टुकुर ताकते रहो जनाब को कम्प्यूटर पे उँगलियाँ टकटकाते हुए...और तो जैसे कोई काम ही नहीं है मुझे"..
"अरे यार!..राखी सावंत का नया आईटम नम्बर आया है ना"...
"कौन सा?"...
"जो सबको क्रेज़ी किए जा रहा है"...
"तो?":...
"उसी का विडियो डाउनलोड करना है"...
"किसलिए?"...
"रिंकू ने मंगवाया है"..
"सब पता है मुझे कि रिंकू ने मंगवाया है या फिर पिंकू ने मंगवाया है"...
"अरे यार!...तुम तो खामख्वाह शक करती हो...सच में..उसी ने मंगवाया है"...
"कम से कम झूठ तो ऐसा बोलो कि पकड़ में ना आए..क्यों अपने कमियों को छुपाने के लिए दूसरे का नाम ले ...उसे बदनाम करते हो?"...
"क्या मतलब?"...

(क्रमश:)

malethia 08-10-2011 04:34 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
"कई बार तो देख चुकी हूँ कि खुद तुम्हारा मोबाईल उस कलमुँही की अधनंगी तस्वीरों और विडियोज़ से भरा पड़ा है "..
"पता नहीं ऐसा क्या धरा है इस मुय्यी राखी की बच्ची में कि बच्चे...बूढे सब उसी पे लट्टू हुए जा रहे हैँ?....मेरा बस चले तो अभी के अभी कच्चा चबा जाऊँ"...
"अरे!..तुम्हें क्या पता कि क्या गज़ब की आईटम है ...आईटम क्या पूरी बम्ब है बम्ब"....
"उसका फिगर...उसकी सैक्स अपील...वल्लाह...क्या कहने?"मैँ मन ही मन बुदबुदाया..
"अरे!..सब का सब नकली माल है...उसका असली ...बिना मेकअप पुता चौखटा देख लो तो कभी फटकोगे भी नहीं उसके पास"बीवी ने मानो मेरे मन की बात भांप ली थी....
मैं कुछ कहने ही वाला था कि ट्रिंग..ट्रिंग...की सुरीली ताने के साथ फोन घनघना उठा .....
"सुनो!...अगर कोई मेरे बारे में पूछे तो कह देना कि अभी आए नहीं हैँ"...
"क्यों?...क्या हुआ?...बात क्यों नहीं करना चाहते?"..
"कहा ना"...
"क्या?"..
"यही कि...कोई मेरे बारे में पूछे तो साफ मना कर देना"...
"हुँह!....खुद तो पहले से ही सौ झूठ बोलते हैँ और अब मुझसे भी बुलवा रहे हैँ"..
"समझा कर यार"मैँ रिकवैस्ट भरी नज़रों से देखता हुआ बोला....
"क्या समझूँ?"...
"प्लीज़"..
"ठीक है!...इस बार तो बोले देती हूँ लेकिन अगली बार नहीं "...
"ठीक है...अभी की मुसीबत तो निबटाओ...बाद की बाद में देखेंगे"...
"हैलो.."..
"नमस्ते.."...
"जी.."..
"जी.."...
"अभी तो आए नहीं हैँ...हाँ!..आते ही मैसैज दे दूंगी
"ओ.के....बाय...ब्ब बॉय"...
"कौन था?"...
"वही..तुम्हारी माशूका...'कम्मो'....और कौन?"...
"तो फिर दिया क्यों नहीं फोन?"...
"तुमने खुद ही तो मना किया था"...
"इसके लिए थोड़े ही किया था"...
"और किसके लिए किया था?"...
"व्वो...वो तो ...दरअसल .....
"याद करो...तुमने ही कहा था कि जो कोई भी हो...साफ मना कर देना"...
"तुमसे तो बहस करना ही बेकार है..अपने आप दिमाग नहीं लगा सकती थी क्या?"..
"गल्तियाँ तुम करो और उन्हें भुगताऊँ मैँ?"...
"ओ.के बाबा!...मेरी ही गलती है...तुम्हें साफ़-साफ़ नहीं बताया ....तुम सही...मैँ गलत"....
"अब ठीक?"...
"हम्म!......
"और तुम्हें पिछली बार भी समझाया था कि 'कम्मो' मेरी माशूका नहीं....बल्कि बहन है"...
"सब पता है मुझे कि कौन?..किसकी?...कैसी बहन है?...और...कौन?...किसका?...कैसा भाई है?"...
"क्या मतलब?...मतलब क्या है तुम्हारा?"मैँ आगबबूला हो उठा...
"सब जानते हो तुम कि मेरे कहने का क्या मतलब है"..
"ट्रिंग..ट्रिंग... ट्रिंग..ट्रिंग" तभी ट्रिंग..ट्रिंग करता फोन फिर से चिंघाड़ उठा
"जो कोई भी मेरे बारे में पूछे ...साफ इनकार कर देना"...
"नहीं...बिलकुल नहीं"..
"पक्का..इस बार उसी का होगा"मैँ बड़बड़ाता हुआ बोला...



cont.........

sagar - 08-10-2011 06:39 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
जल्दी जल्दी लिखो म्लेथिया जी

malethia 08-10-2011 06:58 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
Quote:

Originally Posted by sagar - (Post 110185)
जल्दी जल्दी लिखो म्लेथिया जी

बस अभी परोसता हूँ................

malethia 08-10-2011 07:41 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
"नहीं...बिलकुल नहीं"..
"पक्का..इस बार उसी का होगा"मैँ बड़बड़ाता हुआ बोला...
"किसका?"...
"प्लीज़...मुझे फोन मत देना"..
"तुम्हें मेरी कसम"...
"हुँह..."इतना कह बीवी फोन की तरफ बढ गई...
"हैलो"...
"कौन?"....
"ओह!...नॉट अगेन"कहते हुए बीवी ने फोन क्रैडिल पर रख दिया...
"किसका फोन था?"...
"पता नहीं...ऐसे ही कोई पागल है...बार-बार फोन कर के तंग करता है"...
"कहता क्या है?"...
"कुछ नहीं"...
"मतलब?"...
"बस ऐसे ही ...ऊटपटांग बकता रहता है "...
"क्या?"...
"कुछ भी उल्टा-पुल्टा"...
"ज़रूर तुम्हारा कोई आशिक होगा"...
"मेरा?"...
"और नहीं तो मेरा?"..
"रहने दो...रहने दो...ये वेल्ला शौक मैँने नहीं पाला हुआ है"...
"तुमने नहीं पाला तो क्या?...उसने तो पाला हुआ है ना जो तुम्हें बारंबार फोन करता है"...
"मुझे क्या पता?...कहीं से नम्बर मिल गया होगा"...
"पता नहीं लोगों को क्या मिल जाता है ऐसे ही बेकार में फ़ालतू का वक्त बर्बाद कर के"...
"अच्छा...अब ये बताओ कि तुम फोन उठाने से कतरा क्यों रहे थे?"...
"बस ऐसे ही"...
"फिर भी ..पता तो चले"...
"अरे!...वो स्साला...'घंटेश्वरनाथ बल्लमधारी' नाक में दम किए बैठा है"..
"ओह!..तो उसी के डर से फोन स्विच ऑफ किए बैठे हैँ जनाब?"बीवी पलंग से फोन उठा मुझे दिखाती हुई बोली....
"यही समझ लो"...
"तुम तो ऐसे ही बेकार में हर किसी ऐरे-गैरे...नत्थू खैरे से डरते रहते हो"...
"अरे!..वो कोई ऐरा-गैरा नहीं है बल्कि एक माना हुआ नामी-गिरामी साहित्यकार है"...
"तो तुम क्या चिड़ीमार हो?...तुम भी तो एक उभरते हुए व्यंग्यकार ही हो ना?"...
"अरे!...वो पुराना चावल अंदर तक घिस-घिस के संवर चुका है इस साहित्य की लाईन में और मैँ अभी नया खिलाड़ी हूँ"...
"लेकिन अब तो तुम्हारा भी थोड़ा-बहुत नाम हो चला है"...
"हाँ!...हो तो चला है"...
"सो!..कमी किस बात की है?"...
"माना कि नाम हो चुका है लेकिन सिर्फ ब्लागजगत की दुनिया में"...
"तो क्या हुआ?...क्या कमी है तुम्हारी आभासी दुनिया में?...इस ब्लॉगिंग की वजह से ही तुमने लिखना शुरू किया और इसी वजह से तुम में हौंसला आया कि अपने लिखे को अखबारों वगैरा में भेज के देखा जाए"
"हम्म....
"नतीजा तुमहरे सामने है...तुमने आठ रचनाएँ भेजी नवभारत टाईम्स वालों को और उन्होंने बिना किसी कट के आठों की आठों ही अप्रूव कर छाप दी"..
"हम्म...
"अब तो खुद मेल भेज-भेज के दूसरी साईट वाले भी इंवाईट करते हैँ तुम्हें लिखने के लिए"..
"बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन नैट पे लिखना और बात है और किताबों और अखबारों में छपना-छपाना और बात है"...



cont.......

ndhebar 08-10-2011 11:49 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
अपन को क्या मतलब आप कहीं से भी उठा कर लाये हों, अपन लोग को तो पढ़ने से काम है
बस माल चोखा होना चाहिए जो की ये है

malethia 09-10-2011 10:42 AM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 110256)
अपन को क्या मतलब आप कहीं से भी उठा कर लाये हों, अपन लोग को तो पढ़ने से काम है
बस माल चोखा होना चाहिए जो की ये है

धन्यवाद निशांत जी ,आपको पसंद आ गया मतलब अपना चोरी का माल अच्छे भाव में बिक गया......

malethia 09-10-2011 10:44 AM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
"लेकिन मैँने तो सुना है कि ब्लॉगिग भी साहित्य की ही एक नई विधा है और उससे कहीं बेहतर है"...
"बात तो तुम्हारी सोलह ऑने सही है...यहाँ राईटर से लेकर पब्लिशर तक...हम अपनी मर्ज़ी के मालिक खुद जो होते हैँ"..
"हम्म!...
"यहाँ हम किसी सम्पादक या पब्लिशर की दया के मोहताज नहीं होते क्योंकि यहाँ कोई हमारी रचनाओं को खेद सहित नहीं लौटाता है"...
"और एक खूबी ये भी तो है कि हमें अपने लिखे पर कमेंट भी तुरंत ही मिलने शुरू हो जाते हैँ"..
"बिलकुल!...यहाँ लिखते के साथ ही पता चलना शुरू हो जाता है कि हमने सही लिखा या फिर गलत"..
"इन्हीं सब खूबियों की वजह से ब्लॉगिंग साहित्य से बेहतर है ना?"...
"लेकिन कईयों के हिसाब ये ये खूबियाँ नहीं बल्कि कमियाँ हैँ"....
"ये सब उन्हीं नामचीनों के द्वारा फैलाया गया प्रापोगैंडा होगा जिन्हें तुम ब्लॉगरो के चलते अपनी कुर्सी खतरे में नज़र आ रही होगी"...
"मैँने अभी हाल ही में कहीं पढा था कि 'बी.बी.सी' के किसी बड़े अफसर ने कहा है कि...
"हमें टीवी...अखबार...मैग्ज़ीनज़ के अलावा हर उस व्यक्ति से खतरा है जिसके पास एक अदद कम्प्यूटर और नैट का कनैक्शन है"..
"बिलकुल सही कहा है...तुम्हें पता है कि कई बार मीडिया की सुर्खियों में आने से भी बहुत पहले कुछ खबरें ब्लॉगजगत में धूम मचा रही होती है"..
"जैसे?"..
"ये 'मोनिका लैवैंसकी' और 'बिल क्लिंटन' वाला काण्ड भी सबसे पहले नैट पे ही उजागर हुआ था"...
"अच्छा?"..
"और ये समाजवादी पार्टी से अमर सिंह के इस्तीफ़े की खबर भी मीडिया वालों को सबसे पहले उनके ब्लॉग से ही मिली थी"...
"ओह!...क्या ये सही है कि आजकल चीन के दमन के चलते तिब्बत से आने वाली लगभग हर खबर का जरिया ब्लाग और इंटरनैट ही है?"...
"बिलकुल!... बाहरले मीडिया को जो खबरों के कवरेज की इज़ाज़त नहीं है"...
"और वहाँ का लोकल मीडिया तो सारी खबरें सैंसर होने के बाद ही दे रहा होगा?"..
"यकीनन"...
"आज हर बड़ी से बड़ी हस्ती का अपना ब्लॉग है..चाहे वो 'आमिर खान' हो या फिर 'अमिताभ बच्चन और उनकी भी यहाँ वही अहमियत है जो मेरी है या फिर किसी भी अन्य ब्लॉगर की"..
"ओह!..
"सीधी बात है कि जिसकी लेखनी में दम होगा...जिसका लिखा रुचिकर होगा उसी के पास रीडर खिंचे चले आएँगे"..
"आमिर खान का तो मैँने सुना था लेकिन ये 'बच्चन साहब' को ब्लॉग बनाने की क्या सूझी?"...
"अरे यार!..मीडिया में बहुत कुछ अंट-संट बका जा रहा था ना उनके खिलाफ"..
"तो?"...
"उसी चक्कर में अपना पक्ष रखने के लिए कोई ना कोई माध्यम तो चुनना ही था उन्हें...तो ऐसे में ब्ळॉग से बेहतर और भला क्या होता?"...
"हम्म!..
"पता है...उनकी एक-एक पोस्ट के लिए पाँच-पाँच सौ से भी ज़्यादा टिप्पणियाँ आ रही हैँ?"...
"अरे वाह!...तो इसका मतलब कि यहाँ भी आते ही धूम मचा दी उन्होने"..
"बिलकुल!..लेकिन एक कमी खल रही है उनके ब्ळॉग में मुझे"...
"क्या?"...
"हिन्दी भाषी होने के बावजूद....हिन्दी फिल्मों की बदौलत नाम..काम...शोहरत और पैसा पाने के बावजूद...उन्होंने अपना ब्लॉग अंग्रेज़ी में बनाया"...
"ओह!... ये 'बिग बी' का खिताब भी तो उन्हें हिन्दी फिल्मों की बदौलत ही मिला

cont...........

abhisays 09-10-2011 06:36 PM

Re: कुछ यहाँ वहां से............
 
आगे क्या हुआ मलेठिया जी.


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