आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
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Re: आप यहाँ अपने दिल कि बात कह सकते है !
भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तानी टीम के आने से पहले तो कहती थी कि "आने दो" लेकिन प्रदर्शन तो "दो आने" का भी नहीं कर पायी
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पुरुष प्रधान संस्कृति में किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक समारोह में सिर्फ महिलाओ से ही अतिथियों के पैर क्यों धुलवाए जाते है? पुरुषो से क्यों नहीं? क्या ये महिलाओको पुरुषो की गुलाम होने का एहसास नहीं कराता? |
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बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी प्रशासन भले ही छात्राओं से हुई छेड़छाड़ को मारपीट का मामला बताने में लगा हो, लेकिन हकीकत यह है कि छात्रों ने घटना के तुरंत बाद इसकी शिकायत कुलपति प्रो. निशा दुबे से की थी। इधर, छात्राओं के साथ हुई छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला प्रोफेसर डॉ. आशा शुक्ला को नोटिस देने का विरोध शुरू हो गया है।
फिजिक्स डिपार्टमेंट की छात्राओं के साथ ३ जनवरी को छेड़छाड़ और मारपीट की गई थी। इस घटना के बाद बीयू प्रशासन ने कहा था कि छेड़छाड़ की घटना नहीं हुई है, न ही इस बारे में किसी ने शिकायत की है। जबकि घटना के बाद छात्र अविनाश, धर्मराज ने कुलपति कार्यालय में पहुंचकर मामले की शिकायत की थी। दैनिक भास्कर के पास मौजूद छात्रों की शिकायत की प्रति में साफ तौर पर लिखा है कि छात्राओं के साथ छेड़छाड़ हुई थी। इसके बावजूद बीयू प्रशासन ने बिना किसी आधार के डॉ. शुक्ला को ही नोटिस थमा दिया है। जबकि, डॉ. शुक्ला ने छात्राओं की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। उन्हें बुधवार तक नोटिस का जवाब देना है। दर्ज किए बयान: मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने मंगलवार को बीयू पहुंचकर इस घटना से जुड़े प्रोफेसरों और फिजिक्स डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के बंद कमरे में बयान दर्ज किए। कमेटी ने जिनके बयान दर्ज किए हैं, उनमें रैक्टर डीसी गुप्ता, महिला अध्ययन केंद्र की विभागाध्यक्ष प्रो. आशा शुक्ला, सतत शिक्षा विभाग की प्रोफेसर नीरजा शर्मा, इलेक्ट्रानिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी चीफ वार्डन एसके खटीक आदि शामिल हैं। जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट विभागीय मंत्री को सौंपी जाएगी। बीयू टीचर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एचएस यादव का कहना है कि डॉ. शुक्ला को नोटिस देना दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तरफ पूरे देश में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की बात की जा रही है। वहीं, बीयू में छात्राओं की सुरक्षा की बात करने वाली प्रोफेसर को नोटिस जारी किया जा रहा है। इस मामले में यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को एकजुट होकर महिला प्रोफेसर के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। ईसी सदस्य रेणु मालवीय का कहना है कि यदि किसी महिला प्रोफेसर पर इस तरह से दबाव बनाया जाएगा तो भविष्य में कोई भी महिला आगे नहीं आएगी। मामले की जांच कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अभी नहीं दी है, ऐसे में अभी नोटिस जारी करना न्यायसंगत नहीं है। इसकी शिकायत के लिए राज्यपाल (कुलाधिपति) से समय मांगा गया है। एबीवीपी के प्रांतीय सहमंत्री विजय अटवाल का कहना है कि कुलपति अपनी छवि खराब होने से बचाने के लिए छेड़छाड़ को मारपीट का मामला बताकर दबाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं, डॉ. शुक्ला को नोटिस देने के विरोध में बुधवार को युवा कांग्रेस बोर्ड ऑफिस चौराहे पर उच्च शिक्षा मंत्री का पुतला जलाएंगी। रजिस्ट्रार से पूछेंगे, किस आधार पर दिया नोटिसः बीयू के रजिस्ट्रार संजय तिवारी से पूछा जाएगा कि उन्होंने महिला प्रोफेसर डॉ. शुक्ला को किस आधार पर नोटिस दिया है। अब तक इस मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट भी नहीं आई है, ऐसे में किसी भी प्रोफेसर को नोटिस देना गलत है। लक्ष्मीकांत शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री |
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इसको लेकर अपने मीडिया ने अभी तक हल्ला नहीं मचाया है, लगता है किसी ने इसपर ध्यान नहीं दिया??? :giggle::giggle::giggle: |
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