My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Mehfil (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=17)
-   -   इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=5274)

Dr. Rakesh Srivastava 22-11-2012 03:16 PM

इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
इस तरह तुमने मेरे साथ मोहब्बत की है ;
जैसे पिछले जनम की कोई अदावत की है .

रूह तक ज़ख्म दिये , चाक़ गिरेबां बख्शा ;
एक उल्फ़त ने तेरी कितनी इनायत की है .

जितना तोड़ोगे दिल को , अक्स अपने पाओगे ;
जानेजां मैंने भी आईने - सी फ़ितरत की है .

तोड़ भी दोगे तो महसूस करोगे ख़ुश्बू ;
मैंने ये सोच के फूलों - सी तबीयत की है .

कैसे परवाना लुभा करके जलाया जाता ;
ऐ शमा तूने मुझे ख़ूब नसीहत की है .

चैन सुख बेच के कुछ ज़ख्म कमाए मैंने ;
एक नादान ने घाटे की तिज़ारत की है .

मेरा जज़्बा था जो पत्थर से ख़ुदा बन बैठे ;
मान एहसान मेरा , मैंने इबादत की है .

तेरे ख़िलाफ़ ज़ेहन जब भी मेरा जाता है ;
दिले नादान ने तेरी ही हिमायत की है .

मेरे जज़्बात तेरे दिल पे सदा देते रहें ;
इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है .


रचयिता ~~ डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .

( शब्दार्थ ~~ हिमाक़त = दुस्साहस , अदावत = दुश्मनी , रूह = आत्मा , चाक़ = फटा , गिरेबां = कॉलर , बख्शा = सौंपा , उल्फ़त = प्रेम , इनायत = कृपा , अक्स = आकृति , फ़ितरत = स्वभाव , तबीयत = मिजाज़ , परवाना = पतंगा , नसीहत = सीख , तिज़ारत = सौदा , इबादत = पूजा , ज़ेहन = दिमाग , हिमायत = तरफदारी, सदा = {अप्रत्यक्ष व्यक्ति को}आवाज़ )

abhisays 22-11-2012 04:16 PM

Re: इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
एक और उम्दा रचना के लिए, राकेश जी आपका आभार। :bravo::bravo::bravo:

Dark Saint Alaick 23-11-2012 11:49 PM

Re: इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
अच्छी ग़ज़ल है, कविवर। :thumbup:

Dr. Rakesh Srivastava 29-11-2012 07:49 AM

Re: इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
अत्यंत आभार आप सबका सर्वश्री अभिशेष जी , डार्क सेंट अल्लैक जी , रवि शर्मा जी एवं रजनीश मांगा जी . स्वयं के चिन्ह न छोड़ने वाले सभी समस्त अज्ञात पाठकों का भी आभार व्यक्त करता हूँ .

sombirnaamdev 29-11-2012 11:18 PM

Re: इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
मेरे जज़्बात तेरे दिल पे सदा देते रहें ;
इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है .

kitni narmi se pesh ki gyee hai rachnaa bhaoot khoob dr rakesh srivastan ji /


tod mod chahe kuch bhi karle ya kaya teri s
ar puran mal tanne najar mehar ki kad ki kad pheri s

ye do line ek haryanvi song ki hai jisme samarpan kut kut kar bhara hai ,

jo aapki kavita ke sandarbh mein bhi ek dum sahi baithta hai /
dhanyavaad ek baar phir se nayaab sahitya lekhan ke liye



DevRaj80 01-11-2015 05:36 PM

Re: इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
[QUOTE=Dr. Rakesh Srivastava;182864]इस तरह तुमने मेरे साथ मोहब्बत की है ;
जैसे पिछले जनम की कोई अदावत की है .

रूह तक ज़ख्म दिये , चाक़ गिरेबां बख्शा ;
एक उल्फ़त ने तेरी कितनी इनायत की है .

जितना तोड़ोगे दिल को , अक्स अपने पाओगे ;
जानेजां मैंने भी आईने - सी फ़ितरत की है .

तोड़ भी दोगे तो महसूस करोगे ख़ुश्बू ;
मैंने ये सोच के फूलों - सी तबीयत की है .

कैसे परवाना लुभा करके जलाया जाता ;
ऐ शमा तूने मुझे ख़ूब नसीहत की है .

चैन सुख बेच के कुछ ज़ख्म कमाए मैंने ;
एक नादान ने घाटे की तिज़ारत की है .

मेरा जज़्बा था जो पत्थर से ख़ुदा बन बैठे ;
मान एहसान मेरा , मैंने इबादत की है .

तेरे ख़िलाफ़ ज़ेहन जब भी मेरा जाता है ;
दिले नादान ने तेरी ही हिमायत की है .

मेरे जज़्बात तेरे दिल पे सदा देते रहें ;
इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है .


रचयिता ~~ डॉ .राकेश श्रीवास्तव


shaandaar राकेश जी

Pavitra 06-11-2015 10:24 PM

Re: इसलिए शायरी करने की हिमाक़त की है ...
 
Quote:

Originally Posted by Dr. Rakesh Srivastava (Post 182864)


जितना तोड़ोगे दिल को , अक्स अपने पाओगे ;
जानेजां मैंने भी आईने - सी फ़ितरत की है .


कैसे परवाना लुभा करके जलाया जाता ;
ऐ शमा तूने मुझे ख़ूब नसीहत की है .



मेरा जज़्बा था जो पत्थर से ख़ुदा बन बैठे ;
मान एहसान मेरा , मैंने इबादत की है .

तेरे ख़िलाफ़ ज़ेहन जब भी मेरा जाता है ;
दिले नादान ने तेरी ही हिमायत की है .


)


बहुत बहुत सुन्दर गजल लिखी है आपने राकेश जी..... हर एक शायरी काबिल-ए-तारीफ है पर ये चार शेर तो लाजवाब हैं .......:bravo::bravo::bravo::bravo:


All times are GMT +5. The time now is 10:12 AM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.