Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > मुंह चढ़ना (मुंहचढ़ा)
भावार्थ: अकारण बराबरी करना या कृपापात्र हो जाना उदाहरण: चमन में बागबां से सुब्ह दम कहती थी ये बुलबुल गुलों के मुंह पे यों चढ़ती है दीदा देखो शबनम का (शायर: दर्द) |
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मुहावरा > मुंह बिसूरना
भावार्थ: रुआँसा होना उदाहरण: दहन से उसके मेरा दिल जो दूर रहता है तो शकले-गुंच-ए-गुल मुंह बिसूर रहता है (शायर: हिदायत) |
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मुहावरा > मार पेच की राह
भावार्थ: रास्ता टेढ़ा मेढ़ा होना उदाहरण: रखता है ज़ुल्फ़े-यार का कूचा हज़ार पेच ऐ दिल समझ के जाइयो है राह मार पेच (शायर: मोहम्मद हुसैन ‘कलीम’) |
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मुहावरा > मुंह देखे की उल्फ़त
भावार्थ: ऐसा प्रेम जो आमना सामना होने पर ही प्रगट होता है, पर इस पर भरोसा नहीं कर सकते. उदाहरण: न भूल ऐ आरसी ग़र यार से तुझको मुहब्बत है भरोसा कुछ नहीं इसका ये मुंह देखे की उल्फ़त है (आरसी = आईना, दर्पण) (शायर: मिर्ज़ा रफ़ी सौदा) |
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मुहावरा > (अपना सा) मुंह ले के रह जाना
भावार्थ: निराश लौट आना और मेहरबानी का कोई चिन्ह न पाना उदाहरण: बाद मुद्दत तेरे कूचे में जो आ जाता हूँ अपना सा मुंह लिये वों ही चला जाता हूँ (शायर: नहीं मालूम) |
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मुहावरा > मुंह का निवाला
भावार्थ: कोई बहुत सरल काम (पुराने ज़माने का अर्थ) उदाहरण: ता’जील न कर ऐ दिल आने तो लगा है वो मिल जायेगा बोसा भी क्या मुंह का निवाला है (बोसा = चुम्बन) (शायर: मीर हसन) |
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मुहावरा > मुंह से फूल झड़ना
भावार्थ: गाली देना या बुरा भला कहना (पुराने ज़माने का अर्थ) उदाहरण: गालियाँ दे के अब बिगड़ते हैं वाह क्या मुंह से फूल झड़ते हैं (शायर: इंशा अल्ला खां ‘इंशा’) |
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मुहावरा > मुंह छुपाना
भावार्थ: उपेक्षा करना या अनदेखा करना उदाहरण: ताक़त ने तो था ही मुंह चुराया हम से दिल सब्रो-खिरद ने भी उठाया हम से ये तो थे ही, रंगों - बू ने भी तपिश यक बारगी अब है मुंह छुपाया हम से (शायर: कोशकार स्वयं) |
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मुहावरा > मुंह लगना
भावार्थ: घनिष्टता प्राप्त करना उदाहरण: क्या हर्फ़ दिलनशीं हो मेरा मिस्ले-ख़त मुदाम अग़यारे रूस्याह ............ तेरे मुंह लगा किये (शायर: मीर त़की ‘मीर’) |
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मुहावरा > मुंह ले के फिर जाना
भावार्थ: निराश लौट जाना / मेहरबानी न होना उदाहरण: बाद मुद्दत तेरे कूचे मैं ....... जो आ जाता हूँ अपना सा मुंह लिये फिर यूँ ही चला जाता हूँ (शायर: अज्ञात) |
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