Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
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Re: Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
अभी निर्मल बाबा के बारे में समाचार पत्रों में काफी कुछ लिखा जा रहा है, इनकी संपत्ति के बारे में भी कई खुलासे किये जा रहे हैं.. क्या यह बाबा भी पिछले कई बाबाओ की तरह fraud है.
देखेंगे इस सूत्र में. आप लोग के पास भी इस सिलसिले में कोई जानकारी है तो जरुर शेयर करे. |
Re: Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
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Re: Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
निर्मल बाबा का पोल खोलने मे सबसे अग्रणी भूमिका निभाने वाला अखबार "प्रभात खबर" है। उसी के सौजन्य से मै कुछ तथ्यों को इस सूत्र मे डाल रहा हूँ।
अगर इस फोरम पर कोई निर्मल बाबा का भक्त है, तो उसे आग्रह है कि मेरे इस प्रयास को अन्यथा न ले, मेरा मकसद किसी का दिल दुखाना कतई नहीं है। बल्कि उन तथ्यों को दर्शाना है, जो अखबार ने प्रकाशित किए है। |
Re: Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
कौन है निर्मल बाबा? निर्मल बाबा दो भाई हैं. बड़े भाई मंजीत सिंह अभी लुधियाना में रहते हैं. निर्मल बाबा छोटे हैं. पटियाला के सामना गांव के रहनेवाले. 1947 में देश के बंटवारे के समय निर्मल बाबा का परिवार भारत आ गया था. बाबा शादी-शुदा हैं. एक पुत्र और एक पुत्री हैं उनकी. मेदिनीनगर (झारखंड) के दिलीप सिंह बग्गा की तीसरी बेटी से उनकी शादी हुई. चतरा के सांसद और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के छोटे साले हैं ये. बकौल श्री नामधारी, 1964 में जब उनकी शादी हुई, तो निर्मल 13-14 वर्ष के थे. 1970-71 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) आये और 81-82 तक वह यहां रहे. रांची में भी उनका मकान था. पर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे के बाद उन्होंने रांची का मकान बेच दिया और चले गये. रांची के पिस्का मोड़ स्थित पेट्रोल पंप के पास उनका मकान था. |
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झारखंड से रिश्ता
निर्मल बाबा का झारखंड से पुराना रिश्ता रहा है. खास कर पलामू प्रमंडल से. 1981-82 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) में रह कर व्यवसाय करते थे. चैनपुर थाना क्षेत्र के कंकारी में उनका ईंट-भट्ठा भी हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के नाम से चलता था. उन्हें जाननेवाले कहते हैं : निर्मल का व्यवसाय ठीक नहीं चलता था. तब उनके ससुरालवाले मेदिनीनगर में ही रहते थे. हालांकि अभी उनकी ससुराल का कोई भी सदस्य मेदिनीनगर में नहीं रहता. उनके (निर्मल बाबा के) साले गुरमीत सिंह अरोड़ा उर्फ बबलू का लाईम स्टोन और ट्रांसपोर्ट का कारोबार हुआ करता था. बबलू के मित्र सुमन जी कहते हैं : चूंकि बबलू से मित्रता थी, इसलिए निर्मल जी को जानने का मौका मिला था. वह व्यवसाय कर रहे थे. कुछ दिनों तक गढ़वा में रह कर भी उन्होंने व्यवसाय किया था. वहां कपड़ा का बिजनेस किया. पर उसमें भी नाकाम रहे. बहरागोड़ा इलाके में कुछ दिनों तक माइनिंग का ठेका भी लिया. कहते हैं..बहरागोड़ा में ही बाबा को आत्मज्ञान मिला. इसके बाद से ही वह अध्यात्म की ओर मुड़ गये. वैसे मेदिनीनगर से जाने के बाद कम लोगों से ही उनकी मुलाकात हुई है. जब उनके बारे में लोगों ने जाना, तब यह चर्चा हो रही है. उन्हें जाननेवाले लोग कहते हैं कि यह चमत्कार कैसे हुआ, उनलोगों को कुछ भी पता नहीं. |
Re: Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
- हां, निर्मल बाबा मेरे साले हैं : नामधारी
* निर्मल बाबा आपके रिश्तेदार हैं? हां यह सही है, काफी लोग पूछते हैं, इसके बारे में. मैं स्पष्ट कर दूं कि वह मेरे साले हैं. कुछ बतायें, उनके बारे में. 1964 में जब मेरी शादी हुई थी, तो उस वक्त निर्मल 13-14 साल के थे. पहले ही पिता की हत्या हो गयी थी. इसलिए उनकी मां (मेरी सास) ने कहा था कि इसे उधर ही ले जाकर कुछ व्यवसाय करायें. 1970-71 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) आये. 1981-82 तक रहे, उसके बाद रांची में 1984 तक रहे. उसी वर्ष रांची का मकान बेच कर दिल्ली लौट गये. 1998-99 में बहरागोड़ा में माइंस की ठेकेदारी ली थी. इसी क्रम में उन्हें कोई आत्मज्ञान प्राप्त हुआ. इसके बाद वह अध्यात्म की तरफ मुड़ गये. बस इतना ही जानता हूं,उनके बारे में. क्या आइडिया है, निर्मल बाबा के बारे में देखिए उनके लाखों श्रद्धालु हैं. लोग उनमें आस्था रखते हैं. वैसे कई मुद्दों पर मेरी मतभिन्नता है उनके साथ. * किस मुद्दे पर है मतभिन्नता देखिए, मैं कहता हूं कि ईश्वरीय कृपा से यदि कोई शक्ति मिली है, तो उसका उपयोग जनकल्याण में होना चाहिए. बात अगर निर्मल बाबा की ही करें, तो आज जिस मुकाम पर वह हैं, वह अगर जंगल में भी रहें, तो श्रद्धालु पहुंचेंगे. तो फिर प्रचार क्यों? पैसा देकर ख्याति बटोर कर क्या करना है? जनकल्याण में अधिक लोगों का भला हो. गुरुनानक के शब्दों में कहें, तो करामात, कहर का दूसरा नाम है. यह दुनिया दुखों का सागर है. यदि आज आप करामात दिखा रहे हैं. तो स्वाभाविक है कि लोगों की अपेक्षा बढ़ेगी, लंबे समय तक किसी की अपेक्षा के अनुरूप काम करना संभव नहीं है. मेरी नजर में यह काम शेर पर सवारी करने जैसा है. |
Re: Nirmal Baba ( आखिर क्या है सच? )
प्रभात खबर द्वारा लगातार किये जा रहे खुलासे के बाद टीवी चैनलों पर विज्ञापन के माध्यम से लोकप्रियता बटोरने वाले निर्मल बाबा उर्फ निर्मल जीत सिंह नरूला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. चैनलों के माध्यम से लाखों भक्तों को बेवकूफ बनाकर ठगी करने के आरोपी बाबा के खिलाफ उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ के दो अलग-अलग थानों में शिकायता दर्ज की गई है.
लखनऊ के गोमतीनगर थाने में लखनऊ निवासी तान्या ठाकुर और आदित्य ठाकुर ने निर्मल बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जिसमें उन्होंने आम लोगों से पैसे लेकर सवाल पूछने और उल्टा-सीधा जवाब देकर धोखा करने के आरोप लगाए हैं. अर्जी में कहा गया है कि निर्मल बाबा के प्रवचन से लोग गुमराह हो रहे हैं. गोमतीनगर थाना प्रभारी मनोज मिश्रा ने बताया कि शिकायत दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है. जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की जाएगी. पुलिस निर्मल बाबा के साथ मीडिया की भूमिका की भी जांच करेगी. दूसरी शिकायत छत्तीसगढ में रायपुर के डीडी नगर थाने में दर्ज कराई गई है. इसमें शिकायतकर्ता रविशंकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष योगेन्द्र शंकर शुक्ला ने निर्मल बाबा पर पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि “निर्मल बाबा की तीसरी आंख” कार्यक्रम में बाबा लोगों को अनर्गल उपाय बतलाकर उनके साथ धोखाधड़ी करके फीस के रूप में मोटी रकम वसूलते हैं. टीवी चैनलों पर विज्ञापन के माध्यम से बाबा की लोकप्रियता अचानक काफी बढ़ गयी है. अगर कहें कि उनके सामने सभी बाबा पीछे छूट गये हैं, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. बाबा का असर ऐसा है कि टीवी के सामने भी कई लोग पर्स खोल कर और बोतल में पानी रख कर बैठ जाते हैं. थर्ड आइ ऑफ निर्मल बाबा नामक कार्यक्रम में बाबा कृपा पाने के जो उपाय बताते हैं, वह उन्हें संदेह के घेरे में ला देता है. वैसे बाबा का दावा है कि उनके पास दिव्य शक्ति है और वह उसी से भक्तों को कष्ट से मुक्ति दिलाते हैं. |
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काला पर्स रखने के बाबा के टिप्स से उसकी बिक्री काफी बढ़ गयी है. अकेले रांची में काले पर्स की बिक्री अब लगभग हर महीने 1.5 करोड़ की हो रही है, जो पहले बमुश्किल 45-50 लाख की होती थी. 10 रुपये के नये नोट की गड्डी बाहर में 12 सौ रुपये में बिकने लगी है. बैंकों में 10 रुपये की गड्डी की मांग बढ़ गयी है. मुंहमांगी कीमत पर बाबा के फोटो बिक रहे हैं.
कैसे आ सकते हैं समागम में- पहले बुकिंग करानी पड़ती है. रजिस्ट्रेशन शुल्क दो हजार रुपये प्रति व्यक्ति है. दो वर्ष के ऊपर के बच्चों का भी पूरा पैसा लगता है. पैसे या डिमांड ड्राफ्ट यस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और आइसीआइसीआइ बैंक में जमा होते हैं. निर्मल दरबार में सीधे पैसे या डिमांड ड्राफ्ट भेजने की व्यवस्था नहीं है. यह राशि नन रिफंडेबल और नन ट्रांसफरेबल है. 211, चिरंजीव टावर, 43, नेहरू पैलेस नयी दिल्ली-110019 के पते पर ओरिजनल बैंक रिसिप्ट कूरियर से भेजनी पड़ती है. लिफाफे पर यूनिक रेफरेंस नंबर लिखना पड़ता है, जो वेबसाइट से लिया जा सकता है. यह नंबर तभी संभव है,जब समागम के लिए जगह खाली हो. समागम में हिस्सा लेने के लिए पंजाब नेशनल बैंक ने पे फी सिस्टम शुरू किया है, ताकि प्रोसेस जल्द हो. इसके लिए चालान वेबसाइट से डाउनलोड किये जा सकते हैं. इसका भी ओरिजिनल रिसिप्ट निर्मल दरबार को भेजना पड़ता है. रिसिप्ट के पीछे अपना मोबाइल नंबर और किस समागम में हिस्सा लेना चाहते हैं, उसका उल्लेख करना होता है. भक्त को एसएमएस से सूचना भेजी जाती है. फोन से नंबर नहीं लगता- निर्मल बाबा के समागम के लिए फोन से नंबर नहीं लग सकता. न ही सीधे नंबर मिल सकता है. यह सुविधा बंद कर दी गयी है. ऐसे मिलती है बाबा की कृपा : बाबा कहते हैं, सभी भक्तों का समागम में आना संभव नहीं है. अगर वह टीवी के सामने हैं या फिर कहीं और हैं, तो वहीं उन्हें कृपा मिलती है. सिर्फ श्रद्धा चाहिए. समागम के दो हिस्से : किसी भी समागम के दो हिस्से होते हैं. पहले हिस्से में निर्मल बाबा भक्तों से सीधे बात करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं. दूसरे हिस्से में बाबा भक्तों के अनुभव सुनते हैं. कैसे होता है समापन- समागम की समाप्ति पर बाबा भक्तों से कहते हैं : आप जिस इच्छा को लेकर आये हैं, उसका ध्यान करिये. फिर कहते हैं : सभी अपने-अपने पर्स खोल लीजिये. इसके बाद बाबा आशीर्वाद देते हैं. लोगों से काला पर्स रखने और अलमारी में 10 के नोट की गड्डी रखने की सलाह देते हैं. अगस्त तक सीट नहीं- बाबा के समागम के लिए अगस्त महीने तक सीट खाली नहीं है. लोगों को चेताया भी गया है कि अगर कोई यह कहता है कि वह बाबा के समागम में शामिल करवा सकता है, तो वह गलत है. ऐसे लोगों से सावधान रहें. |
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पैसे देकर सवाल करवाते थे बाबा : निधि
चर्चित ब्लाग भड़ास 4 मीडिया के मुताबिक बाबा पहले नोएडा की फिल्मसिटी स्थित एक स्टूडियो में अपने प्रोग्राम की शूटिंग करवाते थे. उस वक्त बाबा के सामने जो लोग अपनी समस्या के हल का दावा करते थे, वे असली न होकर जूनियर आर्टिस्ट हुआ करते थे. |
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