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-   -   छोटी सी कस्ती (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=17158)

soni pushpa 28-06-2017 01:39 AM

छोटी सी कश्ती
 
न उलझ जाऊं इस जहाँ के आडम्बरों में जब हो कभी मन की चंचललता

न कर बैठूं कोई अपराध जब मन की हो अधीरता

न जाऊं आड़े टेढ़ रास्तों पर मैं ओ मेरी किस्मत के बनाने वाले ,

बस बिनती तुझसे है इतनी चले आना आके तू सब संभाले


न छद्मवेशी इस दुनिया का छद्म एहसास और,

न कभी खोना चाहूँ उन छद्म एहसासो की सांसों में


न पाए ज़िन्दगी के ये झरोखे किसी ऐसे एहसास को जिनमे

न सच का साथ और न कोई विश्वास हो।

न घिर जाऊ कभी आकर्षणों के भरम में

न जगे प्यास कभी उस चकाचौंध के रमण में

न कर बैठूं गुनाह कोई लोभ में

न दिल दुखे कीसी का किसी मोह में

न चाह हो धन पराया हड़पने की

हे ईश्वर गर भटक भी जावूं राहें , मंज़िले मैं अपनी

आकर संभाल लेना ये छोटी सी कश्ती मेरी।

rajnish manga 29-06-2017 08:32 AM

Re: छोटी सी कश्ती
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 561164)
....
हे ईश्वर गर भटक भी जावूं राहें , मंज़िले मैं अपनी

आकर संभाल लेना ये छोटी सी कश्ती मेरी।

दुनिया के सभी आडंबर व माया मोह व्यक्ति को भटका देते है. ऐसे में आपकी प्रार्थना के शब्द आत्मिक बल का आह्वान करते हैं. बहुत सुंदर कविता. फ़ोरम पर इसे शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.

soni pushpa 07-07-2017 01:05 AM

Re: छोटी सी कश्ती
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 561190)
दुनिया के सभी आडंबर व माया मोह व्यक्ति को भटका देते है. ऐसे में आपकी प्रार्थना के शब्द आत्मिक बल का आह्वान करते हैं. बहुत सुंदर कविता. फ़ोरम पर इसे शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.


कविता को लिए हार्दिक आभार सह धन्यवाद भाई .. जी भाई प्रर्थना इंसान को सदा ही सही राह बतलाती है और ईश्वर का सान्निध्य करवाती है।


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