Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
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मित्र वार्ष्णेय जी, कृपया जांच करें कि लिखा जा रहा वाक्य jumble के समान दिखाई दे रहा है अर्थात किन्हीं भी दो शब्दों के बीच में स्पेस नहीं दिया गया. बाकी पोस्टों में भी कृपया चैक कर लें. नीचे संपादित वाक्य दिया जा रहा है: यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है। - इंदिरा गांधी[/QUOTE] |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
Space dene ki kripya karein mahodya taki vakyansh sahi samjh mein aa sake
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है।
- गौतमबुद्ध |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है!
- लोकमान्यतिलक |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है।
- अनंत गोपाल शेवडे |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
जीवन का महत्वत भी है जब वह किसी महान ध्येय के लिए समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो।
- इंदिरागांधी |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।
- वेदव्यास |
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अनुराग, यौवन, रूपया धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है।
- प्रेमचंद |
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=================== सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध। - सरदार पटेल |
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कष्ट ही तो वह प्रेरकशक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है। - सावरकर |
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