Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
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तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि |
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संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास। - काका कालेलकर |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
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चाहे गुरु पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए। क्यों कि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। - समर्थ रामदास |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
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यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है। - इंदिरागांधी |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
आदमी धन के पीछे तब तक भागता है, जब तक उसका नि-धन नहीं हो जाता...
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
लिफाफा
पैगाम तुम्हारा और पता उनका दोनों के बीच फाड़ा मैं ही जाऊँगा। |
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
दान देना ही आमदमी का एकमात्र व्दार है | – स्वामी रामतीर्थ.
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यदि किसी युवती के दोष जानना हों, तो उसकी सखियों में उसकी प्रशंसा करो | – बेंजामिन फ्रैंकलिन
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