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-   -   अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=8892)

internetpremi 16-07-2013 02:15 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 316020)
तपहीपरमकल्याणकासाधनहै।दूसरेसारेसुखतोअज्ञानमात्रहैं।
- वाल्मीकि


तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं।
- वाल्मीकि

internetpremi 16-07-2013 02:17 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 316422)
· संयमसंस्कृतिकामूलहै।विलासितानिर्बलताऔरचाटुकारिताकेवातावरणमेंतोसंस्कृतिकाउद्भवहोताहैऔरविकास।
-
काकाकालेलकर


संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास।
- काका कालेलकर

internetpremi 16-07-2013 02:20 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 320254)
· चाहेगुरुपरहोयाईश्वरपर, श्रद्धाअवश्यरखनीचाहिए।क्योंकिबिनाश्रद्धाकेसबबातेंव्यर्थहोतीहैं।
-
समर्थरामदास


चाहे गुरु पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए। क्यों कि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं।
- समर्थ रामदास

internetpremi 16-07-2013 02:22 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 320255)
· यदिअसंतोषकीभावनाकोलगनधैर्यसेरचनात्मकशक्तिमेंबदलाजाएतोवहख़तरनाकभीहोसकतीहै।
-
इंदिरागांधी


यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है।
- इंदिरागांधी

VARSHNEY.009 18-07-2014 04:45 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
आदमी धन के पीछे तब तक भागता है, जब तक उसका नि-धन नहीं हो जाता...

rafik 18-07-2014 04:48 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
:iagree::bravo::iagree::bravo::iagree:

VARSHNEY.009 02-01-2015 02:16 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
लिफाफा
पैगाम तुम्हारा
और पता उनका
दोनों के बीच
फाड़ा मैं ही जाऊँगा।

rajnish manga 02-01-2015 09:33 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
Quote:

Originally Posted by varshney.009 (Post 545144)
लिफाफा
पैगाम तुम्हारा
और पता उनका
दोनों के बीच
फाड़ा मैं ही जाऊँगा।

बहुत सुन्दर, मित्र.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:19 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
दान देना ही आमदमी का एकमात्र व्दार है | – स्वामी रामतीर्थ.

VARSHNEY.009 06-09-2016 09:19 PM

Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
 
यदि किसी युवती के दोष जानना हों, तो उसकी सखियों में उसकी प्रशंसा करो | – बेंजामिन फ्रैंकलिन


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