Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
निराशा आशा के पीछे-पीछे चलती है | – एल. ई लैमडन.
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
निराशा निर्बलता का चिह्न है | – स्वामी रामतीर्थ.
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
जिस तरह पानी को कोई जल, कोई आब, कोई वाटर कहते हैं, उसी तरह एक ही सच्चिदानंद परमेश्वर को कोई अल्लाह, कोई हरि, कोई गॉड कहकर पुकारते हैं | – रामकृष्ण परमहंस.
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
ईश्वर की कोई बौद्धिक परिभाषा नहीं दी जा सकती | हाँ, उसका आत्मा के सहारे अनुभव किया जा सकता है | – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन.
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
पाप एक प्रकार का अँधेरा है, जो ज्ञान का प्रकाश होते ही मिट जाता है | – कालिदास.
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Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
पुस्तकें मन के लिए साबुन का कार्य करती हैं | – महात्मा गांधी.
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