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-   -   ! आशिकाना शायरी ! (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1182)

TIGERLOVE 09-11-2010 08:50 PM

! आशिकाना शायरी !
 
! आशिकाना शायरी !

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको।
ऐसे में ढूढ़ लाना।

कहना है की रुत जवा है
लेकिन हम तरस रहे हैं।
काली घटाओ के साए
विरहन को डस रहे हैं।
डर हैं न मार डाले
सावन का क्या ठिकाना।

सूरज कहीं भी जाए।
तुम पर न धुप आए।
तुमको पुँकारते हैं।
इन गेसुओं के साए।
आ जाओ में बना दूँ।
पलको का शामियाना।

मोसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना,

फिरते हैं हम अकेले।
बाहों में कोई लेले।,
आख़िर कोई कहाँ तक।
तन्हाई से खेले।
दिल हो गई हैं जालिम।
रातें हैं कातिलाना।


यह रात ये खामोशी।
यह खवाब से नज़ारे।
जुगनू है या जमीं पे।
या उतरे हुए हैं तारे।
बेखाब मेरी आँखें।
मदहोश है जमना।

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना।


jai_bhardwaj 09-11-2010 10:03 PM

वाह !! क्या पाकीज़ा गीत है .........
धन्यवाद मित्र /

TIGERLOVE 10-11-2010 07:00 AM

Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 12553)
वाह !! क्या पाकीज़ा गीत है .........
धन्यवाद मित्र /

कद्र के लिए धन्यवाद कबूल करे !!

TIGERLOVE 10-11-2010 07:45 AM

1 Attachment(s)
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1289360692
तू आसमां है चांद सितारों से पूछ ले


दुनिया के इन हसीन नज़ारों से पूछ ले






तुझको मैं रब कहूं तो बुरा मानते हैं लोग
तू मेरे दिल की बात इशारों से पूछ ले

तुझमें ही डूबने को बना है मेरा वजूद
दरिया से शर्म है तो किनारों से पूछ ले

डाली मेरे चमन की भी भीगी हुई सी है
सावन की हल्की हल्की फुहारों से पूछ ले

बेरंग सी हुई हैं फिज़ाएं तेरे बगैर
मेरा यकीं नहीं तो बहारों से पूछ ले


TIGERLOVE 15-11-2010 05:52 PM

Re: ! आशिकाना शायरी !
 
सपनो में मेरे चुपके से आया है कोई..
धीमे से एक गीत गुनगुनाया है कोई..

मैंने तो आँखों को अपनी बंद रखा था..
फिर भी मेरे दिल में समाया है कोई..

लब पे मुस्कान है चेहरे पे ख़ुशी छाई है..
बन के खुशबू हर तरफ महकाया है कोई..

अब मुझे होता है जिन्दगी जीने का अहसास..
मेरे जीवन में बन के ख़ुशी छाया है कोई..

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

TIGERLOVE 15-11-2010 05:53 PM

Re: ! आशिकाना शायरी !
 
तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने..
क्या हो गया अगर जिंदगी को ही आजमा लिया मैंने..

लोग कहते है सदियों से के इश्क में रब बसता है..
गुनाह हो गया जो इश्क को ही खुदा मान लिया मैंने..

जब भी माँगा मैंने बस तेरी खुशी की दुआ ही मांगी..
मेरी खुशिया उडा के ले गई आई जो बक्त की आंधी..

सोचा था मागेगे तुझे खुदा के दर पर जा कर कभी..
तुझे खुदा मान के तेरे दर पर ही सर को झुका लिया मैंने..

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

TIGERLOVE 16-11-2010 07:14 AM

Re: ! आशिकाना शायरी !
 
खुश रहे वो शायद जमाने भर की खुशियाँ पाकर..
हम तो दुनिया का दर्द अपने दिल में छुपाये बैठे हैं..

उनकी राहों के उजाले कभी कम न हो जाए..
यही सोचकर आज हम अपना घर जलाए बैठे हैं..

जमाने को तो नफरत है वफ़ा के नाम से ही..
हम तो इन बेवफाओ से भी आस लगाए बैठे हैं..

लोगो ने जाने कितने दिल जलाए होंगे मुफलिसी में..
‘हम’ तो ख़ुद अपनी चिता को आग लगाए बैठे हैं..

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

TIGERLOVE 16-11-2010 07:17 AM

Re: ! आशिकाना शायरी !
 
तू मेरे पास आए और पलट कर ना जाये
मैँ तेरे पाँव की अब जंज़ीर होना चाहता हूँ॥

अज़ल से ख्वाब बनकर तेरी आँखोँ मैँ रहा हूँ
मैँ अब शर्मीन्दा ए ताबीर होना चाहता हूँ॥

इसलिए मसमार खुद को कर रहा हूँ मैँ
मैँ तेरे हाथ से अब तामीर होना चाहता हूँ॥

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

kamesh 16-11-2010 04:25 PM

Re: ! आशिकाना शायरी !
 
Quote:

Originally Posted by tigerlove (Post 12531)
! आशिकाना शायरी !

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको।
ऐसे में ढूढ़ लाना।

कहना है की रुत जवा है
लेकिन हम तरस रहे हैं।
काली घटाओ के साए
विरहन को डस रहे हैं।
डर हैं न मार डाले
सावन का क्या ठिकाना।

सूरज कहीं भी जाए।
तुम पर न धुप आए।
तुमको पुँकारते हैं।
इन गेसुओं के साए।
आ जाओ में बना दूँ।
पलको का शामियाना।

मोसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना,

फिरते हैं हम अकेले।
बाहों में कोई लेले।,
आख़िर कोई कहाँ तक।
तन्हाई से खेले।
दिल हो गई हैं जालिम।
रातें हैं कातिलाना।


यह रात ये खामोशी।
यह खवाब से नज़ारे।
जुगनू है या जमीं पे।
या उतरे हुए हैं तारे।
बेखाब मेरी आँखें।
मदहोश है जमना।

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना।


वाह भाई वाह
क्या बात है
इस गीत को और मीना जी के दर्द को समझना भी बड़ा रहस्य मई है
वेस्ही इस गीत में दर्द की इन्तहां को कितने मासूम तरीके से पिरोया गया है जो गूढ़ अर्थ वाला ही समझ सकता है
और रही मीना जी की बात तो
उन का ही गाना उन पे कितना फिट है देखें
" ना जावो सैयां चुदा के बैयाँ
कसम तुम्हारी में रो पडूँगी "
और अभी एक एक कर के उन का हाथ छोड़ छोड़ कर चले गए और रह गयीं बस मीना जी और उन की तन्हैयाँ
सलाम मीना जी

kamesh 16-11-2010 04:30 PM

Re: ! आशिकाना शायरी !
 
कजरा की बाती में

असुवन के तेल में

आली में हार गयी

नेनन के खेल में

कजरा की बाती ....................


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