आँसू कितने सस्ते हैं
आँसू कितने सस्ते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं क्यों आते हैं आँखों में ये दुनिया वाले हँस्ते हैं हम तो पीड़ा झेल रहे हैं काँटे हैं अंगारे भी अंधेरों में डूब गये हैं सूरज चाँद सितारे भी सूझे ना मंजिल क्या अपनी और किधर को रस्ते हैं- खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं जीवन की दुश्वारी को जब जब हमने सुलझाया है राहों ने ही राह हमारी रोक हमें उलझाया है हमको जिसने घेर लिया वे गम के सारे दस्ते हैं- खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं जीवन का तो खेल खत्म जाने किसकी तैयारी है दिखता है हल्का लेकिन ये पल पल होता भारी है मन बच्चा है मन के ऊपर मन मन भर के बस्ते हैं- खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं जबसे रोजी रोटी ने भी दामन अपना छोड़ा है जिसको पाई पाई जोड़ा उसने ही दिल तोड़ा है जो अपने थे वही दूर से करते आज नमस्ते हैं- खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं गीत- आकाश महेशपुरी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद-कुशीनगर, उत्तर प्रदेश. 9919080399 |
Re: आँसू कितने सस्ते हैं
अच्छी रचना है। धन्यवाद।
|
Re: आँसू कितने सस्ते हैं
Quote:
|
Re: आँसू कितने सस्ते हैं
आदरणीय दीप जी! व आदरणीय रजनीश मांगा जी! आप दोनों की उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं हेतु अत्यंत आभार! नमन्!
|
Re: आँसू कितने सस्ते हैं
बहुत सही आकाश जी, एक उम्दा कविता पढवाने के लिए धन्यवाद. :bravo:
|
Re: आँसू कितने सस्ते हैं
【आंशिक संपादन के बाद पुनः】
गीत- खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ खुशहाली महंगी है कितनी आँसू कितने सस्ते हैं क्यों आते हैं आँखों में ये दुनिया वाले हँस्ते हैं … हम तो पीड़ा झेल रहे हैं काँटे हैं अंगारे भी अंधेरों में डूब गये हैं सूरज चाँद सितारे भी सूझे ना मंजिल क्या अपनी और किधर को रस्ते हैं- क्यों आते हैं आँखों में ये दुनिया वाले हँस्ते हैं … जीवन की दुश्वारी को जब जब हमने सुलझाया है राहों ने ही राह हमारी रोक हमें उलझाया है हमको जिसने घेर लिये वे गम के सारे दस्ते हैं- क्यों आते हैं आँखों में ये दुनिया वाले हँस्ते हैं … जीवन का तो खेल खत्म जाने किसकी तैयारी है दिखता है हल्का लेकिन ये पल पल होता भारी है मन बच्चा है मन के ऊपर मन मन भर के बस्ते हैं- क्यों आते हैं आँखों में ये दुनिया वाले हँस्ते हैं … जबसे रोजी रोटी ने भी दामन अपना छोड़ा है जिसको पाई पाई जोड़ा उसने ही दिल तोड़ा है जो अपने थे वही दूर से करते आज नमस्ते हैं- क्यों आते हैं आँखों में ये दुनिया वाले हँस्ते हैं गीत– आकाश महेशपुरी |
All times are GMT +5. The time now is 07:31 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.