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rajnish manga 24-02-2017 09:33 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
नरेश मेहता /Naresh Mehta

ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता तथा साहित्य अकादमी सहित अन्यान्य विशिष्ठ संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं समादृत कवि, कथाकार, निबंधकार, नाट्य लेखक नरेश मेहता का जन्म 15 फ़रवरी 1922 को शाजापुर (म.प्र) में हुआ था. बनारस से एम ए के बाद आल इंडिया रेडियो, इलाहाबाद में काम किया. चौथी दुनिया पत्र का संपादन भी किया. वे तार सप्तक (द्वितीय) में भी शामिल थे.

शबरी खंड काव्य की भूमिका में वे लिखते हैं-

जिस प्रकार राजनीतिक या आर्थिक समता के बिना धर्म का सोऽहंभाव निरा पाखण्ड है उसी प्रकार बिना धर्म या नैतिक मूल्यों के राजनीतिक या आर्थिक समानता निरी क्रूर, पाशविक या अवसरवादिता है .... सामाजिक मूढ़ता, परिवेशगत जड़ता तथा अपने युग के साथ संलापहीनता की स्थिति में व्यक्ति केवल अपने को ही जागृत कर सकता है.अपने को ही संबोधित कर सकता है. इसी संघर्ष के माध्यम से स्व’ ‘परहो सकता है; व्यक्ति, समाज बन सकता है.

इनकी प्रमुख रचनायें इस प्रकार हैं:

काव्य रचनाएँ: वनपाखी, उत्सवा, अरण्या, प्रवाद-पर्व आदि (संग्रह) शबरी, संशय की एक रात, महा-प्रस्थान (खण्ड काव्य).
उपन्यास: डूबते मस्तूल, यह पथबंधु था, उत्तरकथा, धूमकेतु: श्रुति, पुरुष, प्रतिश्रुति, नदी यशस्वी है.
कहानी संग्रह: जलसाघर

rajnish manga 24-02-2017 09:39 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
सुभद्रा कुमारी चौहान /Subhadra Kumari Chauhan


rajnish manga 24-02-2017 09:42 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
सुभद्रा कुमारी चौहान /Subhadra Kumari Chauhan

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 में इलाहाबाद के निकट एक गाँव में हुआ था। कक्षा नौ तक ही पढ़ पायीं। वे कुशाग्र बुद्धि थीं. प्रथम काव्य रचना आपने 15 वर्ष की आयु में लिखी थी और उसके बाद तो लेखन का यह क्रम चलता रहा। सुभद्रा कुमारी का स्वभाव बचपन से ही दबंग, बहादुर व विद्रोही था। वह बचपन से ही अशिक्षा, अंधविश्वास, जाति आदि रूढ़ियों के विरुद्ध लडीं।

1919 में उनका विवाह हुआ और विवाह के बाद वे जबलपुर (मध्य प्रदेश) आ गईं। 17-18 वर्ष की आयु में सुभद्रा और उनके पति दोनों सत्याग्रह में कूद पड़े. सुभद्रा जी ने कई वर्ष जेल में ही बिताये।

झांसी की रानीवीर रस की कविता है जो बड़ों और बच्चों दोनों को उत्साह से भर देती है। स्कूल के बच्चे इसे आसानी से कंठस्त कर लेते हैं।

सुभद्रा जी ने बहुत पहले ही अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति के प्राणतत्वों, धर्मनिरपेक्ष समाज का निर्माण और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने लगी थीं। 1948 में उन्होंने सदा के लिये आँख मूँद ली. आज उनकी पुण्यतिथि (15 फ़रवरी) पर हम उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैंl
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rajnish manga 24-02-2017 09:48 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 फ़रवरी)
डॉ मेघनाद साहा /Dr Meghnad Saha

rajnish manga 24-02-2017 09:53 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 फ़रवरी)
डॉ मेघनाद साहा /Dr Meghnad Saha

मेघनाद साहा (Meghnad Saha) भारत के एक महान वैज्ञानिक थे. उनका जन्म 6 अक्तूबर 1893 को ढाका के एक गाँव में हुआ था. खगौल भौतिकी के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा. प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से वे 1913 में गणित विषय में स्नातक हुये और 1915 में एम एस सी किया. 1917 में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ साइंस में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया. उनका विषय था क्वांटम फिजिक्स. 1919 में उन्होंने अपना थर्मल आयोनाइज़ेशन फ़ॉर्मूलाईजाद किया जिसे उन्होंने एक शोध पत्र के रूप में अमेरिकनआस्ट्रो फिजिकल जर्नलमें प्रस्तुत किया जो खगौल भौतिकी में क्रांतिकारी खोज साबित हुआ.

1927 में साहा लंदन की रॉयल सोसाइटी के फ़ेलो नियुक्त हुए. उन्होंने 1930 में इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ़ साइंस (जो आज राष्ट्रीय विज्ञानं एकेडमी है) की स्थापना की. 1935 में उन्होंने राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान (जो आज भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं एकेडमी है) की स्थापना की. 1947 में उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूक्लीयर फिजिक्स की स्थापना की जिसमे उन्होंने नाभिकीय भौतिकी (न्यूक्लीयर फिजिक्स) के अध्ययन की शुरुआत की.
वे फ्रेंच, जर्मन, बंगला, संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अच्छे जानकार थे.

उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की. वह देश की समस्याओं के वैज्ञानिक हल के पक्षधर थे. उनके सार्थक प्रयासों से भाखड़ा नंगल, हीराकुंड तथा दामोदर घाटी परियोजनाएं साकार हुयीं. सन 1952 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत कर सांसद बने. 16 फरवरी 1956 को संसद भवन के पास ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. देश को अपने इस महान सपूत पर गर्व है. उनकी पावन स्मृति को हमारा नमन.


rajnish manga 24-02-2017 10:00 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 फ़रवरी)
छत्रपति शिवाजी /Chhatrapati Shiva Ji


rajnish manga 24-02-2017 10:04 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 फ़रवरी)
गोपाल कृष्ण गोखले /Gopal Krishna Gokhale


rajnish manga 24-02-2017 10:10 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 फ़रवरी)
गोपाल कृष्ण गोखले /Gopal Krishna Gokhale

आज महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनैतिक व सामाजिक विचारक तथा इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख नेता स्व. श्री गोपाल कृष्ण गोखले की पुण्यतिथि है. 19 फ़रवरी 1915 को जब उनका स्वर्गवास हुआ उस वक़्त वे केवल 49 साल के थे. वे 1905 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए . वे कांग्रेस में नरम दल का प्रतिनिधित्व करते थे. एल्फिंस्टन कॉलेज, मुंबई से शिक्षा लेने के बाद वे कुछ समय तक गणित के प्रोफ़ेसर भी रहे.

नीतिगत मतभेदों के बावजूद महात्मा गाँधी गोखले को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे. गोखले, गाँधी जी के बुलावे पर दक्षिण अफ्रीका भी गए थे. हम आज इस महान विभूति को आदरपूर्वक याद करते हुये अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

rajnish manga 24-02-2017 10:15 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 फ़रवरी)
भवानी प्रसाद मिश्र /Bhawani Prasad Mishra


rajnish manga 24-02-2017 10:19 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 फ़रवरी)
भवानी प्रसाद मिश्र /Bhawani Prasad Mishra

भवानी प्रसाद मिश्र
कर्म, वाणी और व्यवहार में गांधीवादी विचारधारा को समर्पित भवानी प्रसाद मिश्र काव्य में छायावाद तथा नई कविता के बीच एक सेतु के समान थे. उनके महत्व को ऐसे समझ सकते हैं कि 1951 में अज्ञेय द्वारा सम्पादित दूसरे तार सप्तकमें पहले कवि थे. बहुत से पाठक कविता को आनंद देने वाली तथा रिझाने वाली कला मानते हैं किंतु मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मिश्र जी जैसे कवियों ने इस धारणा को तोड़ा है. उनकी रचनाएँ रिझाती कम है, खिझाती ज्यादा हैं. यह हमारा चैन तोड़ती और हमें सोचने पर विवश करती है.

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल जा चुके मिश्र जी घोर अंधकार में भी सदा मशाल लिये खड़े रहे और उन्होंने सत्ता के सामने कभी घुटने नहीं टेके. यहाँ तक कि 1975 में आपातकाल के दौरान वे, अज्ञेय, निर्मल वर्मा तथा रेणु निर्भय हो कर जयप्रकाश नारायण के साथ डटे रहे. इन चारों ने सिद्ध किया कि स्वाधीनता जीवन के लिये अनमोल है.

कुछ समय तक मिश्र जी फिल्मों से भी जुड़े रहे किंतु वहाँ वे अपने सिद्धांतों के चलते अधिक नहीं टिक सके. इसी पृष्ठभूमि उन्होंने गीत फ़रोशनामक गीत लिखा:

जी हाँ हुजूर मैं गीत बेचता हूँ
मैं तरह तरह के गीत बेचता हूँ



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