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rajnish manga 15-01-2017 10:33 AM

Re: आज का शायर
 
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अज़ीम उर्दू शायर अहमद फ़राज़ (12 जनवरी)



http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1484461902



rajnish manga 15-01-2017 10:36 AM

Re: आज का शायर
 
अज़ीम उर्दू शायर अहमद फ़राज़ (12 जनवरी)

अहमद फ़राज़ की शायरी की विशेषताओं की बात करें तो जहां एक ओर उनकी रोमानी शायरी लोगों को दीवाना बना देती थी तो दूसरी ओर उनकी बेबाक और प्रगतिशील व क्रांतिकारी अंदाज़ उनके देश के सैनिक तानाशाहों को बैचेन रखता था. यही वजह है कि पाकिस्तान में सरकारी तंत्र में हर हाथ उनके लिये खंजर बन गया था:

शहर वालों की मुहब्बत का मैं कायल हूँ मगर
मैंने जिस हाथ को चूमा वही खंजर निकला

मेरा कलाम तो अमानत है मेरे लोगों की
मेरा कलाम तो अदालत मेरे ज़मीर की है

यही कहा था मेरी आँख देख सकती है
तो मुझ पे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना
(नाबीना = अंधा)

उनकी एक मशहूर ग़ज़ल के चंद अश'आर:

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ

पहले से मरासिम न सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ


शब्दार्थ: पिन्दार-ए-मोहब्बत = प्रेम का गर्व / मरासिम = प्रेम व्यवहार
रस्मों-रहे = सांसारिक शिष्टाचार



rajnish manga 15-01-2017 11:17 AM

Re: आज का शायर
 
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स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी)

http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1484464525



rajnish manga 15-01-2017 11:19 AM

Re: आज का शायर
 
स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी)

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की जयंती पर उनकी पावन स्मृति को नमन करते हुये हम उनके कुछ विचार यहाँ प्रस्तुत कर रहे है:

1. गंभीरता के साथ बच्चों जैसी सरलता को मिलाओ. सबके साथ मेल से रहो. अहंकार के सब भाव छोड़ दो और साम्प्रदायिक विचारों को मन में न लाओ. बेकार के विवादों से बचो. याद रखो जब तक तुम्हारे हृदय में उत्साह और गुरु और भगवान् में विश्वास है, तब तक तुम्हें कोई नहीं दबा सकता.

2. कोई शख्स कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूँद कर उसके पीछे पीछे न चलो. अगर भगवान् की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, दिमाग़ आदि क्यों देता?

3. हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़ारना पड़ता है- उपहास, विरोध और स्वीकृति.

4. ऐसी बेकार की बातों और उनकी चर्चा से दूर रहें, जिनकी कोई उपयोगिता ही नहीं है.

5. यही दुनिया है. अगर तुम किसी का भला करो, तो लोग उसको कोई अहमियत नहीं देंगे. लेकिन ज्योंही तुम उस काम को बंद कर दोगे, वे फ़ौरन तुम्हें बदमाश साबित करने पर जुट जायेंगे.


rajnish manga 15-01-2017 11:24 AM

Re: आज का शायर
 
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शमशेर बहादुर सिंह (13 जनवरी)


rajnish manga 15-01-2017 11:27 AM

Re: आज का शायर
 
शमशेर बहादुर सिंह (13 जनवरी)

कवि शमशेर बहादुर सिंह हिंदी साहित्य में प्रगतिशील लहर के कवि रचनाकार थे. उनका सम्पूर्ण साहित्य कई खण्डों में प्रकाशित किया जा रहा है (पूरी ग्रंथावली का मूल्य 5000 रूपए रखा गया है). उनकी कविताओं में आम आदमी का जीवन, उसकी पीड़ा और उसकी तकलीफें देखी जा सकती हैं. उन्होंने नज्में तथा ग़ज़लें भी लिखी हैं. इस महान साहित्य कार को हम आज उनके जन्मदिन पर आदरपूर्वक याद करते हैं और श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं.

rajnish manga 15-01-2017 11:31 AM

Re: आज का शायर
 
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कैफ़ी आज़मी (14 जनवरी)



rajnish manga 15-01-2017 11:34 AM

Re: आज का शायर
 
कैफ़ी आज़मी (14 जनवरी)

कैफ़ी साहब को बचपन से ही शायरी का शौक़ था. गयारह साल की उम्र में उन्होंने अपनी यह ग़ज़ल लिखी थी, ‘‘इतना न जिंदगी में किसी की खलल पड़े, हंसने से हो सुकूं, न रोने से कल पड़े.’’ इस ग़ज़ल को बेग़म अख्तर ने अपनी पुरसोज़ आवाज़ दे कर अमर बना दिया.

कैफ़ी आज़मी एक इंकलाबी शायर थे और उन्होंने कलम की रूह को जिंदा रखने के लिये कभी समझौता नहीं किया। एक फिल्म गीतकार के रूप में भी कैफी ने कभी मूल्यों का दामन नहीं छोड़ा।

उन्होंने लगभग 80 फिल्मों के लिये गीत लिखे. कैफी साहब ने 1951 में पहला गीत ’बुजदिल’ फिल्म के लिए लिखा था. कई फिल्मों की पटकथा तथा डायलाग भी लिखे. फिल्म ‘हीर रांझा’ इस मायने में अनोखी थी कि उसके सभी डायलाग भी शेरो शायरी में थे. फिल्म ‘हीर रांझा’ में उन्होंने बहुत मेहनत की थी. वे रात दिन काम में लगे रहते. इसी के उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ और वे लकवे का शिकार हो गए जिससे वे मृत्युपर्यंत पूरी तरह उबर नहीं पाए. फिल्म ‘अर्थ’ के गीत उन्होंने इसी हालात में लिखे थे.

‘कागज के फूल’ कैफ़ी साहब के कैरियर में मील का पत्थर साबित हुआ उसका मशहूर गाना है वक्त ने किया क्या हंसीं सितम.. यह आज भी संगीत प्रेमियों द्वारा गुनगुनाया जाता है. यहाँ से उनकी सफलता का ग्राफ़ शुरू हुआ.

कैफी साहब के लिखे तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो (अर्थ), कर चले हम फिदा (हकीकत), दो दिन की जिंदगी (सत्यकाम), जरा सी आहट (नौनिहाल), झूम-झूम ढलती रात (कोहरा), ये नयन भरे भरे (अनुपमा) चलते-चलते कोई यूं ही मिल गया था (पाकीजा 1972) आदि गीत सदा याद किये जाते रहेंगे. फिल्म ‘शोला और शबनम’ में भी उनके गाने बहुत मशहूर हुए जैसे- जाने क्या ढूंढती हैं ये आंखें मुझमें और जीत ही लेंगे बाजी हम-तुम आदि गीत भी कभी भुलाए नहीं जा सकते.
कैफ़ी साहब को सर्वश्रेष्ठ गीत के लिये राष्ट्रीय तथा फिल्म फ़ेयर पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया. उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इनके अलावा भी उन्हें कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा समय समय पर पुरस्कृत किया गया था. कैफ़ी साहब को हमारा सादर नमन.

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rajnish manga 15-01-2017 11:40 AM

Re: आज का शायर
 
अभिनेता गुरुदत्त की मृत्यु का उन्हें बड़ा सदमा लगा. उन्होंने कहा:


http://dr-narasinha-kamath.sulekha.c...uru%20Dutt.jpg

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई

डरता हूँ कहीं ख़ुश्क न हो जाए समुन्दर
राख अपनी कभी आप बहाता नहीं कोई

इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूँ मौत को सीने से लगाता नहीं कोई

अर्थी तो उठा लेते हैं सब अश्क बहा के
नाज़-ए-दिल-ए-बेताब उठाता नहीं कोई

rajnish manga 15-01-2017 11:57 AM

और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर (15 जनवरी)
Dr. Martin Luther King Jn




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