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-   -   जन गण मन अधिनायक जय हे (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3772)

Sikandar_Khan 28-12-2011 10:40 PM

जन गण मन अधिनायक जय हे
 
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्रविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष माँगे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे जय जय जय, जय हे!!!

Sikandar_Khan 28-12-2011 10:41 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
प्यारे दोस्तों अपना राष्ट्र गान आज से सौ वर्ष पूर्व २७/१२/१९११ को कांग्रेस के २७वें अधिवेशन के दूसरे दिन पहली बार सर्वजनिक रूप में इस को गाया गया था |

Sikandar_Khan 28-12-2011 10:42 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
* राष्ट्रगान का गायन समय 52 सेकंड है। विशेष अवसरों पर शुरू और अंत की पंक्तियों को भी लघु राष्ट्रगान के रूप (लगभग 20 सेकंड) में गाया जाता है।

* जब कहीं राष्ट्रगान बज रहा हो तब प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह सावधान की मुद्रा में खड़े होकर उसे पूर्ण सम्मान दे।

Sikandar_Khan 28-12-2011 10:44 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
राष्ट्रगीत बंगला भाषा मे |


জনগণমন-অধিনায়ক জয় হে ভারতভাগ্যবিধাতা!
পঞ্জাব সিন্ধু গুজরাট মরাঠা দ্রাবিড় উত্কল বঙ্গ
বিন্ধ্য হিমাচল যমুনা গঙ্গা উচ্ছলজলধিতরঙ্গ
তব শুভ নামে জাগে, তব শুভ আশিস মাগে,
গাহে তব জয়গাথা।
জনগণমঙ্গলদায়ক জয় হে ভারতভাগ্যবিধাতা!
জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয়, জয় হে॥
जॉनोगॉनोमोनो-ओधिनायोको जॉयॉ हे भारोतोभाग्गोबिधाता!
पॉन्जाबो शिन्धु गुजोराटो मॉराठा द्राबिड़ो उत्कॉलो बॉङ्गो,
बिन्धो हिमाचॉलो जोमुना गॉङ्गा उच्छॉलोजॉलोधितोरोङ्गो,
तॉबो शुभो नामे जागे, तॉबो शुभ आशिश मागे,
गाहे तॉबो जॉयोगाथा।
जॉनोगॉनोमोङ्गोलोदायोको जॉयॉ हे भारोतोभाग्गोबिधाता!
जॉयो हे, जॉयो हे, जॉयो हे, जॉयो जॉयो जॉयो, जॉयो हे॥


Sikandar_Khan 28-12-2011 10:46 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
हिन्दी कौमी तराना
सम सुख चैन की बरखा बरसे
भारत भाग है जागा
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा उत्कल बंग
चंचल सागर विंध्य हिमालय नीला जमुना गंगा
तेरा मिल गुण गाएं
तुझसे जीवन पाएं
सब तन पाएं आशा
सूरज बन कर जग पर चमका भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
सब के दिल में प्रीत बरसे तेरी मीठी वाणी
हर सूबे के रहने वाले हर मजहब के प्राणी
सब भैद-ओ-फर्क मिटा कर
सब गोद मे तेरी आके
गूंथे प्रेम की माला
सूरज बन कर जग पर चमका भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
सुबह सवेरे पन्ख पखेरू तेरे ही गुण गाएं
बर भारी भरपूर हवाएं जीवन में ऋतु लाएं
सब मिल का हिन्दी पुकारें
जय आजाद हिन्द के नारे
प्यारा देश हमारा
सूरज बन कर जग पर चमका भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा


Sikandar_Khan 28-12-2011 10:47 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
याद रहे इसके दूसरे ही दिन ब्रिटीश-हिन्द के सर्वेसर्वा ज्योर्ज पंचम साहब कोलकाता पधारने वाले थे. दिसम्बर २८, १९११ के दिन The Englishman नामक कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक ने छापा ‘ अधिवेशन की कार्यवाही बाबू रविन्द्रनाथ द्वारा राजा पंचम ज्योर्ज के स्वागत के लिये खाश तौर पर रचे गये गीत के साथ हूई.’ आने वाले २५ वर्षो तक रविन्द्रनाथ टैगोर ने कोई स्पष्टिकरण नहीं दिया, नतीजतन देशभर में उग्र विवाद होता रहा कि आखिर यह भारत का भाग्यविधाता है कौन? अंत में १९३७ में उन्होने कहाकी गीत का भाग्य विधाता सर्वश्क्तिमान विधाता ही है. लेकिन गीत के कुछ शब्दो को जैसे कि राजराजेश्वर ( गीत के अपने अंग्रेजी अनुवाद में बाबू रविन्द्रनाथ ने Thou King of all kings लिखा है) वगेरे को देखते हुए कुछेक लोगो को ही यह स्पष्टिकरण गले उतरा. विडम्बना देखीये, १८७५ में रचे गये वन्देमातरम ने देशभर मे स्वतन्त्रता सेनानीयों के हृदय में आजादी की ऐसी लौ जलाई की वो आजादी का मूलमंत्र बन गया. वन्देमातरम पर प्रतिबन्ध लगा, आजादी के लङवैये वन्देमातरम कहते हूए फांसी पर झुल गये. पर इस सच्चे रष्ट्रगीत मे की गयी भारतमाता की वन्दना से मुस्लीम नेताओं को आपत्ती थी. आजाद हिन्द फोज में कर्नल हबीबुर रहमान सहीत कई मुस्लीम सैनिक थे, इस लिए नेताजी सुभाषचन्द्र ने सम्भावित टक्कराव को टालने के लिए वन्देमातरम के स्थान पर जन-गण-मन को अपनाया तथा कुछ समय बाद इस का हिन्दी अनुवाद सम सुख चैन तैयार करवाया जीसे हिन्दी कौमी तराना नाम दिया गया. इस की संगीतमय धून केप्टन रामसिंह ने तैयार की थी|



Sikandar_Khan 28-12-2011 10:48 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
जन गण मन की कहानी…
सन 1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुआ करता था। सन 1905 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ बंग-भंग आन्दोलन के विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुए तो अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के लिए के कलकत्ता से हटाकर राजधानी को दिल्ली ले गए और 1911 में दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया। पूरे भारत में उस समय लोग विद्रोह से भरे हुए थे तो अंग्रेजो ने अपने इंग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंत्रित किया ताकि लोग शांत हो जाये। इंग्लैंड का राजा जोर्ज पंचम 1911 में भारत में आया। रविंद्रनाथ टैगोर पर दबाव बनाया गया कि तुम्हे एक गीत जोर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा।


Sikandar_Khan 28-12-2011 10:49 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
उस समय टैगोर का परिवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था, उनके परिवार के बहुत से लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम किया करते थे, उनके बड़े भाई अवनींद्र नाथ टैगोर बहुत दिनों तक ईस्ट इंडिया कंपनी के कलकत्ता डिविजन के निदेशक (Director) रहे। उनके परिवार का बहुत पैसा ईस्ट इंडिया कंपनी में लगा हुआ था। और खुद रविन्द्र नाथ टैगोर की बहुत सहानुभूति थी अंग्रेजों के लिए। रविंद्रनाथ टैगोर ने मन से या बेमन से जो गीत लिखा उसके बोल है “जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता”। इस गीत के सारे के सारे शब्दों में अंग्रेजी राजा जोर्ज पंचम का गुणगान है, जिसका अर्थ समझने पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंग्रेजो की खुशामद में लिखा गया था।

Sikandar_Khan 28-12-2011 10:54 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
इस राष्ट्रगान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है “भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है। हे अधिनायक (Superhero) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो। तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा मतलब महारास्त्र, द्रविड़ मतलब दक्षिण भारत, उत्कल मतलब उड़ीसा, बंगाल आदि और जितनी भी नदिया जैसे यमुना और गंगा ये सभी हर्षित है, खुश है, प्रसन्न है , तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है। तुम्हारी ही हम गाथा गाते है। हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो जय हो जय हो। “

Sikandar_Khan 28-12-2011 10:55 PM

Re: जन गण मन अधिनायक जय हे
 
जोर्ज पंचम भारत आया 1911 में और उसके स्वागत में ये गीत गाया गया। जब वो इंग्लैंड चला गया तो उसने उस जन गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया। क्योंकि जब भारत में उसका इस गीत से स्वागत हुआ था तब उसके समझ में नहीं आया था कि ये गीत क्यों गाया गया और इसका अर्थ क्या है। जब अंग्रेजी अनुवाद उसने सुना तो वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इंग्लॅण्ड में भी किसी ने नहीं की। वह बहुत खुश हुआ। उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत उसके (जोर्ज पंचम के) लिए लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाये। रविन्द्र नाथ टैगोर इंग्लैंड गए। जोर्ज पंचम उस समय नोबल पुरस्कार समिति का अध्यक्ष भी था।


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