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Dr.Shree Vijay 27-11-2013 08:51 PM

खबरे : जों जानने योग्य.........
 

काम की खबरे :.........
जानने योग्य खबरे :.........


Dr.Shree Vijay 27-11-2013 08:55 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

ट्रू-कॉलर यानी देश की सुरक्षा दांव पर :.........

मोबाइल सेवा तकनीक में तेजी से हो रहे बदलाव ने सुरक्षा एजेंसियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ट्रू-कॉलर, True Caller वाइबर Wiber जैसे सॉफ्टवेयर से साइबर क्राइम बढ़ रहा है। यहां तक कि चाइना किंग सॉफ्टवेयर से मोबाइल के आईएमईआई (इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटिटी) नम्बर बदले जा रहे हैं, पर इनसे जुड़े सर्वर विदेश में होने से अपराधियों को ट्रेस करना मुश्किल है ।

अधिकतर मोबाइल हैंडसेट में ट्रू-कॉलर, वाइबर व अन्य सॉफ्टवेयर की सुविधा है। इनसे कनेक्ट होने पर उपभोक्ता को कॉल करने वाले का नाम और शहर का नाम स्क्रीन पर दिखाई देता है। मोबाइल नम्बर की जानकारी तत्काल मिलने की लालसा में अघिकतर उपभोक्ता ऐसे सॉफ्टवेयर से जुड़ रहे हैं, लेकिन इससे मोबाइल का पूरा डेटा सॉफ्टवेयर के सर्वर पर ट्रांसफर हो जाता है, जो विदेश से संचालित है :.........

Mobile apps compromise on privacy :.........

A host of new mobile applications that are available for free downloading and have a huge number of takers among youngsters, are compromising on privacy as well as security. Some can track a person’s whereabouts as well.

Applications have become targeted, easy to use, provide mobility and make it easy to connect absolute strangers over a common hobby or interest. As a result, groups interested in trekking and such other hobbies meet and connect with random strangers to pursue their interests without delving into security concerns.

On the one hand, while applications make it easier to pair up with a movie lover or a trekker or a cycling enthusiast, they are also invading our private spaces in a big way.Applications like ‘True Caller’ which allows one to identify all possible details of any given phone number, can even trace a person at any given point of time with GPS tracking. “The ‘True Caller’ application is very useful in tracing a caller. Once I could not hear the name of the person who had called me on behalf of a company for an interview as I was in the middle of a market.

I could trace the name with the help of the application but it also gets creepy when any person who may even have overheard a number can get very personal details like address, name, profession, email id, etc.,” said a user, Tom from the Sabji Mandi area.

What is worse about these apps is that in most cases, there is no option to block people we may not want. “Watsapp and Wechat, which are among the latest additions to the applications, leave very little private space as the downloader is exposed to all other downloaders using these applications.

Even if I have spoken once to someone having the same application, they can contact me through the application, see my profile details and pictures that are placed there,” said another user :.........



Dr.Shree Vijay 27-11-2013 09:00 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

चुस्त जींस-पैंट से मर्दों में नपुंसकता :......

Tight jeans, pants cause impotency in men :.......

Tight bra-tops cause Breat Cancer in women :.........


गर्मी के दिनों में चुस्त जींस-पैंट का इस्तेमाल करने से मर्दों में नपुंसकता आती है वहीं महिलाओं को चुस्त अंतर्वस्त्र पहनने से कैंसर हो सकता है। फैशन के लिहाज से इन दिनों तंग लिबास पहनने का चलन बढ़ गया है, खासतौर पर नई पीढ़ी के लड़के-लड़कियों में यह फैशन ज्यादा लोकप्रिय है। लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि गर्मी के दिनों में ज्यादा चुस्त जींस-पैंट के इस्तेमाल से लड़कों में शुक्राणु मर जाते हैं जिससे आगे चलकर नपुंसकता होने की आशंका बढ़ जाती है, वहीं लड़कियों या महिलाओं को चुस्त अंतर्वस्त्र पहनने से स्तन कैंसर हो सकता है।

नई पीढ़ी के रुझान को देखते हुए आजकल बाजारों के कारोबार का तरीका बदल गया है। लड़कियाँ अब पहले की तरह ढीले-ढाले कपड़े पहनना पसंद नहीं करती, साड़ियाँ तो लगता है जैसे उम्रदराज औरतों की चीजें रह गई हैं। इसके बदले में लड़कियाँ चुस्त जींस-पैंट, चूड़ीदार सलवार-सूट और लेगिंस-कुर्ती पहनना ज्यादा पसंद करतीं है।

यही हाल लड़कों का भी है, लड़के भी पारंपरिक पैंट की बजाय चुस्त जींस पहनना अधिक पसंद करते हैं, युवक-युवतियों को शायद यह मालूम नहीं कि चुस्त कपड़े पहनना उनके लिए कितना नुकसानदायक है। इनमें से ज्यादातर लड़के-लड़कियां सिनेमा को देखकर प्रभावित होते हैं। पर उन्हें यह पता होना चाहिए कि ये फिल्म स्टार सूटिंग खत्म होते ही आरामदायक कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं।

नई पीढ़ी फैशन के इस दौर में न तो गर्मी देखते हैं, न ठंड और न ही बरसात। वे अपनी स्मार्टनेस को बरकार रखने के लिए किसी भी मौसम का ख्याल नहीं रखते हैं।

क्या कहते हैं चिकित्सक?......

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधांशु बताते हैं कि चुस्त कपड़ों का इस्तेमाल किसी भी मौसम में नहीं करना चाहिए, खासकर गर्मियों के दिनों में तो चुस्त कपड़ों को नजर अंदाज करना चाहिए। इस मौसम में जहाँ तक हो सके तो ढीले-ढाले सूती कपड़ों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। गर्मियों के मौसम में ढीले सूती कपड़े पहनने से बदन की त्वचा तक हवा का आवागमन होता रहता है।

डॉ. सुधांशु बताते हैं कि आमतौर पर लड़के इस मौसम में हाफ शर्ट का इस्तेमाल करते हैं, जितना हो सके पूरे स्किन को ढक के रखा जाना चाहिए। इस मौसम में गहरे रंग के कपड़ों का इस्तेमाल न कर हल्के रंग के कपड़े या सफेद कपड़े पहनना चाहिए।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय बताती हैं कि चुस्त कपड़ों का खासतौर पर लड़कों को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

यदि वे गर्मी के दिनों में ज्यादा चुस्त जींस-पैंट का इस्तेमाल करते हैं तो शुक्राणु मर जाते हैं जिससे आगे चलकर नपुंसकता होने की आशंका बढ़ जाती है।

ऐसा इसलिये होता है कि पुरुषों के अण्डकोषों का तापमान शरीर के तापमान से 1 डिगरी कम होता है। कसे कपड़े पहनने से अण्डकोषों का तापमान बढ़ जाता है जो हानिकारक है।

लड़कियों या महिलाओं को चुस्त अंतर्वस्त्र का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए. इससे स्तन कैंसर हो सकता है. खासकर रात में तो इसका इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। :.........



Dr.Shree Vijay 28-11-2013 08:24 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

गेहूं Wheat से एलर्जी- Celiac :.........

पूरे विश्व में गेहूं बहुत बड़ी आबादी का मुख्य भोजन है, लेकिन यह भी एक सच है कि बहुत से लोग गेहूं नहीं खा सकते, ये लोग सीलिएक Celiac या gluten intolerance नामक रोग से पीड़ित हैं। यह एक गुमनाम बीमारी है और वर्षों तक इसका निदान नहीं हो पाता। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस बीमारी के लक्षण डाक्टरों को भ्रमित करते रहते हैं |

सीलिएक से पीड़ित लोगों को गेहूं, जौ और ओट्स में मौजूद ग्लूटेन नामक प्रोटीन की एलर्जी होती है। यह वंशानुगत बीमारी है और स्त्री या पुरुष, दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है। इसकी तीव्रता प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होती है। सीलिएक रोग जानलेवा नहीं है, लेकिन समय पर निदान नहीं होने पर यह दूसरे जटिल रोगों में तब्दील हो सकता है। इस रोग के मामले मुख्य रूप से बच्चों में उजागर होते हैं। समय पर डॉक्टरी जांच नहीं होने पर यह रोग वयस्कों में जारी रहता है। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में करीब एक प्रतिशत लोगों के इस रोग से पीडि़त होने का अनुमान है। एचआईवी की तुलना में यह चार गुना अधिक है। अकेले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संभवत: डेढ़ लाख लोग इस रोग के शिकार हैं।

सीलिएक रोग के इतने ज्यादा फैलाव के बावजूद आम जनता और डॉक्टरों में इसके बारे में जागरूकता नहीं है। पिछले 15 साल से रोग के मामले ज्यादा देखने में आ रहे हैं क्योंकि अधिक से अधिक लोगों में इसकी पहचान हो रही है। रोग के मामले बढ़ने के बावजूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में लोगों को शिक्षित करने की कोई कोशिश नहीं की है :.........


Dr.Shree Vijay 28-11-2013 08:26 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

गेहूं Wheat से एलर्जी- Celiac :.........

भारत में इस रोग के वास्तविक फैलाव को जानने के लिए अभी तक
कोई आधिकारिक सर्वे नहीं हुआ हैं :.........


इसके मुख्य लक्षणों में दस्त का पुराना रोग, पेट का फूल जाना और बच्चे का विकास रुक जाना शामिल हैं। एनीमिया, रिकेट्स, ओस्टोपोरोसिस, कद का छोटा होना या शरीर का कमजोर होना भी इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। रोग के लंबे समय तक जारी रहने पर आंतों के कैंसर और लिम्फोमा (प्रतिरोध प्रणाली के कैंसर) का खतरा पैदा हो जाता है। आजकल एक साधारण ब्लड टेस्ट से इस रोग का पता चल जाता है और पुष्टि के लिए एंडोस्कोपी की जाती है।

ग्लूटेन की एलर्जी मुख्य रूप से आंत को प्रभावित करती है। इससे पोषक तत्वों को सोखने की उसकी क्षमता घटने लगती है। ग्लूटेन की एलर्जी कुछ जीनों की वजह से होती है। इस समय इस रोग का कोई संपूर्ण उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन आहार में ग्लूटेन के तमाम स्रोतों को हटा कर उनकी जगह ग्लूटेन से मुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थों के सेवन से इस रोग से बचा जा सकता है। ग्लूटेन की एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को आजीवन ग्लूटेन मुक्त खाद्य वस्तुओं का सेवन करना पड़ता है। इस नियम का पालन करने के लिए खाने-पीने के मामले में खुद व्यक्ति को कड़ा संयम बरतना पड़ेगा और उसके परिवारजनों को सख्ती बरतनी पड़ेगी। बाजार में उपलब्ध कई पदार्थों में ग्लूटेन गुप्त रूप से मौजूद रहता है। इनमें फास्ट फूड, आइसक्रीम और कुल्फी शामिल है। कुछ किस्म के औषधि टॉनिक में भी ग्लूटेन हो सकता है। जाहिर है कि खाने-पीने के मामले में व्यक्ति को हर दम चौकस रहना पड़ेगा :.........


Dr.Shree Vijay 28-11-2013 08:29 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

गेहूं Wheat से एलर्जी- Celiac :.........

भारत में इस रोग के वास्तविक फैलाव को जानने के लिए अभी तक
कोई आधिकारिक सर्वे नहीं हुआ हैं :.........


ग्लूटेन से मुक्त आहार के लिए चावल, मक्का, ज्वार, सभी प्रकार की फलियाँ, फल-सब्जियाँ, दूध और उसके पदार्थ शामिल हैं। आहार विशेषज्ञों की सहायता से ग्लूटेन मुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन का चार्ट बनाया जा सकता है। पश्चिमी देशों में काउंटर पर ग्लूटेन मुक्त लेवलिंग वाले खाद पदार्थों की बिक्री की जाती है। भारत में भी करीब आधा दर्जन कंपनियाँ ग्लूटेन मुक्त खाद्यपदार्थ बेच रही हैं, लेकिन इनके उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए कोई सरकारी प्रयोगशाला नहीं है।

सीलिएक सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन नामक संस्था लोगों में इस रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रही है। इस संस्था ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के साथ मिल कर एक साझा अभियान भी शुरू किया है। इन्होंने सरकार से ग्लूटेन मुक्त पदार्थो के प्रमाणीकरण के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित करने का आग्रह किया है :.........


Dr.Shree Vijay 28-11-2013 08:34 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

बिहार में एक गांव पाकिस्तान :.........

यह पाकिस्तान हमारा पड़ोसी मुल्क नहीं बल्कि बिहार का एक गांव है, जो पूर्णिया जिले के श्रीनगर ब्लॉक में स्थित है। 35 घरों वाले इस गांव की आबादी 250 है।

कसाब की फांसी से खुश यहाँ के लोगों का कहना है कि जल्द ही गांव में एक उत्सव मनाया जाएगा। इस गांव में मुस्लिम समुदाय का कोई परिवार नहीं और न ही कोई मस्जिद है, बावजूद गाँव का नाम पाकिस्तान है। गांव में संथाल जनजाति के लोग रहते हैं।

बड़े-बुजुर्ग बताते हैं देश का जब बंटवारा हुआ तो यहाँ के मुस्लिम पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जाकर बस गए। उन लोगों की याद में गाँव का नाम पाकिस्तान रखा गया। गाँव के सूर्या मुर्मू बताते हैं कि 2008 में जब मुंबई हमला हुआ तो ग्रामीणों ने गाँव का नाम बदलने का निर्णय लिया, लेकिन सरकारी अभिलेखों में दर्ज होने के चलते नाम नहीं बदला गया।

गत दिनों पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के बिहार दौरे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें इस गाँव के बारे में जानकारी दी :.........


Dr.Shree Vijay 29-11-2013 05:57 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

धूम्रपान के विरुद्ध नागरिक अधिकार :.........

भारत के प्रत्येक नागरिक का मूल भूत अधिकार है कि वह साँस लेने के लिए स्वच्छ वायु का प्रयोग करे। भारत के संविधान के

अनुच्छेद-२१ के अनुसार किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह अपनी स्वतंत्रता के लिये दूसरों को नुकसान पहुँचाए, अनुच्छेद-३९ और ४७ के अनुसार यह सरकार का कर्तव्य है कि वह हर तरह से प्रयास करे कि जिससे सभी लोगों का जीवन स्तर बढ़े और उनका जीवन स्वस्थ हो।

सिगरेट तथा तम्बाकू उत्पाद एक्ट २००३ की धारा ४ के अन्तर्गत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर प्रतिबंध है। उल्लंघन करने पर २०० रूपये तक का जुर्माना या दण्ड भुगतान पड़ता है।

सार्वजनिक स्थलों के प्रभारी या संचालक, प्रबंधक या स्वामी यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके अन्तर्गत सार्वजनिक स्थलों पर कोई भी व्यक्ति धूम्रपान न करे, प्रत्येक प्रवेश द्वार तथा सार्वजनिक स्थलों के निकट धूम्रपान निषेध बोर्ड प्रमुखता से लगायें। यदि इस प्रयास में विफल रहते हैं तो सभी उल्लंघनों की संख्या के समतुल्य जुर्माना उन्हें देना होगा।

स्वच्छ हवा में साँस लेने का अधिकार

ऐसी हवा जो धूम्रपान के धुँए रहित हो।

धूम्रपान करने वाले को रोकने/ उनके खिलाफ बोलने का अधिकार

जो धूम्रपान न करते हों, उन्हें पूरा अधिकार है कि वे धूम्रपान के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकते हैं।

कानूनी प्रावधान

लोगों को तंबाकू द्वारा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरनाक प्रभावों से बचने के लिए भारत सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू अधिनियम, २००३ 'कोटपा' नामक एक राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण अधिनियम बनाया है।

निम्नलिखित कार्य कानून के विरूद्ध हैः

कार्यस्थान सहित सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना।

तंबाकू उत्पादों के बारे में विज्ञापन देना

१८ वर्ष से कम आयु के बच्चों को तंबाकू उत्पाद बेचना

स्कूलों और कॉलेजों के १०० गज की परिधि में तंबाकू उत्पाद बेचना

बिना सचित्र तंबाकू उत्पाद बेचना।

भारत में तंबाकू नियंत्रण के लिए अधिनियम अधिनियम Control on Tobacco products Act (कोटपा) की धारा अधिनियम के उपबंध ।

धारा - ४ : सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध

धारा - ५ : सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध।

धारा - ६ : १८ वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को और किसी शैक्षणिक संस्थान के १०० गज की परिधि में सिगरेट या अन्य

तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध।

धारा - ७, ८ एवं ९ बिना विशिष्ट स्वास्थ्य चेताविनयों के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध।

कोटपा के उलंघन के लिए दण्ड

कोटपा की धारा


धारा 4: सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान पर प्रतिबंध :.........


Dr.Shree Vijay 29-11-2013 06:06 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

बोतल बन्द पानी :.........

रेलयात्रा में पानी खरीदने वक्त सावधान रहने की जरूरत है। जी हां, आप सन्न रह जाएंगे, रेलगाड़ी में पानी खरीदने से तौबा कर लेंगे यह जानकर कि रेलगाड़ियों और रेलवे प्लेटफार्मों पर पानी के रूप में बिमारियों का व्यापार हो रहा है।

लोगों द्वारा फेंकी गई खाली बोतलों को उठा कर उसमें दोबारा सामान्य प्रदूषित पानी भर दिया जाता है। फिर उसे बच्चों के द्वारा ट्रेनों में बेचा जाता है। इस जहरीले पानी को पीकर लोग बीमार हो रहे हैं, डायरिया, टॉयफ़ाइड और जॉन्डिस जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो रही हैं।

रेलवे स्टेशन और ट्रेन के अंदर से खाली पानी की बोतलों को बच्चों द्वारा इकठ्ठा कराया जाता है। फ़िर इन बोतलों में प्रदूषित पानी भर दिया जाता है। पानी भरने के बाद सेलोटेप से इन बोतलों को सीलबंद कर दिया जाता है। सीलबंद करते समय बोतल के ब्रैंड और रंग का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि नकली असली बन जाए।

लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर अधिक दामों इन बोतलों को बेचा जाता है।

यह दूषित पानी बिमारी का घर हो सकता है। इस पानी में हैवी मेटल होता है जिससे कैंसर, डायरिया, टॉयफ़ाइड और जॉन्डिस जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं। इससे कभी-कभी मरीज की जान भी जा सकती है।

यह धंधा लगभग हर रेलवे स्टेशन पर फल-फूल रहा है। पुलिस बच्चों को पकड़कर चाइल्ड लाइन को दे देती है। लेकिन छूटने के बाद बच्चे फिर से इसी धंधे में लग जाते हैं।

पानी की बोतलों को ये लोग कहीं भी भर लेते हैं। फिर ऊपर से ढक्कन को आसानी से सील कर के बेचते हैं। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि ब्रांडेड कंपनियों के लेबल के हिसाब सारा काम हो।

नकली पानी के बोतलों से मिलने वाले पैसे का एक हिस्सा रेलवे पुलिस को भी जाता है। उनके निशाने पर ट्रेनों के साधारण यानि जनरल डिब्बे होते हैं। कम पढ़े लिखे होने और स्वास्थ्य के प्रति कम जागरूक होने की वजह से ये लोग आसानी से मिल रहे पानी की बोतल को खरीदना बेहतर समझते हैं।

आगे से जब भी आप पानी की बोतल खरीदें तो उसे अच्छी तरह जांच कर ही खरीदें और खाली बोतल को तोड़ कर ही फ़ेंकें।

इतना ही नहीं, चाय-कॉफ़ी के कप, शीतल पेय की बोतल भी तोड़ कर फ़ेंकें। अगर आपको लगे कि बोतल को तोड़ना मुश्किल है तो कम से कम उसका लेबल उतार कर नष्ट कर दें :.........



Dr.Shree Vijay 11-12-2013 05:52 PM

Re: खबरे : जों जानने योग्य.........
 

मुख मैथुन के जोखिम Risk of Oral Sex :.........

मुख मैथुन के जरिए जहाँ दो व्यक्ति एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं और मानसिक तनाव से दूर होते हैं, वहीं मुँह द्वारा सेक्स के जोखिम भी कम नहीं हैं।

पुरूषों और महिलाओं दोनों के लिए मुख मैथुन पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। कई लोग यौन विविधता के कारण मुख मैथुन करते हैं, कुछ देर की मस्ती के कारण वे घातक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।

एक महिला जिसकी योनि में यीस्ट इन्फेक्शन हो तो उसके साथ मौखिक सम्भोग करने पर पुरूष को भी यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है।

हालांकि ओरल सेक्स से कोई भयंकर बीमारी नहीं होती लेकिन ओरल सेक्स के दौरान सावधानियाँ और साफ-सफाई न बरती जाए तो समस्या आ सकती है।

एक शोध के मुताबिक मुँह और गले के कैंसर की एक बड़ी वजह ओरल सेक्स है। ओरल सेक्स के कारण पैपीलोमा नाम का कैंसर का वायरस मुँह और गले का कैंसर फैल रहा है। अगर मुँह और गले के कैंसर से युवाओं को बचाना है तो उन्हें एचपीवी संक्रमण रोकने के लिए टीका लगाया जाना चाहिए। ओरल कैंसर ओरल सेक्स के कारण फैल रहा है।

टोंसिल और जीभ के नीचे के हिस्से में कैंसर की वजह एचपीवी संक्रमण को ही माना जा रहा है। ओरल सेक्स से एचपीवी का संक्रमण होता है। इस स्थिति में ओरल सेक्स को ही टोंसिल कैंसर की बढ़ी वजह माना जा रहा है।

ओरल सेक्स में सेक्स पार्टनरों की संख्या बढ़ने से भी ओरल कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

यदि पुरूष और महिला दोनों में से किसी को कोई संक्रमित बीमारी है तो वह भी दूसरे पार्टनर को फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

यदि महिला को माहवारी है और ऐसे में ओरल सेक्स किया जाता है तो इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

यदि दोनों पार्टनर में से कोई भी एक योनिमार्ग से निकलने वाले सफेद पदार्थ को मुँह में लेता है तो भी इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

कहने का अर्थ है कि ओरल सेक्स से जोखिम उसी वक्त है जब जोश में होश खो दिए जाएँ। यौन विविधताओं के चलते मौखिक सेक्स को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। तभी महिला और पुरूष भावनात्मक और मानसिक रूप से पूरी तरह से जुड़ पाएँगे :.........



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