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Sikandar_Khan 26-03-2011 06:23 PM

ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
अकड़-अकड़ कर
क्यों चलते हो
चूहे चिंटूराम,
ग़र बिल्ली ने
देख लिया तो
करेगी काम तमाम,

चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।

Sikandar_Khan 26-03-2011 06:24 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
अक्कड़ मक्कड़ ,
धूल में धक्कड़,
दोनों मूरख,
दोनों अक्खड़,
हाट से लौटे,
ठाठ से लौटे,
एक साथ एक बाट से लौटे.

बात-बात में बात ठन गयी,
बांह उठीं और मूछें तन गयीं.
इसने उसकी गर्दन भींची,
उसने इसकी दाढी खींची.
अब वह जीता, अब यह जीता;
दोनों का बढ चला फ़जीता;
लोग तमाशाई जो ठहरे
सबके खिले हुए थे चेहरे !

मगर एक कोई था फक्कड़,
मन का राजा कर्रा - कक्कड़;
बढा भीड़ को चीर-चार कर
बोला ‘ठहरो’ गला फाड़ कर.

अक्कड़ मक्कड़ ,
धूल में धक्कड़,
दोनों मूरख,
दोनों अक्खड़,
गर्जन गूंजी, रुकना पड़ा,
सही बात पर झुकना पड़ा !

उसने कहा सधी वाणी में,
डूबो चुल्लू भर पानी में;
ताकत लड़ने में मत खोऒ
चलो भाई चारे को बोऒ!

खाली सब मैदान पड़ा है,
आफ़त का शैतान खड़ा है,
ताकत ऐसे ही मत खोऒ,
चलो भाई चारे को बोऒ.

Sikandar_Khan 26-03-2011 06:26 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
अक्कड़-बक्कड़ बोकरी
बाबाजी की टोकरी ।

टोकरी से निकला बंदर
बंदर ने मारी किलकारी
किलकारी से हो गया शोर
शोर मचाते आ गए बच्चे
बच्चे सारे मन के कच्चे

कच्चे-कच्चे खा गए आम
आम के आम गुठली के दाम
दाम बढ़े हो गई महंगाई
महंगाई में पड़े न पार
पार करें हम कैसे नदिया
नदिया में नैया बेकार

बेकार भी हो गई पेटी
पेटी में ना पड़ते वोट
वोट मशीनों में है बटन
बटन दबाओ पड़ गए वोट
वोट से बन गए सारे नेता
नेता भी लगते अभिनेता

अभिनेता है मंच पे सारे
सारे मिलकर दिखाते खेल
खेल देखते हैं हम लोग
लोग करें सब अपनी-अपनी
अपनी डफली अपना राग

राग अलापें अजब-गजब हम
हम रहते नहीं रलमिल सारे
सारे मिलकर हो जाएँ एक
एक-एक मिल बनेंगे ताकत
ताकत सफलता लाएगी
लाएगी खुशियाँ हर घर-घर
घर-घर दीप जलाएगी ।

Sikandar_Khan 26-03-2011 06:27 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
पलभर में लड़तें हैं हम सब
पलभर में मिलतें हैं हम सब
अपनी दुनिया सबसे न्यारी
लगती हमको सबसे प्यारी।

Sikandar_Khan 26-03-2011 06:29 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
हैं छोटे छोटे हाथ मेरे,

छोटे छोटे पाँव।

नन्हीं नन्हीं आँखे मेरी

नन्हें नन्हें कान।


फिर भी हरदम चलता हूँ

हाथों से करता काम।

रोज देखता सुंदर सपना

सुनता सुंदर गान।


अब हमारी सुनो प्रार्थना

तुम भी बच्चे बन जाओ।

छोड़ो झगड़े और लड़ाई

अच्छे बच्चे बन जाओ।

Sikandar_Khan 26-03-2011 06:31 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
आँधी आई बडे़ ज़ोर-से
धूल उड़ी ।।

उड़ा बिछौना, उड़ी दुलाई
और उड़ा टिन्नू का टोप,
टीन गिरा छत ऊपर रक्खा
मानो अभी दगी हो तोप ।

गिरा घोंसला, उड़कर भागे
चिड़ा-चिड़ी ।।

दौड़ी मम्मी, दौड़ी दीदी
खिड़की बंद की तत्काल,
लेकिन धूल पड़ी आँखों में
टिन्नू जी रोए बेहाल ।

बिजली गुल हो गई,न जाने
कौन घड़ी ।।

Sikandar_Khan 26-03-2011 06:32 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
आंक भणां भई आंक भणां
पढ़ लिख चोखा मिनख बणां

खाओ पीओ कूदो खेलो
टाबरियां रो काम ओ पै‘लौ
पण पढ़णों भी नही झमेलो
पकड़ां आपां स्कूल रो गेलो
बेली साथी साथै ले गे
बस्तो ले पोसाळ चलां
आंक भणा भई आंक भणां

रामू रामी दोन्यूं आओ
पाटी बरतो साथै ल्याओ
सगळा म्हानै पाठ सुणाओ
बारखड़ी गिणती पढ़ ज्याओ
ए बी सी डी मारी मांडगे
पाछै आपां गांवां रमां
आंक भणा भई आंक भणां।

Sikandar_Khan 26-03-2011 08:50 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 

धक्का-मुक्की रेलम-पेल ।
आई रेल-आई रेल ।।

इंजन चलता सबसे आगे ।
पीछे -पीछे डिब्बे भागे ।।

हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता ।
पटरी पर यह तेज़ दौड़ता ।।

जब स्टेशन आ जाता है ।
सिग्नल पर यह रुक जाता है ।।

जब तक बत्ती लाल रहेगी ।
इसकी जीरो चाल रहेगी ।।

हरा रंग जब हो जाता है ।
तब आगे को बढ़ जाता है ।।

बच्चों को यह बहुत सुहाती ।
नानी के घर तक ले जाती ।।

छुक-छुक करती आती रेल ।
आओ मिल कर खेलें खेल ।।

धक्का-मुक्की रेलम-पेल ।
आई रेल-आई रेल ।।

Sikandar_Khan 26-03-2011 08:58 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
आई होली, आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।

मुन्नी आओ, चुन्नी आओ,
रंग भरी पिचकारी लाओ,
मिल-जुल कर खेलेंगे होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

मठरी खाओ, गुँझिया खाओ,
पीला-लाल गुलाल उड़ाओ,
मस्ती लेकर आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

रंगों की बौछार कहीं है,
ठण्डे जल की धार कहीं है,
भीग रही टोली की टोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

परसों विद्यालय जाना है,
होम-वर्क भी जँचवाना है,
मेहनत से पढ़ना हमजोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

Sikandar_Khan 26-03-2011 09:00 PM

Re: ღ॰॰॰ღ बाल कवितायेँ ღ॰॰॰ღ
 
आओ बच्चो रेल बनाएँ ।
आगे-पीछे हम जुड़ जाएँ ।।

ईशु तम इंजन बन जाओ ।
लाली तुम पीछे चली जाओ ।।

गार्ड बन तुम काम करोगी ।
संकट में गाड़ी रोकोगी ।।

हम डिब्बे बन जाएँगे ।
छुक-छुक रेल चलाएँगे ।।


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