मनचलों का गरूर.…होगा चकनाचूर.!!
वक़्त करवट लेता है, और लेगा भी ज़रूर.! देखना होगा चकनाचूर, मनचलों का गरूर.!! कब तक पिसेगी नारी, इन शोहदों से हज़ूर.! खुदा एक दिन इनकी, दुआ करेगा मंज़ूर.!! नशेमन बेख़ौफ़ हैं जो, उतरेगा इनका सरूर.! जब नारी हो जायेगी, अपने हितों से सरोबूर.!! |
Re: मनचलों का गरूर.…होगा चकनाचूर.!!
सही बात .. धन्यवाद
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Re: मनचलों का गरूर.…होगा चकनाचूर.!!
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धन्यवाद |
Re: मनचलों का गरूर.…होगा चकनाचूर.!!
एक ज्वलंत विषय पर बहुत सुंदर व सार्थक कविता. धन्यवाद, रविन्द्र रवि जी.
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