चेरापूंजी के अनोखे पुल
वैसे तो चेरापूंजी विश्व में पहले ही सबसे नमीयुक्त इलाकों में गिना जाता है और एक समय दुनिया में सबसे अधिक वर्षा होने वाले स्थान के रूप में भी जाना जाता था पर इस सूत्र में मैं उन विशेषताओं की नहीं बल्कि एक अन्य विशेषता के बारे में बताने जा रही हूँ. और वह है चेरापूंजी के बीहड़ इलाकों में पाए गए अनोखे मानवनिर्मित पुल. |
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भारत के उत्तर-पूर्वी इलाके के एक स्थान चेरापूंजी में पुल बनाये नहीं बल्कि
उगाये जाते हैं. यहाँ का खासी समुदाय सदियों से अपने इस्तेमाल के लिए ऐसे पुल बनता आ रहा है जिसे हम "जिन्दा पुल" भी कह सकते हैं. http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1320502977 |
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ऐसे पुलों के निर्माण में एक खास प्रकार के रबर के पेड़ को प्रयोग में लाया जाता है. आम तौर से पानी के विभिन्न स्रोतों और नदियों के किनारों पर फलने-फूलने वाले इन पेड़ों की ये खासियत है कि पत्थरों पर भी बड़ी आसानी से उग जाते हैं और कई बार देखा गया है कि बड़े-बड़े पत्थरों तक को बींध कर के इनकी जड़े, नदियों के तलों में अपनी जगह बना लेती है. इस इलाके में नदियों के तेज बहाव से होने वाले भू-स्खलन से बचने का इन पेड़ों का यह अपना तरीका है.
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1320503158इस पेड़ की एक तस्वीर (वैज्ञानिक नाम फिकस इलास्तिका) |
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यहाँ की स्थानीय जन-जाति, खासी ने इन पेड़ों के इस विशेष गुण पर ध्यान दिया और इस गुण को अपनी नदी-नालों को पार करने की जरुरत को पूरा करने के लिए, अपने अनुसार ढाल लिया.
पेड़ की जड़ों को अपनी इच्छानुसार दिशा देने में सुपारी के पेड़ के तनो को इस्तेमाल किया जाता है. इन तनों को बीच से काटकर खाली कर दिया जाता है और पुल की जरुरत के मुताबिक रख दिया जाता है. इसके बाद पतली व लम्बी नाजुक जड़ों को इन खाली किये गए तनों के बीच से गुजारा जाता है. तत्पश्चात जड़ें पहले से निर्धारित दिशा में उगना शुरू कर देती हैं और जब वे नदी के दूसरे किनारे पर पहुँच जाती हैं तब इन्हें जमीन में गाड़ दिया जाता है. |
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आम तौर इन पुलों के तल में कम से कम दो पटरे होते हैं और दो पटरे सुरक्षात्मक रेलिंग के रूप में भी होते है. तले में खाली स्थानों को पत्थरों से भर दिया जाता है जो कि समय के साथ पुल की जमीन से मिलकर एक हो जाते हैं.
जड़ों वाली इन पुलों में से कुछ पुलें नदियों के अलग-अलग किनारों पर स्थित दो पेड़ों की जड़ों को आपस में उलझा कर भी तैयार की जाती हैं. |
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इनकी लम्बाई जमीन से १०० फुट तक ऊंची हो सकती है. और ऐसी पुलें इतनी मजबूत होती हैं कि एक बार में ५० लोगों तक का भार सहन कर सकती है.
अभी तक देखे गए ऐसी जड़ों वाली पुलों में से एक पुल में तो एक पुल के ऊपर दूसरा पुल बना पाया गया है. इसे हम डबल डेकर पुल कह सकते हैं. स्थानीय लोग इसे "उमशियांग" कहते हैं. पूरे विश्व में यह डबल डेकर पुल अपनी तरह का एक इकलौता पुल है. http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1320503740 |
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