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-   -   रो न पगले ये मंज़र तो हर जीवन में आते हैं . (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=5424)

rajnish manga 06-12-2012 09:00 PM

रो न पगले ये मंज़र तो हर जीवन में आते हैं .
 
अरमानों का खून हुआ तो अश्क मेरे समझाते हैं.
रो न पगले ये मंज़र तो हर जीवन में आते हैं .

मेरी दुनिया अंधियारी है साथ ग़मों की धुंध धुँआ है.
बिखरे टूटे स्वर में खोया एक अधूरा सपना है .
ठण्डी ठण्डी बाँहों से ग़म मुझको गले लगाते हैं.
रो न पगले ......

कोई मेरे दुखते दिल को प्यार से थपकी दे जाता.
काश मेरी यादों का दर्पण चुपके से कोई ले जाता.
हम अपने भोले दिल को ये कह कर समझाते हैं.
रो न पगले.....

हो सकता है दिल की बातें दिल में मेरे रह जातीं
और कसक की राम कहानी होठों तक भी न आती.
कुछ अफ़साने हैं जो बनते बनते ही मर जाते हैं.
रो न पगले.....

malethia 06-12-2012 09:30 PM

Re: रो न पगले ये मंज़र तो हर जीवन में आते हैं .
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 191902)
कोई मेरे दुखते दिल को प्यार से थपकी दे जाता.
काश मेरी यादों का दर्पण चुपके से कोई ले जाता.
हम अपने भोले दिल को ये कह कर समझाते हैं.
रो न पगले......

अति सुंदर पंक्तिया ..............
सुंदर रचना के लिए धन्यवाद !


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