गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
गीतिका/ ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
★■★■★■★■★■★■★■★■★ देखिये कैसा जमाना आ गया हर किसी को दिल दुखाना आ गया *** था वहाँ मैं मौत की आगोश में उनको' लेकिन मुस्कुराना आ गया *** मुझको' तेरी बस इसी तस्वीर से आजकल है दिल लगाना आ गया *** हर किसी को है पड़ी अपनी मगर और पर आँसू बहाना आ गया *** आ गया शमशान के नजदीक मैं यूँ लगा जैसे ठिकाना आ गया *** मैं चला 'आकाश' रब को ढूंढने पर किसी के काम आना आ गया गीतिका/ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी ★■★■★■★■★■★■★■★■★■★ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 9919080399 |
Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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दर्दे दिल की दास्ताँ को बहुत अच्छे से प्रकट करती रचना .. धन्यवाद |
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bahot sundar creation
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