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manishsqrt 10-10-2015 12:23 PM

भाभी जी घर पर है .
 
दोस्तों ये मेरा पसंदीदा टीवी कार्यक्रम हो गया है आज कल. इसी चलते मैंने ये थ्रेड शुरू किया . इसमें कई ऐसे पंच आते है जिन पर एक बार नहीं वरण अनेक बार हँसा जा सकता है. अगर आप भी इस सीरियल को फॉलो करते हो तो किसी मजेदार पंच का उल्लेख करे .
शुरुआत मै करता हु

१. हप्पू सिंह दरोगा के पकड़ से छूट कर एक कैदी फरार हो जाता है . हप्पू सिंह बेचैन होके अपनी स्कूटर पर उसे खोजता फिरता है, रस्ते में उसे मलखान और टिका मिल जाते है, पूछते है की का भाई हप्पू सिंह जी बड़ा परेशां लाग रहे हो का हो गयो .
हप्पू जी हमेशा की तरह वही रोना रोते है, का बताए भाई एक कैदी हमरी पकड़ से फरार हो गयो , वई को खोज रहे है, ससुरा नौकरी खतरे में है. न मिलो ता हमारा का होगो, हमरी प्रेग्नंट बीबी और नौ नौ बच्चो का पेट कौन भरेगो .

इस पर टिका मासूमियत से जवाब देता है, वो तो तुमने ठीक कई दरोगा जी पर सवाल बस बच्चो के पेट भरण को है , तुम्हरी बीबी का पेट तो हमेशा भरो रहतो है ....:egyptian::bravo::gm::laughing:

manishsqrt 15-10-2015 03:41 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
लगता है मित्रो इस थ्रेड को आगे भी मुझको अकेले ही बढ़ाना पड़ेगा. पर कोई बात नहीं मई ही सही. अभी चल रहे एपिसोड में अनीता भाभी जी ने अपने घर में ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित किया है, इस एलान को सुनके के विभूति मिश्र के चेहरे की तो हवाइया उडी हुई है और तिवारी जी बड़े खुश है. उन्हें भाभी जी को अपना प्रेम दिखने का एक मौका जो मिला. इसका एलान दरोगा हप्पू सिंह , मलखान और टिका ने रिक्शे पर घूम घूम कर किया है. विभूति जी को अंदाज़ा तो रात ही हो गया था की भाभी जी ऐसा कोई खून चूसने वाला कदम उठाने जा रही है पर उन्हें एलान तब सुने दिया जब वे अंगूरी भाभी संग उनके घर के सामने गुटर गु , मेरा मतलब गुफ्तगू कर रहे थे, और डींगे हांक रहे थे की वे बहुत बड़े खून दान वीर है, अंगूरी भाभी को अपना फेन जो बनाना है उन्हें. खैर हुआ यु की गलती से उनके हाथ में कैक्टस का कांता चुभ गया और थोडा सा खून निकलने पे ही उन्हें चक्कर आने लगे .
अगले ससेने में दिखाया है की भाभी जी के घर पर ब्लड डोनेशन का कार्यक्रम चल रहा है, डॉक्टर और नर्स बैठे है और टिका फिलहाल खून दे रहा है, साथ ही उदास भी है की उसे कमजोरी सी महसूस होती है, भाभी जी उसके लिए मौसमी का जूस और तोफ्फे और गुलाब का फूल लती है, उसके बाद मलखान का नंबर आता है, मलखान भी वही शिकायत करता है और थोडा चिंतित है, भाभी जी उसे सुनिश्चित करती है की फिक्र न करो मई तुम्हारे लिए जूस और टॉफ़ी लती हु, इतने में विभूति जी आ जाते है और रक्तदान का नज़ारा देखते दरवाजे से ही भाग खड़े होते है एयर चोरी से जाके तिवारी जी के घर में छुप जाते है. इधर हप्पू सिंह भाभी जी के घर पर दो बोतल खून लेके पधारते है, न जाने ये खून किसका है पर वो ऐसा दावा करते है की उनका ही है उन्हें बाहर देने में शर्म आ रही थी सो उन्होंने घर पे डॉक्टर बुला के निकलवा लिया. टिका मजा लेता है, की खून ही तो देना था कौन सा मुजरा करना था जो बाहर देने में शर्म आ रही थी . वो शक करता है की मुझे तो लागो है की ये आपका खून न है किसी बकरे वक्रे का निकलवा लिया होगा, इस पर हप्पु सिंह एक चमत रसीद देता है उसे. अब आज देखे क्या विभूति मिश्र जी पकड़ में आएँगे या खून देने से बाख जाएँगे.

rajnish manga 15-10-2015 04:16 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
Quote:

Originally Posted by manishsqrt (Post 555516)
लगता है मित्रो इस थ्रेड को आगे भी मुझको अकेले ही बढ़ाना पड़ेगा. पर कोई बात नहीं मई ही सही..... अब आज देखे क्या विभूति मिश्र जी पकड़ में आएँगे या खून देने से बाख जाएँगे.

वाह मनीष भाई, आपने तो एपिसोड का निचोड़ निकाल कर रख दिया. बहुत बहुत धन्यवाद.



manishsqrt 20-10-2015 11:34 AM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
धन्यवाद रजनीश जी, तो इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए, कल के एपिसोड में सीन शुरू होता है अनीता भाभी के घर पर, जैसा की जाहिर है अनीता भाभी सोफे पर लेट कर अपनी मनपसंद पत्रिका मेरी चंट सहेली बड़े ध्यान से पढ़ रही है और विभूति जी घर की साफ़ सफाई में लगे है. की तभी तिवारी जी आ धमकते है और अनीता भाभी को सूचित करते है की अंगूरी भाभी ने नवरात्री के अवसर पर जगराता करने वाली है, इसके लिए वे भाभी जी को न्योता देने आए है, विभूति जी इस न्योते को बिना दिए ही झटक लेते है, आखिर उनकी फेवरिट भाभी जी जो कार्यक्रम करा रही है. साथ ही तिवारी जी भाभी जी से अर्ज करते है की हो सके तो किसी माता की भेंटे गाने वाले का इंतजाम कर दीजिये. इस अर्जी को भी विभूति जी ही काफी फुर्ती से लपक लेते है और कहते है की वे इंतजाम कर देंगे. दरअसल वे स्वयं भेंटे गाके अंगूरी भाभी को रिझाना चाहते है. और इसी मुहीम में वे फ़ोन पे किसी अनजान के सामने डींग हांकते हुए बात करते है की जैसे वे जगराता के दिनों में कितने व्यस्त है . दरअसल ये बात वह अंगूरी भाभी के घर के सामने खड़े हो कर करते है ताकि अंगूरी भाभी सुने. सुनते ही अंगूरी भाभी हैरान होती है की उन्हें तो पता ही नहीं था की विभूति जी इतने अच्छे भेंटे गाते है , वे उनसे विनती करने लगती है की उनके जगराते के लिए वे टाइम दे. बस फिर क्या था विभूति मिश्र की मुरादे पूरी हो गई, उन्होंने दो चार डींगे और हांक दी की जैसे उनके गाने पर शेर आ जाता है और भेंटे सुन कर आशीर्वाद देके चला जाता है. अंगूरी भाभी और हैरान और मदमस्त.
अब समस्या ये है की विभूति जी को ऐसे सब सहूर तो है नहीं, तो इस जुगाड़ में वह सक्सेना जी को खोज लेते है और शॉक देने के बदले उन्हें माता की भेंटे गाने को तैयार कर लेते है, यार ये सक्सेना जी भी है गजब के हरफन मौला , जान के हैरानी हुई की इस काम के लिए भी उनकी पुरे कानपुर में डिमांड है पुरे नवरात्री में वे ओवर बुक्ड चलते है , खैर आखिर वह सक्सेना जी है. साथ ही शेर बन्ने के लिए विभूति जी टिका और मलखान को मन लेते है, बदले में उन्हें १००० रूपए खर्चा पड़ते है हालाँकि.
अगले सीन में दिखाया गया है की भाभी जी के घर पर जगराते की व्यवस्था कर दी गई है, ढोल मंजीरा बजने वाले आ गए है और विभूति जी माइक लेके खड़े है. स्टेज के पीछे उन्होंने सक्सेना जी को तैयार किया हुआ है, आवाज़ सक्सेना जी की होगी और शकल इनके, यही तो चाहते है विभूति जी. हालाँकि अंजलि भाभी ऐसा देखे के थोड़ी हत्प्रब है वे विभूति मिश्र को कहती भी है की तुम रहने दो तुम मत गो, तुम गाओगे तो सब सो जाएँगे. इसी बीच तिवारी जी अनीता भाभी के लिए जूस लेने जाते है. और उसमे नींद की गोली मिला देते है. आब देखते है आज के एपिसोड में क्या होता है.

manishsqrt 21-10-2015 09:40 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
आगे जगराता शुरू होता है, सक्सेना जी स्टेज के पीछे से और विभूति जी लोगो के सामने माता की भेंटे गाना शुरू करते है, वह क्या गाते है सक्सेना जी इस आदमी के हुनर ने तो मुझे अचम्भित कर दिया है, लगता बिलकुल पग्लैत है पर एक से बढ़कर एक गुण है इसके अन्दर, बिचारा. खैर जगराते में सभी है जैसे दरोगा हप्पू सिंह, मलखान, तिवारी जी, अनीता भाभी और अंगूरी भाभी, अनीता भाभी को तो तिवारी जी जूस दे देते है और इंतजार करने लगते है की कब उसमे मिली नशे की गोली असर करेगी और भाभी जी लुढ़क कर उनपे गिरेंगी, आए हाई क्या मस्त थर्किपना सोचा है तिवारी जी ने, खैर. तो सभी नज़र आ रहे है और मोहल्ले वाले भी पर टिका नहीं दिख रहो है. भाई टिक्के को तो शेर बनना थो न, विभूति जी की आँखे स्टेज से टिक्के को खोज रही है और वे बार बार मलखान से इशारे में पुच रहे है की टिका कहा मर गया. मलखान उन्हें दिलासा दे रहा है की आ रहा है आप तसल्ली रखो. उधर अंगूरी भाभी बार बार शेर के इशारे करके विभूति जी से पुच रही है की शेर कब आएगा. क्या मस्त इशारे दे रही है अंगूरी भाभी भाई वाह . मलखान विभूति जी को तसल्ली दे रहा है और विभूति जी भाभी जी को. और सक्सेना जी अपनी मदमस्ती में गए पड़े है . पर इस टिके का कोई आता पता नहीं .
तो भैया हुआ यु की एक भेंट ख़तम हुई और दूसरी शुरू हुई इशारे बजी चारो और चल रही है. पर न शेर का अत पता न टिके का. और इधर तिवारी जी को पंडित कान में बता गयो की यार मैंने उल्टा पत्र पढ़ लिया था जगराते के वक़्त औरत न सोए और मर्द सो जाए तब दोनों की शादी अगले जनम में न होती है. अब पासा पद गया उल्टा तिवारी जी ने तो अनीता भाभी को नीद की दवाई दे राखी है और वे धीरे धीरे उनपर लुढ़क भी रही पर अब तिवारी जी उन्हें जगाने में लगे पड़े है. इसी मुहीम में एक दफा तो अनीता भाभी ने उन्हें एक तमाचा भी रसीद दिया .खैर.
इधर टिका दीखता है सड़क पे खड़ा आधी शेर की ड्रेस उसने पहन राखी है पर मुखौटा अभी हाथ में है. बिचारे काले देव को गर्मी लागे से . भाई ने सोचा की एक बार शेर की आवाज़ की रिहर्सल हो जाए, ऐसा सोच के ताने शेर की आवाज़ निकली पर बिचारा ध्यान देना भूल गयो की निचे तो कुक्कुर बैठे है. दोनों बिचारे इस आधे शेर आधे आदमी को देख के बेचैन से हुए जा रहे है, और शेर की आवाज़ ने दोनों की बेचैनी बाधा दी. सो भाग लिए दोनों टिके के पीछे, अब लागी मिल्खा सिंह वाली दौड़ टिके और दोनों कुक्कुरो की, भाग मिल्खा भाग, भारी शरीर टिका बिचारा जैसे तैसे दो हवसी जानवरों से अपनी इजात बचाने में लगा है. और उधर जगराते में माता की भेंटे चालू है. अब लो भाई ये क्या टिका तो उधर भाग रहो है और इधर जगराते में शेर आ गयो. अब जे कौन से भाया. सबको लागे है की असली शेर हो, और मलखान और विभूति सोचे है की टिका हैगो, बाकि सब अस्माजास में की जे कैसे हो गयो. और विभूति के चेहरे पे रहत की सांस . अभी सब सोच विचार ही रहे है की टिका आगयो नागा मूंगा बनयान में गिरते पड़ते अपनी इज्जत कुक्कुरो से लुटवा के. अब विभूति और मलखान पड़े असमंजस में की अगर जे इधर है तो शेर की जगह पर कौन से. एका मतलब की जे असली शेर से. इतने में दरोगा जी को फ़ोन आतो है की चिड़िया घर से शेर भाग गयो है. अब ससुरा माथा ठनका, अब सब की सिट्टी पिट्टी घूम, इधर और लो, सब इधर खड़े है तो तभी किसी ने फिर से भेंटे गई. अरे सक्सेना जी कभी तो दिमाग का इस्तमाल कर लिया करो, सब हैरान की जब विभूति यहाँ कदा है तो गा कोण रहा. विभूति सर झुका के माफ़ी मांगता है और बताता है की जे सक्सेना जी है. सक्सेना जी को बहार बुलाया जाता है, सक्सेना जी बताते है की वे जब भी भेंटे गाते है असल शेर आ जातो है. और जे आ गया.भाई गजब है भाई सक्सेना जी भी. तो अब सुनो. सक्सेना जी शेर को देख के शोकेद और आखे निकल के कहते है i like it. शेर आगया आह्ह्ह सबसे पहले मै कटवाऊंगा , लोजी हद्द है कभी देखा है ऐसा आदमी. खैर अब चिंता जे है की इस शेर का क्या करे. इतने में अंगूरी और अनीता भाभी पूजा की थाली उठती है और शेर की आरती उतरती है. न जाने का होतो है की शेर चलो जातो है. आह चलो भाई शांति मिली . तो ऐसे ख़तम हुआ जगराता. अब देखे आगे क्या होतो है अगले एपिसोड में .

manishsqrt 22-10-2015 07:46 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
तो भैया उधर नवरात्री ख़तम और इधर विजय दशमी की तैयारिया शुरू. अंगूरी भाभी और अनीता भाभी दोनों अपने घर के सामने एक दुसरे से बाते कर रही है भगवान् श्री राम और उनके गुणों के विषय में, उन्हें कही न कही ये भी लगता है की उनके पतियों में भगवान् श्री राम की छवि है. पर अफ़सोस की ज्यादा बाल की खाल निकलने के बाद अंगूरी भाभी को विभूति नारायण तो आसली और सुत्क्कड़ कुम्भ कारन लगने लगते है और अनीता भाभी को तिवारी जी तो रावण ही लगने लगते है.
अफ़सोस की ये चर्चा दिवार के पीछे से तिवारी और विभूति सुन लेते है. अब उनकी मनपसंद भाभिया उन्हें ऐसा कहे ये उन्हें कहा हजम होगा. दोनों ठान लेते है की वे मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के आदर्शो पे चल के अपने भाभी जी को रिझएंगे. भले दो दिन के लिए ही सही.
तो भैया अब दोनों में मच जाती है होड़, भगवन राम बन्ने की. हालाँकि दोनों मानते है की भगवान् राम के आदर्शो पे चल पाना आज के ज़माने में संभव नहीं, पर फिर भी कोशिश किया जाए. तो इसी मुहीम में तिवारी जी शुरुआत करते है अपने घर से, अंगूरी भाभी उन्हें खाने पर बुलाती है की लाड्डो के भैया आ जाइये खाना लग गया है की तभी तिवारी जी गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते है. लगते है शुद्ध अवधी में बाते करने, दया और प्रेम का प्रवचन सुनाने. यहाँ तक की उन्होंने अंगूरी को भी अंगुरे कह कर पुकारा भाई. भाभी जी अचंभित की लड्डू के भैया को ये क्या हो गया अचानक. इतने में ही तिवारी जी फैसला करते है की आज के दिन से वे रोज एक समय का भोजन नहीं करेंगे और वह भोजन वो गरीबो को खिलाएँगे. तो वे थाली को सात्त्विक स्टाइल में दोनों हाथो में थामे चल देते है घर से बाहर किसी भूखे को खोजने .
अब अंगूरी भाभी को ये सब हजम नहीं हो रहा . वे लगाती है अम्मा जी को फ़ोन और बताती है सब कुछ, पहले बता दू ये अम्मा जी तिवारी जी की माँ यानि अंगूरी जी की सास है पर वे अंगूरी भाभी को तिवारी से ज्यादा मानती है. क्युकी जानती है की उलटे सीधे काम तिवारी ही ज्यादा करते है अंगूरी नहीं. वो बिचारी भोली भली है . अम्मा जी भी ये बर्ताव सुन के हैरान होती है सोचती है की ये बैलवा को अचानक क्या हो गया. पर फिर कहती है की जाने दो बेटा अच्चा बर्ताव ही कर रहा है न कोई परेशां तो नहीं न कर रहा , परेशां करे तब बताना हम आके उसकी बैंड बजा देंगे .
इधर तिवारी जी हाथो के खाने की थाल सजा के इंतजार कर रहे है किसी भूखे का, अनीता भाभी उन्हें अपने घर से ताक रही है. आश्चर्य से पूछती है की क्या भाई तिवारी जी ये आप को क्या हो गया. बस फिर क्या इसी पल के लिए तो तिवारी ने ये सारा ड्रामा रचा था. वे बतलाते है की किस तरह उनके ह्रदय में परिवर्तन आ चूका है और वे एक भूखे को खोज रहे है जिसे वे खाना खिला सके . पर अफ़सोस की रोज सैकड़ो भिखारी घूमते टहलते दीखते थे आज कम्बखत एक भी नहीं दिख रहा, कही भिखारियों की हड़ताल तो नहीं हो गई. अगर ऐसा हुआ तो वे भाभी जी को इम्प्रेस कैसे करेंगे ?
इतने में तभी टिका और मलखान गुजरते है, लो भाई आ गए तिवारी जी भिखारी. तिवारी जी बड़े प्रेम से खाने की थाल उनके आगे कर देते है, पर टिके मलखान को इसकी जरूरत कोणी . वे तो अभी कही से मुर्गी और १०-१० रोटियां पेल के आ रहे है. हा अगर ४-५ सौ रूपए हो तो तिवारी जी वे दे दे . ले भाई ये है आज कल की दुनिया खैर .
वे दोनों तो आगे निकल जाते है पीछे भोला रिक्शे वाला आता है, अरे वही जो बाते कम करता है और पर्चियों से जवाब ज्यादा देता है. न जाने उसे कैसे पता रहता है की सामने वाला क्या सवाल पूछेगा और उसके जवाब की पर्ची उसके पास तैयार रहती है. तिवारी जी उससे कहते की ले भोला खाना खा ले. जवाब में भोला पर्ची निकल ता है उसमे लिखा होता है " किस ख़ुशी में " तिवारी जी कहते है अरे पगले कोई ख़ुशी की बात नहीं तुझे भूख लगी होगी इस लिए खिला रहा हु , भोला जवाब में पर्ची निकलता है " की मुझे तो न लागी, मई तो अभी खाके आ रहा हु, हा अगर इतना ही एहसान करना है तो एक ऑटो रिक्शा दिलवा दो" हा हा हा हा लो भाई ऐसी है दुनिया, तिवारी जी के खाने को किसी की जरूरत न है और उनकी बेज़ती पे बेज़ती होती जा रही है . अनीता भाभी काफी देर से ये सब देख रही है, वे तिवारी जी को सलाह देती है की आप ये खाना अनाथ आश्रम में दान कर आइये, यहाँ तो आपके खाने की किसी को जरूरत नहीं, वे कहती है की मई आपको अनाथ आश्रम का नंबर देती हु, और नंबर देने के लिए वे आगे बढती ही है की उनका पाँव फिसल जाता है और वे सड़क पर गिर जाती है , उनके पाँव में मोच आ जाती है, वे तिवारी जी को कहती है की उनकी मदद करे . पर अफ़सोस की तिवारी जी तो राम बने है, वे कहते है माफ़ करे देवी पराई स्त्री का स्पर्श वे नहीं कर सकते और वे दिवार के पीछे चुप जाते है साथ ही हाथ भी पटकते है की राम बन्ने के चक्कर में भाभी जी को चुने का इतना अच्चा मौका हाथ से निकल गया . उधर सड़क पे पड़े पड़े भाभी जी हैरान है की ये क्या किया तिवारी जी ने ये कैसा आदमी है, और तिवारी जी हाथ पटकते भाग निकलते है .
उधर विभूति जी अपने ही कोशिश में लगे है की कैसे श्री राम बना जाए . इस मुहीम में वे फूल वाली के दिकन पर खड़े कुछ सोचते रहते है, की फूल वाली उन्हें टोकती है की क्या बात है विभूति बाबु कौन से फूल चाहिए. विभूति जी भी मर्यादा का चोला पहने है, वे फूल वाली को देवी कह कर संबोधित करते है. फूल वाली गरम हो जाती है की ये क्या देवी देवी लगा रखा है और दुसरे को दुकान देखने को कहके चली जाती है, इतने में टिका और मलखान वहा पहुचते है . विभूति जी उन्हें रोकते है और कहते की उनका एक काम करोगे तो वे ५०० रूपए देंगे दोनों को , दोनों पूछते की क्या बात है ऐसा कोण सा काम आ गयो की उसके लिए ५०० देने को तैयार है विभूति भैया . वे कहते है की शाम को इस फूल वाली को छेड़ना है . दोनों कहते है की जे कोई काम थोड़े है हमारे लिए ये तो एंजोयमेंट है, इसके भला ५०० क्यों देगा कोई . फॉर कहते है की अगर हप्पुर सिंह आ गया उर हमें पकड़ लिया तो क्या होगा. विभूति समझाते है की उसकी नौबत न आएगी उससे पहले ही मई तुम लोगो को सूत दूंगा, अब विभूति की साडी चाल समझ आई दोनों को. खैर, दोनों तैयार हो जाते है पर २००० मांगते है. बीच में आके बात पट्टी है १५०० पर. अब आज देखे की विभूति की ये चाल क्या कारनामे करती है .

manishsqrt 25-10-2015 01:11 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
इस एपिसोड में फूल वाली अंगूरी भाभी के घर के सामने कड़ी दिखाई जाती है, अंगूरी भाभी उससे कुछ फूल ले रही है और बाते कर रही है, उधर विभूति जी चुपके से अपने घर में मलखान के आने का इंतजार कर रहे है की कब वह आए और भाभी जी के सामने फूल वाली को छेड़े ताकि वह उसे पीट कर भाभी जी पर रॉब जमा सके. फूल वाली भाभी जी को बताती है की उसका अपने गाव के किसी लड़के से मन लग गया है और उसकी सगाई भी हो गई है. जल्दी ही वह शादी भी करेगी. इतने में हेलमेट पहने एक आदमी मोटर बीके पर फूल वाली के पास आके खड़ा हो जाता है. विभूति जी आव देखते है न ताव और हेलमेट वाले आदमी की सुताई चालू कर देते है, संजोग से वह तो फूल वाली का मंगेतर निकलता है. बस फिर फूल वाली खुद एक नंबर की फूलन देवी वह विभूति जी की जो सूती करती है की बस. विभूति जी पिटते हुए पूछते रहते है की क्यों मार रही हो मुझे मैंने क्या किया मई तो एक अबला की रक्षा कर रहा था . फूल वाली बताती है की हेलमेट वाला आदमी दरअसल उसका मंगेतर है, विभुइति जी सॉरी सूरी कहते चले जाते है. उधर फूल वाली भी हेलमेट वाले आदमी संग चली जाती है. अफ़सोस की मलखान इसके बाद पहुचता है और विभूति से पूछता है की क्या करू बताओ तो किसे छेड़ना है यहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रही. विभूति जी अब उसे सुटते है और फिर बाइक पे बैठ के आगे तक छोड़ देने को कहते है .
उधर तिवारी जी अलग स्कीम से अनीता भाभी को पटाने में लगे है उन्होंने सक्सेना को तैयार किया है इसके लिए पैसे देके, सक्सेना बुजुर्ग का भेष बनके आता है और तिवारी की खूब तारीफ करने लगता है. अनीता भाभी अपने दरवाजे से कड़ी देख रही है . सक्सेना कहता है की तिवारी देवता है और कैसे उन्होंने अपनी दोनों किडनी उनके नाम कर दी है. भाभी जी अचंभित होती है और कहती है की ये कैसे हो सकता है दोनों किडनी के बिना तिवारी जिन्दा कैसे रह सकते है. तिवारी झेंप जाते है और बहाना बना के कहते है की अभी दी नहीं है पर नाम करदी है उनके मरने के बाद इन बुजुर्ग को मिल जाएंगी . अनीता भाभी नाराज ही जाती है कहती की कितनी अजीब बात है तिवारी जी आपसे ये उम्मीद नहीं थी, इन बुजुर्गवार को आपने उम्मीद दिला के लटका दिया, आपके मरने तक ये जिन्दा भी रहेंगे. और वे नाराज़ होके चली जाती है . तिवारी की स्कीम भी फ़ैल. सक्सेना तो पागल है लगता है तिवारी से दोनों किडनी अभी मांगने और एक झापड़ खाके आई लाइक इट बोलके चला जाता है.
उधर विभूति जी भी अपनी मर्यादा झड़ने और अंगो को दान देने के लिए डॉक्टर को बुलाते है, मरणोपरांत वे भी अपने सारे अंग दान करके राम बनना चाहते है. डॉक्टर कहता है की इत्ती सी बात तो फ़ोन पर भी कर सकता था मुझे बुलाने की क्या जरूरत थी और चला जाता है. अब देखते है अगले एपिसोड में इन दोनों की ये राम बन्ने की कोशिश कहा तक कामयाब होती है .

manishsqrt 27-10-2015 04:43 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
तो भैया आगे के एपिसोड में विभूति जी और तिवारी जी का राम बन्ने का भूत उतर ही गया, और वो उतरा अम्मा जी की सलाह से. हुआ यु की अनीता और अंगूरी भाभी दोनों ही रात में मदमस्त होक नृत्य करके अपने अपने पतियों को रिझाने की कोशिश में थे पर दोनों पतिदेव तो मनो की ऋषि मुनि बने बैठे थे और तपस्या कर रहे थे. यहाँ तक की हद तो तब हो गई जब तिवारी जी तो अंगूरी भाभी के पैर तक दबाने लगे . खैर सबेरे अंगूरी भाभी ने अम्मा जी को फ़ोन किया और बताया की लड्डू के भैया यानि तिवारी जी तो उन पर ध्यान ही नहीं दे रहे है. अम्मा जी कहती है की का करे आज कल तुम्हारे ससुर जी भी मुझ पर ध्यान नहीं देते. अंगूरी भाभी मासूमियत से जवाब देती है की अम्मा जी आप तो बुढा गई है न . अम्मा जी शर्मा जाती है और कहती अरे नहीं रे बिटवा हम तो अभी भी जवान है और मोहल्ले के कई छोकरे अभी भी उन्हें लाइन मरते है, खैर वे अंगूरी भाभी को फ़ोन पे उपाय बताती है .
उपाय ये है की अनीता भाभी और अंगूरी भाभी भी सीता जी की राह पर चल पड़ती है, लो भाई जैसे को तैसा, ऐसा देख के दोनों पतिदेव लोग परेशां होने लगते है और उनमे सहमती बनती है की सच में आज के ज़माने में राम सीता जी के आदर्शो पे चलना किसी के लिए भी मुश्किल है और वे सभी नार्मल तरीके से रहने का निर्णय करते है .

manishsqrt 28-10-2015 08:01 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
तो पिछले एपिसोड में दिखाया गया है की भाभी जी को सपना आता है की वे विभूति जी के साथ कार में गूम रही है
विभूति जी उन्हें देखे के गाना गा रहे है " ये शाम मस्तानी , मदहोश किये जाए " भाभी जी उन्हें एक तमाचा मरती है और कहती है की ड्राईवर सामने देख के गाडी चलाओ एक्सीडेंट करोगे क्या
इसके बाद भाभी जी की नींद टूटती है. सुबह वह लड्डू के भैया की खूब पुछार करती होती है. उन्हें दो दो बार नाश्ते और दूद्ज के लिए पूछती है, तिवारी जी समझ जाते है और सीधे पुच बैठते है की बताओ क्या बात है क्या चाहिए.
अंगूरी भाभी कहती है की उन्हें कार चाहिए, तिवारी जी दांत देते है. और दुकान के लिए जाने लगते है, वही उन्हें दरवाजे पर अनीता भाभी कड़ी दिखाई देती है जो रिक्शे का इंतजार कर रही होती है. तिवारी जी उन्हें देख कर रोमांचित हो जाते है, वे भी कार लेने के बारे में सोचना शुरू कर देते है, वे तो अनीता भाभी को बैठा के घुमाने के लिए ऐसा सोछ्ते है नाकि अंगूरी के लिए.
चाय वाले किदुकन के पास टिका और मलखान हमेशा की तरह अपनी छिछोर पांति लेके टाइम पास करते रहते है, वही तिवारी जी भी पहुचते है, गलती से उनसे पुच बैठते है की कोई गाडी है क्या क्या तुम दोनों की नज़र में. टिका जवाब देता है की भैया जी है तो पर उठा नहीं प् रहे, सच में गजब के छिछोरे है दोनों के दोनों.
तभी दारोगा जी आते है अपनी स्कूटर लेके. तिवारी जी यही बात उनसे भी पूछते है, हप्पू सिंह दारोगा बताते है की बड़े सही समय पर ये बात उठाई तैने, आज ही उनका एक दोस्त अपनी गाडी बेचने को कह रहा था. तिवारी जी कहते है तो बस वही दिलवा दो, हप्पुर सिघ कहता है की दिलवा दे ऐसे क्या क्या दिलवा दे, क्या फ्री में दिलवा दे अरे पैसे लगेंगे. तिवारी जी पूछते है की हा तो कितने पैसे लगेंगे. हप्पू सिंह कहते है की १ लाख. तिवारी मुह बनाने लगते है की ये तो बड़े ज्यादा है. हप्पू सिंह कहता है की ज्यादा है तो ऐसा करो आगे की गली से बाये लेलो वह एक खिलोने की दुकान पड़ेगी वही से खिलोने वाली एक कार लैलो और पुरे घर में तली बजाते घूमते फिरना, मैंने कार लैली मैंने कार लैली ...
इस पंच को सुन के मलखान झूमता हुआ दारोगा जी को ताली देने आता है बड़े जोश में, और एक जबरदस्त रैपटा, खाके के उसी जोश से वापस चला जाता है ..
खैर तिवारी जी कहते है की अच्चा चलो ले लेना एक लाख कार दिलवा दो. दारोगा जी कहते है की तब चलो देर कैसी हा १०००० का न्योछावर उनके लिए अलग से रख लेना, जैसा की जाहिर है ...
रात में तिवारी जी अपने बेडरूम में आते है और नाराज़ अंगूरी भाभी को मानते है और खबर सुनते है की वे कल एक कार लेलेंगे. अंगूरी भाभी ख़ुशी से झुमने लगती है और कार चलाने की बात सोच के हसने लगती है.
उधर अनीता भाभी विभूति पर ताने कसना शुरू करदेती है की कैसे आज उन्हें रिक्शे के लिए एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को इंतज़ार करना पड़ा. साथ ही कहती है की कैसे उनके सभी रिश्तेदारों के पास कार है बस उनके पास नहीं है . विभूति जी कहते है की एक चाह्चा के पास बैल गाडी है वह ही उधर ले लेते है, अनीता भाभी और तंज कसती है की मतलब अब बैल गाडी भी तो उधार लेके ही खरीदोगे .
खैर सबेरे तिवारी जी गाडी खरीद के ले आते है, ग्रे कलर की गाढ़ी अच्छी हालत में ही लग रही है, अंगूरी भाभी देखे के खुश है उसकी पूजा कर रही है, की तभी अनीता जी आती है और तिवारी जी को बधाई देती है . तिवारी जी कहते है की अरे भाभी जी आप ही की गाडी है . अब अगले एपिसोड में देखा जाए नई गाडी क्या गुल खिलाती है .

manishsqrt 31-10-2015 08:56 PM

Re: भाभी जी घर पर है .
 
तो अगले एपिसोड में हुआ यु की तिवारी जी गाडी लाके तो रख दिए पर अंगूरी भाभी को नौसिखिया होने के चलते उसे चलाने की इजाज़त नहीं थी. वही विभूति मिश्र जी अंगूरी भाभी से कह चुके थे की तो उन्हें गाडी चलने सिखा के रखेंगे. तो भैया रात में कांड करने का निर्णय हुआ दोनों के बीच, अ मने कांड याने की अचुप के गाडी चलाने का, गलत मत सोचो भाई लोग भाभी जीके बारे में, वैसे ज्यादातर रात में कौन सी गाडी चलती है ये हम सब जानते है इसी से ध्यान उधर चला गया होगा खैर .
तो रात १ बजे दोनों निकल पड़े चोरी चुपके गाडी लेके, विभूति जी अंगूरी भाभी के घर के नीचे इंतजार कर रहे थे और अंगूरी भाभी ने ऊपर से चप्पल और गाडी की चाभी फेकी और खुद चोरी से नीचे उतर आई . अब दोनों गाडी लेके निकल पड़े, गद्दी अंगूरी भाभी चला रही थी और विभूति भैया दिशा निर्देश दे रहे थे, बिचारी को अभी क्लच एक्सेलेटर का अंदाज़ा नहीं होगा, गाडी सर्र से निकली और जाके भीड़ गई मोड़ पे रखे कचरे के डब्बे से . हो गयो एक्सीडेंट, चोरी चुप्पे रात में पडोसी की गाडी में बैठने का यही अंजाम होतो है .
ये सारा वाक्य अनीता भाभी ने देख ली , ले भाई हुई चिल्लंद अब तो, खैर अनीता भाभी जे न देख पाई की गाडी में हे कोण, और वे जाके सो गई, जैसे तैसे अंगूरी भाभी और विभूति जी अपनी गाडी सँभालते घर को आए और चप्पे से वे भी सो लिए अपने अपने घर माँ.
तो भाई सबेरे दिखाया जाता है की दारोगा हप्पू सिंह लंगड़ाते हुए सर में पट्टी और पैर में प्लास्टर चध्वे चले आ रहे है . मलखान ने तो खिचाई कर दी, की भाई दरोगा जी कहा से फोड़वा के आ रहे हो, साथ ही एक रैप्ता भी खा गया. तभी सक्सेना जी आ धमके पहले तो जा ने शराफत से बात कई और फिर उतर आओ वो भी बदतमीज़ी पर, खैर दारोगा जी की हालत बुरी सो कैसे तैसे गम पि के रह गए.
तभी अनीता भाभी आई और पूछी की हप्पू सिंह जी ये क्या हो गया आपको. तब हप्पू ने बताया, की एसा है गोरी मेम रात वे मई कचरे के डिब्बे में था ...
इतना कहना ही था की सभी उन्हें आँखे फाड़ के ताकने लागे, अनीता भाभी ने पुचा की आप कचरे के डिब्बे में रहते हो, तब हप्पू ने क्लियर किया की दरअसल बात जे है की एक बदमाश को पकड़ने के लिए रात में वे चुप कर बैठे थे कचरे के डिब्बे में की तभी एक गाडी आई तेजी से और डिब्बे को उड़ाते चली गई . वे उसी गाडी वाले को खोज रहे है. क्या कही देखा है किसी ने.
अनीता भाभी कहती है की रात में एक बजे के करीब उन्होंने तिवारी जी की गाडी बड़ी तेजी से मोड़ की तरफ जाते हुई देखि थी, अब हप्पू का मामला ठनका, उसने जेक तिवारी की गाडी चेक कई, उस पर डेंट पड़ा था वो समझ गया की जे गाडी ही हैगी .
अब जेक उसने तिवारी का दरवाजा का घंटी बजाय, इलेक्ट्रिक शॉक भी खाया, खैर तिवारी ने दरवाजा खोला और दारोगा ने सवाल जवाब शुरू कियो. तभी विभूति जी अंगूरी भाभी भी आ गई, अब अंगूरी भाभी तो मासूम उन्हें पहले कहा पता था की डब्बे में कोई आदमी भी था. हप्पू की बात सुनते ही वे सच बोल गई और विभूति जी और उनकी पोल खुल गई .
इधर तिवारी जी गरम उधर अनीता भाभी दोनों अपने अपने जोड़ीदारो को डपटते हुए घर के भीतर लेते गए, और बिचारे हप्पू की गर्मी कोई देख ही नहीं रहा, हप्पू को अनीता भाभी ने दो चार बार डपट लगा दी सो अलग, अब हप्पू का दिमाग गरम. बिचारा सड़क पे आया उर हवा में फायर किया ताने. तब डर के दोनों परिवार बहार आया, हप्पू ने कई की वो तो अंगूरी भाभी को हवालात ले जाएगा. उनके पास लर्निंग लाइसेंस न था. तभी जाने कहा से गुप्ता नाम का एक आदमी आ जाता है, जिसे देखे के हप्पू सक्पनके लगता है, गुप्ता बार बार जा से पुच रहो है की उसकी चोरी गाडी की रपट लिखी थी उसने हप्पू ने कहा था की गाडी मिल भी गई है तो उनसे दी कहे न अभी तक. हप्पू जैसे तैसे उसे टालने की कोशिश कर रहा है. तभी उसकी नजर तिवारी की गाडी पे पड़ती है, वही गाडी जो खुद हप्पू ने बेचीं थी और जिससे अंगूरी भाभी ने हप्पू को ठोक भी दिया था. अब हप्पू जैसे तैसे मामल रफा दफा करता है दांत दिखा के अंगूरी भाभी से कहता है की भाभी जी ऐसो है की सिखने सिखाने में कभी कभी गलती हो ही जाती है, चलो कोई बात न है आगे से ध्यान रखियो. इस तरह जैसे तैसे मामला रफा दफा होतो है .


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