Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
न जी भर के देखा, न कुछ बात की।
बड़ी आरज़ू थी मुलाकात की। (डा. बशीर बद्र) |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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बड़ी आरज़ू थी मुलाकात की। (डा. बशीर बद्र) |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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कबीरा खड़ा बजार में, लिये लुकाठी हाथ जो सर दे वे आपना, चले हमारे साथ |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हम अपनी कब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गये - मुनव्वर राणा |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ये मिट्टी का बदन भी तो यहीं पर छोड़ जाना है (स्वरचित) |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ऐसे हम तुझमें हुए गुम, कि ज़माने से गए (अज्ञात) |
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