गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
एक गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
०००००००००००००००००००००००००००००००० कितनों ने दिल सौंप दिया है किसको किसको प्यार लिखें पर चाहत के बदले बोलो कैसे हम इनकार लिखें लिखने को तो लिख डालेंगे एक नया इतिहास मगर तुम जो साथ नहीं आये तो दुनिया है बेकार लिखें शादी है जीवन की गाड़ी हम तो अक्सर लिखते थे लेकिन अब जब भी लिखते हैं जाने क्यों मझधार लिखें कविता तो सौतन है उनकी कविता से वे जलतीं हैं लेकिन हमको लत है ऐसी कविता ही हर बार लिखें बहुत लिखें हैं उल्टा-सीधा सच है पर 'आकाश' यही हे पत्नी तुम पूजनीय को जीवन का आधार लिखें गीतिका- आकाश महेशपुरी ०००००००००००००००००००००००००००००००० पता- वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर. {उत्तर प्रदेश} |
Re: गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
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Re: गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
इसे गीतिका कहें या ग़ज़ल, सच में बहुत अच्छी रचना है. कथ्य व अभिव्यक्ति का अंदाज़ दोनों में नयापन है. फोरम पर इसे शेयर करने के लिए धन्यवाद, आकाश जी.
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Re: गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
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Re: गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
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आदरणीय रजनीश मांगा जी!आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया हेतु अत्यंत आभार! |
Re: गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
बढ़िया गजल हुई है आ आकाश sahab
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