सोशल मीडिया की ताकत
सोशल मीडिया की ताकत
'दरोगा जी! मैं सदैव आपकी सेवा में तत्पर हूँ बस आप मेरा काम करवा दीजिए।' दो हजार के नोटों की गड्डी दरोगा के हाथ में देते हुए सेठ धनराज बोला। 'ठीक है सेठ जी आप निश्चन्त होकर अपने मकान की छत डलवाओ, लेकिन ध्यान रहे यह काम अति शीघ्र हो जाना चाहिए। बुढ़िया आएगी तो उसे डाट-डपट कर भगा दूँगा। छत पड़ जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर पायेगा।' 'ठीक है सर! आप जो आदेश करेंगे मैं उसका पालन अवश्य करूँगा, बस कृपा दृष्टि बनाये रखियेगा।' 'ठीक है अब जाओ।' सेठ झुककर सलाम करने के बाद वहाँ से चल देता है। लगभग चार पाँच धंटे बाद एक बूढ़ी औरत रोते हुए थाने में दाखिल हुई। 'दरोगा जी! दरोगा जी! सेठ मकान की छत डलवा रहा है। आपने तो कहा था...वह ऐसा.. नहीं कर पायेगा। उसे रोक लीजिए...! मैं आपके पाँव पड़ती हूँ...! 'मैं कुछ नहीं कर सकता! उसकी पहुँच ऊपर तक है। जिस तरह तुम्हें तुम्हारी जमीन प्यारी है, उसी तरह मुझे मेरी नौकरी। मुझे माफ़ कर दो बुढ़िया, मैं कुछ नहीं कर सकता।' 'आपका ही तो बस भरोसा था और आप भी बिक गए! हे भगवान! अब मैं कहाँ जाऊँ! नीचे से ऊपर तक सब के सब बिके हुए हैं...हाय मैं क्या करूँ...हाय मैं क्या करूँ! सब डकैत बैठे हैं यहाँ पर...!' 'ऐ! बाहर करो इसे, तबसे बक बक किये जा रही है।' कुछ सिपाही बुढ़िया को थाने से बाहर ले जाते हैं। थाने का एक ईमानदार सिपाही यह सब देखकर बहुत दुखी हो जाता है। उसे एक पुरानी घटना याद आती है जब इसी दरोगा ने फल चुराने के जुर्म में एक बच्चे को बहुत बेरहमी से पीटा था। सिपाही सोचता है 'एक बच्चे ने अपनी भूख मिटाने के लिए चंद रुपये के फल क्या उठा लिए लोगों ने उसे स्वयं तो पीटा ही दरोगा से भी पिटवाया। वहीं यह लूटेरा वर्दीधारी रोज लोगों को लूटता है लेकिन कोई विरोध तक नहीं करता, विरोध तो दूर उल्टे सब इसके आगे नतमस्तक होते हैं।... यह नौकरी तो लोगों की रक्षा के लिए है पर यदि रक्षक ही भक्षक बन जाय तो क्या होगा। इसकी शिकायत करने से भी कोई फायदा नहीं, क्योंकि रिश्वत लेने वाले रिश्वत देकर छूट जाते हैं। हाँ एक काम मैं अवश्य कर सकता हूँ..., इसके खिलाफ मेरे पास जो वीडियोज हैं उन्हें सोशल मीडिया पर डाल देता हूँ।' दरोगा के काले कारनामों के अनेक वीडियो सिपाही द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया गया। सुबह प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक दरोगा के गुनाहों की दास्तान चीख चीख कर बयान कर रहे थे। लाख शिकायतों के बाद भी जो प्रशासन दरोगा के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहा था। वही प्रशासन मीडिया और जनता के दबाव के आगे मजबूर हो गया। जल्दी ही भ्रष्ट दरोगा को जेल हो गयी और ईमानदार सिपाही का प्रमोशन। कहानी -आकाश महेशपुरी दिनांक- 08/07/2021 कुशीनगर, उत्तर प्रदेश मो- 9919080399 |
All times are GMT +5. The time now is 12:04 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.