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rajnish manga 14-05-2014 09:24 PM

बॉलीवुड शख्सियत
 
3 Attachment(s)
बॉलीवुड शख्सियत


यह सूत्र बॉलीवुड की उन महान तथा अविस्मरणीय शख्सियात को समर्पित है जिन्होंने अपनी कला से हिंदी सिनेमा को लाभान्वित एवम् गौरवान्वित किया है. वैश्विक परिदृश्य में हिंदी सिनेमा को एक सशक्त इंडस्ट्री के रूप में खड़ा करने में इनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. यह शख्सियात फिल्म निर्माण के किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हो सकती हैं. हमारा प्रयास होगा कि हम उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को पूरी ईमानदारी के साथ आपके सामने प्रस्तुत करें. आशा है आपको हमारा यह आयोजन अवश्य पसंद आयेगा.

rajnish manga 14-05-2014 09:29 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
कॉमेडी किंग महमूद / Comedy King Mehmood
जन्म: 29 सितम्बर 1932
मृत्यु: 23 जुलाई 2004

भारतीय फिल्मों में कॉमेडी के लिये अपनी जानदार भूमिकाओं से दर्शकों का मन मोह लेने वाले कलाकारों में महमूद का नाम और चेहरा अनायास याद आ जाता है. हिंदी फिल्मों में बहुत से रोल आजमाने के बाद महमूद जब कॉमेडियन के अवतार में उतरे तो फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. सन 1943 में फिल्म ‘किस्मत’ में एक बाल भूमिका से दर्शकों को लुभाने के बाद किसी को भी यह गुमान नहीं था कि आज का यह बाल कलाकार किसी दिन कॉमेडियन्ज़ का सरताज बन जायेगा. उन्होंने अपनी कुछ फिल्मों के ज़रिये यह दिखाने का प्रयास भी किया कि एक कॉमेडियन के दिल में भी भावनायें होती हैं और वह भी समाज में एक सामान्य नागरिक की भांति सोचता, समझता और सब कुछ सहता है. निर्माता और निर्देशक के रूप में महमूद ने अपनी फिल्मों जैसे- कुंवारा बाप, जिनी और जानी आदि से यही सिद्ध करने की सफल कोशिश की थी. इन फिल्मों में महमूद में अपनी अदाकारी से हंसाया कम और दर्शकों को रुलाया अधिक. यह महान कलाकार जब तक जिया अपने हावभाव से अपने आसपास वालों को हंसाता रहा. यही वजह थी कि फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें ‘किंग ऑफ़ कॉमेडियन्ज़’ कह कर मान सम्मान दिया.
1943 में फिल्मों में अपनी पहली दस्तक के बाद महमूद ने अगले पचास वर्षों में लगभग 210 फिल्मों में काम किया. उनके द्वारा अभिनीत फिल्मों में प्रमुख थीं:

1960 से पहले:

दो बीघा ज़मीन / सी आई डी / हावड़ा ब्रिज / छोटी बहन / कागज़ के फूल / कानून

1960 का दशक:

ससुराल / भरोसा / हमराही / गृहस्थी / बेटी-बेटे / चित्रलेखा / सांझ और सवेरा / ज़िन्दगी / आरज़ू / भूत बंगला/ गुमनाम / काजल / बीवी और मकान / दादी माँ / लव इन टोकियो / प्यार किये जा / दिल ने पुकारा / मेहरबान /चन्दन का पलना / आँखें / नीलकमल / दो कलियाँ / पड़ोसन / साधु और शैतान / वारिस / भाई भाई / हमजोली

1970 का दशक:

अलबेला / लाखों में एक /तेरे मेरे सपने / बॉम्बे टु गोवा / गरम मसाला /जुगनू / कुंवारा बाप /जिनी और जानी / सबसे बड़ा रुपैया / देस-परदेस / नौकर

1980 का दशक:

लावारिस / प्यार मोहब्बत

1990 का दशक:

अंदाज़ अपना अपना /चाँद का टुकड़ा

rajnish manga 14-05-2014 09:51 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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(*)
Film :Padosan
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With Om Prakash in "Hamjoli"

Dr.Shree Vijay 14-05-2014 10:17 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 

बेहतरीन सूत्र की शुरुआत.........

rajnish manga 14-05-2014 10:34 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद, मित्र.



rajnish manga 14-05-2014 10:45 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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A scene from Film Hamjoli wherein Mehmood enacts a triple role of Prithviraj Kapoor, RajnKapoor and Randhir Kapoor (as played by original actors in "Kal Aaj Aur Kal")
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1. Mehmood in Film Kunwara Baap and
2. With Mumtaj


rajnish manga 14-05-2014 11:13 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
बतौर हीरो महमूद ने लगभग 20 फिल्मों में काम किया जिनमें प्रमुख फिल्मों के नाम इस प्रकार हैं:

क़ैदी नं. 111 (नंदा के साथ)/ लंबे हाथ (नाज़ के साथ)/ छोटे नवाब व प्यासे पंछी (अमिता के साथ) / शबनम (विजय लक्ष्मी के साथ) / भूतबंगला (तनूजा के साथ) / साधु और शैतान (भारती के साथ) / अलबेला (नम्रता के साथ) / लाखों में एक (राधा सलूजा के साथ) / कुंवारा बाप (मनोरमा- दक्षिण भारत)/ एक बाप छः बेटे (नूतन के साथ)

निम्नलिखित फिल्मों के निर्माण में महमूद की हिस्सेदारी रही:

छोटे नवाब / पति पत्नी / पड़ोसन / साधु और शैतान / बॉम्बे टू गोवा / गरम मसाला / दो फूल / सबसे बड़ा रुपैया / भूत बंगला/ कुंवारा बाप / जिनी और जानी / एक बाप छः बेटे / जनता हवलदार / दुश्मन दुनिया का

लाल रंग से दर्शायी गयी उपरोक्त छः फिल्मों का निर्देशन भी स्वयं महमूद ने किया.

rajnish manga 14-05-2014 11:48 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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महमूद की फिल्मों के कुछ पोस्टर

ndhebar 15-05-2014 12:44 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
बहुत ही शानदार सूत्र शुरू किया है
महमूद एक जीवंत व्यक्तित्व थे
महानायक अमिताभ की प्रतिभा को पहचान कर उनको शुरूआती मौका देने वालों में महमूद भी एक थे...

rajnish manga 15-05-2014 02:55 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 502187)
बहुत ही शानदार सूत्र शुरू किया है,
महमूद एक जीवंत व्यक्तित्व थे
महानायक अमिताभ की प्रतिभा को पहचान कर उनको शुरूआती मौका देने वालों में महमूद भी एक थे...


हौंसला अफज़ाई के लिये आपका अत्यंत आभारी हूँ मित्र. महमूद एक संवेदनशील इंसान थे और दूर तक सोचने वाले फिल्मकार थे. अमित जी के बारे में कहे गये आपके विचार से मैं बिलकुल सहमत हूँ.



rajnish manga 15-05-2014 03:35 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
Story of Mehmood: The Rise & Fall of a Comedian
महमूद की कहानी: एक कामेडियन का उत्थान और पतन
(आलेख आभार: समय ताम्रकर)

अपने समय के सार्वाधिक चंचल और हमेशा नवीनता में विश्वास करने वाले कलाकार- कॉमेडियन महमूद की फिल्मों पर निगाह डालें तो उनकी फिल्मों के बहुत से दृष्य आँखों के सामने आ जाते हैं, जैसे आरज़ू फिल्म में डल लेक का शिकारा चालक ममदू, चित्रलेखा का भ्रमित युवा सन्यासी, हमजोली फिल्म में निर्देशक के रूप में पिता ओम प्रकाश को मुंह से आवाजे निकाल कर एक डरावने सीन के ज़रिये प्रभावित करने का दृष्य, या आपको उनका यह डायलाग तो याद होगा ही - दे दे अल्लाह के नाम पे दे दे! दिनार नहीं, तो डॉलर चलेगा. शर्ट नहीं तो शर्ट का कॉलर चलेगा. इस संवाद के बाद गाना शुरू होता है- तुझको रक्खे राम, तुझको अल्लाह रक्खे. यह सीन है रामानंद सागर की फिल्म आंखे (1968) का. महमूद भिखारी के भेष में अपने साथी धर्मेन्द्र की तलाश में हैं. अपनी फिल्म कुंवारा बाप में एक गरीब रिक्शा चालक द्वारा एक अनाथ पोलियोग्रस्त बच्चे की परवरिश और उसे समाज का एक सक्षम नागरिक बनाने में आने वाली कठिनाइयों को बड़े भावपूर्ण तरीके से दर्शकों के सामने रखा था. फिल्म “पड़ोसन” तो एक क्लासिक फिल्म के रूप में सदा याद रखी जायेगी.

rajnish manga 15-05-2014 03:37 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
ऐसे ही महमूद को तरह-तरह की विचित्र आवाजें निकालने का बेहद शौक था. फिल्म प्यार किए जा में उन्होंने लैंग्वेज से इफेक्ट पैदा किया था- टोइंग-टोइंग.... वाव्व-वाव्व.....कु्रड-कु्रड कच-कच-कच......श्मशान की भयाकनता वह शब्दों के मार्फत बताना चाहते थे. हिन्दी सिनेमा में कॉमेडियन की लंबी परंपरा रही है. लेकिन सबसे अधिक फिल्मों में सबसे अधिक नाना-प्रकार के रोल करना उनके ही खाते में दर्ज है

बचपन बॉम्बे टॉकीज के आंगन में

महमूद का जन्म 29 सितम्बर 1932 को मुंबई के बायुकला इलाके में हुआ था. उनके पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज में नर्तक-अभिनेता थे. महमूद का बचपन अपने पिता के साथ स्टूडियो में बीता. स्टूडियो में खेलना-कूदना और मौज-मस्ती करना उन्हें पसंद था, लेकिन फिल्मों में एक्टिंग की रूचि कतई नहीं थी. पतंग उड़ाना, दोस्तों के साथ बगीचों से आम चुराना, काजू खाना उन्हें अच्छा लगता था.

छुटपन में महमूद ने अपने हुड़दंगी साथियों का एक गुट बना रखा था. वह सभी मिलकर अपने से बड़ों का मजाक बनाने और नकल करने में माहिर थे. बॉम्बे टॉकीज की फिल्मों में काम करने वाले कलाकार अक्सर अपनी मोटर-कार भेजकर महमूद को बुलवाते और हंसी-मजाक से अपना मनोरंजन करते थे. महमूद ने कई बार घर से भागने की कोशिश की थी. एक बार पकड़े गए, तो मां ने नाराज होकर कहा- 'ये जो कपड़े पहने हो, तुम्हारे अब्बा के हैं. यहीं उतार कर जाओ.' और सचमुच में महमूद ने अपने बदन से सारे कपड़े उतार दिए और नग्न अवस्था में घर छोड़ दिया.

rajnish manga 15-05-2014 03:39 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
मीना कुमारी की बहन माधुरी से निकाह

घर से भागकर महमूद ने कई छोटे-मोटे काम किए जैसे अण्डे बेचना और मुर्गी के चूजे सप्लाई करना आदि. मीना कुमार को टेबल टेनिस खेलने की ट्रेनिंग भी महमूद ने दी थी. मीना के घर आना-जाना बढ़ा तो उनकी छोटी बहन माधुरी से 1953 में निकाह कर लिया. जब जिंदगी और परिवार के प्रति गंभीर हुए तो फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने लगे. लेकिन किसी निर्माता-निर्देशक को यह पता नहीं चलने दिया कि वह मीना कुमारी के बहनोई हैं.

बॉम्बे टॉकीज की फिल्म किस्मत (1943) में अशोक कुमार के बचपन का रोल महमूद ने किया है. इसके बाद किशोर साहू की फिल्म सिंदूर (1947) में एक भूमिका निभाई. अब तक महमूद की बहन मीनू मुमताज एक प्रसिद्ध अभिनेत्री बन चुकी थी. मगर यहां भी उन्होंने अपनी खुद्दारी कायम रखी और बहन के नाम का इस्तेमाल नहीं किया. ऐसा कहा जाता है कि बीआर चोपड़ा की फिल्म एक ही रास्ता (1953) में उन्हें जो रोल ऑफर हुआ था, उसकी वजह मीना कुमारी थी, जो फिल्म की नायिका थी. महमूद ने अपना रास्ता बदल लिया.

rajnish manga 15-05-2014 04:03 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
अशोक कुमार की सलाह

बॉम्बे टॉकीज के समय से ही महमूद दादा मुनि यानी अशोक कुमार के फेवरेट हो गए थे. उन्होंने अपनी फिल्म बादबान (1954) तथा बंदिश (1955) में महमूद को काम दिया. एक बार उन्होंने महमूद को पास बैठाकर कर कहा कि तुम्हारे ललाट पर त्रिशूल का निशान है. भगवान शिव तुमसे प्रसन्न हैं. इसलिए फिल्मों के किरदार के नाम महेश रख कर काम किया करो. महमूद ने ऐसा ही किया.

महमूद को फिल्में तो मिलती चली गईं मगर ऐसा रोल नहीं मिला, जिससे उनकी पहचान बन सके. जॉनी वाकर ने महमूद की मदद की. गुरुदत्त की फिल्म सीआईडी (1956) में एक हत्यारे का रोल किया. फिल्म प्यासा (1957) में गुरुदत्त के भाई का रोल निभाया, जो गुरुदत्त को घर से बाहर कर देता है. अभिमान तथा हावड़ा ब्रिज फिल्म में भी महमूद ने काम तो किया मगर किस्मत चमक नहीं पाई.

rajnish manga 15-05-2014 04:25 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
सुसराल से बने कॉमेडियन

महमूद को लाइमलाइट में लाने वाली फिल्म थी परवरिश (1958). इसमें वह राज कपूर के हंसोड़ छोटे भाई बने थे. इस फिल्म के बाद उन्हें लंबे और महत्वपूर्ण रोल ऑफर होने लगे. छोटी बहन (1959), कानून (1960) तथा मैं और मेरा भाई (1961).

इसके बाद आई राजेन्द्र कुमार – बी. सरोजा देवी अभिनीत फिल्म ससुराल (1961). इसमें उनका कॉमेडियन का रोल था, जो सीन चुराकर ले गया. शुभा खोटे उनके अपोटिज थी. दोनों की जोड़ी आगे चलकर हिट हुई. महमूद ने इसमें एक यादगार गाना गाया था- अपनी उल्फत पे जमाने का ना पेहरा होता. शुभा खोटे- महमूद की मैजिकल केमिस्ट्री को दर्शकों ने बेहद पसंद किया. इनकी टीम बाद में दिल तेरा दीवाना, गोदान, गृहस्थी, भरोसा, हमराही, बेटी-बेटे, जिद्दी और लव इन टोकियो में लगातार दिखाई दी.

कॉमेडियन की इस जोड़ी ने थर्ड-एंगल के बतौर धुमाल को जोड़ देने से नौटंकी ज्यादा धमाकेदार हो गई.

फिल्म ससुराल का गीत "अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता .." महमूद और शोभा खोटे पर फिल्माया गया था


फिल्म ससुराल के पोस्टर

Dr.Shree Vijay 15-05-2014 07:29 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 

स्व.श्री महमुद के बारे में इतनी सूक्ष्म जानकारिया देने के लिए हार्दिक धन्यवाद.........

rajnish manga 15-05-2014 10:57 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 502429)

स्व.श्री महमुद के बारे में इतनी सूक्ष्म जानकारिया देने के लिए हार्दिक धन्यवाद.........

बॉलीवुड शख्सियत महमूद अली साहब विषयक इस आलेख को पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, मित्र. कृपया समय समय पर अपने विचारों द्वारा मेरा मार्गदर्शन करते रहें.

rajnish manga 15-05-2014 11:16 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
महमूद का अनोखा म्यूजिक सेंस

महमूद के एक व्यक्तित्व में कई व्यक्तित्व समाए हुए थे. उन्हें संगीत की बेहतर समझ थी. उन्होंने जॉनी वाकर को सामने रखकर कई गाने अपनी फिल्मों में गाए हैं. दूसरे पार्श्वगायक मन्ना डे ने जितने नटखट गाने गाए हैं, ज्यादातर का पार्श्वगायन महमूद के लिए हुआ है. मन्ना डे ने अपनी आत्मकथा में महमूद का आभार भी माना है.

जब महमूद फिल्म निर्माता बन गए तो उन्होंने अनेक संगीतकारों को मौका देकर आगे बढ़ाया. मिसाल के बतौर आरडी बर्मन (छोटे नवाब), राजेश रोशन (कुंआरा बाप) तथा बासु-मनोहारी (सबसे बड़ा रुपैय्या) के नाम गिनाए जा सकते हैं.
महमूद का अनोखा म्यूजिक सेंस

महमूद के एक व्यक्तित्व में कई व्यक्तित्व समाए हुए थे. उन्हें संगीत की बेहतर समझ थी. उन्होंने जॉनी वाकर को सामने रखकर कई गाने अपनी फिल्मों में गाए हैं. दूसरे पार्श्वगायक मन्ना डे ने जितने नटखट गाने गाए हैं, ज्यादातर का पार्श्वगायन महमूद के लिए हुआ है. मन्ना डे ने अपनी आत्मकथा में महमूद का आभार भी माना है.

जब महमूद फिल्म निर्माता बन गए तो उन्होंने अनेक संगीतकारों को मौका देकर आगे बढ़ाया. मिसाल के बतौर आरडी बर्मन (छोटे नवाब), राजेश रोशन (कुंआरा बाप) तथा बासु-मनोहारी (सबसे बड़ा रुपैय्या) के नाम गिनाए जा सकते हैं.

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rajnish manga 15-05-2014 11:21 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
जीरो से हीरो तक

अपने घर से नग्न अवस्था में बाहर आने वाला बालक अपने साथ जीरो लेकर चला था. जब कॉमेडियन के रूप में वह फिल्मों के लिए अनिवार्य हो गए तो छोटे बजट की फिल्मों में उन्हें हीरो के रोल मिलने लगे. इनमें छोटे नवाब (निर्माता-महमूद), फर्स्ट लव, प्यासे पंछी, कहीं प्यार ना हो जाए, शबनम, भूत बंगला, नमस्ते जी जैसी फिल्में प्रमुख हैं. आईएस जौहर के साथ भी महमूद की ट्यूनिंग उम्दा रही. जौहर-महमूद इन गोआ के बाद जौहर-महमूद इन हांगकांग इस जोड़ी की यादगार फिल्में हैं.

साठ के दशक में मध्य से हिन्दी फिल्मों के लिए महमूद का फिल्म में होना उसकी सफलता की गारंटी बन गया था. इस दौर में बड़े बैनर, बड़ी फिल्में और बड़े सितारों के साथ काम करने का मौका मिला. ऐसी फिल्मों का यहां सिर्फ उल्लेख किया जा सकता है- पत्थर के सनम, दो कलियां, नीलकमल, औलाद, प्यार किये जा, हमजोली, पड़ोसन आदि.

फिल्म पड़ोसन महमूद के करियर की ऑल टाइम ग्रेट फिल्म है. यदि पांच कॉमेडी फिल्मों की तालिका बनाई जाए, तो निश्चित रूप से उनमें से एक पड़ोसन रहेगी. शुभा खोटे के बाद कॉमेडी-पार्टनर के रूप में दूसरी लेडी हैं अरुणा ईरानी. महमूद का साथ पाकर अरुणा का करियर इतना आगे बढ़ गया कि महमूद ने अपने प्रोडक्शन हाउस में उनको हीरोइन बनाकर फिल्म बॉम्बे टू गोआ (1972) बनाई.

rajnish manga 15-05-2014 11:25 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
एक ढलता हुआ सूरज

अपने करियर के शिखर पर जाकर महमूद अपने आपको संभाल नहीं पाए. जरूरत से ज्यादा कॉमेडी और इमोशनल रोल करने से वे टाइप्ड हो गए. एक के बाद एक लगातार फिल्में रिलीज होने से भी दर्शक महमूद-मेनिया के शिकार होने लगे.

सत्तर का दशक ढलते-ढलते महमूद के सूरज की गर्मी ठण्डी होने लगी. देव आनंद के केम्प में शरीक होकर उन्होंने डॉर्लिंग-डॉर्लिंग (1977), देस परदेस (1978) और लूटमार (1980) फिल्में की थीं. ये फिल्में देव आनंद के लिए भी कमजोर साबित हुईं. महमूद की इनमें चरित्र भूमिकाएं थीं. अस्सी के दशक में महमूद और निचली पायदान पर चले गए. दादा कोंडके का हाथ पकड़कर उन्होंने अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में और खोल दे मेरी जुबान जैसी स्तरहीन फूहड़ फिल्में की.

महमूद के जीवन के आखिरी दिन अकेले और बीमारी से संघर्ष में बीते. लगातार ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने से फिल्मी दुनिया से दूर होते चले गए. आखिरी समय में भारत भी छूट गया. उन्होंने 24 जुलाई 2004 को पेनसिल्वेनिया (अमेरिका) के अस्पताल में आखिरी सांस ली.

rajnish manga 15-05-2014 11:30 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
फिल्म बॉम्बे टू गोवा अगेन

महमूद ने अपने अंतिम दिनों में अपने दोस्त को जीवनी लिखवाई थी. उसमें वे कहते हैं, 'मैं कभी टाइप्ड नहीं हुआ. मेरी अपनी निश्चित स्टाइल भी नहीं थी. मुझमें ऑब्जरवेशन की ताकत अद्भुत थी. मैं अच्छा नकलची था. इसने मुझे अच्छा कॉमेडियन बना दिया. फिल्म सबसे बड़ा रुप्पैया में मैंने फिल्मिस्तान के सेठ तोलाराम जालान की कॉपी की थी.'

समाचार है कि बॉलीवुडके कॉमेडी किंगमहमूदकी फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' को फिर से रिलीज किया जाएगा।महमूदके भाई अनवर अली ने कहा कि हम लोगों नेमहमूदभाई की 10वीं पुण्यतिथि (23 जुलाई 2014) के अवसर पर उनकी फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' को फिर से रिलीज करने कानिश्चय किया है ताकि आज की युवा पीढ़ी को उनके कृतित्व तथा मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान से अवगत कराया जा सके. यह उस महान कलाकार को उनके चाहने वालों की ओर से एक भावभीनी श्रद्धांजलि होगी.

हम कॉमेडी किंग महमूद साहब की स्मृति को नमन करते हैं.

rajnish manga 16-05-2014 10:43 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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जॉनी वॉकर और महमूद की दोस्ती
जॉनी वॉकर की बेटी तसनीम खान के संस्मरण

बहुत कम लोगों को पता है कि अब्बा जॉनी वॉकर और महमूद अंकल आपस में जिगरी दोस्त थे और इन्डस्ट्री में उनकी दोस्ती के बारे में अधिक चर्चा नहीं होती थी. यद्यपि कॉमेडियन के तौर पर एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी और विरोधी माने जाते थे लेकिन यह एक हकीकत है कि जॉनी वॉकर साहब के अपने समकालीनों जैसे गुरु दत्त, दिलीप कुमार, सुनील दत्त और नौशाद साहब और मौ. रफ़ी साहब के अलावा महमूद अंकल से भी बड़े घनिष्ट व मधुर सम्बन्ध रहे.

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rajnish manga 16-05-2014 10:47 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
महमूद अंकल अब्बा (जॉनी वॉकर) के बड़े शुभचिंतक तथा प्रशंसक थे और इंडस्ट्री में उनकी उपलब्धियों और कामयाबियों से बड़े उत्साहित होते थे. मुमताज़ अली साहब जब मृत्यु शैया पर थे तो उन्होंने अपने बेटेमहमूद को बुला कर कहा कि “मेरे जाने के बाद जॉनी को अपना बड़ाबुज़ुर्ग समझना”. इस घटना से पता चलता है कि उन दोनों के बीच की दोस्ती कितनी गहरी थी और उनमें कितनी आत्मीयता थी. इन दोनों कलाकारों के परिवार अनेक वर्षों तक अच्छे और बुरे वक्तों में एक दूसरे का साथ निभाते रहे.

जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, उम्र के साथ अब्बा (जॉनी वॉकर) को भी कई बीमारियों ने घेर लिया था और गिरते स्वास्थ्य के चलते अब्बा ने बिस्तर पकड़ लिया. ऐसे में एक दिन महमूद अंकल का अमरीका से फोन आया. अब्बा की कमज़ोर आवाज़ को सुन कर अंकल रोने लगे. अब्बा अंकल को ढाढस बंधाते हुये बोले, “बेटा, रो मत.” महमूद अंकल अपने प्रति अब्बू का प्यार देख कर इतने इमोशनल हो गये और कहने लगे कि “जॉनी भाई, आप इतने बीमार हैं फिर भी मुझे ढाढस बंधा रहे हैं. आप ग्रेट हैं, मेरे प्यारे जॉनी भाई.”

rajnish manga 16-05-2014 10:49 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
अब्बा के इंतकाल के बाद महमूद अंकल का कई बार टेलीफोन आता था और वे उन दिनों को याद करते करते भावनाओं में बह जाते जब वो और अब्बू साथ हुआ करते थे. कई बार वो ग़मगीन हो जाते और कई बार फ़ोन कर के बताया करते कि “आज मैंने जॉनी भाई के लिये दुआएँ माँगी. मैं उनको बहुत मिस करता हूँ.”

दूसरे कॉमेडियन्स जैसे मारुती, आग़ा मुकरी और जगदीप अंकल के परिवार भी आपस में मिलते रहते थे और उनमे बड़ा भाईचारा था. वो सभी एक व्यवसाय में थे और एक प्रकार से एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी थे. लेकिन अब्बू उनके काम की तारीफ़ किया करते थे और बदले में वो सब भी अब्बू पर अपना प्यार बरसाते थे. अब्बू अपने रूह की सच्चाई और विशाल हृदय के कारण ही इतने सारे लोगों की दोस्ती पा सके जो उनके बाद उनके बच्चों द्वारा भी आगे भी निभाई जाती रही.

मुझे यह बताते हुये खुशी होती है कि इन दो महान दोस्तों के परिवारों की दोस्ती उनके जाने के बाद ही खत्म नहीं हो गयी बल्कि उनके बच्चों ने भी परस्पर दोस्ती के उसी जज़्बे को बरकरार रखा है.

rajnish manga 16-05-2014 10:53 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
शंकर जयकिशन, महमूद और मो. रफ़ी

महमूद साहब ने अपने कैरियर में बहुत से गीतों पर अभिनय किया होगा मगर जितने बढ़िया गीत उन्हें शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में मिले उतने कदाचित किसी और के निर्देशन में नहीं मिले. याद कीजिये फिल्म “सांझ और सवेरा” का वो सुमधुर गीत – अजहूँ न आये बालमा..sss.. सावन बीता जाये. यह रफ़ी द्वारा गाये और शंकर जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध किये गये सर्वोत्तम क्लासिकल गीतों में से एक है. इसके बाद चर्चा करते हैं फिल्म “गुमनाम” के गीत ‘हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं’ जो हमेशा के लिये महमूद का ट्रेडमार्क गीत बन गया. इसमें रफ़ी साहब ने महमूद के स्टाइल और अभिनय को ध्यान में रखते हुये ही गाया है. इसे सुनते हुये यूँ लगता है जैसे खुद महमूद ने ही इसे अपना स्वर दिया हो. फिल्म “छोटी बहन” का वह भावुकतापूर्ण गीत “मैं रिक्शा वाला’ और फिल्म “ज़िन्दगी” में ‘घुंघरवा मोरा छम छम बाजे’ भी इन महान विभूतियों की समवेत रूप से उल्लेखनीय रचनाएं हैं.


rajnish manga 16-05-2014 11:05 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
मन्ना दा (मन्ना डे) के इंटरव्यू का एक अंश
प्रश्न:
हाल ही में महमूद गुज़र गए. आपने उनके लिए कुछ विस्मयकारी गाने गाए थे जैसे किशोर के साथ (‘पड़ोसन’ फिल्म का) “एक चतुर नार” और (‘दूज का चाँद’) का “फुल गेंदवा ना मारो”. महमूद एक तरह के अभिनेता बन गए थे, जब फ़िल्में उन्हें केंद्र में रख कर लिखी जाती थीं. उनके साथ गाने का अनुभव कैसा रहा?


उत्तर:
बेहद शानदार. महमूद मेरे साथ बैठते थे और नोट्स लेते जाते थे और पूछते रहते थे कि मैं कैसे गाता हूँ वगैरह. मुझे गाता हुआ देखकर वे अपनी भंगिमाओं में मेरी आवाज़ की सारी गतियाँ और भावनाएं ले आया करते थे. वे बेहद दयालु और मजेदार इंसान थे.

rajnish manga 23-05-2014 11:38 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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अरुणा ईरानी और महमूद


अरुणा ईरानीइस बात को स्वीकार करती हैं कि उनके जीवन में अभिनेता-निर्माता-निर्देशक महमूद का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रहा. वह कहती है, “हाँ, हम दोनों अच्छे दोस्त थे. बल्कि दोस्तों से भी अधिक थे. आप इसे कुछ भी कह सकते हैं – घनिष्टता, आदत या और कुछ. लेकिन यह सच था कि हमने शादी जैसा कदम नहीं उठाया था और न ही हममें कोई प्रेम सम्बन्ध था. यदि ऐसा कुछ होता तो हमारा रिश्ता मजे से चलता रहता. प्यार कहीं रुकता नहीं, चलता जाता है. जैसा मैंने कहा, मैंने अपने अतीत को गुडबाई कह दिया.
अरुणा स्वीकार करती हैं कि महमूद से उनकी अत्यधिक निकटता की वजह से उनको व्यावसायिक रूप से घाटा उठाना पड़ा, “तीन वर्षों तक मेरे पास कोई काम नहीं था. लोगों ने हमारे आपसी रिश्तों को गलत समझा, बल्कि वो इस मुग़ालते में थे कि हम दोनों ने शादी कर ली है. उन्होंने सोचा कि वह मिझे काम नहीं करने देगा. हमने बहुत सी फिल्मे साथ में की और हमारे बीच बहुत बढ़िया केमिस्ट्री रही. साथ ही मैं उम्र के उस पड़ाव पर थी जब आपस में नजदीकियां पनपने की सम्भावना रहती है. मेरे साथ भी ऐसा हुआ. लोग हमारे बारे में तरह तरह की बातें करते. हमारे बारे में बहुत कुछ छप रहा था. पर मैंने कोई सफ़ाई देने की जरुरत नहीं समझी. मुझे लगा कि मीडिया मेरा पक्ष जानने की कोशिश करेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और न ही मैंने कोई स्पष्टीकरण या बयान जारी किया, जिसका मुझे अफसोस है. मेरी चुप्पी ने मेरे कैरियर को बहुत नुक्सान पहुंचाया.

rajnish manga 26-05-2014 12:14 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1400084428

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I tried my best to find out an extensive interview of Mehmood Sahab but could manage to have the clippings of his two interviews which, nonetheless, give us an insight into what kind of a man he was. Come, let us take a look at both the interviews:

1. Interview done by Shekhar Suman

http://www.youtube.com/watch?v=EgCScMxID24

2. Interview in which Mehmood talks about Amitabh Bachchan

http://www.youtube.com/watch?v=DsQ2ODaco2U

rajnish manga 26-05-2014 07:31 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
1 Attachment(s)
Mehmood with his sister Minoo Mumtaz and other siblings
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bindujain 27-05-2014 07:12 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
अच्छी जानकारी है

rajnish manga 01-06-2014 11:59 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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अभिनेत्री वीना
जन्म : 4 जुलाई 1926
मृत्यु: 14 नवम्बर 2004

http://t1.gstatic.com/images?q=tbn:A...G9zscviXB41bMK^^https://encrypted-tbn3.gstatic.com/i...JAdALARkfT4rkQ
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अपने ज़माने की लोकप्रिय अभिनेत्री ताजवर सुलताना (जन्म: 4 जुलाई 1926) जो फिल्मों में वीना कुमारी या वीना के नाम से जानी जाती थीं, ने सन 1942 में फिल्म “याद” से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की थी. कुछ लोगों के मत में उनकी पहली फिल्म उसी साल रिलीज़ हुयी फिल्म ‘गरीब’ थी. उन्होंने उस समय के जाने माने अभिनेता अल नासिर से शादी की. उन्होंने बहुत सी फिल्मों में बतौर नायिका काम किया जिनमें से प्रमुख थीं: नज़मा (1943)जिसमे अशोक कुमार नायक थे, हुमायूं (1945), राजपूतानी (1946), पहली नज़र, फूल (1945), और अफसाना (1951). फिल्म ‘दास्तान’ (1950) के बाद उन्होंने चरित्र भूमिकाएं भी निभानी आरम्भ कर दीं.
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rajnish manga 02-06-2014 12:25 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
अभिनेत्री वीना
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फिल्म ‘पाकीज़ा’ (1972) में मीना कुमारी के साथ वीना की भूमिका को काफी सराहा गया. आपको इस फिल्म में तवायफ साहिब जान (मीना कुमारी) की मौसी का किरदार अवश्य याद होगा और विशेष रूप से वह सीन जिसमें वह साहिब जान के पिता शहाबुद्दीन (अशोक कुमार) को बताती है कि देखो तुम्हारे सामने, तुम्हारे घर में तुम्हारी खुद की बेटी तवायफ के रूप में नाच रही है. लगता है वीना की आवाज़ में बोला गया यह डायलाग सारे वातावरण में गूँज रहा हो. इस फिल्म में वीना ने अपने प्रभावशाली अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था.


rajnish manga 02-06-2014 08:05 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
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वीना और उनके पति अल नासिर
अपने 41 साल के फ़िल्मी कैरियर में वीना ने लगभग 70 फिल्मों में काम किया. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वीना बॉलीवुड में एक लाख रूपए बतौर फीस लेने वाली पहली अभिनेत्री थीं.

उपरोक्त फिल्मों के अलावा वीना की प्रमुख फिल्मों की फेहरिस्त नीचे दी जा रही है:

1. कश्मीर (1951)
2. अन्नदाता (1952)
3. हलाकू (1956)
4. मुमताज महल (1957)
5. चलती का नाम गाड़ी (1958)
6. काग़ज़ के फूल (1959)
7. ताज महल (1963)
8. शहनाई (1964)
9. सिकंदर-ए-आज़म (1965)
10. आशीर्वाद (1968)
11. दो रास्ते (1969)
12. हीर रांझा (1970)
13. छुपा रुस्तम (1973)
14. प्राण जाये पर वचन न जाये (1974)
15. शतरंज के खिलाड़ी (1977)
16. पायल की झनकार (1980)
17. रज़िया सुलताना (1983)

1983 के बाद अपनी अस्वस्थता के चलते उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था. इस प्रकार सन 2004 में लगभग 78 वर्ष की आयु में उन्होंने सदा के लिये अपनी आँखें मूँद लीं. पाठकों को हम यह भी बताना चाहते हैं कि प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता इफ्तिख़ार वीना के भाई थे.

rajnish manga 02-06-2014 09:53 AM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
Veena's Brother Iftikhar
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Poster of Film NAJMA (1943) starring Ashok Kumar & Veena
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Deep_ 11-06-2014 05:25 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 502456)
एक ढलता हुआ सूरज

अपने करियर के.....के अस्पताल में आखिरी सांस ली.

जानकारी के लिए धन्यवाद! मुझे याद है एक जूनियर महमूद भी हुआ करता था.. जो आज कल बतौर अदाकार, सीरियल में दिखाई देता है| कंवारा बाप, बॉम्बे २ गोवा, पड़ोसन...कौन भूल सकता है?

rajnish manga 21-06-2014 08:45 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor)
हिंदी सिनेमा के बेताज बादशाह

जन्म: 3 नवंबर 1906 (कुछ स्थानों पर 1901 पढ़ने को मिलता है)
मृत्यु: 29 मई 1972

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पापा जी (पृथ्वीराज कपूर) के कुछ फोटोग्राफ्स

rajnish manga 21-06-2014 09:32 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
पृथ्वीराज कपूर

आधुनिक हिंदी सिनेमा और थिएटर के पितामह पृथ्वीराज कपूर (सुपुत्र दीवान बशेश्वरनाथ कपूर) की रूचि कॉलेज के दिनों से ही थियेटर में हो गई थी तथा उन्होंने अपने कॉलेज ‘एडवर्ड कॉलेज’ से ही थियेटर करना शुरू कर दिया था. उन्होंने रूपहले पर्दे के साथ-साथ अपने पहले प्यार रंगमंच को भी निरंतर विकसित किया.

पृथ्वीराज कपूर का विवाह मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही हो गया था और वर्ष 1928 में अपनी चाची से आर्थिक सहायता लेकर वे अपने सपनों के शहर बम्बई (अब मुंबई) पहुंचे। इसी वर्ष प्रदर्शित 'खानदान' उनके करियर की पहली फिल्म थी।

लगभग दो वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष करने के बाद पृथ्वीराज कपूर को वर्ष 1931 में प्रदर्शित पहली सवाक फिल्म
'आलमआरा' में सहायक अभिनेता के रूप में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1934 में देवकी बोस की फिल्म 'सीता' की कामयाबी के बाद बतौर अभिनेता पृथ्वीराज कपूर अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।



rajnish manga 21-06-2014 09:45 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
फिल्म 'आलम आरा' का पोस्टर / फिल्म के एक दृष्य में मास्टर विट्ठल और ज़ुबैदा
(पृथ्वीराज कपूर इस फिल्म में सहायक भूमिका में अभिनय कर रहे थे)

rajnish manga 21-06-2014 10:05 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
पृथ्वीराज कपूर

रंजीत मूवी के बैनर तले वर्ष 1940 मे प्रर्दशित फिल्मपागलमे पृथ्वीराज कपूर ने अपने सिने कैरियर मे पहली बार एंटी हीरो की भूमिकानिभायी। इसके बाद वर्ष 1941 मे सोहराब मोदी की फिल्म सिकंदरकी सफलता के बादपृथ्वीराज कपूरकामयाबी के शिखर पर जा पहुंचे। इस फिल्म ‘सिकंदर’ में उन्होंने महान शासक ‘सिकंदर’ की भूमिका निभायी. अपने बेहतरीन अभिनय और रौबीली आवाज से उन्होंने इस किरदार में जान डाल दी. बाद के दिनों में सिकंदर के किरदार को ध्यान में रखकर कई फिल्में बनीं. लेकिन पृथ्वीराज ने ऐसा मानक स्थापित कर दिया था कि अधिकतर भूमिकाएं उसी से प्रभावित नजर आयीं.

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फिल्म 'सिकंदर' में सिकंदर की भूमिका में पृथ्वीराज कपूर / दूसरे दृष्य में सोहराब मोदी पृथ्वीराज कपूर को दृष्य समझाते हुये दिखाए गये हैं


rajnish manga 21-06-2014 10:32 PM

Re: बॉलीवुड शख्सियत
 
फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में अपने दमदार अभिनय से अकबर के किरदार को अमर कर देने वाले पृथ्वीराज कपूर को हिन्दी सिनेमा की शुरूआत और उसके सफर को आगे बढ़ाने वालों में अहम मुकाम हासिल है.

पृथ्वीराज कपूर के अभिनय से सजी यादगार फिल्मों में “मुगल-ए-आजम” का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है. इस फिल्म में उनके अभिनय को आज 60 वर्ष बाद भी याद करते हैं. उनकी संवाद अदायगी के लोग इस कदर कायल हुए कि गली कूचों में सालों तक लोग उनके डॉयलाग दोहराते रहे. हिंदी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर रही इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर ने एक बादशाह और एक पिता के बीच के अंतर्द्वद को बेहतरीन ढंग से जिया. रिकार्ड तोड़ सफलता हासिल करने वाली यह फिल्म आज भी लोगों को बांध लेती है.
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Some scenes from Magnum Opas 'Mughal-e-Azam'


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