धारा ३७०
धारा ३७० भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद (धारा) है जिसे अंग्रेजी में आर्टिकल 370 कहा जाता है। इस धारा के कारण ही जम्मू एवं कश्मीर राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार अथवा (विशेष दर्ज़ा) प्राप्त है। देश को आज़ादी मिलने के बाद से लेकर अब तक यह धारा भारतीय राजनीति में बहुत विवादित रही है। भारतीय जनता पार्टी एवं कई राष्ट्रवादी दल इसे जम्मू एवं कश्मीर में व्याप्त अलगाववाद के लिये जिम्मेदार मानते हैं तथा इसे समाप्त करने की माँग करते रहे हैं। भारतीय संविधान में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग २१ का अनुच्छेद ३७० जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था। स्वतन्त्र भारत के लिये कश्मीर का मुद्दा आज तक समस्या बना हुआ है। |
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विशेष अधिकार धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये। इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता। इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते। भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती। जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे। ये विशेष अधिकार निचले अनुभाग में दिये जा रहे हैं। |
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विशेष अधिकारों की सूची 1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। 2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है। 3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। 4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है। 5. भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं। 6. भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है। 7. जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी। 8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में rti लागू नहीं है, rte लागू नहीं है, cag लागू नहीं है। संक्षेप में कहें तो भारत का कोई भी कानून वहाँ लागू नहीं होता। 9. कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है। 10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं। 11. कश्मीर में चपरासी को 2500 रूपये ही मिलते है। 12. कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16 % आरक्षण नहीं मिलता। 13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं। 14. धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है। |
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धारा 370 (Article 370) – जम्मू एवं कश्मीर
======================== ब्रिटिश शासन के समय जम्मू-कश्मीर एक देशी रियासत थी । भारत पाकिस्तान जब 1947 मे स्वतन्त्र राट्र के रुप मे अस्तित्व मे आये तो जम्मू कश्मीर एक रियासत के रुप मे रहना चाहता था, लेकिन जब 26 अक्टूबर 1947 को आजाद कश्मीर की सेनाओ ने पाक कि सहायता से कश्मीर पर आक्रमण कर दिया तो वहा के राजा हरिसिँह ने भारत से मदद माँगी भारत सरकार ने मदद देते हुये एक सन्धि की जिसके अनुसार उसे भारतीय भू भाग काअंग मान लिया गया उन सर्तो के अनुसार संबिधान मे धारा 370 कि व्यवस्थाकि गयी जिनमे निम्न प्रावधान किये गये॥ धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार- १. भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित क़ानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। २. जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। ३. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बरख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। ४. 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता। ५. इसके तहत भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते हैं। ६. भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती। ७. भारतीय संविधान की पाँचवी अनुसूची (अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जन-जातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित) और छठी अनुसूची (जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के विषय मे) जम्मू कश्मीर मे लागु नही होती | ८. जम्मू कश्मीर के हाई कोर्ट को बहुत सीमित शक्तियां प्राप्त वे जम्मू कश्मीर के कोई भी कानून को असम्बैधानिक घोषित नही कर सकती न हि कोई रिट इशू कर सकती है | ९. भारतीय संविधान की भाग 4 जिसमे राज्यों के नीति निर्देशक तत्व है और भाग 4A जिसमे नागरिकों के मूल कर्तव्य बताये गए है वो जम्मू कश्मीर मे लागु नही होता | १०. जम्मू कश्मीर का अपना अलग संबिधान है | ११. जम्मू कश्मीर की विधानसभा की अनुमति के बिना राज्य के सीमा को परिवर्तित करने वाला कोई भी विधेयक भारत की संसद मे पेश नही किया जा सकता | १२. पाकिस्तान चले गए लोगों के नागरिकता के इनकार के बारे में भारतीय संविधान के प्रावधान जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों के लिए लागू नहीं होते जो पहले पाकिस्तान चले गए थे | १३. जम्मू कश्मीर का अपना अलग झंडा है |
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धारा 370 के सम्बन्ध में यहाँ अच्छी जानकारी दी गई है. धन्यवाद.
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Re: धारा ३७०
धारा 370 के सम्बन्ध में मुझे जानकारी नहीं थी आपने अच्छी जानकारी दी है बहुत बहुत धन्यवाद
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Re: धारा ३७०
मैं तो चाहूंगा की भारत के हरेक राज्य का भला हो, अगर ईन सब धाराओं से कश्मीर की आवाम का दर्शनीय विकास हो रहा हो तो भला ईससे अच्छा ओर क्या हो सकता है? लेकिन क्या एसा होगा?
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Re: धारा ३७०
धारा 370 के बारे में बेहतरीन ज्ञानवर्धक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद......... |
Re: धारा ३७०
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