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-   -   ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।। (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1422)

Sikandar_Khan 30-11-2010 08:28 PM

।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
अपनी पहलवान पत्नी से परेशान होकर
पति बोला रे मेरे
प्राणोँ की प्यासी
अच्छा हो मैँ गृहस्थी छोड़कर हो जाऊं संन्यासी । चला जाऊं मथुरा या काशी सुनकर पत्नी ने टोका
रे सत्यानाशी
यदि तू हो गया संन्यासी ।
चला गया हरिद्वार या काशी तो अपनी आने वाली
डेढ़ दर्जन बच्चोँ की टीम किसके सहारे करेगा ?
फ्रिज , टी.वी , फर्नीचर इनकी बकाया किश्तेँ
क्या तेरा बाप भरेँगा ?

Sikandar_Khan 30-11-2010 08:33 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
एक चढ़ती हुई
बारात को देखकर
एक व्यक्ति का मन डोला । अपनी पत्नी से बोला
तीन रानियां थीँ
राजा दशरथ के ।
इस हिसाब से तो अभी
हम तीन शादियां और
कर सकते हैँ
बिना खटके ।
सुनकर पत्नी ने टोका
खूब करो जैसा तुम्हे दीखे । पर इतना ध्यान रखना
पांच पति थे द्रौपदी के ।

Sikandar_Khan 30-11-2010 08:36 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
जो आपकी फाइल को
रखता है काबू
फाइल कहां है कैसी है
ऐसी है वैसी है ।
फाइल के चक्कर मे
आपकी ऐसी तैसी है ।

Sikandar_Khan 30-11-2010 09:02 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
लालू जी तुम चारा
हम पानी
जेल के अंदर मोबाइल पर हुक्मे चले ऐलानी
वो ही डंडे हैँ मुसटंडे
वो ही मच्छरदानी
वो ही लटेँ वो ही स्टाइल
वो ही अदा पुरानी ।
वो ही चमचे वो ही कुर्सी
कुर्सी पर महारानी
लालटेन की क्या गाथा है जग भर ने पहचानी ।
दस बच्चोँ की टीम हमारी बीवी की कप्तानी ।

khalid 30-11-2010 09:26 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
छो गए सिकन्दर भाई
जय भैया का असर हैँ
गुड वर्क लगे रहो

Sikandar_Khan 30-11-2010 09:32 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
Quote:

Originally Posted by khalid1741 (Post 20716)
छो गए सिकन्दर भाई
जय भैया का असर हैँ
गुड वर्क लगे रहो

खालिद भाई
आपका हार्दिक आभार

Sikandar_Khan 30-11-2010 09:38 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
उद्घाटन के दिन
रेत की दीवार नीचे आ गई ठेकेदार फिर भी बच गया दीवार उद्घाटनकर्ता को दबा गई ।
देखा वे फिर भी बच गए कारण दीवार बनाने
के लिए अपनाये गए
फार्मूले नए ।
न लोहा, न सीमेँट
एक्सपेरीमेँट । एक्सीलेँट ।

jai_bhardwaj 30-11-2010 09:52 PM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
घोर अमावस की रातें थी जब मैं क्वाँरा था
भटक रहा था इधर उधर, ना प्रेम सहारा था
दूज के चाँद सा जीवन हो गया जब तुम मुझे मिली
रोम रोम हो गया बगीचा जब हृदय में कलियाँ खिली
पूनम का चन्दा बन कर तुम मेरे घर आयीं
जीवन का मिट गया अँधेरा शुभ्र चाँदनी लायीं
बरस दो बरस बीत न पाए, पड़ गया चाँद ग्रहण
पल पल याद आ रहा अब, 'जय' अपना क्वांरापन

Sikandar_Khan 01-12-2010 08:03 AM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को पाने के लिए
365 दिनोँ मेँ
365 लव लैटर लिख मारे
फिर भी रहे बेचारे
क्वांरे के क्वांरे ।
कल ही प्रेमिका की ओर से बैरंग चिट्ठी मिली है ।
बात यह खुली है
तुम्हारे प्रेम पत्र पहुंचाने वाले उसी खूसट डाकिए से मैँने शादी कर ली है ।

pooja 1990 01-12-2010 11:00 AM

Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
 
sikandar mahan tha .mahan hai .or mahan rahega. mera dil tere nam.lage raho.kahi zyada tarif to nahi kar di. ha hi hu.


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